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प्रयागराज हिंसा: जावेद मोहम्मद के घर पर हुई बुलडोजर कार्रवाई कितनी सही?
"अब्बू उस दिन सुबह से शाम तक घर में थे. वे किसी प्रदर्शन का हिस्सा नहीं थे. टीवी पर उन्हें हिंसा का "मास्टरमाइंड" दिखाया जाने लगा. बहन और अम्मी को पुलिस बिना किसी नोटिस के रात में 12 बजे अपने साथ ले गई. रविवार की सुबह अचानक नोटिस दिखाई दिया और इससे पहले हम कुछ समझ पाते हमारा घर गिरा दिया गया." प्रयागराज हिंसा के मुख्य आरोपी बताए जा रहे जावेद मोहम्मद के बेटे मोहम्मद उमम ने बात करते हुए प्रयागराज प्रशासन की कार्रवाई पर कई सवाल उठाए हैं.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर की गई अपमानजनक टिप्पणी को लेकर 10 जून को प्रयागराज में हुए विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया था. जिसके बाद प्रयागराज पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 68 लोगों को गिरफ्तार किया और जेएनयू की पूर्व छात्र नेता आफरीन फातिमा के पिता जावेद मोहम्मद को इस हिंसा का "मास्टरमाइंड" बताया गया.
क्या जावेद मोहम्मद का घर एक "अवैध निर्माण" था?
प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) द्वारा जावेद मोहम्मद के घर के बाहर एक नोटिस चिपकाया गया था, जिसमें लिखा था कि जमीन और पहली मंजिल के अनधिकृत निर्माण के लिए 10 मई को उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. मामले की सुनवाई 24 मई को निर्धारित की गई थी. नोटिस में लिखा था, “हालांकि, आपने या आपके अधिकृत वकील ने उल्लिखित तारीख को खुद को पेश नहीं किया और न ही आपके द्वारा दस्तावेज पेश किए गए. 25 मई को भवन ध्वस्तीकरण हेतु आदेश पारित किया गया था जिसे मौके पर चिपका कर तामील कर दिया गया. आपसे 9 जून तक मकान गिराने के बाद जानकारी साझा करने की अपेक्षा की गई थी जो आपने नहीं किया. इसलिए आपको सूचित किया जाता है कि आप 12 जून को सुबह 11 बजे तक घर खाली कर दें ताकि विध्वंस की प्रक्रिया को अंजाम दिया जा सके."
जावेद मोहम्मद के घर को ढहाए जाने की इस कार्रवाई के खिलाफ उनका परिवार कोर्ट का रुख कर चुका है. उनके वकील केके रॉय ने बताया की प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) द्वारा अचानक चस्पा किए गए इस नोटिस में लिखी बातें झूठी और निराधार हैं.
उन्होंने आगे बताया की घर जावेद मोहम्मद की पत्नी परवीन फातिमा के नाम पर है और संपत्ति शादी के समय उनके पिता ने उन्हें दी थी. मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार जब तक महिला ज़िंदा है, तब तक महिला के पति का उसके नाम किए गए घर में कोई हिस्सा नहीं होता है. वे आगे कहते हैं, "प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने यूपी अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट 1973 के तहत मकान पर बुलडोजर चलाया है, जबकि इस कानून के तहत एक संपत्ति को ध्वस्त करने से पहले सील किया जा सकता है. आप उसे साधारण तौर पर सीधे ध्वस्त नहीं कर सकते हैं."
केके रॉय आगे कहते हैं कि यूपी अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट के तहत ये प्रावधान है कि ऐसा किसी घर को ध्वस्त करने का कोई आदेश तब तक नहीं जा सकता जब तक कि मालिक या संबंधित व्यक्ति को कारण बताने का उचित अवसर न दिया गया हो कि आदेश क्यों नहीं जारी किया जाना चाहिए.
जावेद मोहम्मद के बेटे उमम मोहम्मद का कहना है कि उन्हें इससे पहले ऐसा कोई अंदेशा नहीं था, न ही कोई नोटिस दिया गया.
"20 साल से यहां हमारा घर है. अचानक नोटिस चिपकाया गया और अगली सुबह घर ढहा दिया गया. प्रशासन आखिर इतनी जल्दबाजी में क्यों था?" उमम ने बताया की ये घर उनकी मां परवीन फातिमा के नाम पर है और घर पर चिपकाया गया नोटिस पिता जावेद मोहम्मद के नाम पर था. साथ ही वे लगातार हाउस टैक्स और बिजली के बिल भरते रहे हैं फिर कैसे घर अवैध हो गया?
परिवार के इन दावों पर जवाब के लिए हमने लगातार प्रयागराज प्रशासन से संपर्क करने के प्रयास किए लेकिन डीएम के पीआरओ "साहब व्यस्त हैं" कहकर समय देते रहे. प्रशासन का जवाब मिलते ही रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
हमने जावेद मोहम्मद के पड़ोसी अनवर आज़म से बात की. उनका कहना है कि वे जावेद मोहम्मद को कई सालों से जानते हैं और उन्हें बदनाम किया जा रहा है. जावेद मोहम्मद के घर से हथियार मिलने के सवाल पर अनवर कहते हैं, “ये बात तो हमारी सोच से बहुत दूर है कि उनके घर से हथियार मिल सकते हैं. एक महीने पहले ही उन्होंने प्रशासन के साथ शहर में शांति व सद्भाव कायम करने के लिए आयोजित की गई एक मीटिंग में हिस्सा लिया था, लेकिन अब प्रशासन उन्हें हिंसा का मुख्य आरोपी बता रहा है."
