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प्रशासक समिति: योगी आदित्यनाथ के समर्थन में ऑनलाइन नफरत फैलाने वाला समूह

पिछले दो सालों में अगर आप ट्विटर पर थोड़े बहुत भी एक्टिव रहे हों, तो हो सकता है आपकी नजर #BCCI_Promotes_Halal, #अजान_से_ध्वनि_जिहाद, #जिहादी_मुक्त_नवरात्रि, #BanRavanLeela_Bhavai, #ArrestPrateikGandhi, #हिन्दू_स्वराज_से_हिन्दूराष्ट्र, #मदरसों_की_फंडिंग_बंद_करो, #बकरे_को_छोड़_दो, #सबके_पूर्वज_हिन्दू, #IntolerantIslam, #TeresaNoSaint, #StopConversionKilling, #हम_दो_हमारे_गिन_लो, # भीम_मीम_धोखा_है, #HinduUniteAgainstZehad, #आपदा_में_धर्मपरिवर्तन _का_खेल, #LoveTrap, #हलाल_हटाओ_देश_बचाओ, #कोरोना_जमाती_वायरस (फेहरिस्त और भी लंबी है लेकिन अभी के लिए इतना बहुत है) जैसे टॉप ट्विटर ट्रेंड्स पर पड़ी हो.

यह सभी ट्रेंड्स प्रशासक समिति नाम के एक सोशल मीडिया नेटवर्क द्वारा चलाए गए थे. इन सभी ट्रेंड्स पर या इनसे जुड़ी पोस्ट्स पर अगर आप निगाह डालेंगे तो पाएंगे यह सभी मजहबी नफरत को बढ़ावा देने वाले ट्रेंड्स हैं. कौन है यह प्रशासक समिति जो लाखों ट्वीट्स करवाकर मजहबी नफरत से लबरेज ऐसे मुद्दों को ट्विटर पर ट्रेंड करवाता है. न्यूज़लॉन्ड्री की निगाह प्रशासक समिति पर सबसे पहले तब पड़ी थी जब भाजपा नेता कपिल मिश्रा के टेलीग्राम ग्रुप हिंदू इकोसिस्टम के बारे में हमने पड़ताल कर एक स्टोरी की थी.

न्यूज़लॉन्ड्री के पत्रकारों ने जब मिश्रा के टेलीग्राम ग्रुप हिंदू इकोसिस्टम को ज्वाइन किया था, तब प्रशासक समिति के टेलीग्राम ग्रुप में भी न्यूज़लॉन्ड्री को प्रवेश मिल गया था. पिछले एक साल से न्यूज़लॉन्ड्री प्रशासक समिति के टेलीग्राम ग्रुप में मौजूद था. जहां मिश्रा के टेलीग्राम ग्रुप हिंदू इकोसिस्टम में तकरीबन 17,000 मेंबर्स हैं वहीं प्रशासक समिति में 50,000 से ज्यादा मेंबर हैं. हमने अपनी पड़ताल में पाया कि न सिर्फ प्रशासक समिति का नेटवर्क हिंदू इकोसिस्टम से चार गुना है बल्कि प्रशासक समिति की कोर टीम ने ही हिंदू इकोसिस्टम टेलीग्राम ग्रुप को बनाने में मिश्रा की मदद की थी.

प्रशासक समिति का सोशल मीडिया नेटवर्क

प्रशासक समिति के 2,500 व्हाट्सएप ग्रुप हैं. यह 2,500 ग्रुप 24 अलग-अलग नामों से चलाए जाते हैं, जिसे प्रशासक समिति वाले श्रृंखला कहते हैं. एक श्रृंखला में लगभग 100 ग्रुप होते हैं और एक ग्रुप में तकरीबन 200 से 250 सदस्य होते हैं. इन श्रृंखलाओं के नाम हैं भगवा सेना, घर-घर भगवा, हिंदू एकता, हिंदू सरकार, भगवा योद्धा, केसरिया भारत, वत्सलेमातृभूमि, माटी के लाल, धर्म संस्थापनाथार्य, विश्वगुरु भारत, अखंड भारत संकल्प, धर्म सम्राट हिंदू, सनातन सर्वश्रेष्ठ, संगठित हिंदू, भगवा ध्वज रक्षक, सशक्त हिंदू, जय हिंदू राष्ट्र, हिंदुत्व सर्वप्रथम, वन्दे भारत, हिंदू साम्राज्य, जय हिंदुत्व, भारतीय संस्कृति, सत्यमेव जयते और राष्ट्र सर्वोपरि. गौरतलब है कि इन ग्रुप्स से जुड़ने के लिए आपको हिंदू होना अनिवार्य है.

