NL Charcha
एनएल चर्चा 217: सिद्धू मूसेवाला की हत्या, कश्मीर में टार्गेटेड किलिंग्स और कश्मीरी पंडितों का पलायन
एनएल चर्चा के इस अंक में सिद्धू मूसेवाला की हत्या और कश्मीर में लगातार हो रही टार्गेटेड किलिंग्स पर विस्तार से बातचीत हुई. इससे पैदा हुए हालात में एक बार फिर से कश्मीरी पंडित और हिंदुओं के पलायन की बात भी चर्चा में हुई. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की ईडी द्वारा गिरफ्तारी, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी को नेशनल हेराल्ड केस में पूछताछ के लिए ईडी का सम्मन, भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के खिलाफ एफआईआर, मशहूर गायक केके की हार्ट अटैक से मौत की भी चर्चा हुई.
चर्चा में इस हफ्ते सिटीजन डॉट इन के एसोसिएट एडिटर राजीव खन्ना और कश्मीर से रूसी मीडिया संस्थान स्पूतनिक के संवाददाता अज़ान जावेद शामिल हुए. साथ ही न्यूज़लॉन्ड्री के सह-संपादक शार्दूल कात्यायन ने भी चर्चा में हिस्सा लिया. संचालन कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल चर्चा की शुरुआत पंजाब में हुई सिद्धू मूसेवाला की हत्या से करते हैं. वे राजीव से सवाल करते हैं, “पंजाब के जो लोकप्रिय गायक हैं, उनके बीच काफी तीखी स्पर्धा रहती है. इसे एक बड़ी वजह बताया जा रहा है मूसेवाला की हत्या के लिए. इससे पहले भी छोटे स्तर के गायकों की हत्याएं होती रही हैं और यह बात सामने आई है कि पंजाब में जो बहुत सारे गैंगस्टर हैं, इन सबका अपना समानांतर म्यूजिक इंडस्ट्री में एक दखल है. तो क्या आपको ऐसा कुछ पैटर्न समझ आया है क्योंकि अभी तक पुलिस के हाथ कोई खास सफलता नहीं आई है. अभी तक की जांच के नतीजे बहुत सतही हैं?”
राजीव कहते हैं, “पंजाब की इस घटना को समझने के लिए हमे थोड़ा पीछे जाने की ज़रुरत है. गैंगस्टर्स और गायकों की हत्याएं आज की बात नहीं है. केवल कॉन्टेक्स्ट बदले हैं समय के साथ. पंजाब मिलिटेंसी के दौर में चमकीला नाम का एक गायक था जिसे मिलिटेंट्स ने मारा था. दूसरे एक बेहद मशहूर गायक थे दिलशाद अख्तर उन्हें भी मिलिटेंट्स द्वारा मारा गया था. कारण अलग थे उस समय. उनके लिरिक्स को लेकर एक आंदोलन चल रहा था जिसे लेकर वह घटनाक्रम हुआ. अब देखें तो लेटेस्ट है सिद्धू मूसेवाला की हत्या का मामला इस हत्या के भी कई मायने हैं. कई तरह के अलग-अलग वर्ज़न सामने आ रहे हैं. हम यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि चीज़ें कभी भी ब्लैक एंड वाइट में नहीं होती उनका कुछ शेडी पार्ट भी होता है जिसे ग्रे एरिया कहते हैं. इस मामले में भी बहुत सारी परतें हैं. गैंगस्टर्स की राइवलरी उनकी धमकियां इस कांड की सिर्फ एक परत है.”
सिद्धू मूसेवाला की हत्या समेत हाल के दिनों में पंजाब में हुई हिंसा की घटनाओं पर अतुल अज़ान से सवाल करते हैं कि क्या कश्मीर के पड़ोसी राज्य में हो रही इस तरह की घटनाओं का असर वहां पर भी पड़ता है?
