Media
शिवलिंग पर सवार बनारस के अखबारों की हवाई उड़ान
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद पर शुरू हुआ बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. सोमवार को सर्वे पूरा होने के बाद हिंदू पक्ष की ओर से दावा किया गया कि परिसर में शिवलिंग मिला है. इसके बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि जहां शिवलिंग मिलने की जानकारी मिली है उस स्थान को तुरंत सील कर दिया जाए.
हिंदी के अखबार इस घटनाक्रम से जुड़ी खबरों को अपने-अपने तरीके से पेश कर रहे हैं. हमने वाराणसी एडिशन के अखबारों में जानने की कोशिश की है कि वह किस तरह से ज्ञानवापी मस्जिद की खबरों को प्रसारित कर रहे हैं.
अमर उजाला
अमर उजाला अखबार के वाराणसी संस्करण ने इस खबर को पहले पेज पर प्रमुखता से छापा है. खबर का शीर्षक है- “ज्ञानवापी में नंदी के सामने मिला शिवलिंग, वादी पक्ष के दावे पर कोर्ट ने जगह सील कराई.” सबहेड में लिखा है- “परिसर में सर्वे की कार्यवाही के दौरान वजूखाने में 12 फुट लंबा व आठ फुट चौड़ा शिवलिंग दिखा, अदालत ने इस स्थान पर किसी के भी प्रवेश पर लगाई रोक.”
वहीं खबर में लिखा है कि देर शाम, पुलिस प्रशासन ने इस जगह को नौ तालों से सील कर दिया. खबर में मुस्लिम पक्ष ने कहा - “फव्वारे का हिस्सा है... शिवलिंग नहीं, आदेश के खिलाफ आज दायर करेंगे याचिका.”
खबर में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने कहा जिसे शिवलिंग बताया जा रहा है वह फव्वारे का हिस्सा है. जितनी भी पुरानी मस्जिदें हैं उनमें सभी जगहों पर काले या सफेद पत्थर का फव्वारा है. मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता रईस अहमद अंसारी ने कहा कि कोर्ट ने हमें बिना सुने ही वजूखाने को सील करने का आदेश दे दिया. आदेश के खिलाफ मंगलवार को याचिका दायर करेंगे.
मस्जिद परिसर में सर्वे की कार्यवाही को लेकर मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई करेगा.
अमर उजाला ने दूसरे पेज पर भी इससे जुड़ी खबरें प्रकाशित की हैं. इनका शीर्षक है - “12 घंटें में ली गईं 15 सौ तस्वीरों में है ज्ञानवापी का सच” वहीं एक और खबर का शीर्षक है - “पानी मलबा निकाल वजूखाने की हुई जांच.” अमर उजाला का नंबर पेज तीन भी ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ी खबरों के नाम ही रहा. तीसरे पेज पर अखबार ने “ज्ञानवापी सच की पड़ताल” नाम से पूरा पेज प्रकाशित किया है.
दैनिक जागरण
दैनिक जागरण अखबार ने भी ज्ञानवापी मस्जिद की खबर को पहले पेज पर जगह दी है. जागरण का शीर्षक है - “मिल गए बाबा, ज्ञानवापी मस्जिद के हौज में मिला शिवलिंग, कोर्ट ने स्थल किया सील.” वहीं नीचे सबहेड में लिखा है- “नंदी विग्रह के सामने 40 फीट की दूरी पर स्थित हौज का पानी निकाला गया.”
खबर में अंदर लिखा है - “यह संयोग ही है कि भगवान शिव की आराधना के दिन सोमवार को, बाबा विश्वेश्वरनाथ मंदिर के निकट ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में उनका एक और प्रतिरूप शिवलिंग के रूप में मिला. शिवलिंग मिलने की खबर बाहर आते ही सड़कों पर लोग भाव विह्वल हो उठे और 'बाबा मिल गए' की गूंज पूरी काशी में हो उठी.”
जागरण ने ग्राफिक्स के जरिए भी समझाने की कोशिश की है कि कहां शिवलिंग मिला है और कहां पर नंदी हैं.