टेलीग्राम पर प्रशासक समिति के दो मुख्य ग्रुप हैं. एक ग्रुप का नाम है प्रशासक समिति ग्रुप जिसमें यह रिपोर्ट लिखे जाने के समय 50,067 सदस्य हैं और लगभग 1000 सदस्यों से भी ज्यादा ग्रुप में हर समय एक्टिव रहते हैं. दूसरा ग्रुप, प्रशासक समिति का टेलीग्राम चैनल है जिसका नाम प्रशासक समिति हिंदी चैनल है और उसमें 13,618 सब्सक्राइबर्स हैं. इसके अलावा प्रशासक समिति के तमिल, मराठी, उड़िया, कन्नड़ और गुजराती में भी टेलीग्राम ग्रुप हैं. साथ ही साथ टेलीग्राम पर प्रशासक समिति का एक ट्विटर आर्मी के नाम से भी ग्रुप है जो ट्रेंड्स चलाने का काम करता है.

प्रशासक समिति के टेलीग्राम ग्रुप्स और चैनल

प्रशासक समिति के ट्विटर अकाउंट का नाम प्रशासक समिति @OfficialTeamPs है. उनको ट्विटर पर 21,300 लोग फॉलो करते हैं जिनमें से उनके कई फॉलोअर्स भाजपा आईटी सेल, भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हैं.

हफ्ते में लगभग एक बार प्रशासक समिति की तरफ से ट्विटर पर एक ट्रेंड चलाया जाता है. हाल फिलहाल में प्रशासक समिति ने उत्तर-प्रदेश में हो रहे चुनावों के मद्देनजर ट्विटर पर #हिन्दुओं_ की_धड़कन_योगी नाम का ट्रेंड चलाया था. प्रशासक समिति अपने ट्विटर हैंडल से सिर्फ सात लोगों को फॉलो करती है जिसमें प्रधानमंत्री कार्यालय, गृहमंत्री कार्यालय, हिंदू युवा वाहिनी के गुजरात प्रभारी योगी देवनाथ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र, भारत के राष्ट्रपति और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम आता है. ट्विटर के अलावा प्रशासक समिति के कू एप पर भी दो अकाउंट हैं. पहला, दूसरा.

कू एप पर प्रशासक समिति के हैंडल @prasashaksamiti को 58,000 लोग फॉलो करते हैं और उनके दूसरे हैंडल @PrashasakSamitiOfficial को लगभग चार हजार लोग फॉलो करते हैं. प्रशासक समिति दोनों ही अकाउंट के जरिए सिर्फ योगी आदित्यनाथ को फॉलो करती है.

इंस्टाग्राम पर प्रशासक समिति को तकरीबन 4,25,000 लोग फॉलो करते हैं. अपनी प्रोफाइल में प्रशासक समिति ने लिखा है "इंस्टाग्राम पर भगवा लहराना है."

यूट्यूब पर प्रशासक समिति के दो चैनल हैं. उनके एक चैनल पर 19,500 सब्सक्राइबर्स है और दूसरे चैनल पर 5850 सब्सक्राइबर्स हैं.

वहीं फेसबुक पर प्रशासक समिति के दो पेज हैं और उसके अलावा दो अकाउंट भी हैं. उनका एक पेज संगठित हिंदू के नाम से है. इस पेज को 124,645 लोग फॉलो करते हैं. उनके दूसरे फेसबुक पेज जिसका नाम प्रशासक समिति है को 39,097 लोग फॉलो करते हैं. इनके अलावा उनके निष्पक्ष राजनीति (प्रशासक समिति) और संगठित हिंदू (प्रशासक समिति) के नाम से दो ग्रुप हैं. निष्पक्ष राजनीति (प्रशासक समिति) में 5,400 सदस्य हैं और संगठित हिंदू (प्रशासक समिति) में 36,100 सदस्य हैं.

मजहबी नफरत और झूठी खबरें फैलाता प्रशासक समिति

प्रशासक समिति अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स में अपने उद्देश्य का जिक्र करता है. उनका उद्देश्य है, "हिंदुओं को जगाना, उनमें राष्ट्रीयता, हिंदुत्व की भावना भरना. बौद्धिक रूप व हृदय से हिंदूवादी देशभक्त बनाना, जिससे विधर्मी समाज का प्रतिकार कर असामाजिक तत्वों, देशविरोधी ताकतों से लड़ सकें."