इस सवाल के जवाब में अज़ान कहते हैं, “मिलिटेंसी कि अगर हम बात करें तो दोनों राज्यों में कॉमन रही है. लेकिन अभी जो घटनाएं हुई पंजाब में उसमें जैसा कि बताया जा रहा है की एक गैंग इंवाल्वड है तो वैसा असर कश्मीर में नहीं है. यहां पर हाई प्रोफाइल किलिंग्स की अगर बात करें तो हाल ही में दो-तीन ऐसे नाम हैं जिनकी किलिंग्स हुए हैं लेकिन एक मिलिटेंसी और गैंगवार में काफी फर्क होता है. कॉन्टेक्स्ट बहुत अलग है दोनों केस में. लेकिन हां कोशिशें हो रही हैं अस्थिरता पैदा करने की. पंजाब में अगर अलगाववादी आंदोलन बढ़ता है तो जरूर इसका असर कश्मीर में होगा.”
इस पूरे मामले पर बात करते हुए शार्दूल कहते हैं, “विक्की बेंदु खेड़ा की हत्या में सिद्धू मूसेवाला के सेक्रेटरी का नाम सामने आया था और फिर वह ऑस्ट्रेलिया भाग गए. मूसेवाला का संबंध कांग्रेस से भी था. एक और चीज़ जो पंजाब से काफी लंबे समय से जुड़ी है वह है ड्रग्स, तो जब भी यह तीनों चीज़े यानी गैंगवॉर, राजनीति और ड्रग्स, मिलेंगी तो यह हितों की लड़ाई है यह बात तो पक्की है. साथ ही, हाल ही में सरकार में आई आम आदमी पार्टी का पुलिस से परिचय भी बहुत नया है. यह चल रहा है, लेकिन हमारे यहां सिस्टम में इतना झोल है कि अपराधी आगे निकल जा रहे हैं. इस मामले में बताया गया है कि हत्या में शामिल लोग ई-सिम से बात कर रहे थे. फ़ोन में सिम भी नहीं डालना ऑनलाइन एक्टिवेटेड सिम से से बात हो रही थी तो पुलिस इतने हाई टेक्नीक से निपटने के लिए इक्विप्ड ही नहीं है.”
इस विषय के अलावा कश्मीरी पंडितों की हत्या और पलायन पर भी चर्चा में विस्तार से बातचीत हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए हमारा यह पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
टाइम कोड
00 - 03:55 - इंट्रो
3:59-7:43 - हेडलाइंस
08:00-42:00 - सिद्धू मूसेवाला की हत्या और समाज में गन कल्चर
42:00-1:09:40 - कश्मीर में आतंकवादी घटनाएं और कश्मीरी पंडितों की हत्या व पलायन
1:09:47-1:12:25 - चर्चा लेटर
1:12:25- 1:15:26 - ज़रूरी सूचना
1:15:30 - सलाह और सुझाव
पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए
शार्दूल कात्यायन
संसद वाच- भारत में जल की समस्या
शास्त्रीय संगीत- राग खमाज
राजीव खन्ना
सुमित्रा बनर्जी द्वारा संपादित किताब - थेमा बुक ऑफ़ नक्सलाइट पोएट्री
अज़ान जावेद
मिर्ज़ा वहीद की किताब - कोलैबोरेटर
अतुल चौरसिया
न्यूज़लॉन्ड्री की कॉमिक बुक - कश्मीर की कहानी
शम्सुल इस्लाम की किताब - गोलवलकर की 'हम या हमारी राष्ट्रीयता की परिभाषा एक आलोचनात्मक समीक्षा'
प्रताप भानु मेहता का लेख - हिस्ट्री इस नॉट फन
Also Read
-
‘They find our faces disturbing’: Acid attack survivor’s 16-year quest for justice and a home
-
From J&K statehood to BHU polls: 699 Parliamentary assurances the government never delivered
-
Let Me Explain: How the Sangh mobilised Thiruparankundram unrest
-
TV Newsance 325 | Indigo delays, primetime 'dissent' and Vande Mataram marathon
-
The 2019 rule change that accelerated Indian aviation’s growth journey, helped fuel IndiGo’s supremacy