Report
गोकशी मामले में दिल्ली का एक परिवार झेल रहा सामाजिक बहिष्कार का दंश: 'लोग हमें पानी तक नहीं दे रहे हैं'
"पापा की बॉडी लेने जा रही हूं. इधर ही रुकना," बुधवार को द्वारका के छावला गांव स्थित फार्महाउस (जहां उनके पति की हत्या की वारदात को अंजाम दिए 48 घंटे भी नहीं हुए थे) से जाते हुए झासो देवी ने अपने बच्चों से कहा.
गोकशी का आरोप लगाकर फार्महाउस के 40 वर्षीय केयरटेकर राजाराम की और उनके साथ मौजूद लोगों की पिटाई की गई, जिससे सोमवार रात को ही अस्पताल में राजाराम की मौत हो गई. इस मामले से जुड़ी दो एफआईआर दर्ज की गई हैं, एक राजाराम और उनके साथ के लोगों पर हमले से जुड़ी और दूसरी गौहत्या से जुड़ी. लेकिन पांच दिन बीत जाने के बावजूद हत्या के मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है जबकि गोकशी के मामले में पांच गिरफ्तारियां की जा चुकी हैं.
पुलिस सूत्रों ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि पुलिस की तफ्तीश में इस मामले को लींचिंग के तौर पर नहीं देखा जा रहा है. ऐसा इसलिए है क्योंकि राजाराम के पक्ष और दूसरे पक्ष के लोगों की संख्या में कोई बड़ा अंतर नहीं था. इसके अलावा लींचिंग के मामले में यह माना जाता है कि उसमें पत्थरों और डंडों का इस्तेमाल किया जाता है जबकि इस मामले में ऐसा नहीं हुआ है.
लोगों के लिए अब असल मुद्दा गोकशी है न कि एक इंसान की हत्या. ऐसे लोगों में आसपास के फार्महाउस के केयरटेकर भी शामिल हैं, दुकानदार भी और राजाराम के पड़ोसी भी.
'मुझे नहीं पता कि ये सब उसने ही किया है'
पड़ोस के फार्महाउस के केयरटेकर गुनौर पासवान ने कहा, "पुलिस के आने पर ही हमें पता चला कि ये गोकशी का मामला है. उनके बच्चों और हमारे बीच बहुत लगाव था फिर भी मैं उनके पास नहीं गया क्योंकि अगर पुलिस यह पूछने लगती कि हम कौन हैं और यहां क्यों मौजूद हैं तो क्या होता."
पासवान का कहना है कि उन्हीं की तरह राजाराम भी ई-रिक्शा चलाते थे और रोजाना सुबह राजाराम से उनकी मुलाकात होती थी. "मैं राजाराम को जानता था लेकिन मुझे यह नहीं पता कि ये सब उसने ही किया है." पासवान ने आगे यह भी कहा कि वो इस इलाके में पिछले 15 सालों से काम करते हैं लेकिन उन्होंने पहले कभी गोकशी जैसी वारदातों के बारे में नहीं सुना. "कभी-कभी हमें इस बात का बिल्कुल भी पता नहीं चलता कि किसी दूसरे इंसान के दिमाग में क्या चल रहा है. हम जब भी मिलते तो राजाराम ही हमेशा पहले राम-राम करता."
पास की ही बस्ती के एक दुकानदार का कहना है कि "उसका 18 साल का लड़का हमारे घर आता था, लेकिन हमें कभी ऐसा नहीं लगा कि वो लोग इन कामों में शामिल हैं." "मैने यहां आसपास कभी भी इस तरह की वारदात नहीं सुनी. हर कोई यहां गायें रखता है."
'हमारे पास गायें हैं, हम दूध बेचते थे'
फार्महाउस की ओर जाने वाली गली में, राजाराम की बड़ी बेटी, ज्योति, अपने छोटे भाई-बहनों- नेहा और हर्ष के लिए बिस्कुट और कोक की एक छोटी बोतल लेकर चली जा रही हैं. उनका कहना है कि पिता की मौत के बाद से उसके छोटे भाई-बहनों ने कुछ भी नहीं खाया-पिया है.
ज्योति का कहना है, "हम यहां दो साल से रह रहे हैं लेकिन कभी ऐसा कुछ नहीं हुआ. हमारे पास गायें हैं और हम दूध भी बेचते थे. वो लोग हम पर जो आरोप लगा रहे हैं, हमने वो काम नहीं किया है. अगर हम करना ही चाहते तो पहले ही कर लेते." उसने आगे यह भी कहा कि वारदात के वक्त परिवार के दूसरे सदस्यों की तरह वह भी सो रही थी. “हमें नहीं पता था कि कौन आया था… पिछले तीन दिनों से पिताजी बाहर सो रहे थे और कहते थे कि चाहे कुछ भी हो जाए ताला मत खोलना."