लेकिन अगर आप इनके सोशल मीडिया नेटवर्क की जांच करेंगे तो पाएंगे कि प्रशासक समिति बड़ी कुशलता से अपने नेटवर्क के जरिए सिर्फ मजहबी नफरत का जहर बड़े पैमाने पर फैला रहा है. चाहे टेलीग्राम के उनके ग्रुप्स हों या यूट्यूब पर उनका चैनल, चाहे उनका इंस्टाग्राम अकाउंट हो, फेसबुक हो, ट्विटर हो या कू एप. हर जगह प्रशासक समिति मुसलामानों और ईसाईयों के खिलाफ नफरत की भावना भड़काने के काम कर रहा है. अपने इस काम को अंजाम देने के लिए प्रशासक समिति के यह हैंडल झूठी खबरों का जोरों-शोरों से प्रचार-प्रसार कर रहे हैं.

सबसे पहले उनके टेलीग्राम ग्रुप के बारे में समझते हैं. 50 हजार से ज्यादा सदस्यों वाले इस ग्रुप में ही प्रशासक समिति की कोर कमिटी के सदस्यों द्वारा हुकुम जारी किया जाता है कि किस विषय को ट्विटर पर ट्रेंड किया जाए. ट्विटर ट्रेंड के आदेश के साथ प्रशासक समिति उनके एक अन्य टेलीग्राम ग्रुप "ट्विटर आर्मी" का लिंक भी भेजती है और सभी से ट्विटर आर्मी ग्रुप ज्वाइन करने को कहा जाता है. ट्विटर आर्मी ग्रुप से उन्हें लिखे हुए ट्वीट (ट्वीट कंटेंट) दिए जाते हैं, जिसे प्रशासक समिति के सदस्य उन ट्वीट्स के हैशटैग को रीट्वीट कर ट्रेंड बना देते हैं.

पिछले साल जुलाई के महीने में ईद के मौके पर प्रशासक समिति ने ट्रेंड चलाया था #बकरे_को_छोड़_दो. 20 जुलाई 2021 को प्रशासक समिति ने इस हैशटैग को ट्रेंड बनाने के लिए ट्वीट करना शुरू किया था. तकरीबन 2,48,700 बार इसे रीट्वीट किया गया था और यह ट्रेंड में सबसे ऊपर भी था. उसके दो महीने पहले यानी मई के महीने में अलीगढ़ के नूरपुर गांव में मुसलामानों और दलितों के बीच बारात में बजने वाले गाने को लेकर विवाद हो गया था.

इस मामले को लेकर प्रशासक समिति ने #भीम_मीम_धोखा_है नाम का ट्विटर ट्रेंड चलवाया था और कहा था कि दलित युवक को मुसलामानों ने घोड़ी पर नहीं चढ़ने दिया, जबकि मामला ऐसा नहीं था. उसी महीने में उन्होंने #HinduUniteAgainstZehad का भी हैशटैग ट्रेंड करवाया था.

सिंतबर में प्रतीक गांधी की फिल्म रावणलीला का जब ट्रेलर रिलीज हुआ तब फिल्म के नाम को लेकर सोशल मीडिया पर विवाद शुरू हो गया था जिसके बाद #BanRavanLeela_Bhavai, #ArrestPrateikGandhi ट्विटर पर ट्रेंड होने लग गया था. इस ट्वीट को प्रशासक समिति ने ही ट्रेंड करवाया था. सितंबर में ही जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से धार्मिक संस्थानों और मदरसों को दी जाने वाली सरकारी मदद को लेकर सवाल किए थे जिसके ट्विटर पर #मदरसों_की_फंडिंग_बंद_करो के नाम से ट्रेंड चलने लगा था. इस हैशटैग को भी प्रशासक समिति ने ट्रेंड करवाया था.

अक्टूबर महीने में नवरात्र के त्यौहार के वक्त प्रशासक समिति ने #जिहादी_मुक्त_नवरात्रि का हैशटैग ट्विटर पर ट्रेंड किया था. प्रशासक समिति ने अपने टेलीग्राम ग्रुप में लिखा था कि जिहादी नवरात्र के वक्त लव जिहाद करते हैं और सदस्यों से कहा था कि इस ट्वीट को ट्रेंड करवाएं. नवंबर 2021 में जब कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कर्नाटक सरकार से पूछा था कि मस्जिदों में किस कानून के तहत लाउडस्पीकर इस्तेमाल किए जाते हैं. इस मामले के 5-6 दिन बाद प्रशासक समिति ने #अजान_से_ध्वनि_जिहाद नाम का हैशटैग ट्विटर पर ट्रेंड करवाया. फरवरी 2022 में प्रशासक समिति ने वैलेंटाइन्स डे के एक दिन पहले #मातृ _पितृ _पूजन_दिवस का हैशटैग ट्रेंड करवाया था. इसके अलावा #IntolerantIslam, #NoHumanRights4Hindus, #ChurchUnsafe4Women, #हिन्दू_दीपावली_हिन्दू_सामान, #भगवा_मेरी_शान #LoveTrap, #हलाल_हटाओ_देश_बचाओ, #कोरोना_जमाती_वायरस, #TeresaNoSaint, जैसे कई हैशटैग प्रशसक समिति ट्रेंड करवा चुका है.

