Assembly Elections 2022

फिर भाजपामय हुआ उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया है. 2017 विधानसभा चुनाव की तुलना में भाजपा को 57 सीटें कम आई हैं, लेकिन प्रदेश में पहली बार ऐसा हुआ कि पांच साल सरकार में रहने के बाद कोई पार्टी दूसरी बार सत्ता में वापसी की है.

भाजपा, निषाद पार्टी और अपना दल (सोनेवाल) के साथ मैदान में थी. भाजपा ने 255, अपना दल (सोनेवाला ) ने 12 और निषाद पार्टी छह सीटों पर जीत दर्ज की है.

समाजवादी पार्टी गठबंधन में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और आरएलडी जैसे दल थे. सपा ने 111, आरएलडी ने आठ और सुहलदेव ने छह सीटों पर जीत हासिल की है. सपा को 2017 के चुनाव में 47 सीटों पर जीत मिली थी. इस बार सपा को 64 सीटों का फायदा हुआ है.

2022 के नतीजे

बसपा और कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद बुरा रहा. यूपी में चार बार सरकार बनाने वाली बसपा सिर्फ एक ही सीट जीत पाई वहीं कांग्रेस को दो सीटें मिली हैं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू खुद अपना चुनाव हार गए हैं.

वोट प्रतिशत की बात करें तो 2017 में भाजपा का वोट प्रतिशत 39.6 प्रतिशत था जो अब बढ़कर 41.3 हो गया है. वहीं समाजवादी पार्टी का वोट प्रतिशत पिछले चुनाव में 21.8 था जो अब बढ़कर 32.1 प्रतिशत हो गया है.

सीटों के साथ ही बसपा के वोट प्रतिशत में भी गिरावट आई है. 2017 में जहां बसपा का वोट प्रतिशत तकरीबन 22.2 था जो अब घटकर 12.9 प्रतिशत रह गया है. कांग्रेस का वोट प्रतिशत 6.25 से घटकर 2.33 रह गया है.

2022 में किस दल को मिले कितने प्रतिशत वोट

चुनाव में जीत के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव-2022 में प्रचंड विजय की प्रतिबद्ध, कर्मठ व जुझारू कार्यकर्ताओं को हार्दिक बधाई. यह विजय 'सेवा ही संगठन' की भावना को आत्मसात कर आपके द्वारा की गई अविराम जनसेवा का प्रतिफल है.’’

वहीं इस मौके पर अखिलेश यादव ने ट्वीट करके प्रदेश की जनता को बधाई दी और कहा, ‘‘हमने दिखा दिया है कि भाजपा की सीटों को घटाया जा सकता है. भाजपा का ये घटाव निरंतर जारी रहेगा. आधे से ज्यादा भ्रम और छलावा दूर हो गया है बाकी कुछ दिनों में हो जाएगा.’’

बड़ी जीत

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा उम्मीदवार सुभावती उपेन्द्र दत्त शुक्ल को 103390 मतों से हराया. सीएम योगी गोरखपुर शहर से उम्मीदवार थे. वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने करहल विधानसभा से केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को 67504 मतों से हराया है.

नोएडा तीनों सीटों पर रिकॉर्ड वोट से भाजपा को जीत हासिल हुई. दादरी से भाजपा के तेजपाल सिंह नागर ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार राजकुमार भाटी को 138218 वोटों से हराया. वहीं नोएडा से रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह ने समाजवादी पार्टी के नेता सुनील चौधरी को 181513 मतों से हराया. जेवर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के धीरेन्द्र सिंह ने आरएलडी के अवतार सिंह भड़ाना को 56315 वोटों से हराया.

गाजियाबाद के साहिबाबाद विधानसभा क्षेत्र से इसबार सबसे ज्यादा मतों से जीत-हार हुई. यहां से भाजपा नेता सुनील शर्मा ने 2 लाख से ज्यादा मतों से सपा-आरएलडी गठबंधन उम्मीदवार को हराया है.

समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल यादव ने जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के विवेक शाक्य को 90979 मतों से हराया.

उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कांग्रेस के प्रदीप माथुर को 109803 मतों से हराया.

सपा नेता आजम खान और उनके बेटे मौहम्मद अब्दुल्ला आजम खान ने जीत दर्ज की है. आजम खान ने जहां भाजपा के आकाश सक्सेना को 55 हजार मतों से हराया. वहीं मौहम्मद अब्दुल्ला आजम खान ने अपना दल (सोनेवाल) के हैदर अली खान को 61 हजार से हराया. आजम खान अभी जेल में बंद हैं.

बड़ी हार

एक तरफ जहां भाजपा पूर्ण बहुमत से सत्ता में वापसी की है वहीं योगी सरकार के कई मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा है.

योगी सरकार में नंबर दो रहे केशव प्रसाद मौर्य चुनाव हार गए. कौशाम्बी के सिराथू विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे मौर्य को समाजवादी पार्टी की पल्लवी पटेल ने सात हजार मतों से हरा दिया. चुनाव में हार के बाद केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ‘‘सिराथू विधानसभा क्षेत्र की जनता के फैसले को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करता हूं, एक-एक कार्यकर्ता के परिश्रम के लिए आभारी हूं, जिन मतदाताओं ने वोट रूपी आशीर्वाद दिया उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं.’’

भाजपा सरकार के मंत्री उपेंद्र तिवारी बलिया के फेफना सीट से चुनाव हार गए. तिवारी को समाजवादी पार्टी के संग्राम सिंह ने 19354 मतों से हराया.

यूपी सरकार के एक दूसरे मंत्री चन्द्रिका प्रसाद उपाध्याय भी चुनाव हार गए. चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र से सपा नेता अनिल प्रधान ने उपाध्याय को 20 हजार मतों से हराया है.

