Report
दिल्ली विश्वविद्यालय: यौन शोषण के आरोपी की सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति!
पिछले कुछ दिनों से दिल्ली विश्वविद्यालय के स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज में एक मैसेज व्हाट्सएप ग्रुप्स में घूम रहा है. यह मैसेज हिंदी विभाग में सहायक प्रोफेसर संतोष राय को लेकर है. इस मैसेज में दावा किया जा रहा है कि आठ साल पहले संतोष को दुष्कर्म और हत्या के लिए उकसाने वाले एक मामले में गिरफ्तार किया गया था. उस समय वह दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के सत्यवती कॉलेज में पढ़ाया करते थे. वहीं अब श्रद्धानंद कॉलेज में की गई उनकी भर्ती पर भी सवाल उठ रहे हैं. न्यूज़लॉन्ड्री ने इस मामले की तह तक जाने की कोशिश की.
क्या है संतोष राय पर पुराने मामले का सच?
संतोष राय ने अपनी पीएचडी की पढ़ाई महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय से की, जो वर्धा विश्वविद्यालय के नाम से प्रसिद्ध है. 2014 में वह पीएचडी खत्म कर चुके थे और दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज के हिंदी विभाग में पढ़ाया करते थे. उस समय उनकी उम्र 30 साल रही होगी. उनकी नियुक्ति एड-हॉक स्तर पर हुई थी. दैनिक भास्कर की एक खबर के मुताबिक 2014 में वर्धा विश्वविद्यालय में एक लड़की ने आत्महत्या कर ली थी. उसके पास से एक सुसाइड नोट मिला था जिसमें संतोष राय का नाम था. खबर के अनुसार लड़की ने अपने सुसाइड नोट में संतोष राय को आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया था .
उसी साल संतोष को महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. तब सत्यवती कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सत्येंद्र जोशी हुआ करते थे. उन्हें सेवाग्राम पुलिस स्टेशन से कॉल आया था. उस समय सत्यवती कॉलेज में स्टाफ एसोसिएशन अध्यक्ष रहे डॉ. शशि शेखर प्रसाद बताते हैं, "किसी को नहीं पता था संतोष पर इस तरह का मामला है. प्रिंसिपल को पुलिस स्टेशन से कॉल आया था. जिसके बाद संतोष से रिजाइन करने के लिए कहा गया था."
इस मामले में न्यूज़लॉन्ड्री ने वर्धा विश्वविद्यालय में बात की. हमें पता चला कि संतोष राय वर्धा विश्वविद्यालय से पीएचडी की पढ़ाई कर रहे थे जहां उनकी मुलाकात पीड़िता से हुई जो नागपुर यूनिवर्सिटी से एमएससी की पढ़ाई कर रही थीं. पीड़िता हिंदी विभाग में कार्यरत एक प्रोफेसर की बेटी थीं. हमने पीड़िता के पिता से बात की. उन्होंने बताया, "संतोष मेरे घर आता- जाता रहता था. वहीं यह मेरी बेटी से मिला."
वह आगे बताते हैं, "संतोष दिल्ली चला गया था. उसने मेरी बेटी से शादी का वादा किया था, लेकिन वह नहीं आया. मेरी बेटी मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रही थी. वह परेशान थी. हमें वह कुछ नहीं बताती थी. उनसे केवल अपनी छोटी बहन को यह सब बताया था, लेकिन उसे कसम खिला दी थी कि वह किसी को यह सब न बताए. अंत में उसने आत्महत्या कर ली. सुसाइड नोट में मेरी बेटी ने लिखा था कि संतोष ने उसे शादी का झांसा दिया जिसके बाद वह पलट गया. वह पहले से ही शादीशुदा था.”
हमने वर्धा विश्वविद्यालय के अन्य प्रोफेसरों से भी बात की. उन्होंने भी इस घटना की पुष्टि की है.
पीड़िता के पिता ने हमें बताया कि मामला अभी ज़िला अदालत में चल रहा है.
कैसे हुई श्रद्धानंद कॉलेज में भर्ती?
पिछले साल 2021 में 11 फरवरी को श्रद्धानंद कॉलेज ने एक विज्ञापन जारी किया था. इसमें 27 एडहॉक कर्मचारियों की भर्ती की घोषणा की गई थी. सभी चयनित उम्मीदवारों को मार्च में इंटरव्यू के लिए बुलाया गया. चयन समिति में प्रिंसिपल प्रवीण गर्ग सहित हिंदी विभाग की अध्यापक-इन-चार्ज उमा शंकर चौधरी और वरिष्ठ अध्यापक गोपाल मीणा थे. आरोप है कि बिना रोस्टर और आरक्षण प्रावधानों का पालन किए एडहॉक सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति की गई. लेकिन इनमें से भी तीन नाम ऐसे हैं जिन पर समिति की पूर्ण सहमति नहीं थी.
