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Who Owns Your Media

आपके मीडिया का मालिक कौन है: इंडिया टुडे समूह के उतार-चढ़ाव

1975 में आज से 47 साल पहले मधु त्रेहान ने इंडिया टुडे मैगजीन की शुरुआत की, हालांकि उनके पिता विद्या विलास पुरी ने इसकी कल्पना एक टैबलॉयड के रूप में की थी. त्रेहान उस समय अमेरिका से लौटी थीं जहां उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय में पत्रकारिता की पढ़ाई की थी और साथ ही यूएन और इंडिया एब्रॉड के अलावा कई संस्थाओं में काम भी किया था.

त्रेहान ने संस्थापक संपादक के नाते टीम का नेतृत्व किया और उनके बड़े भाई अरुण पुरी ने व्यवसायिक भाग को संभाला. यहां से इंडिया टुडे समूह, या आईटीजी का जन्म हुआ, जो मीडिया जगत में टेलीविजन, रेडियो, डिजिटल मीडिया और अन्य कई संस्करणों के साथ आज एक विशालकाय संस्थान है.

इसके लगभग एक साल बाद, त्रेहान अन्य संपादकों के हाथ जिम्मेदारी सौंप कर वापस अमेरिका लौट गईं लेकिन समूह लगातार बढ़ता रहा. समूह ने व्यवसाय से लेकर ऑटोमोबाइल, स्वास्थ्य से लेकर तकनीक और सैर सपाटा से लेकर समाचार जैसे हर क्षेत्र में पत्रिकाओं का प्रकाशन किया.

इतना ही नहीं, समूह ने अपने मुख्य प्रकाशन इंडिया टुडे मैगजीन को क्षेत्रीय भाषाओं हिंदी, तमिल, तेलुगू और मलयालम में भी प्रकाशित किया. अखबारों और पत्रिकाओं के ऑनलाइन सूचीपत्र मैग्ज़टर पर प्रकाशित पिछले संस्करण के अनुसार, इंडिया टुडे के इन संस्करणों में से केवल हिंदी संस्करण ही बचा हुआ है. मैग्ज़टर पर उपलब्ध जानकारी के हिसाब से समूह की इंडिया टुडे, बिजनेस टुडे, ऑटो टुडे और ब्राइड टुडे पत्रिकाओं के अलावा बाकी पत्रिकाओं का प्रकाशन बंद हो चुका है. टैबलॉयड अखबार मेल टुडे भी केवल डिजिटल रूप में ही जीवित है.

इंडिया टुडे समूह कई अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं के भी भारतीय संस्करण को प्रकाशित करता है, इनमें कॉस्मापॉलिटन, हार्पर्स बाजार और रीडर्स डाइजेस्ट प्रमुख हैं. मैग्ज़टर पर डिस्कवरी चैनल मैगजीन और गुड हाउसकीपिंग का प्रकाशन रुक चुका है.

त्रेहान 1986 में भारत लौटीं और उन्होंने समूह का नेतृत्व टीवी जगत में फिर से एक क्रांतिकारी कदम उठाकर किया. उन्होंने वीडियो मैगजीन न्यूज़ट्रैक शुरू की, जो वीडियो कैसेट के जरिए खोजी पत्रकारिता की कहानियों को दर्शकों के लिए उपलब्ध कराती थी. दर्शक इस कैसेट को खरीद भी सकते थे और किराए पर भी ले सकते थे, उस समय भारत के दर्शकों के पास वीडियो न्यूज़ के नाम पर केवल दूरदर्शन के ही समाचार उपलब्ध थे. बताया जाता है कि इसकी सफलता इतनी जोरदार थी कि 30 मिनट के न्यूज़ट्रैक को विज्ञापनों के लिए जगह बनाने हेतु बढ़ाकर 90 मिनट का करना पड़ा था.