गौरतलब है कि फिलहाल उत्तरप्रदेश के चुनावों के मद्देनजर प्रशासक समिति उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समर्थन में सोशल मीडिया पर प्रचार कर रही है. उन्होंने योगी आदित्यनाथ के समर्थन में #योगी_आएगा_भगवा_छायेगा, #हिन्दुओ_की _धड़कन_योगी, # योगी_आएंगे_बुलडोजर_चलाएंगे #योगी_आएंगे_मथुरा_सजायेंगे जैसे हैशटैग ट्विटर पर चला रहे हैं.

प्रशासक समिति के टेलीग्राम ग्रुप में बहुत से भड़काऊ और आपत्तिजनक पीडीएफ दस्तावेज हैं. इसके अलावा तकरीबन 2,500 से ज्यादा वीडियो और 6,500 से ज्यादा फोटो हैं. इनमें से बहुत से वीडियो और फोटो का इस्तेमाल फर्जी खबरें फैलाने में किया गया है. यह प्रशासक समिति के ही टेलीग्राम ग्रुप के सदस्यों द्वारा डाले गए हैं.

टेलीग्राम ग्रुप में लव जिहाद तथ्यों सहित, लव जिहाद जानकारी और बचाव, लव जिहाद बायकॉट हलाल, गांधी वध क्यों, शिरडी साईं बेनकाब, कुरान की छानबीन, फैक्टशीट ओवर माइनॉरिटीज इन इंडिया, क्या कुरान हमेशा से महफूज है आदि पीडीएफ फाइल्स हैं. अगर आप इन फाइल्स की छानबीन करेंगे तो पाएंगे इन्हें बनाने का मकसद सिर्फ इतना है कि मुसलामानों के खिलाफ लोगों के दिलो-दिमाग में नफरत फैलाई जा सके.

प्रशासक समिति के टेलीग्राम ग्रुप में बहुत बड़े पैमाने पर फर्जी खबरों का प्रचार किया जाता है. जैसे कि ओसामा बिन लादेन की बेटी जोया खान ने एक फिल्म कलाकार प्रदीप मौर्य से शादी कर ली. उसने हिंदू धर्म अपना लिया है और कहा है कि इस्लाम दुनिया का सबसे गंदा और बेकार धर्म है. गौरतलब है यह खबर फर्जी थी. क्योंकि जिस महिला को ओसामा बिन लादेन की बेटी बताया जा रहा था वो असल में पाकिस्तानी फिल्म कलाकार सायरा युसूफ थीं और उनका ओसमा बिन लादेन से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं था.

इसी तरह मुस्लिम युवकों के फोन चार्ज करते हुए फोटो को ग्रुप में एक मेंबर द्वारा शेयर करते हुए लिखा गया, "हर मदरसे में एक-एक अब्दुल 10 मोबाइल लेकर बैठा हुआ है. हिंदू नाम से केवल जातिवादी पोस्ट करेगा. सपा के पोस्ट पर समर्थन करेगा. इस संगठित गैंग की एक जुटता देख, दूरदर्शिता और हर हाल में जीतने के प्रयास से लड़ने के लिए सनातनी हिंदू कितना तैयार हैं? विचार करें?. इस पोस्ट को 22 जनवरी 2022 को उत्तर प्रदेश चुनावों के मद्देनजर ग्रुप में डाला गया था. लेकिन अगर आप इस फोटो को ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि फोटो में दिख रहे ज्यादातर फोन स्मार्ट फोन नहीं हैं यानी इनसे सोशल मीडिया पोस्ट नहीं की जा सकती है.

प्रशासक समिति के एडमिन ग्रुप में फैक्ट चेक के बाद झूठी साबित हो चुकी खबरों को भी सच ही मानते हैं. उदहारण के तौर पर बिरयानी के तसले से बिरयानी निकलते हुए एक मुस्लिम युवक के फोटो के साथ यह लिख कर पोस्ट शेयर हो रही थी कि कोयंबटूर के एक होटल में मुस्लिम और हिंदुओ के लिए अलग-अलग पतीलों में खाना बनता है और हिंदुओं के खाने में गोली मिलाई जाती है जिससे वो नपुंसक हो जाते हैं. प्रशासक समिति के भी सोशल मीडिया नेटवर्क में इस पोस्ट को शेयर किया था. लेकिन यह खबर फर्जी थी.