गोपाल मीणा बताते हैं, "प्रिंसिपल तीन नामों की एक लिस्ट लाए थे. इसमें शीतल कुमार और संतोष राय का नाम था. प्रिंसिपल ने हम से उस पर साइन करने के लिए कहा. हमने साइन नहीं किया लेकिन प्रिंसिपल ने खुद साइन करके अपॉइंटमेंट लेटर जारी कर दिया."
न्यूज़लॉन्ड्री को प्राप्त जानकारी के अनुसार संतोष राय की नियुक्ति दिव्यांग व्यक्तियों के लिए आरक्षित सीट पर हुई है.
दिल्ली विश्वविद्यालय में नियुक्ति के लिए चयन समिति के सभी सदस्यों की अनुमति होनी चाहिए. नियुक्ति पत्र उसके बाद ही दिया जाता है. गवर्निंग बॉडी, जिसमे दिल्ली सरकार, यूजीसी और डीयू के कुल 15 सदस्य बैठते हैं, वह बाद में मीटिंग के दौरान ही इस पर हस्ताक्षर करते हैं. मार्च 2021 में गवर्निंग बॉडी की अध्यक्ष कुमुद शर्मा थीं. उस समय गवर्निंग बॉडी ने संतोष राय के नाम पर अपनी मंजूरी देने से मना कर दिया था. जिसके बाद से अंकित पांडेय गवर्निंग बॉडी की अध्यक्षता संभाल रहे हैं.
डीयू के एक प्रोफेसर ने इन नियुक्तियों को लेकर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग में शिकायत की थी. इसमें संतोष राय पर चल रहे आपराधिक मामले का जिक्र किया गया था. आयोग ने इसका संज्ञान लिया और 22 दिसंबर को एक आदेश जारी किया. इसमें कहा गया था कि इंटरव्यू में रोस्टर फॉलो न करने और आरक्षण प्रावधानों को नजरअंदाज करने के चलते सभी नियुक्तियों को रद्द किया जाए. 5 मई 2022 को अंकित पांडेय ने मामले में जांच समिति का गठन करने के आदेश दिए.
यह आश्चर्य की बात है कि आदेश के बावजूद, संतोष राय समेत सभी प्रोफेसर कॉलेज आ रहे हैं और उन्हें वेतन भी मिल रहा है.
हमने अंकित पांडेय से बात की. क्या उन्हें संतोष राय के मामले के बारे में पता था? अंकित कहते हैं, "नहीं. जांच समिति जांच कर रही है. मुझे दो दिन पहले ही पता चला कि संतोष राय इस तरह के किसी मामले में गिरफ्तार हुए थे."
न्यूज़लॉन्ड्री ने संतोष राय और प्रवीण गर्ग से भी बात की लेकिन दोनों ने इस मामले पर चुप्पी साधे रखी और कहा कि वह वर्धा विश्वविद्यालय में हुई ऐसी किसी भी घटना से अनजान हैं.
क्या संतोष राय की नियुक्ति गलत है?
बता दें कि संतोष राय पर वर्धा कोर्ट में मामला अभी भी चल रहा है. श्रद्धानंद कॉलेज के कई प्रोफेसरों का मानना है कि संतोष राय यदि बतौर प्रोफेसर पढ़ाते हैं तो यह नैतिक आधार पर महिला अध्यापकों और छात्राओं के लिए असुरक्षित है. डीयू में एडहॉक टीचरों की भर्ती के लिए योग्यता के आधार निश्चित किए गए हैं, लेकिन किसी को अयोग्य बताकर उसे सेवा से निकालने के लिए कहीं नहीं लिखा.
दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर एसोसिएशन के एक सदस्य ने हमें बताया, "जब तक संतोष आरोपी से मुजरिम करार न दिए जाएं, वह विश्वविद्यालय में काम कर सकते हैं. हालांकि उन्हें नैतिक आधार पर विश्वविद्यालय में रखें या नहीं, इसका फैसला गवर्निंग बॉडी ले सकती है."
Also Read
-
Losses, employees hit: Tracing the Kanwar Yatra violence impact on food outlets
-
The Himesh Reshammiya nostalgia origin story: From guilty pleasure to guiltless memes
-
2006 blasts: 19 years later, they are free, but ‘feel like a stranger in this world’
-
कांवड़ का कहर: 12 होटल- सवा तीन करोड़ का घाटा
-
July 28, 2025: Cleanest July in a decade due to govt steps?