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क्या बाबाओं को शांत स्वभाव वाला नहीं होना चाहिए? रामदेव से सवाल करने वाले पत्रकार, संजय रैना

हरियाणा में सावधान करनाला नाम का सोशल मीडिया न्यूज़ पोर्टल चलाने वाले 48 वर्षीय संजय रैना का कहना है, "यूं तो ये सवाल करनाल से आया है, लेकिन आना दिल्ली से चाहिए था, जहां समय-समय पर बाबा रामदेव मीडिया के सामने प्रकट होते रहते हैं और बाइट देते रहते हैं. पर, खैर, कोई भी उनसे ये सवाल नहीं पूछता क्योंकि वो एक बहुत बड़ी कंपनी के मालिक हैं."

तीन दिन पहले पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर सवाल करने के कारण रैना पर रामदेव भड़क गए थें और इस घटना का वीडियो क्लिप अब सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है. यह वाकया तब पेश आया जब पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव करनाल के मिशन पब्लिक स्कूल में बोल रहे थे. वो यहां स्कूल के चेयरमैन से मिलने आये थे जो कथित तौर पर उनके प्रशंसक हैं. इस कार्यक्रम में रामदेव को देखने के लिए बहुत से लोग आ जुटे थे. बताया जाता है कि स्कूल की चार शाखाओं से स्टाफ के 200 कर्मचारी भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे.

जब उन्हें 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले के उनके उस बयान की याद दिलाई गई जिसमें वो कह रहे थे कि लोगों को ऐसी सरकार चुननी चाहिए जो 40 रुपए/लीटर के हिसाब से पेट्रोल और 300 रुपए/सिलेंडर के हिसाब से घरेलू गैस उपलब्ध कराए, तो इस पर वो बरस पड़ें- "पूंछ पाड़ेगा मेरी?", मैंने क्या तेरे प्रश्नों का उत्तर देने का ठेका लिया है?", "मैं नहीं देता जवाब, कर ले क्या करेगा?", "अब आगे पूछेगा तो ठीक नहीं होगा"

रैना ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि इसके बाद वो जल्द ही उस जगह से निकल गए क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि बात और बढ़ जाए और "बाबा भी लाल-पीले हो गए थे" (रामदेव गुस्सा हो गए थे). लेकिन बाद में उन्हें ये भी सुनने में आया कि रामदेव ने ऐसी टिप्पणी की थी कि वो जरूर एक सभ्य परिवार से आते होंगे इसलिए उन्हें ऐसा उद्दंड व्यवहार नहीं करना चाहिए.

इस घटना को कुछ एक मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने भी कवर किया था जिसमें टाइम्स नाउ, इंडिया टुडे और ज़ी भी शामिल हैं. लेकिन इंडिया टीवी या रिपब्लिक टीवी पर इसका कोई जिक्र नहीं किया गया. यह भी गौर करने वाली बात है कि ज्यादातर न्यूज़ चैनल्स के लिए पतंजलि सबसे बड़े विज्ञापन दाताओं में से एक हैं.

रैना ने हमसे कहा, "ऐसा नहीं है कि रिपोर्टर्स में इस तरह के सवाल करने की हिम्मत नहीं है. लेकिन इससे पहले किसी ने भी यह सवाल इसलिए नहीं पूछा क्योंकि उन्हें ऐसा करने के लिए मना किया गया था. और इसके पीछे का कारण है पतंजलि से मिलने वाले विज्ञापन. न्यूज़ चैनल विज्ञापन के बिना काम नहीं कर सकते. मैंने अपना खुद का न्यूज़ प्लेटफॉर्म इसीलिए शुरू किया क्योंकि न्यूज़ चैनल्स हमसे केवल ऐसी ही स्टोरीज कराना चाहते थे जिसमें कि कहीं से भी सरकार की कोई नकारात्मक छवि न दिखे."

उनका यह भी कहना है कि सोशल मीडिया पर अपलोडेड वीडियो के नीचे आने वाले कमेंट्स में से कई कमेंट्स रामदेव के वफादार लोगों और भाजपा समर्थकों के हैं जिनमें ये कहा गया है कि वो सवाल रामदेव से नहीं पूछे जाने चाहिए थे. "ये सवाल मेरा नहीं है बल्कि 135 करोड़ भारतीयों का है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो बाबा हैं या एक आम आदमी, ये तो 135 करोड़ भारतीयों की आवाज है जिसका जवाब दिए जाने की जरूरत है. मुझे नहीं समझ में आता कि वो क्यों बरस पड़ें - क्या बाबाओं को शांत स्वभाव वाला नहीं होना चाहिए?"

रैना ने बताया कि वो काफी समय से यह सवाल पूछने का इंतजार कर रहे थे. वो जब भी पेट्रोल के दाम बढ़ने की खबरें सुनते उन्हें यूपीए सरकार के दौरान रामदेव का दिया बयान याद आ जाता है. रैना ने यह भी बताया कि वो सरकार और विपक्ष के करीब 20 नेताओं से बाबा के इस "पाखंड" को लेकर सवाल कर चुके हैं लेकिन उन्हें यही जवाब मिलता है कि रामदेव अब एक "व्यापारी" बन चुके हैं.

वीडियो में रामदेव तेल की कीमतों के बढ़ते दामों का समर्थन करते हुए भी नजर आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि "सरकार का कहना है कि अगर तेल की कीमतें कम ही रहेंगी तो उन्हें टैक्स नहीं मिलेगा. तो, ऐसे में वो देश कैसे चला पाएगी, मिलिट्री का खर्च कैसे उठाएगी, सड़कें कैसे बनाएगी... सभी को मेहनत करनी चाहिए. यहां तक कि एक सन्यासी होकर भी मैं सुबह 4 बजे से रात के 10 बजे तक काम करता हूं."

जब रिपोर्टर ने बाबा से पूछा कि उन्हें अब "लाला रामदेव" क्यों कहा जाता है तो इस पर पतंजलि के संस्थापक ने उन्हीं से सवाल कर लिया कि इससे उनके पेट में क्यों दर्द हो रहा है. रैना ने कहा कि उस आयोजन में जब भी रामदेव उन पर बरसते वहां मौजूद लोग उन पर हंसने लगते. वीडियो के वायरल हो जाने के बाद लोगों ने उन्हें एफआईआर कराने को कहा लेकिन रैना ऐसा नहीं करना चाहते.

पत्रकार संजय रैना का कहना है कि तेल की बढ़ती कीमतें उनकी कमाई के अनुरूप नहीं हैं जिस कारण उन्होंने मोटरसाइकिल की जगह अपनी पुरानी साइकिल वापस बाहर निकाल ली है. "मैं केवल जनता की भलाई के लिए यह सवाल करना चाहता था. ये राष्ट्रीय महत्व के और खुद जनता के अपने सवाल हैं. मुझे निजी तौर पर रामदेव से कोई समस्या नहीं है."

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