इसके बावजूद भी प्रशासक समिति ग्रुप में मुसलामानों को लेकर कहता है कि जिहादी वायरसों के घर होटल, ढाबों, मॉडल्स सबका बहिष्कार करना चाहिए वर्ना हो सकता है खाने में मल, मूत्र, नपुंसकता की गोली खाते रहे और किसी दिन जहर भी.

टेलीग्राम ग्रुप में ऐसे बहुत से लोग हैं जो कहते हैं कि हिंदुओ को 5-7 बच्चे होने चाहिए जिससे "मुल्ले" उनका रोजगार न छीन सकें.

प्रशासक समिति हर मंगलवार ट्विटर स्पेस पर चर्चाओं का आयोजन भी करती हैं. इन चर्चाओं के विषय होते हैं, हत्याएं हिंदुओं की खतरे में इस्लाम कैसे? जहां हिंदू अल्पसंख्यक वहां सुरक्षित क्यों नहीं? कैसे दंगाई हारेंगे राष्ट्रवादी जीतेंगे, विपक्ष का हाथ आतंकियों के साथ, मजहबी चोट क्यों, कैसे टुकड़े गैंग का 'गजवा ए हिन्द' वाला दांव उल्टा पड़ा? हिजाब की आड़ में उर्दुस्तान बनाने का क्या प्लान है आदि. ट्विटर स्पेस पर होने वाली इन चर्चाओं में कई बार भाजपा के पधादिकारी और कुछ पत्रकार भी वक्ता के रूप में भाग लेते हैं. इनमें से भाजपा के कुछ ऐसे भी पदाधिकारी हैं जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्विटर पर फॉलो करते हैं.

प्रशासक समिति का यूट्यूब चैनल

प्रशासक समिति के टेलीग्राम ग्रुप, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर और कू पर हमेशा मुसलमानों और उसके बाद ईसाईयों को केंद्र में रख कर नफरत भरी टिपण्णी की जाती है. टेलीग्राम, व्हाट्सप्प ग्रुप में उन्हें जिहादी, मुल्ला, विधर्मी जैसे शब्दों से संबोधित किया जाता है. ऑप इंडिया और सुदर्शन न्यूज़ जैसे मीडिया संस्थानों की खबरों का हवाला देकर उनके बारे में आपत्तिजनक बातें की जाती हैं और उनके बिना किसी प्रमाण के उनके बारे में झूठी खबरें फैलाई जाती हैं.

अपने यूट्यूब चैनल में प्रशासक समिति के पदाधिकारी सुरेश चव्हाण के दावों की बिना कोई जांच पड़ताल किए ये कहते हुए हुए सुनाई देते हैं कि देश में जन्म पंजीकरण जिहाद चल रहा है. गौरतलब है कि सुदर्शन न्यूज़ की यह खबर फर्जी थी.

इसी तरह हेयर स्टाइलिस्ट जावेद हबीब, फिल्म एक्टर आमिर खान और शाहरुख खान के बारे में प्रशासक समिति ने अपने यूट्यूब चैनल पर वीडियो दिखते हुए कहा कि वो थूक जिहाद कर रहे हैं.

इस वीडियों में प्रशासक समिति के मुख्य व्यवस्थापक मनीष भारद्वाज यह कहते हैं कि थूक लगी जमात का पूरी तरह बहिष्कार करना चाहिए.

प्रशासक समिति अपने यूट्यूब चैनल पर विवादित स्वामी यति नरसिंहानंद के उन वीडियो का भी प्रचार करता है जिसमें वह भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की बुराई करते हुए नजर आता है.

प्रशासक समिति अपने यूट्यूब चैनल्स के जरिए मन-गढ़ंत कहानी बनाते हैं और मुसलमानों पर निशाना साधते हुए प्रचार करते हैं कि हिंदू एक दिन हिंदुस्तान में खत्म हो जाएंगे.

प्रशासक समिति के यूट्यूब चैनल पर लव जिहाद, थूक जिहाद के अलावा ऐसे और भी बहुत से वीडियो हैं जो मुसलमान और ईसाईयों के खिलाफ बिना किसी सबूत के झूठी खबरों के सहारे नफरत फैलाते नजर आते हैं.

प्रशासक समिति का फेसबुक अकाउंट हो या इंस्टाग्राम अकाउंट आपको वहां सिर्फ मजहबी उन्माद को बढ़ावा देती बेबुनियाद कहानिया नज़र आएंगी.

कौन है प्रशासक समिति के प्रशासक

न्यूज़लॉन्ड्री ने अपनी पड़ताल में पाया कि प्रशासक समिति को चलाने में मुंबई के रहने वाले 35 साल के मनीष भारद्वाज अहम भूमिका निभाते हैं. वह प्रशासक समिति के मुख्य व्यवस्थापक सभी हैं.

