Report
हिंदू महापंचायत संयोजक प्रीत सिंह पर पत्नी ने लगाया आरोप: ससुर और देवर के साथ 2 साल तक किया बलात्कार
नोट: इस मामले में पीड़िता और आरोपियों के बीच समझौता हो गया है. समझौते के आधार पर ही दिल्ली कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की अनुमति दे दी है. कोर्ट ने पाया कि ये एक पारिवारिक विवाद है और इसमें बलात्कार जैसे आरोपों का जिक्र है लेकिन समझौते के चलते इन आरोपों पर कार्रवाई की कोई वजह नहीं बची है. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि पीड़िता ने रेप जैसे गंभीर आरोप लगाए तो सरकारी मशीनरी को सक्रिय होना पड़ा. इसके चलते कोर्ट ने पीड़िता को 20 पेड़ लगाने के आदेश दिए.
ये पूरा मामला क्या था और पीड़िता ने किस तरह के आरोप लगाए थे. जानने के लिए नीचे पूरी स्टोरी पढ़िए.
16 मई की दोपहर लगभग 12:00 बजे, 32 वर्षीय नित्या उत्तर पश्चिमी दिल्ली में रोहिणी इलाके में स्थित अपने ससुराल से भाग निकलीं. उन्होंने कहा, "मुझे जैसे ही मौका मिला, मैंने अपने बेटे का हाथ थामा और भाग निकली. मुझसे और झेला नहीं जा रहा था."
जैसे ही वह कुछ किलोमीटर दूर अपने माता-पिता के घर पहुंची, सीधा बेगमपुर पुलिस थाने गई और आरोप लगाया कि पिछले 2 साल से उसके ससुराल के लोगों ने अनेकों बार उसका बलात्कार किया है. उनकी शिकायत के आधार पर, महिला के पति, देवर, ससुर और सास के ऊपर बलात्कार, अप्राकृतिक सेक्स और शारीरिक हिंसा की धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है.
नित्या, सेव इंडिया फाउंडेशन के संस्थापक प्रीत सिंह की पत्नी हैं. इसी फाउंडेशन ने हिंदू महापंचायत जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया था जहां यति नरसिंहानंद और सुदर्शन न्यूज़ के सुरेश चह्वाणके जैसे नफरत फैलाने वाले लोग अतिथि थे. पिछले साल अगस्त में जंतर मंतर पर नफरती और भड़काऊ भाषण देने के मामले में प्रीत सिंह इस समय जमानत पर है.
जांच अधिकारी मीनाक्षी सिंह कहती हैं कि प्रीत और उनके पिता सुंदर पाल फरार हैं, साथ में वह ये भी बताती हैं कि पुलिस की तरफ से इन दोनों के खिलाफ गिरफ्तारी के वारंट जारी करने की प्रक्रिया चल रही है. वे कहती हैं, "हम अभी तक किसी से पूछताछ नहीं कर पाए क्योंकि हम उन तक पहुंच नहीं पाए हैं. मैं यह सुनिश्चित करूंगी कि वह तहकीकात का हिस्सा बने और उन सबसे पूछताछ जरूर की जाएगी." मीनाक्षी यह भी बताती हैं कि प्रीत सिंह के भाई योगेंद्र और मां हेमलता ने 25 मई को अग्रिम जमानत ले ली.
नित्या की मेडिकल जांच हो चुकी है और उनका बयान रिकॉर्ड कर लिया गया है. प्राथमिकी रिपोर्ट कहती है कि मरीज अंदरूनी मेडिकल जांच के लिए "राजी नहीं है", लेकिन रिपोर्ट में इस तरफ इशारा किया गया कि बाजुओं, हाथों, छाती और पीठ पर चोट के निशान हैं. जांचकर्ता फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतज़ार कर रहे हैं.
'उन्होंने मुझे मना करने पर, हर बार पीटा'
प्रीत सिंह ने नित्या से 2009 में शादी की थी, लेकिन 2013 में जब नित्या 8 महीने से गर्भवती थी तो प्रीत ने उन्हें छोड़ दिया. नित्या कहती हैं, "उन्होंने कहा कि अब उनको मेरी ज़रूरत नहीं है."
नित्या अपनी ससुराल में ही रहती रहीं और बताती हैं कि पिछले दिसंबर में उनके पति ने तलाक की अर्जी दाखिल कर दी थी.
नित्या आरोप लगाती हैं कि पिछले 3 सालों से उन्हें अपने माता पिता के पास जाने और पड़ोसियों से बात करने तक की इजाजत नहीं दी गई.
नित्या के अनुसार, पिछले साल जब कोविड लॉकडाउन शुरू हुआ, तो प्रीत सिंह अप्रैल में फिर से घर आने लगा. नित्या न्यूज़लॉन्ड्री को बताती हैं, "तब से वह मेरे साथ जबरदस्ती करने लगा." नित्या के मुताबिक उन्होंने इसे अपने पति का हक समझा और चुप रहीं.
कुछ हफ्ते बाद, एक रात वह अपने किसी दोस्त को भी लेकर आया. वह आरोप लगाते हुए कहती हैं, "उन्होंने मेरे बेटे को कमरे के बाहर भेज दिया. प्रीत कमरे में ही रहा, जब उनके दोस्त ने मेरा बलात्कार किया."