न्यूज़लॉन्ड्री के सह संस्थापक अभिनंदन सेखरी ने 1995 में न्यूज़ट्रैक में काम करना शुरू किया, जब वह वीडियो कैसेट संस्करण के अंतिम चरणों में दूरदर्शन पर एक बुलेटिन के तौर पर परिवर्तित होने की प्रक्रिया से गुजर रहा था. अभिनंदन याद करते हुए बताते हैं, "न्यूज़ट्रैक ने समाचारों को समझने व देखने के दृष्टिकोण को ही पूरी तरह से बदल दिया था, एक तरह से मुझे लगता है कि आज की पीढ़ी उसे समझ भी नहीं पाएगी. हमें 1991 के खाड़ी युद्ध के दौरान ही केबल टीवी मिला और उसके कुछ ही समय बाद वीडियो कैसेट बेमानी हो गईं, न्यूज़ट्रैक दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले एक साप्ताहिक अंग्रेजी समाचार कार्यक्रम में तब्दील हो गया. उसी वर्ष, समूह ने डीडी पर प्रसारित होने वाले एक दैनिक हिंदी समाचार कार्यक्रम आज तक की शुरुआत की."

न्यूज़ट्रैक की 5 से 20 मिनट की कहानियों से अलग, आज तक पर 90 सेकेंड की टीवी रिपोर्ट प्रसारित होती थीं. सेखरी को याद है कि, "आज तक ने पहले दिन से ही बेहतरीन प्रदर्शन किया. लेकिन बड़ी संख्या में वरिष्ठ पत्रकार इस क्षेत्र को छोड़ गए क्योंकि वह इस त्वरित बदलाव के अनुरूप खुद को ढाल नहीं सके, और 1996 आते-आते लंबे फॉर्मेट के समाचार, और न्यूज़ट्रैक का बाजार समाप्त हो गया. बाद में अरुण शौरी ने इस अवस्था के लिए 'साउंड बाइट पत्रकारिता' किंवदंती इजाद की."

1999 में आज तक एक स्वतंत्र चैनल बन गया, जिसके लिए आईटीजी की होल्डिंग कंपनी, लिविंग मीडिया इंडिया लिमिटेड या एलएमआईएल ने टीवी टुडे नेटवर्क को एक सीमित देयता कंपनी या एलएलसी के रूप में प्रमोट किया. इसके कुछ साल बाद 2003 में टीवी टुडे ने एक अंग्रेजी समाचार चैनल हेडलाइंस टुडे की भी शुरुआत की, जिसका 2015 में समूह की प्रमुख मैगजीन इंडिया टुडे के नाम पर नामांतरण कर दिया गया.

आज समूह के 24 घंटे चलने वाले चार चैनल हैं, आज तक, आज तक एचडी, गुड न्यूज़ टुडे और इंडिया टुडे. इसके अलावा समूह के 18 डिजिटल चैनल भी हैं जिन्हें यूट्यूब और उसके तक एप पर देखा जा सकता है, जो ज्योतिष, खानपान, खेल और समाचार जैसे अनेकों विषयों को कवर करते हैं. लल्लनटॉप भी इसी समूह का सदस्य है. आईटीजी, दिल्ली में वसंत वैली स्कूल और नोएडा में इंडिया टुडे मीडिया इंस्टीट्यूट नाम की दो शैक्षणिक संस्थाएं भी चलाता है.

स्वामित्व पर एक नजर

इंडिया टुडे समूह की मालिकाना कंपनी, वर्ल्ड मीडिया प्राइवेट लिमिटेड या डब्ल्यूएमपीएल की स्थापना 1949 में हुई थी. इस कंपनी का पूरा स्वामित्व पुरी परिवार के पास है, जिसमें अरुण पुरी की हिस्सेदारी 52.98 प्रतिशत, रेखा पुरी की 24.18 प्रतिशत, कली पुरी भंडल की 7.61 प्रतिशत, कोयल पुरी रिंचेत की 7.61 प्रतिशत और अंकुर पुरी की 7.62 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय में फाइल की गई जानकारी से पता चलता है कि डब्ल्यूएमपीएल, अपनी सहायक कंपनियों के द्वारा प्रकाशित अनेक प्रकार के प्रकाशनों को संपादकीय और वितरण की सेवाएं मुहैया कराती है. इसके साथ-साथ वह समूह की अन्य कंपनियों को छपाई, जिल्द बांधने, प्रशासकीय सहायता और आउटसोर्सिंग की सेवाएं भी प्रदान करती है.

