Media
नुपुर शर्मा तो झांकी है: भाजपा में फ्रिंज ही केंद्र है, केंद्र ही फ्रिंज है
नुपुर शर्मा का राजनीतिक करियर भले ही कुछ खास न रहा हो लेकिन उसमें विराम एक धमाके के साथ हुआ है. भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता को टाइम्स नाउ चैनल पर पैगंबर मोहम्मद के लिए आपत्तिजनक बयान देने के कारण पार्टी से सस्पेंड कर दिया गया. ऐसी ही हरकतों के लिए उनके साथी नवीन जिंदल भी पार्टी से निकाल दिए गए. अरब देशों में नुपुर की टिप्पणी के विरोध को देखते हुए भाजपा ने तेजी से यह निर्णय लिया, ताकि उनकी बातों को पार्टी की बात न समझा जाए. अपने आप को बचाते हुए मोदी सरकार ने भी सत्ताधारी पार्टी के प्रवक्ता के बयान को "फ्रिंज तत्वों का दृष्टिकोण" बताकर खारिज कर दिया.
सरकार द्वारा जारी सफाई में कहे शब्द कड़े तो हैं, लेकिन गले नहीं उतरते. क्या नुपुर और नवीन सही में फ्रिंज तत्व हैं? प्रवक्ताओं के तौर पर उनका काम जरूरी मुद्दों पर पार्टी के दृष्टिकोण को जनता तक पहुंचाना है. नुपुर को तो आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल के खिलाफ 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में भी खड़ा किया गया था. नवीन भी पार्टी में दिल्ली के मीडिया प्रमुख के महत्वपूर्ण पद पर थे, और चुनाव लड़ चुके हैं.
भाजपा के अंदर, नुपुर और नवीन की अश्लील प्रतिभा विशेष नहीं है. पार्टी के शीर्ष नेताओं और सांसदों ने, जो किसी भी अर्थ में "फ्रिंज" नहीं हैं, बार-बार मुसलमानों को कुरेदने और इस्लाम के खिलाफ बोलने का काम किया है. गूगल पर "बीजेपी" व "हेट स्पीच" को डालने से ही पर्याप्त घटनाएं सामने आ जाती हैं. लेकिन तब भी अगर आपको उसकी जानकारी न हो, तो आइए आपको दिखाते हैं कि कैसे मुस्लिम विरोधी विचार, भारतीय जनता पार्टी की राजनीति की रीढ़ हैं.
शुरू से ही शुरुआत करते हैं. प्रधानमंत्री मोदी अपने कपड़े-लत्ते को लेकर तो खासा मशहूर हैं ही, लेकिन वे दूसरों के पहनावे को लेकर भी बड़े सतर्क और जागरुक रहते हैं. 2019 के दौरान उनकी सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे जन प्रदर्शनों को लेकर, उन्होंने झारखंड की एक रैली से कहा कि जो "आग फैला रहे हैं" उन्हें "उनके कपड़ों से पहचाना जा सकता है." देश के अनेक भागों में इन प्रदर्शनों में मुसलमान आगे थे, यह संदर्भ किसी से छुपा नहीं.
2019 में, उनके मुख्य सहयोगी अमित शाह जो उस समय भाजपा के अध्यक्ष थे, ने बांग्लादेशी मुसलमानों को "दीमक" कहा था और उनकी सरकार आने पर उन्हें बंगाल की खाड़ी में फेंक देने का प्रण किया था. उसके कुछ ही समय बाद वह देश के गृहमंत्री बन गए.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ का भी नफरती बयानों से करीबी रिश्ता रहा है. उन्होंने यह दावा किया है कि 2017 में उनके उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने से पहले, गरीबों का राशन "अब्बा जान" कहने वाले "हजम" कर जाते थे. अगर आप अभी किसी भ्रम में हों, तो यह मुसलमानों के लिए कहा जा रहा है.
रस्सी-कूद में महारत रखने वाले अनुराग ठाकुर को भी इस सूची से बाहर नहीं रखा जा सकता. मूलतः हिमाचल प्रदेश के यह भाजपा नेता, नागरिकता कानून प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़काने वाले बड़े चेहरों में से एक थे. उस समय जूनियर फाइनेंस मिनिस्टर के पद पर बैठे अनुराग ने दिल्ली की एक रैली में मंच से "गद्दारों" को गोली मार देने का आह्वान किया था. उन्होंने नारा लगाया था, "देश के गद्दारों को", भीड़ ने उसके जवाब में कहा "गोली मारो सालों को." इसके अगले ही वर्ष उन्हें ऐसे "फ्रिंज" बर्ताव का नतीजा भुगतना पड़ा, उन्हें खेल व युवा मंत्रालय, तथा सूचना व प्रसारण मंत्रालय सौंप दिया गया.