नित्या कहती हैं, "इसके कुछ समय बाद से जब भी मैं छत पर कपड़े सुखाने के लिए जाती तो मेरे ससुर पीछे-पीछे आ जाते." वह आरोप लगाती हैं, "उन्हें पता था कि जब प्रीत अपने दोस्त को ला रहा है तो उन्हें लगा कि वह भी मेरा फायदा उठा सकते हैं." वो बताती हैं कि उनके ससुर ने लगभग हफ्ते में एक बार उनका यौन शोषण किया जबकि प्रीत और उसका दोस्त ऐसा कुछ महीने में एक बार करते थे.
नित्या का यह भी आरोप है कि घर में यह सब देखते हुए प्रीत का छोटा भाई योगेंद्र भी उसका बलात्कार करने लगा. हालांकि नित्या का यह आरोप, बेगमपुर पुलिस को दिए गए उसके बयान में नहीं था.
नित्या के वकील रघुवीर शरण कहते हैं, "अपना बयान दर्ज कराने की जल्दी में, वह यह बताना भूल गई की योगेंद्र सिंह भी उसका बलात्कार करता था और केवल इतना कहा कि वह उसे बेल्ट से पीटता था." उन्होंने कहा कि प्रीत सिंह की मां और योगेंद्र को अग्रिम जमानत मिल गई है.
नित्या कहती हैं कि उन्होंने इन कोशिशों का विरोध किया, "जितनी बार भी मैं मना करती थी वे मुझे पीटते थे. योगेंद्र तो सबसे बुरा था, वह मुझे कमरे में बंद कर देता और बेल्ट से पीटता था."
3 महीने पहले नित्या के 11 साल के बेटे ने उसके शरीर पर यह निशान देखें और उनके बारे में उसकी सास के सामने पूछा. नित्या बताती हैं, "मेरी सास, जिन्हें सब कुछ पता था, ने हमें चाकू से धमकाया और कहा कि अगर हमने कभी किसी को कुछ बताया, तो वह मेरे बेटे को मार देंगी."
तब नित्या ने अपनी बहन को यह सब बताने का निश्चय किया, जिसकी शादी प्रीत सिंह के बड़े भाई जीत सिंह से हुई है और वह भी इसी घर में रहती है. निशा दावा करती हैं, "मुझे कुछ नहीं पता था क्योंकि यह सब या तो रात को होता था जब मैं कमरे में अपने पति और बच्चों के साथ सोई होती थी या छत पर होता था जहां नित्या अकेली होती थी."
निशा कहती हैं कि वह अपनी बहन को कहीं भी अकेले नहीं जाने देती थीं. उन्होंने बताया, "मैंने जब अपने पति को बताया कि क्या चल रहा है तो उन्होंने मुझे थप्पड़ मारा और कहा कि हम इस बारे में दोबारा कभी बात नहीं करेंगे."
घर छोड़ना, मामला दाखिल करना
16 मई को जब नित्या ने भागने का निर्णय लिया, तो उन्होंने अपनी बहन को नहीं बताया. निशा कहती हैं, "मुझे डर लगा कि वह मुझे यहां अकेला छोड़ गई लेकिन मैं जानती थी कि उसके पास भागने के अलावा कोई चारा नहीं था."
नित्या कहती हैं कि अगर वह मौका मिलने पर भाग नहीं निकलतीं, तो "मैं उस घर से जिंदा नहीं निकलती. मुझसे और नहीं झेला गया."
नित्या का दावा है कि पिछले 10 दिनों में, उसे प्रीत सिंह के दोस्तों से धमकियां मिली हैं जो उस पर मामला वापस लेने का दबाव बना रहे हैं. वे बताती हैं, "वह बाइकों पर आते हैं. अब मैं कहीं भी अकेले नहीं जाती. मैं अपने बेटे को भी अपनी नजरों के सामने से नहीं हटने देती. मुझे अपनी बहन के लिए बहुत ज्यादा डर लगा रहता है."
सिंह का फोन लगातार बंद आ रहा था.
सेव इंडिया फाउंडेशन के जनरल सेक्रेटरी अरविंद कुमार त्यागी ने फोन उठाया, लेकिन उन्होंने प्रीत सिंह के बारे में बात करने से मना कर दिया. फाउंडेशन के साथ काम करने वाले एक वकील नीरज चौहान ने भी कोई उत्तर नहीं दिया.
एक महीना पहले, जब न्यूजलॉन्ड्री की मुलाकात प्रीत सिंह से हिंदू महा पंचायत की एक खबर को लेकर हुई थी, तब वह अपने विवाहित होने की बात भी मानने को तैयार नहीं था. उन्होंने कहा था, "आम जीवन उनके प्रारब्ध में था ही नहीं," और वो "परिवार और संबंधों के द्वारा बांधे नहीं जा सकते."
पीड़िता के साथ साथ कई अन्य नाम, पहचान छिपाने के लिए बदल दिए गए हैं.
Also Read
-
The Rs 444 question: Why India banned online money games
-
‘Total foreign policy failure’: SP’s Chandauli MP on Op Sindoor, monsoon session
-
On the ground in Bihar: How a booth-by-booth check revealed what the Election Commission missed
-
A day in the life of an ex-IIT professor crusading for Gaza, against hate in Delhi
-
Crossing rivers, climbing mountains: The story behind the Dharali stories