डब्ल्यूएमपीएल की मुख्य सहायक कंपनियों में प्रिंट कंपनी थॉमसन प्रेस इंडिया लिमिटेड (93 प्रतिशत हिस्सेदारी), और डिंपल प्राइवेट लिमिटेड (99.99 प्रतिशत हिस्सेदारी) शामिल हैं. डिंपल प्राइवेट लिमिटेड का कोई व्यवसाय नहीं है और वह केवल फिक्स डिपॉजिट के ब्याज से ही कमाई करती है.

डब्ल्यूएमपीएल की आठ अन्य कंपनियों में प्रत्यक्ष और परोक्ष हिस्सेदारी है. इनमें थॉमसन डिजिटल इंडिया लिमिटेड, थॉमसन डिजिटल मॉरीशस, लिविंग मीडिया इंटरनेशनल लिमिटेड, रेडियो टुडे ब्रॉडकास्टिंग लिमिटेड (0.09 प्रतिशत सीधी हिस्सेदारी), वर्ल्ड मीडिया ट्रेडिंग लिमिटेड (6.98 प्रतिशत सीधे हिस्सेदारी), प्रीमियर सिक्योरिटी प्रिंटर्स लिमिटेड, एनएसडी प्रिंटर्स प्राइवेट लिमिटेड और डिजिस्केप टेक सॉल्यूशंस लिमिटेड हैं, जो थॉमसन प्रेस इंडिया लिमिटेड के पूर्ण स्वामित्व वाली सहयोगी कंपनियां हैं.

आईटीजी की एक प्रमुख होल्डिंग कंपनी लिविंग मीडिया इंडिया लिमिटेड की स्थापना 1962 में हुई थी और वह डब्ल्यूएमपीएल की सहायक कंपनी है. इसका मुख्य काम इंडिया टुडे समूह की पत्रिकाओं को प्रकाशित करना है तो इसे समूह की प्रिंटिंग शाखा भी माना जा सकता है.

लिविंग मीडिया इंडिया लिमिटेड के कारोबार में प्रकाशन 80 प्रतिशत हिस्सा रखता है और इसकी आय मुख्य रूप से विज्ञापनों और सब्सक्रिप्शन, तथा उसके डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर विज्ञापनों के जरिए आती है. डब्ल्यूएमपीएल, लिविंग मीडिया को व्यापार संवर्धन की सेवाएं प्रदान करती है.

लिविंग मीडिया, आईटीजी की सार्वजनिक लिस्टेड कंपनी टीवी टुडे नेटवर्क का भी मुख्य प्रमोटर है, जिसमें उसकी 56.9 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. इसके अन्य प्रमोटर डब्ल्यूएमपीएल (0.002 8 प्रतिशत), अरुण पुरी (1.54 प्रतिशत) और कोयल पूरी रिंचेत (0.0022 प्रतिशत) हैं.

टीवी टुडे नेटवर्क का शेष स्वामित्व कई म्यूचुअल फंडों, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों, आर्थिक संस्थानों, बैंकों और अन्य व्यक्तियों के जरिए सार्वजनिक रूप से है. टीवी टुडे नेटवर्क के जरिए लिविंग मीडिया परोक्ष रूप से टीवी टुडे नेटवर्क बिजनेस, विबग्योर ब्रॉडकास्टिंग प्राइवेट लिमिटेड और मेल टुडे न्यूज़ पेपर्स प्राइवेट लिमिटेड की भी मालिक है, यह सभी इस टीवी कंपनी की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियां हैं.

लिविंग मीडिया की अन्य सहायक कंपनियों में यूनिवर्सल लर्न टुडे प्राइवेट लिमिटेड (100 प्रतिशत) और अपहिल मीडिया प्राइवेट लिमिटेड (100 प्रतिशत) भी शामिल हैं.

टीवी टुडे नेटवर्क ही लिविंग मीडिया की इकलौती मुनाफा देने वाली सहायक कंपनी है. इसकी अन्य सहायक कंपनियों में से इंटीग्रेटेड डाटा बेसिस इंडिया लिमिटेड पिछले चार सालों से औसतन तीन करोड रुपए सालाना का मुनाफा बना रही है. हालांकि टुडे रिटेल नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड ने भी वित्तीय वर्ष 2021 में सात लाख रुपए का लाभ देकर मुनाफा कमाना शुरू कर दिया है, लेकिन यह अभी भी नगण्य है.