जागरण अखबार ने पेज नंबर चार को “ज्ञानवापी का सच” नाम से प्रकाशित किया है. इस पेज की पहली खबर का शीर्षक है - “बेचैन सन्नाटे में गूंज उठा हर-हर महादेव.” खबर में मुस्कुराते हुए दो बाबाओं की तस्वीर भी लगाई गई है. इसके अलावा इस पेज पर ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ी खबरें ही प्रकाशित की गई हैं.
जागरण का पांच नंबर पेज भी ज्ञानवापी मस्जिद के नाम ही रहा. इस पेज पर एक खबर का शीर्षक है - “मुस्लिम महिलाओं ने मनाई खुशियां.” खबर में लिखा है - “मुस्लिम महिला फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नाजनीन अंसारी के नेतृत्व में हिन्दू–मुस्लिम महिलाओं ने सुभाष भवन में शिव तांडव स्त्रोत का पाठ किया और शिव भजन गाकर खुशी मनाई. नाजनीन अंसारी ने सबको लड्डू खिलाकर मुंह मीठा कराया और हर-हर महादेव के नारे लगाए.”
इसी पेज की एक और खबर का शीर्षक है- “मुस्लिम बड़ा दिल कर हिंदुओं को सौंप दें ज्ञानवापी और कृष्ण जन्मभूमि.” खबर में नीचे लिखा है कि, “ज्ञानवापी में शिवलिंग मिलने के बाद यह साबित हो गया है कि मुगल आक्रांताओं ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई थी. ऐसे में देश के मुस्लिम बुद्धिजीवियों की ओर से दिल बड़ा कर, ज्ञानवापी को हिंदू भाइयों के हाथ सौंप देने की बात होने लगी है. उनका कहना है कि कोर्ट के बाहर आपसी सद्भाव से मथुरा व काशी के मामले हल हो सकते हैं.”
दैनिक भास्कर
दैनिक भास्कर ने भी ज्ञानवापी मस्जिद की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया है. अखबार के दिल्ली एडिशन में पहले पेज पर खबर का शीर्षक है - “ज्ञानवापी में सत्यम् शिवम् सुंदरम.” इस खबर में सत्यम् शिवम् सुंदरम को भगवा रंग दिया गया है.
खबर में तीन दावे किए गए हैं जिनके आधार पर बताया जा रहा है कि मस्जिद की जगह मंदिर था.
पहले दावे में तस्वीर के साथ लिखा है - “इसी जगह मिला मंदिर.”
दूसरा दावा कहता है, “मस्जिद की दीवारें मंदिर जैसी.”
और तीसरा दावा है, “नंदी महाराज का मुंह उसी ओर, जहां शिवलिंग मिला.”
भास्कर तीसरे दावे में लिखता है - “किसी भी शिव मंदिर में नंदी महाराज का मुंह शिवलिंग की ओर होता है, काशी में यह उसी ओर है जहां शिवलिंग मिला.”
दैनिक भास्कर अखबार की इस खबर को सोशल मीडिया पर भी काफी वायरल किया जा रहा है.
आगे खबर में वाराणसी के पूर्व सिटी मजिस्ट्रेट अनिल सिंह हवाले से लिखा गया है - “जब मैं वाराणसी में सिटी मजिस्ट्रेट था, तब मैंने ज्ञानवापी मस्जिद के पूरे परिसर को देखा था. ऊपरी गुंबद को छोड़ दें तो यह कहीं से भी मस्जिद नहीं लगती.” इस खबर का शीर्षक है- “ज्ञानवापी में बाहर गुंबद और मीनारें हैं, लेकिन अंदर मंदिर की ही आत्मा है.”
आज
हिंदी दैनिक अखबार आज ने भी पहले पेज पर इस खबर को प्रकाशित किया है. खबर का शीर्षक है - “मस्जिद के अंदर मिला शिवलिंग.”