उनके अनुसार, पुलिस ने राजाराम के साथ ही उसका फोन भी मामले की जांच के लिए ले लिया है. उसने बताया कि उसके फोन में केवल उसके स्कूल और ट्यूशन के अध्यापकों के नंबर सेव थे, लेकिन अब उसके पास किसी से संपर्क करने का कोई जरिया नहीं बचा है.
गौहत्या की सूचना मिलने के बाद पुलिस सोमवार तड़के दो बजे के बाद फार्महाउस पहुंची थी. डीसीपी (द्वारका) शंकर चौधरी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, "जब तक पुलिस वहां पहुंची, उसने पाया कि वहां 10-12 लोग थे और दो लोग गंभीर रूप से घायल थे, इसलिए पुलिस उनकी जान बचाने के लिए उन्हें अस्पताल ले गई. वहां यह सब देखने के लिए भी लोग जुटे हुए थे, इसलिए हमें यह तय करना होगा कि असल में यह सब किसने किया है."
पुलिस का कहना है कि वह संदिग्धों की पहचान करने के लिए इलाके में घटना के समय सक्रिय सिम कार्ड्स का पता लगा रही हैं. उसका कहना है कि ऐसे दो सिम कार्ड्स की पहचान कर ली गई है, लेकिन उनके मालिकों की भूमिका का पता नहीं चल पाया है.
पहला मामला जिसमें एफआईआर दर्ज की गई है वह गौहत्या से जुड़ा है, आईपीसी की धारा 429 (किसी जानवर- भैस, सांड, गाय या बैल को चाहे उसका मूल्य कुछ भी हो, का वध करने, विष देने, विकलांग करने या निरुपयोगी बनाने का अपराध करेगा, वह पांच वर्ष तक का साधारण या कठिन कारावास से, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा.) 120 (कारावास से दंडनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना), 120 बी (आपराधिक साजिश) 34 (आम इरादा) और दिल्ली कृषि रोकथाम अधिनियम और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के प्रावधान.
घायल व्यक्तियों में से एक की शिकायत पर दर्ज दूसरी एफआईआर में आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 337 (किसी के जीवन को खतरे में डालना या दूसरों की व्यक्तिगत सुरक्षा को नुकसान पहुंचाना), 341 (गलत तरीके से रोकना), 506 (आपराधिक धमकी) और 34 का उल्लेख है.
पुलिस सूत्रों ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि वो अपनी तफ्तीश में इसे लिंचिंग के रूप में नहीं देख रहे हैं. “लिंचिंग तब होती है जब एक तरफ एक या दो लोग होते हैं और दूसरी तरफ बहुत सारे लोग होते हैं. एक और बात यह है कि लिंचिंग में डंडों और पत्थरों का इस्तेमाल किया जाता है. एक तरफ छह लोग थे और दूसरी तरफ भी छह से आठ लोग थे. यह एक लड़ाई थी, हालांकि एक पक्ष को अधिक पीटा गया था. एक तरफ जाट थे, जो मजबूत कद-काठी के थे, और दूसरे पक्ष के लोग कमजोर कद-काठी के. लेकिन अगर आप संख्या देखें, तो बहुत अंतर नहीं था,” मामले पर बारीकी से काम कर रहे एक अधिकारी ने कहा.
इस बीच, राजाराम की पत्नी, झासो देवी, उनके पति के शरीर को कैसे ले जाया जाए, यह इंतजाम करते हुए व्याकुल थीं. उन्होंने कहा, “कई पत्रकार आए और गए लेकिन मुझे अब तक अपने पति का शव नहीं मिला है. मुझे तो कुछ भी मालूम नहीं है. उस रात पुलिस आई और हमें जगाया. मुझे चार बच्चों को पालना-पोसना है. लेकिन अब लोग हमें पानी तक भी नहीं दे रहे हैं."
Also Read
-
4 years, 170 collapses, 202 deaths: What’s ailing India’s bridges?
-
2006 blasts: 19 years later, they are free, but ‘feel like a stranger in this world’
-
South Central 37: VS Achuthanandan’s legacy and gag orders in the Dharmasthala case
-
India’s dementia emergency: 9 million cases, set to double by 2036, but systems unprepared
-
Maulana assaulted in TV studio after remarks against Dimple Yadav