लिविंग मीडिया की दो पूर्व सहायक कंपनियां - टुडे मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड (51 प्रतिशत) और टुडे रिटेल नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड (51 प्रतिशत), 2017 में ज़ी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड के साथ लिविंग मीडिया का करार होने के बाद एसोसिएटेड कंपनियां बन गईं. ज़ी ने सीईओ और सीएफओ जैसे महत्वपूर्ण पदों को नामित करने के हक हासिल करने के साथ-साथ कंपनियों के काम और प्रबंधन का नियंत्रण भी अपने हाथ में ले लिया.

ज़ी ने टुडे मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड और टुडे रिटेल नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी पाने के लिए इनमें और निवेश करने का वादा भी किया है. अंतत:, इन कंपनियों में ज़ी, लिविंग मीडिया और टीवी टुडे नेटवर्क की हिस्सेदारी का अनुपात 80:15:5 होगा.

समूह की प्रिंटिंग शाखा लिविंग मीडिया का राजस्व 2017 में 295.37 करोड़ से काफी ज्यादा घटकर वित्तीय वर्ष 2021 में 80.25 करोड़ ही रह गया है. हालांकि उसने वित्तीय वर्ष 2020 में 69.62 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया लेकिन लिविंग मीडिया वर्षों से घाटे में चल रही है, वित्तीय वर्ष 2021 में उसका घाटा 3.17 करोड़ रुपए था.

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय में फाइल किए गए आर्थिक वक्तव्य में लिविंग मीडिया ने, पिछले दशक में प्रिंट मीडिया उद्योग में गिरावट की बात कही है और इसका कारण पढ़ने में बिताए जाने वाले समय में भारी गिरावट को बताया है. इन हालात को महामारी ने और ज्यादा बिगाड़ दिया, जिसमें सबसे ज्यादा बुरी हालत 2020-21 की पहली तिमाही में रही.

हालांकि महामारी की परिस्थितियों में सुधार से कंपनी भी सुधार देख रही है और उसकी सारी उम्मीदें व आशाएं भारत में बढ़ती साक्षरता पर टिकी हैं, जो देश में पढ़ने की प्रवृत्ति और प्रिंट मीडिया की प्रगति दोनों को बल दे सकती है.

यहां ध्यान देने वाली बात है कि लिविंग मीडिया के शेयर प्रमुख तौर पर दो कंपनियों - डब्ल्यूएमपीएल (48.15 प्रतिशत) और आईजीएच होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड (41.5 प्रतिशत) और पुरी परिवार - अरुण पुरी (5.44 प्रतिशत), रेखा पुरी (1.64 प्रतिशत), अंकुर पुरी (1.09 प्रतिशत), कोयल पुरी रिंचेत (1.09 प्रतिशत) और कली पुरी भंडल (1.09 प्रतिशत) के बीच बंटी हुई है.

क्योंकि डब्ल्यूएमपीएल का मालिकाना हक पूरी तरह से पुरी परिवार के पास है, इससे लिविंग मीडिया में परिवार की कुल हिस्सेदारी 58.5 प्रतिशत हो जाती है. कली पुरी भंडल, राधिका पुरी, अनिल कुमार मेहरा और दिनेश भाटिया, लिविंग मीडिया में डब्ल्यूएमपीएल की ओर से नॉमिनी के नाते एकल हिस्सा भी रखते हैं.

साथ ही आईजीएच होल्डिंग्स, जो कि एक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी है और लिविंग मीडिया में दूसरी सबसे बड़ी हिस्सेदारी रखती है, एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है, जिसका मालिक आदित्य बिरला समूह है. इसको पहले टेलीकॉम बिरला होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जाना जाता था और इसके निदेशकों में राजश्री और नीरज बिरला शामिल हैं.

एस्सेल माइनिंग का मालिकाना हक 34 इकाइयों के पास हैं जिनमें कई कंपनियां और निजी लोग शामिल हैं. इन कंपनियों में सूर्य आभा इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड सबसे बड़ी शेयर धारक (49 प्रतिशत) कंपनी है, जिसके बाद बिरला ग्रुप होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड (19.95 प्रतिशत) का नंबर आता है. बिरला ग्रुप होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड, आदित्य बिड़ला समूह की ही एक प्रमुख होल्डिंग कंपनी है.