न्यूज़लॉन्ड्री ने जब उनसे प्रशासक समिति के बारे में बात की तो वह कहते हैं, "प्रशासक समिति की शुरुआत 6-7 साल पहले हुई थी. शुरुआत में हमारे कुछ 4-5 साथी सत्यनारायण सोनी जो कि बजरंग दल के थे, कमल गोस्वामी, प्रवीण तिवारी, कोमल राज गोचर आदि ने मिलकर इसे शुरू किया था. उन लोगों की मुलाकात भी सोशल मीडिया पर ही हुई थी. सबसे पहले उन्होंने प्रशासक समिति की शुरुआत व्हाट्सएप ग्रुप से की थी और 100 व्हाट्सएप ग्रुप तैयार किए थे जिनका नाम अखंड भारत संकल्प था. धीरे-धीरे टीम बढ़ती चली गई. फिर व्हाट्सएप के साथ हम ट्विटर पर भी आए. आज की तारीख में हमारे 2500 व्हाट्सएप ग्रुप हैं, ट्विटर हैंडल हैं, दो फेसबुक पेज हैं और एक फेसबुक अकाउंट है, हम इंस्टाग्राम पर भी हैं, हमारे टेलीग्राम पर ग्रुप्स हैं, कू एप पर भी हमारा अकाउंट है. प्रशासक समिति में अभी इतने लोग हैं कि कोई गिनती ही नहीं है.”

भारद्वाज से जब हमने पूछा कि उनका मकसद क्या है, तो वह कहते हैं, "हमारा मकसद है कि हम सनातनी हिंदुओं को धर्म के प्रति जागरूक कर सकें, सनातनी हिंदुओं में बौद्ध, जैन, सिख सब आते हैं. मुस्लिमों को हम नहीं लेते हैं अपने संगठन में, जो सनातन से द्वेष करता है वह हमारा नहीं है और आप जानते हैं कि वो कौन है. मुस्लिम और ईसाई अपने धर्म को समझते हैं, लेकिन हिंदू धर्म से दूर हो चुके हैं और हम उन्हें धर्म के प्रति जागरूक करते हैं. दंगा फसाद करने के लिए, सड़कों पर आना और लोगों को उकसाना हमारा उद्देश्य नहीं है. लेकिन आत्मरक्षा करने के लिए उन्हें जागृत करना है, हम उन्हें बताते हैं कि समाज में क्या हो रहा है और उन्हें अपने आप को बचाने के लिए किस तरह की तैयारी करनी है. हम अभी जमीनी स्तर पर कुछ नहीं कर पा रहे हैं लेकिन उन्हें वैचारिक रूप से जागरूक कर रहे हैं. हम उन्हें कहते हैं कि समिति तो वैचारिक रूप से जागरूक कर रही है लेकिन जमीनी स्तर पर भी उन्हें आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल या अन्य किसी हिंदू संगठन से जुड़ना होगा, जो कि अनिवार्य है."

राजनैतिक पार्टियों को समर्थन देने के बारे में वो कहते हैं, "हम हिंदुत्व के लिए काम करते हैं और राजनैतिक पार्टियों में हम सिर्फ भाजपा का समर्थन करते हैं. भाजपा ने कभी हिंदुत्व के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया. भाजपा के भी कई लोग हमसे जुड़े हैं. अगर आज कर्नाटक में भाजपा की जगह कांग्रेस की सरकार होती तो शायद वह हिंदू लड़कियों के लिए भी हिजाब अनिवार्य कर देते."

ट्विटर ट्रेंड के बारे में जब उनसे पूछा गया तो वह बताते हैं, "ट्विटर पर हैशटैग ट्रेंड करने की हमारी पूरी टीम है. हमारे तकरीबन 800-900 संचालक हैं जो कि ट्रेंड करने के लिए ट्वीट करना शुरू करते है. इन संचालको में तकरीबन 40% संचालक जमीन स्तर पर हिंदू संगठनों से जुड़े हैं तो उन संगठनों के लोग भी ट्रेंड करने में मदद करते हैं. इसके अलावा भी आम लोगों की भी हमने टीम बनाई है, जिन्हें हम समझाते हैं और वो ट्विटर पर हमारी मदद करते हैं. ट्रेंड के विषय को हमारी 5-7 लोगों की कोर टीम तय करती है. क्रिसमस और वैलेंटाइन डे पर हम तुलसी पूजन और मातृ पितृ पूजन दिवस का ट्रेंड चलाते हैं. इसके अलावा जो मौजूदा मुद्दे होते है उन पर भी हम ट्रेंड करते हैं.”

