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अडानी समूह को 'बदनाम' करने के आरोप में पत्रकार के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट
दिल्ली पुलिस ने स्वतंत्र पत्रकार रवि नायर को आपराधिक मानहानि के सिलसिले में जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. यह वारंट अडानी ग्रुप द्वारा उनके खिलाफ दायर की गई एफआईआर के आधार पर जारी किया गया है. गुजरात के गांधीनगर थाने में दर्ज इस मामले में नायर को अदालत में पेश होने के लिए कहा गया है.
न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए रवि कहते हैं, “यह उनका उत्पीड़न करने का तरीका है. मुझे शिकायत दर्ज करने पर हैरानी नहीं है, लेकिन मेरा सवाल है कि वारंट से पहले अदालत से कोई समन या कानूनी नोटिस कैसे नहीं दिया गया?"
नायर ने बताया कि दिल्ली पुलिस के जवान, कथित तौर पर गुजरात पुलिस की ओर से इस जमानती वारंट लेकर सोमवार शाम करीब साढ़े चार बजे दिल्ली में उनके घर पहुंचे.
अडानी समूह पर प्रमुखता से लिखने वाले नायर ने आरोप लगाया कि यह बिल्कुल स्पष्ट नहीं है कि मामला क्या है, और अब उन्हें जुलाई के अंत तक गुजरात की एक अदालत में पेश होने के लिए कहा गया है.
बता दें कि पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता ने सोमवार को इस बारे में ट्वीट करके मामले पर ध्यान दिलाया था. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, “दर्ज की गई शिकायत के अभाव में, और अदालत के किसी समन गैरमौजूदगी में जो बताते हों कि आपको क्यों बुलाया गया है व आप पर क्या आरोप हैं, हम नहीं जानते कि क्या चल रहा है.”
गौरतलब है कि नायर ने पिछले कुछ वर्षों में भारतीय जनता पार्टी की आर्थिक नीतियों पर खोजी रिपोर्ट्स लिखी हैं. उनकी पत्रकारिता विवादास्पद राफेल सौदे, अडानी समूह के कारोबार और नरेंद्र मोदी सरकार के बीच संबंधों के इर्द गिर्द घूमती रही है. हाल ही में उन्होंने न्यूज़ क्लिक के लिए एक रिपोर्ट की है जिसका शीर्षक है: “अडानी कैसे बनेंगे भारत के सबसे बड़े प्राइवेट एयरपोर्ट ऑपरेटर?”
हमने अडानी समूह की संचार टीम से संपर्क किया. उनके द्वारा अभी तक न्यूज़लॉन्ड्री के सवालों का उत्तर नहीं दिया गया है. अगर हमें कोई प्रतिक्रिया मिलती है तो इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.
भारत में मीडिया की स्थिति
“रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स” हर साल “वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स” इस विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक जारी करता है. इस इंडेक्स में अलग-अलग देशों में मीडिया काम करने में कितना आजाद है, उसकी स्थिति बताई जाती है.
बता दें कि वर्ष 2022 में विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में सूचीबद्ध 180 देशों में से भारत 150वें स्थान पर है.
“रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स” को आरएसएफ के नाम से भी जाना जाता है. इसका मुख्य कार्यालय पेरिस में है. आरएसएफ 2002 से विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक जारी करता आ रहा है. बीते कुछ सालों से भारत लगातार इस रेटिंग में पिछड़ता जा रहा है. 2017 में भारत 136वें स्थान पर था, इसके बाद 2018 में 138वें, 2019 में 140वें, 2020 में 142वें और 2021 में भी 142वें स्थान पर था. वहीं 2022 में भारत, आठ अंक गिरकर 150वें स्थान पर आ गया.
कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (सीपीजे) ने 2021 की वार्षिक रिपोर्ट में बताया था कि इस साल पूरे विश्व में, 293 पत्रकारों को उनकी पत्रकारिता को लेकर जेल में डाला गया जबकि 24 पत्रकारों की मौत हुई. अगर भारत की बात करें तो यहां कुल पांच पत्रकारों की हत्या उनके काम की वजह से हुई है.
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