अनवर आगे कहते हैं कि जावेद मोहम्मद शहर में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए आंदोलन के दौरान काफी सक्रिय थे. उन्हें टारगेट किया जाने की एक वजह यह भी हो सकती है.
प्रयागराज निवासी और सामाजिक कार्यों में जावेद के साथ काम करने वाले आशीष मिश्र का कहना है कि ये सरकार अपनी अहंकारी नीतियों का उपयोग करते हुए आम नागरिकों पर इस तरह का जुल्म कर रही है. उन्होंने कहा कि जावेद लगातार हिंसा के विरोध में रहे हैं. उन्होंने 10 जून को भी आम मुसलमानों से अपील की थी कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखें. वे तो उस प्रदर्शन का हिस्सा भी नहीं थे जिसके बाद हिंसा हुई.
उन्होंने बताया कि जावेद मोहम्मद पर लोग प्रशासन से मिले होने का आरोप लगाते थे कि वे हर काम में प्रशासन की राय और मशविरा लिया करते हैं. उन्होंने प्रशासन के साथ मिलकर शांति स्थापित करने के कई प्रयास किए लेकिन अब प्रशासन उनके ऊपर झूठे और बेबुनियाद आरोप मढ़ रहा है.
कौन हैं आफरीन फातिमा
जावेद मोहम्मद की बेटी आफरीन फातिमा, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के विरोध में जाने-माने चेहरों में से एक हैं. आफरीन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की महिला कॉलेज के छात्र संघ की पूर्व अध्यक्ष और काउंसलर के रूप में जेएनयू छात्र संघ का हिस्सा भी रह चुकी हैं. आफरीन ने अपने पिता को हिंसा का "मास्टरमाइंड" बताए जाने के बाद एक वीडियो बयान जारी करते हुए कहा कि पुलिस ने गैरकानूनी तरीके से मेरे पिता को घर से ‘डिटेन’ किया है. जबकि पुलिस के पास कोई नोटिस नहीं था. वे इसी तरह रात को 12 बजे आए और बिना किसी नोटिस के मेरी मां और छोटी बहन को ले गए. वीडियो में आफरीन ने कहा कि पुलिस शनिवार सुबह करीब ढाई बजे दूसरी बार उनके घर पहुंची.
पुलिस फिर से हमारे घर पर इकट्ठी हुई और मुझे और मेरी भाभी को हिरासत में लेने की कोशिश की. जब हमने विरोध किया और कहा कि हम उनके साथ नहीं जाएंगे तो उन्होंने हमें डराने, धमकाने और परेशान करने की कोशिश की. उन्होंने बताया कि पुलिस रात भर उनके घर के बाहर खड़ी रही.
आफरीन के पिता जावेद मोहम्मद वेलफेयर पार्टी ऑफ़ इंडिया की राष्ट्रीय कार्यकारणी का हिस्सा हैं. मोहम्मद उमम कहते हैं, "मेरे अब्बू प्रशासन के साथ शांति और सद्भाव कायम करने के प्रयास में लगातार हिस्सा थे, और कई मौकों पर प्रशासन के साथ शहर में काम भी किया. लेकिन उस प्रशासन ने ही ये सब जानते हुए उन्हें हिंसा का "मास्टरमाइंड" घोषित कर दिया और हमारा घर गिरा दिया गया."
प्रशासन ने किया घर के भीतर हथियार मिलने का दावा
प्रयागराज के एसएसपी अजय कुमार के मुताबिक घर के भीतर खोजबीन के दौरान आपत्तिजनक सामान मिलने का दावा किया गया है. जिसमें अवैध हथियार, आपत्तिजनक पोस्टर को कब्ज़े में लेने और तफ्तीश का हिस्सा बनाने की बात कही गई है. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अवैध हथियार में 12 बोर का अवैध तमंचा इसके अलावा 315 बोर का एक तमंचा, कुछ कारतूस और कागजात बरामद किए गए हैं.
वकील केके रॉय ने इस कार्रवाई को गैरकानूनी बताते हुए कहा कि घर को ध्वस्त करने के दौरान परिवार का कोई भी सदस्य न घर के भीतर था, न घर के बाहर. घर का ताला भी प्रशासन द्वारा खोला गया. परिवार के द्वारा किसी भी तरह का सामान इधर से उधर लाया, ले जाया नहीं गया. उस वक्त वहां 100 से ज्यादा मीडियाकर्मी मौजूद थे. घर का प्रत्येक सामान पीडीए के अधिकारियों द्वारा बाहर लाया गया. सब खुले में था. वहां ऐसा कोई भी एक व्यक्ति नहीं था जिसने इस तरह का कोई आपत्तिजनक सामान वहां देखा हो. वह कहते हैं कि ये प्रशासन द्वारा गढ़ा जा रहा एक झूठा नेरेटिव है.
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