वह आगे कहते हैं, "इस वक्त हमारे लिए सबसे जरूरी है योगी जी को जीतना और वो क्यों जरूरी है वो आपको बताने की आवश्यकता है मुझे नहीं लगता है. उनके राज में उत्तरप्रदेश सुरक्षित है, उनके राज में बहुत बदलाव हुए हैं . उनका जीतना हमारा मुख्य मुद्दा है तो पिछले 4-5 बार से हमने उनके समर्थन में ट्रेंड चलाया है जबकि हम राजनैतिक ट्रेंड नहीं चलाते हैं. लेकिन हमारे संचालकों ने हमसे कहा कि हमें योगी जी का ट्रेंड चलाना बहुत जरूरी है और हमें इस वक्त ट्रेंड चलाना ही चाहिए."

भरद्वाज से जब हमने प्रशासक समिति के सोशल मीडिया नेटवर्क पर मुस्लिम विरोधी पोस्ट के बारे में जब हमने पूछा तो वह कहते हैं, “देखिए समिति के पोस्ट इस तरह के नहीं होते हैं और हमारे बहुत से व्हाट्सएप ग्रुप हैं तो हर जगह तो मैं नहीं देख पाता हूं. समिति के पोस्ट बिलकुल असली होते हैं जैसे कि हाल फिलहाल में इंडोनेशिया के एक मुस्लिम टीचर ने 13 बच्चियों को गर्भवती कर दिया था, तो उसने हमें पोस्ट किया था. लोगों को बताना जरूरी है कि जिसको बचपन से 72 हूरों का ज्ञान दिया हो तो उसकी मानसिकता कैसे होती है. मुस्लिम में भी जन्म से यह मानसिकता नहीं होती है लेकिन जब वह मदरसा जाता है तो उसके दिमाग में विस्फोट किया जाता है और फिर वो 72 हूरों की तरफ जाता है, जिहाद की तरफ जाता है ,काफिरों की तरफ जाता है और आतंकवाद की तरफ जाता है. हमारा विरोध उनसे नहीं है लेकिन विचारधारा से है, हम यह नहीं कह सकते हैं कि उनमे से किसी की विचारधारा अलग होगी, होगी भी तो हम कैसे पता करेंगे नहीं पता, इसलिए उनका पूर्ण बहिष्कार करना होता है."

भारद्वाज का मानना है कि देश में यूपीएससी जिहाद, लव जिहाद, थूक जिहाद चल रहा है और हीरोइन, मॉडल वगैरह भी लव जिहाद से नहीं बच पाती हैं. वह कहते हैं, "हम इन लोगो की इन हरकतों के बारे में हिंदुओं को बताते है, हमारा असली उद्देश्य है इस देश को हिंदू राष्ट्र बनाना."

प्रशासक समिति की कोर कमिटी के अन्य सदस्य 30 वर्षीय डॉ सलिल गुप्ता, जो समिति के टेलीग्राम और इंस्टाग्राम की जिम्मेदारी देखते हैं. कहते हैं, "मैं पहले बीजेपी साइबर आर्मी नाम से 20 ट्विटर ट्रेंडिंग ग्रुप चलाता था. मैं नरेंद्र मोदी नाम से पेज भी चलाता था और मैं भाजपा और उनका सपोर्टर हूं. 2018 में मैं प्रशासक समिति से जुड़ गया था और मैंने शुरुआत पांच ग्रुप संभालने से की थी और धीरे-धीरे मेरी जिम्मेदारी बढ़ती चली गई. प्रशासक समिति राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करता है और धर्म पर ज्यादा केंद्रित है लेकिन यह बात भी समझनी होगी की देश और धर्म के लिए सिर्फ भाजपा और आरएसएस ही काम करते हैं.”

प्रशासक समिति के टेलीग्राम हैंडल और कपिल मिश्रा के हिंदू इकोसिस्टम के बारे में बताते हुए वो आगे कहते हैं, "2018 में मैंने टेलीग्राम ग्रुप बनाया था, शुरुआत 100 सदस्यों से की थी और आज की तारीख में लगभग 50 हजार सदस्य हैं. फिर 2019 में हमने समिति का टेलीग्राम चैनल भी शुरू कर दिया था. हमारे टेलीग्राम ग्रुप में एक मित्र जुड़े थे, चंदन जी जिन्होंने मुझे टेलीग्राम बॉट्स से मेरा परिचय करवाया था. हमारी ट्विटर ट्रेंडिंग की वजह से आरएसएस और भाजपा वाले भी हमसे संपर्क करते हैं. कपिल मिश्रा ने संघ के ही जरिए हमसे संपर्क किया था. कपिल जी हमारे टेलीग्राम ग्रुप में भी थे. उसके बाद कपिल जी की मुझसे बात हुई थी, उन्होंने हमसे हिंदू इकोसिस्टम ग्रुप को बनाने में मदद मांगी थी. हमने उनको अपने बोट्स के जरिए हिंदू इकोसिस्टम बना के दिया था और मैं अभी भी उस ग्रुप की सिक्योरिटी का जिम्मा हमारे पास है."