बिरला परिवार का एस्सेल माइनिंग में सीधा सीधा स्वामित्व 1.08 प्रतिशत है, इसमें कुमार मंगलम बिरला (0.38 प्रतिशत), नीरज बिरला (0.35 प्रतिशत), राजश्री बिरला (0.34 प्रतिशत) और मंजूश्री खेतान (0.01 प्रतिशत) हिस्सेदारी रखते हैं. खेतान आदित्य विक्रम बिरला की बहन है और कुमार मंगलम बिरला की बुआ हैं. इसमें आदित्य विक्रम कुमार मंगलम बिरला एचयूएफ (0.33 प्रतिशत) और बिरला फैमिली इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड (0.19 प्रतिशत) के जरिए भी शेयरों में हिस्सेदारी है. क्योंकि हिंदुस्तान टाइम्स की शोभना भारतीय और आदित्य विक्रम बिरला सगे चचेरे भाई बहन हैं, कुमार मंगलम बिरला भारतीय के भतीजे भी हैं.

2012 में, लिविंग मीडिया में आईजीएच की प्राथमिक हिस्सेदारी 27.5 प्रतिशत थी. उस समय आदित्य बिरला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने कहा था, "निवेश के दृष्टिकोण से मीडिया का क्षेत्र, एक उभरता हुआ क्षेत्र है. मेरा मानना है कि लिविंग मीडिया इंडिया, विकास और मूल्य संवर्धन के सबसे बेहतरीन अवसरों में से एक है."

न्यूज़ मीडिया ने इस कदम को कुमार मंगलम बिरला के द्वारा मीडिया उद्योग में हिस्सेदारी पाने के सपने को साकार करने के लिए, 2003 में आदित्य बिरला समूह के इस क्षेत्र में पहली बार उतरने के बाद दूसरी कोशिश के रूप में देखा था. उस समय, समूह ने अपलॉज एंटरटेनमेंट नाम की कंपनी की शुरुआत की थी जिसने ब्लैक जैसी प्रशंसनीय फिल्म बनाई थी. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 2009 में, आर्थिक संकट के दौरान मनोरंजन जगत में हुई हानि के बाद कंपनी निष्क्रियता में आ गई. 2017 में पूर्व बालाजी समूह के सीईओ समीर नायर को अपलॉज एंटरटेनमेंट को पुन: जीवित करने के लिए रखा गया.

2014 आते-आते खबरों में यह कयास लगाए जाने लगे थे कि बिरला लिविंग मीडिया से निकलना चाह रहे हैं. लेकिन 2018 आने तक समूह ने अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 41.5 प्रतिशत कर ली. क्योंकि कंपनी लिविंग मीडिया में 20 प्रतिशत से ज्यादा की हिस्सेदारी रखती है, यह माना जा सकता है कि उसका लिविंग मीडिया में काफी रसूख है.

धन का मीटर

अगर लिविंग मीडिया आईटीजी की प्रिंट शाखा है, तो टीवी टुडे नेटवर्क निश्चय ही उसकी मल्टीमीडिया शाखा है, जो निरंतर लाभ देती है और जिस पर कोविड महामारी का भी असर नहीं पड़ा. कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय में फाइल किए गए आर्थिक रिकॉर्ड बताते हैं कि पिछले छह वर्षों में, टीवी टुडे नेटवर्क का खुद का लाभ ही दोगुने से भी ज्यादा बढ़ गया है- 2016 में 61 करोड़ रुपए से बढ़कर 2021 में 131 करोड़ रुपए.

टीवी टुडे नेटवर्क के राजस्व का बड़ा हिस्सा उसके टेलीविजन शाखा से आता है जिसमें निरंतर बढ़ोतरी हुई है, वित्तीय वर्ष 2017 में 564 करोड़ रुपए से वित्तीय वर्ष 2020 में 699 करोड़ रुपए, और वित्तीय वर्ष 2021 में 646 करोड़ रुपए.