दिल्ली के प्रवेश वर्मा जैसे सांसद यह तरकीब समझ गए. 2020 में दिल्ली चुनावों से कुछ दिन पहले उन्होंने कहा कि शहर के मतदाताओं को सोचना चाहिए कि वह किस पार्टी को वोट दे रहे हैं. नागरिकता कानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों का केंद्र शाहीन बाग के संदर्भ में उन्होंने कहा, "वहां लाखों लोग इकट्ठा हो रहे हैं. दिल्ली के लोगों को सोचना है और निर्णय लेना है. वे आपके घरों में घुस आएंगे, आपकी बहनों और बेटियों का बलात्कार करेंगे, उन्हें मार देंगे. आज समय है, कल मोदीजी और अमित शाह आपको बचाने नहीं आएंगे."
इससे छह साल पहले, 2014 के आम चुनाव के दौरान फतेहपुर से भाजपा सांसद निरंजन ज्योति ने दिल्ली में एक जनसभा में मतदाताओं से पूछा था- उन्हें "रामजादों" की सरकार चाहिए या "हरामजादों" की. 2019 में वे फतेहपुर से दोबारा सांसद चुनी गईं.
उन्नाव के भाजपा सांसद साक्षी महाराज जगप्रसिद्ध बड़बोले हैं. वह साक्षी महाराज ग्रुप के निदेशक हैं, जो देशभर में 17 शैक्षणिक संस्थाएं और 50 आश्रम चलाता है. 2014 में उन्होंने दावा किया कि मुस्लिम मदरसे "आतंक की शिक्षा" देते हैं और युवा लड़कों को "लव जिहाद" के लिए नकद इनाम की पेशकश की जाती है. उनके इस दावों के पीछे क्या तथ्य थे इसका उन्होंने कोई जिक्र नहीं किया और संभव है कि कोई तथ्य न भी हो. 2015 में, वह एक अन्य सभा में कहते पाए गए कि, "भारत में चार बीवियों और 40 बच्चों का विचार नहीं चल सकता लेकिन समय आ गया है कि हर हिंदू महिला, हिंदू धर्म की रक्षा के लिए कम से कम चार बच्चे पैदा करे."
इसी फेहरिस्त में एक और नाम, भोपाल से भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर का है. मालेगांव बम ब्लास्ट की आरोपी प्रज्ञा ने 2019 में यह घोषित किया कि उन्हें 1992 में बाबरी मस्जिद के ध्वंस में अपनी भूमिका पर गर्व है. उन्होंने कहा, "मैं ढांचे के विध्वंस पर पछतावा क्यों करूं? मुझे उस पर गर्व है. भगवान राम के मंदिर में कुछ अनचाहे तत्व घुसना चाह रहे थे. हमें उन्हें हटाना ही था. मुझे उस पर गर्व है."
प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, खेल मंत्री और अनेकों सांसद केवल भाजपा का केंद्र नहीं हैं बल्कि वे ही भाजपा हैं. अगर भाजपा सरकार ने चुपके से ऑक्सफोर्ड अंग्रेजी शब्दकोश में ही संशोधन न कर दिया हो, तो पार्टी की 'फ्रिंज' के लिए खुद की परिभाषा ही पूरी पार्टी पर लागू होती है. और इसलिए हम एक और टाइम्स नाउ के पैनल लिस्ट पर वापस चलते हैं, न्यूज़लॉन्ड्री के एक संस्थापक अभिनंदन सेखरी, जिन्होंने एक समय पर एक भाजपा प्रवक्ता को कहा था, "फ्रिंज तो हर पार्टी में हैं, लेकिन आपकी पूरी पार्टी ही फ्रिंज है."
देवांश मित्तल और सुशांतो मुखर्जी न्यूजलॉन्ड्री में इंटर्न हैं. तैफ अल्ताफ और एना मैथ्यू ने रिसर्च में सहयोग दिया. आयुष तिवारी ने लेखन में सहयोग दिया.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
Also Read
-
Two years on, ‘peace’ in Gaza is at the price of dignity and freedom
-
4 ml of poison, four times a day: Inside the Coldrif tragedy that claimed 17 children
-
Delhi shut its thermal plants, but chokes from neighbouring ones
-
Hafta x South Central feat. Josy Joseph: A crossover episode on the future of media
-
Encroachment menace in Bengaluru locality leaves pavements unusable for pedestrians