भोपाल में रहने वाले गुप्ता से जब पूछा कि मुसलमान उनके ग्रुप में क्यों नहीं हैं. वो कहते हैं, "हमें मुसलामानों से कोई नफरत नहीं है लेकिन जो कुरान की तालीम है उसकी वजह से वह जिहाद करते हैं, हमारा कत्लेआम करते हैं., धर्मनिरपेक्ष देश में स्कूल में हिजाब पहन कर क्यों जाना है, कर्नाटक में हिजाब पहनने पर उस लड़की को तो किसी हिंदू ने हाथ नहीं लगाया, मीडिया ने उसको शेरनी बना दिया. जब फेसबुक पोस्ट के लिए हर्ष नाम के एक हिंदू लड़के का मुसलमानों ने कत्ल कर दिया तो उसके बारे में तो किसी ने कोई बात नहीं की. कट्टरपंथ के हम विरोध में हैं और दुनिया का हर आतंवादी संगठन इस्लामिक ही मिलेगा. हम बस अपने धर्म के लोगों को जागरूक करना चाहते हैं जिससे वह उनकी आत्मरक्षा कर सकें. हम किसी को मारने की बात नहीं करते हैं लेकिन हम बस इतना कहते है कि उनका बहिष्कार करना चाहिए."

गौरतलब है कि टेलीग्राम ग्रुप में गुप्ता की कई ऑडियो क्लिप्स हैं जिसमें वो मुसलमनों को आपत्तिजनक तरीके से बोलते नजर आते हैं.

गौरतलब है प्रशासक समिति में काम करने वाले सदस्यों को समिति में जुड़ने से पहले एक इंटरव्यू भी होता है. इस बारे में गुना (मध्य प्रदेश) के रहने वाले प्रशासक समिति के 20 साल के सदस्य अजय रजक बताते हैं, "प्रशासक समिति के पोस्ट्स व्हाट्सअप पर बहुत वायरल होते हैं. तो ऐसे ही एक व्हाट्सएप ग्रुप में मुझे प्रशासक समिति की पोस्ट दिखी, मुझे वो पोस्ट अच्छी लगी थी और उसमे समिति में प्रवेश करने की लिंक भी थी. मैंने उस लिंक पर क्लिक किया था उसके बाद वो जांच करते है कि व्यक्ति सही है की नहीं. उसके बाद इंटरव्यू भी लेते हैं, मुझसे पूछा था कि मैं आरएसएस, बजरंग दल जैसे किसी हिंदू संगठन के लिए काम करता हूं क्या, या मैं धार्मिक कार्य में आगे रहता हूं कि नहीं. ट्विटर हैंडल, फेसबुक वगैरह भी चेक करते हैं कि व्यक्ति कोई जिहादी, वामपंथी या सेक्युलर (धर्मनिरपेक्ष) तो नहीं है.

वह आगे कहते हैं, "मैं एक साल पहले समिति से पंच संचालक बन कर जुड़ा था और पांच व्हाट्सएप ग्रुप का एडमिन था. डेढ़ महीने बाद में प्रसारण मंत्री बन गया था और मेरा काम था 10 ग्रुप्स में मुख्य व्यवस्थापक के द्वारा भेजे हुए मैसेजिस को भेजना. फिर उसके बाद मुझे सह संचालक का दायित्व मिला और 20 ग्रुप की जिम्मेदारी मेरी थी. मेरा काम यह था कि सभी व्हाट्सएप समूहों में काम ठीक से हो रहा है कि नही. अब मैं व्यवस्थापक हूं और 100 समूहों का काम देखता हूं. हर महीने हम सदस्यता अभियान भी चलाते हैं.”

प्रशासक समिति से भाजपा आईटी सेल के नेता भी जुड़े हैं. इंदौर के भाजपा आईटी सेल के प्रभारी प्रदीप माहौर अक्सर प्रशासक समिति के कार्यक्रमों में भाग लेते हैं. उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पीयूष गोयल और ओम बिरला जैसे भाजपा के दिग्गज नेता फॉलो करते हैं.

प्रशासक समिति के सदस्य कहते हैं कि वो अभी तक सिर्फ सोशल मीडिया पर हैं और जल्द जमीनी स्तर पर संगठन बना कर काम करेंगे. जरा सोच के देखिए कि ऑनलाइन होने वाली यह नफरत जब ऑफलाइन फैलेगी तो क्या होगा.

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