NL Charcha
एनएल चर्चा 211: देश में बढ़ती महंगाई, धार्मिक उन्माद और प्रशांत किशोर
एनएल चर्चा के इस अंक में हनुमान जयंती के दिन दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई हिंसा और उसके बाद हुई अतिक्रमण की कार्रवाई, प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें, उत्तर प्रदेश में लाउडस्पीकर की नियमावली, देश में बढ़ती मंहगाई, एक बार फिर बढ़ते कोरोना के मामले, मारियापोल शहर पर रूस का कब्जा जैसे विषयों पर चर्चा हुई.
चर्चा में इस हफ्ते बतौर मेहमान टीवी9 मनी के एडिटर अंशुमान तिवारी और न्यूज़लॉन्ड्री के स्तंभकार आनंद वर्धन शामिल हुए. साथ ही न्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाद एस ने भी चर्चा में हिस्सा लिया. संचालन कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल ने चर्चा की शुरूआत महंगाई के मुद्दे से की. वह मेघनाद से सवाल करते हुए कहते हैं, “थोक महंगाई दर 14.55 फीसदी हो गई है जो 30 साल में सबसे ज्यादा है वही खुदरा मुद्रास्फ्रीति भी 6.33 फीसदी पर पहुंच गई है. तो इन सब बढ़ी हुई दरों से आप श्रोताओं को समझाए कि कैसे महंगाई बढ़ रही है और कैसे उनका रोजमर्रा का जीवन प्रभावित हो रहा है.”
मेघनाद जवाब में कहते हैं, “महंगाई बढ़ने के कई कारण है. उसमें पहला कारण है रूस और यूक्रेन युद्ध. जिसकी वजह से कई सामानों की सप्लाई चेन टूट गई है. जिसके कारण दाम बढ़ रहे हैं. दूसरा कारण है कि हमारा जो रेपो रेट है वह 4 प्रतिशत पर चल रहा है. इसका मतलब है की लोग बैंक से पैसा लेकर खर्च कर रहे हैं. मार्केट में ज्यादा खर्च होने से रूपए की वैल्यू भी कम होती है. यह दो मोटे-मोटे कारण हैं जिसकी वजह से महंगाई में बढ़ोतरी हो रही है.”
इस विषय पर टिप्पणी करते हुए अंशुमान कहते हैं, “महंगाई मौसम की तरह है और हमारी जितनी सहनशक्ति है हम मंहगाई उतनी की सहन करते हैं. भारत में दो-तीन करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें महंगाई से फर्क नहीं पड़ता और उन्हें मौसम का भी कोई फर्क नहीं पड़ता. हमारे जीवन में कितना पैसा है हमें महंगाई उस हिसाब से लगेगी.”
वह आगे कहते हैं, “अर्थव्यवस्था को ऐसे बताया जाता है कि आम आदमी इसे समझ नहीं पाता. कई बड़े नेता भी अर्थव्यवस्था पर बात नहीं करते क्योंकि वह कहते हैं उन्हें यह विषय समझ नहीं आता. जबकि अर्थव्यवस्था वही है जो हम सुबह से शाम कर खर्च करते हैं. महंगाई हर व्यक्ति के लिए अलग है. दिन में जितनी बार हम कहते हैं गर्मी बढ़ गई है उसका एक तिहाई बार भी हम नहीं कहते कि महंगाई बढ़ गई. महंगाई की चर्चा लोगों की जेब से करनी चाहिए. हमारे देश को सिर्फ 13 करोड़ लोग चलाते है. जो टैक्स देते हैं और खर्च करते हैं, यही लोग कंज्यूमर क्लास है. बाकी 90 प्रतिशत लोगों के लिए महंगाई बिल्कुल अलग है. महंगाई हर व्यक्ति को गरीब करती है, अब आप कितना गरीब होंगे यह आपकी कमाई पर निर्भर है.
आनंद महंगाई के विषय पर कहते हैं, “राजनीतिक दृष्टि से महंगाई आर्थिक मामलों में उन गिने-चुने मसलों में से है जिसका असर राजनीतिक पार्टियों के चुनाव अभियान पर पड़ता है. यह बहुत संवेदनशील मुद्दा है. लेकिन बहुत बड़े मुद्दे जैसे की बेरोजगारी का उतना असर नहीं होता है. लेकिन महंगाई बहुत संवेदनशील मामला हो जाता है. महंगाई के कई कारण हैं जैसे की रूस-यूक्रेन युद्ध और उससे पहले कोरोना वायरस महामारी के कारण भी बहुत बदला हुआ है.”
इस विषय के अलावा दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई हिंसा और उसके बाद निगम की बुलडोजर चलाने की कार्रवाई को लेकर भी चर्चा में विस्तार से बातचीत हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए हमारा यह पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
टाइमकोड
0:00- 2:00 - इंट्रो
2:00 - 5:46 - हेडलाइंस
5:48 - 41:48 - देश में बढ़ती महंगाई
41:48 - 1:09:00 - जहांगीरपुरी हिंसा और देश में बढ़ता धार्मिक उन्माद
1:09:00 - 1:26:50 - प्रशांत किशोर और कांग्रेस पार्टी
1:26:52 - सलाह और सुझाव
पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए
मेघनाद एस
हॉऊ मनी इज क्रिएट - कोल्ड फिय्जून चैनल
अंशुमान तिवारी
लार्ड ऑफ डेक्कन किताब - अनिरुध कानीसेट्टी
पॉवर प्ले किताब - डेनियल स्टील
आनंद वर्धन
फैन्टसी ऑफ फ्री लैंड - शिवशंकर मेनन का लेख
अतुल चौरसिया
नवभारत गोल्ड का आर्थिक मामलों पर पॉडकास्ट
***
***
प्रोड्यूसर- लिपि वत्स
एडिटिंग - उमराव सिंह
ट्रांसक्राइब - अश्वनी कुमार सिंह
Also Read
-
Let Me Explain: How the Sangh mobilised Thiruparankundram unrest
-
TV Newsance 325 | Indigo delays, primetime 'dissent' and Vande Mataram marathon
-
The 2019 rule change that accelerated Indian aviation’s growth journey, helped fuel IndiGo’s supremacy
-
You can rebook an Indigo flight. You can’t rebook your lungs
-
‘Overcrowded, underfed’: Manipur planned to shut relief camps in Dec, but many still ‘trapped’