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मानसून की निराशा: 57 फीसदी जिलों में सामान्य से कम बारिश, फसलों पर भारी असर

मॉनसून को आए लगभग एक महीना हो चुका है, लेकिन अभी तक देश के 57 फीसदी जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है. इसका सीधा असर खरीफ की फसल पर पड़ा है.

मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक 1 से 27 जून 2022 के दौरान देश के 20 प्रतिशत (143) जिलों में सामान्य बारिश हुई है. यहां यह उल्लेखनीय है कि इसी साल मौसम विभाग ने सामान्य बारिश के आंकड़ों में भी कमी कर दी है.

हालांकि मौसम विभाग पूरे देश में मॉनसून की बारिश को सामान्य बता रहा है, लेकिन बारिश का वितरण कितना खराब है, इसका अंदाजा जिले वार रिपोर्ट ही बता सकती है. जो बताती है कि 91 जिले (13 प्रतिशत) ऐसे हैं, जहां बहुत ज्यादा बारिश हो चुकी है, जबकि 66 जिले (9 प्रतिशत) में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है. जबकि यहां उल्लेखनीय है कि मौसम विभाग सामान्य से 60 प्रतिशत से अधिक बारिश को बहुत ज्यादा (लार्ज एक्सेस) और 20 से 59 प्रतिशत बारिश को ज्यादा (एक्सेस) बारिश मानता है. सबसे अधिक बारिश असम, मेघालय, जम्मू कश्मीर, तमिलनाडु, तेलंगाना में हो रही है.

लेकिन इससे उलट, मध्य भारत और उत्तर भारत में काफी कम बारिश अब तक हुई है. मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में सात ऐसे जिले हैं, जहां 1 से 27 जून के बीच बिल्कुल भी बारिश नहीं हुई है. ये जिले हैं- मैनपुरी, एटा, इटावा, उन्नाव, चंदौली, बदायूं और रामपुर. जबकि 137 जिलों में बहुत कम बारिश हुई है और 259 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है.

राज्यवार देखें तो 1 से 27 जून के दौरान चार राज्य ऐसे हैं, जहां बहुत कम (लार्ज डेफिशिएट) बारिश हुई है, जबकि 10 राज्यों में कम (डेफिशिएट) बारिश हुई है और क्षेत्र (रीजन) स्तर पर देखें तो मध्य भारत में सबसे कम बारिश हुई है.

मौसम विभाग के मुताबिक मध्य भारत में सामान्य से लगभग 30 फीसदी कम बारिश हुई है. इन राज्यों में ओडिशा (-37%), मध्य प्रदेश (-23%), गुजरात (-49%), दादर नागर हवेली (-66%), गोवा (-10%), महाराष्ट्र (-29%), छत्तीसगढ़ (-28%) शामिल हैं.

मध्य भारत के राज्यों के अलावा उत्तर प्रदेश में बारिश काफी कम हुई है, लेकिन मध्य भारत में बारिश कम होना इसलिए ज्यादा अखर रहा है, क्योंकि मध्य भारत के ज्यादातर हिस्सों में मॉनसून औपचारिक तौर पर पहुंच चुका है.

खरीफ की बुवाई पर संकट

खरीफ सीजन की फसलों के हिसाब से देखा जाए तो मध्य भारत काफी महत्व रखता है. केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 24 जून 2022 को समाप्त सप्ताह तक पिछले साल के मुकाबले देश में 23.81 प्रतिशत खरीफ की बुवाई कम हुई है.

बारिश की वजह से सबसे अधिक प्रभावित धान की फसल हुई है. पिछले साल के मुकाबले अब तक 45.62 प्रतिशत धान की बुवाई कम रिकॉर्ड की गई है. पिछले साल यानी 2021 में जून के चौथे सप्ताह तक 36.03 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई की जा चुकी थी, लेकिन इस साल 2022 में केवल 19.59 लाख टन ही बुवाई की गई है. यानी पिछले साल के मुकाबले इस साल 16.44 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अब तक बुवाई शुरू नहीं हो पाई है.

बारिश न होने का सबसे अधिक खामियाजा महाराष्ट्र को भुगतना पड़ रहा है. आंकड़े बताते हैं कि जून के चौथे सप्ताह तक महाराष्ट्र में पिछले साल 32.12 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ की बुई हो बुवाई चुकी थी, लेकिन इस साल केवल 17.53 लाख हेक्टेयर ही बुवाई हो पाई है.

मध्य भारत के राज्य मध्य प्रदेश में 5.65 लाख हेक्टेयर के मुकाबले आधी से भी कम 2.56 लाख हेक्टेयर, ओडिशा में 2.19 लाख के मुकाबले 1.21 लाख, छत्तीसगढ़ में 2.93 लाख हेक्टेयर में खरीफ की बुवाई केवल एक चौथाई (55 हजार हेक्टेयर) ही बुवाई हो पाई है.

मध्य भारत के अलावा उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान भी खरीफ फसलों के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं. यहां भी फसलों की बुवाई काफी कम हुई है. जैसे कि उत्तर प्रदेश में 30.51 लाख के मुकाबले 29.449 लाख हेक्टेयर, पंजाब में 19.48 लाख के मुकाबले आधे से कम यानी 7.99 लाख हेक्टेयर, राजस्थान में 14.50 लाख के मुकाबले 10.28 लाख हेक्टेयर, हरियाणा में 9.22 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 9.22 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो पाई है.

अकेला गुजरात ऐसा राज्य है, जहां इस साल के खरीफ सीजन में पिछले साल के मुकाबले अधिक बुवाई रिकॉर्ड की गई है. पिछले साल गुजरात में 8.63 लाख हेक्टेयर के मुकाबले इस साल जून के चौथे सप्ताह तक 12.03 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है.

धान की फसल पर संकट

खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान यानी चावल है. अब तक आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल इस समय तक 36.02 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई हो चुकी थी, जो इस बार केवल 19.59 लाख हेक्टेयर ही हो पाई है. इस सीजन तक सबसे अधिक धान की बुवाई पंजाब में होती है.

पंजाब में पिछले साल जून के चौथे सप्ताह तक 15.74 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई हो चुकी थी, लेकिन इस साल लगभग एक चौथाई यानी 4.34 लाख हेक्टेयर में ही धान की बुवाई हो पाई है.

उत्तर प्रदेश में 2.95 लाख के मुकाबले 2.61 लाख हेक्टेयर, ओडिशा में 1.42 लाख हेक्टेयर के मुकाबले आधी से कम 4.34 लाख हेक्टेयर, नागालैंड में 1.07 लाख के मुकाबले 88 हजार हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 78 हजार के मुकाबले 45 हजार हेक्टेयर में ही धान की बुवाई हो पाई है. मध्य प्रदेश एक प्रमुख धान उत्पादक राज्य है, लेकिन कृषि मंत्रालय के पास मध्य प्रदेश का आंकड़ा नहीं है.

(डाउन टू अर्थ से साभार)

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