भाजपा लहर के बावजूद उसके फायर ब्रांड नेता संगीत सोम अपनी सीट नहीं बचा पाए. सरधना विधानसभा क्षेत्र से सोम को समाजवादी पार्टी के अतुल प्रधान ने 18 हजारों मतों से हराया है.

योगी सरकार के एक और मंत्री सुरेश राणा भी चुनाव हार गए. मुजफ्फरनगर के थाना भवन क्षेत्र से राणा को सपा के अशरफ अली खान ने 10 हजार मतों से हराया है.

चुनाव से कुछ रोज पहले भाजपा सरकार पर आरोप लगाकर समाजवादी पार्टी में शामिल होने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य चुनाव हार गए. मौर्य को भाजपा नेता सुरेन्द्र कुमार कुशवाहा ने 45 हजार मतों के अंतर से हराया है.

हार के बाद मौर्य ने लिखा, ‘‘चुनाव हारा हूं, हिम्मत नहीं.’’

वहीं भाजपा से अलग होने वाले दूसरे मंत्री डॉक्टर धर्म सिंह सैनी भी चुनाव हार गए हैं. मौर्य के साथ सैनी भी चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे. नकुड़ विधानसभा क्षेत्र से सैनी को भाजपा के मुकेश चौधरी ने 315 मतों से हरा दिया.

चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी से भाजपा में शामिल होने वाले वरिष्ठ नेता रामवीर उपाध्याय भी चुनाव हार गए. हाथरस के सादाबाद विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतरे उपाध्याय को आरएलडी के प्रदीप कुमार सिंह ने 6437 मतों से हराया है.

अपना दल (कमेरावादी) की प्रमुख कृष्णा पटेल प्रतापगढ़ से चुनाव हार गईं. केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की मां कृष्णा पटेल को भाजपा के राजेंद्र कुमार ने 25 हजार मतों से हराया है.

उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राम गोविन्द चौधरी भी चुनाव हार गए. बांसडीह विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे सपा नेता चौधरी को भाजपा नेता केतकी सिंह ने 21 हजार मतों से हराया.

केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने अपना चुनाव प्रचार कैराना से शुरू किया था. यहां से सपा के उम्मीदवार नाहिर हसन को चुनाव से पहले जेल भेज दिया गया. भाजपा ने यहां से हिन्दुओं के कथित पलायन का मुद्दा भी उठाया था. इसके बावजूद सपा के नाहिद हसन ने भाजपा की मृगांका सिंह को 25 हजार मतों से हरा दिया.

हाथरस, उन्नाव और लखीमपुर खीरी का हाल

महिला सुरक्षा बेहतर करने का दावा करने वाली भाजपा सरकार पर पहली बार सवाल उन्नाव में तत्कालीन भाजपा विधायक पर लगे बलात्कार के बाद खड़े हुए. इसके बाद भाजपा ने कुलदीप सेंगर को पार्टी से बाहर कर दिया. इस घटना की खूब चर्चा हुई.

हालांकि चुनावी नतीजे बताते हैं कि इसका कोई असर नहीं हुआ. उन्नाव सीट से भाजपा के पंकज गुप्ता ने जीत दर्ज की है. गुप्ता ने समाजवादी पार्टी के अभिनव कुमार को 31 हजार मतों से हराया है. यहां से कांग्रेस ने उन्नाव बलात्कार की पीड़िता की मां आशा देवी को टिकट दिया था. आशा देवी चुनाव हार गईं.

भाजपा सरकार पर एकबार फिर सवाल हाथरस में हुए बलात्कार की घटने के बाद खड़े हुए थे. यहां पीड़िता की मौत के बाद परिजनों की इजाजत के बाद रातों-रात अंतिम संस्कार कर दिया था. अगर हाथरस में आए नतीजों को देखें तो यहां से भाजपा की अन्जुला सिंह माहौर ने जीत दर्ज की है.

किसान आंदोलन के समय लखीमपुर खीरी तब चर्चा में आया जब केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय सिंह टेनी के बेटे पर किसानों को रौदने का आरोप लगा. इस घटना में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी. लखीमपुर खीरी के सभी आठों सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है.

पश्चिमी यूपी और किसान आंदोलन

माना जा रहा था कि तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ हुए आंदोलन का असर पश्चिमी यूपी में भाजपा के खिलाफ देखने को मिलेगा. दरअसल इस आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक राकेश टिकैत भी पश्चिमी यूपी से ही आते हैं और आंदोलन में यहां के किसानों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था. हालांकि चुनावी नतीजों में इसका असर देखने को नहीं मिला.

आरएलडी सिर्फ आठ सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई. बागपत जो की चौधरी चरण सिंह की कर्मभूमि मानी जाती है. यहां तीन विधानसभा सीटों में से महज एक पर ही आरएलडी जीत पाई वहीं दो पर भाजपा का कब्जा रहा. 2017 के चुनाव में तीनों सीटें भाजपा के खाते में थी.

बुलंदशहर की सभी सातों सीटें पर भाजपा ने जीत दर्ज की है. ऐसा कर भाजपा ने अपने 2017 के नतीजों को दोहराया है.

राकेश टिकैत मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं. यहां की छह विधानसभा सीटों में से चार पर सपा गठबंधन तो दो पर भाजपा चुनाव जीती है.

मेरठ में सात विधानसभा सीटों में से सपा-रालोद गठबंधन ने चार तो तीन पर भाजपा ने जीत दर्ज की है. 2017 विधानसभा चुनाव में यहां की छह सीटों पर भाजपा जीती थी.

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