दूसरी तरफ उसका रेडियो व्यवसाय वर्षों से घाटे में है, जिसका वित्तीय वर्ष 2021 में घाटा 18.60 करोड़ रुपए था. टीवी टुडे नेटवर्क अपने रेडियो व्यापार को एंटरटेनमेंट नेटवर्क इंडिया लिमिटेड को बेचने का मार्ग प्रशस्त कर रहा है, जो मिर्ची ब्रांड के अंतर्गत अपना रेडियो खंड चलाता है और टाइम्स इन्फोटेनमेंट मीडिया लिमिटेड की एक सहायक कंपनी है. टाइम्स इन्फोटेनमेंट मीडिया लिमिटेड - बैनेट, कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड की एक होल्डिंग कंपनी है.

2017 में टीवी टुडे नेटवर्क ने लिविंग मीडिया के डिजिटल व्यापार के कार्यकारी हिस्से को भी अपने नियंत्रण में ले लिया. इतना ही नहीं, अपने शुरुआती दिनों की मेल टुडे न्यूज़ पेपर्स प्राइवेट लिमिटेड में आठ प्रतिशत हिस्सेदारी को बढ़ाकर, टीवी टुडे नेटवर्क ने लिविंग मीडिया और एएन (मॉरीशस) से बिना किसी आर्थिक भुगतान या मुफ्त में "उपहार" स्वरूप, इसमें बची हुई 92 प्रतिशत हिस्सेदारी भी ले ली.

जैसा कि फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स में बताया गया है, मेल टुडे के घाटे में होने के बावजूद भी टीवी टुडे नेटवर्क उसे "अत्यधिक मूल्यवान" और "रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण" मानता है क्योंकि वह "दिल्ली में प्रकाशित होने वाला एक खास अखबार" है, जिसके पत्रकारों का तंत्र नया कंटेंट लाता है. पूरी तरह से समूह के मालिकाना हक वाले मेल टुडे में टीवी टुडे नेटवर्क की सीधी हिस्सेदारी 48.99 प्रतिशत है, और 51.01 प्रतिशत हिस्सेदारी इंडिया टुडे ऑनलाइन प्राइवेट लिमिटेड नाम की निवेश कंपनी के जरिए है, जो मेल टुडे की एक होल्डिंग कंपनी है और पूरी तरह से टीवी टुडे नेटवर्क के स्वामित्व में आने वाली सहायक कंपनी है.

इस खरीद के बाद मेल टुडे के मूल्यांकन में 2018 में सात करोड़ रुपए की गिरावट और 2019 में चार करोड़ रुपए की गिरावट आई - जिसे आर्थिक स्टेटमेंट्स में असाधारण कहा गया. 2019 में, मेल टुडे, इंडिया टुडे ऑनलाइन प्राइवेट लिमिटेड और टीवी टुडे नेटवर्क को मिलाने की व्यवस्था को मंजूरी दी गई. इस व्यवस्था के अंतर्गत, मेल टुडे को प्रकाशन से अलग कर टीवी टुडे नेटवर्क में संलग्न कर दिया जाएगा, वहीं इंडिया टुडे ऑनलाइन प्राइवेट लिमिटेड को साथ जोड़ दिया जाएगा. उसके बाद से अखबार का प्रकाशन लंबित है, लेकिन उसके कंटेंट को डिजिटल रूप से प्रकाशित किया जाता है.

इस प्रक्रिया में, टीवी टुडे नेटवर्क का डिजिटल व्यवसाय जो 2016 तक मात्र 3.22 करोड रुपए ही बना पाया था, उसका दूसरा सबसे बड़ा आय का साधन बन गया है. 2017 में अपने उपक्रमों से 45 करोड़ रुपए कमाने से शुरुआत करके 2021 में तीन गुना बढ़कर 130 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है. इतना ही नहीं 2021 में मार्च से दिसंबर के नौ‌ महीनों की आय वित्तीय वर्ष 2020-21 की कुल कमाई से तीन प्रतिशत ज्यादा थी.

यह रिपोर्ट प्रकाशित होने तक, टीवी टुडे नेटवर्क का बाजार में कद 1619.41 करोड़ पहुंच गया था.

ग्राफिक्स- वीबी गोबिंद.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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