खबर में लिखा है - “आखिरकार वही हुआ, जिसका कई वर्षों से इंतजार था. काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी से जुड़े श्रृंगार गौरी मामले में, कोर्ट कमीशन की कार्रवाई सोमवार को पूरी हुई तो सोशल मीडिया से लेकर देश-विदेश तक शोर मच गया. बाबा मिल गए, हर-हर महादेव, इंतजार खत्म हुआ सरीखे जुमले रात तक जारी रहे, तो व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर पर बाबा छाए रहे. यह अलग बात है कि वैज्ञानिक तौर पर अभी कुछ भी सामने नहीं आया है, लेकिन वादी पक्ष का दावा है कि रिपोर्ट उनके लिए सकारात्मक साबित होगी. कमीशन की ओर से आए कैमरामैन और वीडियोग्राफर ने बताया कि 1.5 हजार फोटो और 11 घंटे की रिकॉर्डिंग की गई है. इसी से सच सामने आएगा.”
अखबार ने पेज नंबर तीन पर ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ी अन्य खबरें भी प्रकाशित की हैं. इन कई शीर्षकों में से एक कहता है - “डेढ़ हजार तस्वीरें, 11 घंटे का वीडियो खोलेगा राज.”
हिंदुस्तान
हिंदुस्तान अखबार के वाराणसी एडिशन ने पहले पेज पर “ज्ञानवापी का सर्वेक्षण पूरा, शिवलिंग मिलने का दावा” शीर्षक से खबर प्रकाशित की है. खबर में सोमवार को हुए मस्जिद के सर्वे के दौरान हुए घटनाक्रम को प्रकाशित किया है.
अखबार का दूसरा और तीसरा पेज भी ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित खबरों के नाम ही रहा. दूसरे पेज पर सोमवार को हुए घटनाक्रम की प्रतिपल अपडेट दी गई हैं.
तीसरे पेज पर नीचे छपी एक खबर का शीर्षक है- “सबसे पहले नापेंगे नंदी से शिवलिंग की दूरी.”
इस खबर में लिखा है - “सबसे पहले शिवलिंग और मस्जिद के बाहर ज्ञानवापी मंडप के पास प्रतिष्ठित विशाल नंदी की दूरी नापी जाएगी.”
शिवलिंग और नंदी के बीच 3, 5, 7, 9, 11 या 13 फीट की दूरी होनी चाहिए. शिवलिंग और नंदी एक दूसरे से 90 डिग्री के कोण पर होते हैं. इससे यह प्रमाणित हो जाएगा कि नंदी को उसी शिवलिंग के लिए स्थापित किया गया था.
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय या बीएचयू में पुराविद् प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के प्रो. अशोक कुमार सिंह ने कहा, “यदि न्यायालय आदेश-निर्देश देता है, तो उस शिवलिंग की पुरातात्विक पड़ताल की जाएगी. उन्होंने बताया कि प्रत्येक शिवलिंग के सापेक्ष नंदी का एक निश्चित अनुपात में आकार होता है. सोमवार को मिले शिवलिंग की जो आकृति बताई जा रही है, उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि मस्जिद के बाहर विराजमान नंदी उसी शिवलिंग के निमित्त प्रतिष्ठित किए गए थे.”
इन पांच अखबारों की पड़ताल से पता चलता है कि हिंदुस्तान को छोड़कर सभी अखबार शिवलिंग मिलने के दावे को ही सच्चाई की तरह पेश कर रहे हैं, जबकि अभी तक इस बात का कोई भी पुख्ता सबूत नहीं मिला है. अदालत की ओर से भी किसी भी तरह की छेड़छाड़ को रोकने और निष्पक्षता बरतने के लिए ही मस्जिद के इस इलाके को सील कराया गया है.
अखबारों के द्वारा, जनता में अलग-अलग समूहों की आस्था और विश्वास से जुड़े इस मुद्दे पर बिना ठोस निष्कर्ष के खबरें प्रकाशित करना, पत्रकारिता की जिम्मेदारी से मुंह मोड़ना है.
Also Read
-
4 ml of poison, four times a day: Inside the Coldrif tragedy that claimed 17 children
-
Delhi shut its thermal plants, but chokes from neighbouring ones
-
Hafta x South Central feat. Josy Joseph: A crossover episode on the future of media
-
Encroachment menace in Bengaluru locality leaves pavements unusable for pedestrians
-
Cuttack on edge after violent clashes