Assembly Elections 2022
अयोध्या का बदलता चेहरा और 2024 की तैयारी
अयोध्या में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की रैली में जय श्री राम के नारों के साथ “आएंगे तो योगी जी” और “आएगी बीजेपी ही” लाउडस्पीकरों से गूंज रहा है. नड्डा भी अपने भाषण की शुरुआत “सांस्कृतिक राष्ट्रवाद” और राम मंदिर के प्रति समर्पण से करते हैं.
नड्डा मंच से कहते हैं, “राम जन्म भूमि हमारा लक्ष्य था. सांस्कृतिक राष्ट्रवाद हमारा लक्ष्य था…. और इसका रूप राम जन्मभूमि में निहित था. आज बहुत सारे लोग वोट मांगने आएंगे. प्रजातंत्र है सबको वोट मांगने का अधिकार है. लेकिन जब ये लोग (विपक्षी पार्टियां) वोट मांगने आएं तो आप इनसे जरूर पूछना कि आप ही थे ना, आप ही की सरकार थी ना जिन्होंने राम भक्तों पर गोलियां चलाईं थी.”
अयोध्या का बदलता चेहरा
एक जमाने में अयोध्या कम्युनिस्टों का गढ़ रहा. 1989 में राम मंदिर आंदोलन के उफान में भी सीपीआई के मित्रसेन यादव ने यहां से लोकसभा चुनाव जीता. लेकिन फिर यहां का राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह बदल गया. कट्टर हिंदुत्व का चेहरा माने जाने वाले बीजेपी के विनय कटियार तीन बार सांसद चुने गए. 2014 और 2019 में लोकसभा का चुनाव बीजेपी के लल्लू सिंह जीते. समाजवादी पार्टी के पवन पांडे ने 2012 का विधानसभा चुनाव जीता लेकिन 2017 में वह वेद प्रकाश गुप्ता से हार गए. इस बार एक बार फिर से पवन पांडे और वेद प्रकाश गुप्ता के बीच टक्कर बताई जा रही है.
लेकिन सवाल अयोध्या के बदलते राजनीतिक परिदृश्य तक सीमित नहीं है. राम मंदिर के निर्माण के साथ पूरे शहर का कलेवर बदल रहा है. फैजाबाद जिले की पहचान अयोध्या ने ढक दी है. अयोध्या में विशाल रेलवे स्टेशन का निर्माण पूरा हो रहा है और फैजाबाद रेलवे स्टेशन का नाम बदल कर अयोध्या कैंट कर दिया गया है. अयोध्या में एक अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने की भी तैयारी है. हालांकि सभी योजनाएं अभी जमीन पर साकार नहीं हुई हैं.
पत्रकार वीएन दास कहते हैं राम मंदिर और अयोध्या की पहचान “2024 के प्रोजेक्ट” का हिस्सा है और यह मुद्दा अगले लोकसभा चुनाव में और अधिक प्रभावी दिखाने की कोशिश होगी.
दास के मुताबिक, “ योगी आदित्यनाथ खुद यहां अपने कार्यकाल में 30-40 दफा दौरा कर चुके हैं और हर बार जब आते थे तो कोई न कोई बड़ी घोषणा करते थे. इसका मतलब अयोध्या को डेवलप करने का एक प्लान है लेकिन जमीन पर कितनी योजनाएं आई हैं ये एक अलग इश्यू है. बहुत सी अभी पाइपलाइन में हैं. लेकिन यह स्पष्ट है कि अयोध्या में बहुत राजनीतिक ईंधन है और आगे भी रहेगा.”
अंतरराष्ट्रीय पहचान के लिए कोरिया से रिश्ता
अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्देश्य दुनिया भर के हिंदुओं को सीधे राम नगरी तक लाना ही नहीं है बल्कि इसे एक वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है. इसी उद्देश्य से अयोध्या की राजकुमारी सुरीरत्ना जो बाद में कोरिया की रानी बनी और उन्हें ‘रानी हो’ के नाम से जाना जाता है– के नाम पर बने कोरियाई स्मारक स्थल को एक विस्तृत पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है.
इसका उद्देश्य भारत-कोरिया संबंधों को महत्व देकर शहर में विदेशी पर्यटन को बढ़ाना है. इस सब के चलते अयोध्या में प्रॉपर्टी और जमीन की कीमतें बहुत तेजी से बढ़ी हैं. दास बताते हैं, “जो जमीन 500 रुपए प्रति वर्ग फुट थी वह अब 8000 से 10000 रुपए के रेट में बिक रही है. असल में कीमतों में यह उछाल अयोध्या के बढ़ते महत्व के कारण है. जो अयोध्या पहले तहसील दर्जा भी नहीं था वह अब कमिश्नरी हेडक्वार्टर है.”
समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार पवन पांडे कहते हैं अयोध्या सिर्फ अखबारों और टीवी चैनलों में सुंदर दिखती है क्योंकि बीजेपी मीडिया संस्थानों को नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी के सरकारी विज्ञापन दे रही है. पांडे आरोप लगाते हैं कि अफसरों और नेताओं के बीच राम के नाम पर अयोध्या में “जमीन की बंदरबांट” हुई है.
न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में पांडे ने कहा, “भारतीय जनता पार्टी ने लोगों को प्रभु राम के नाम पर ठगा है. अयोध्या के नाम पर वोट मांगा जाता है और प्रभु राम की जनता का उत्पीड़न हो रहा है. अगर विकास के नाम पर किसी के घर या दुकान पर बुलडोजर चल रहा है तो उसे पर्याप्त मुआवजा मिलना चाहिए.”
बेरोजगारी और मंदी के सवाल बरकरार
चुनावी नारों के बीच अयोध्या में बेरोजगारी, महंगी शिक्षा और बाजार में मंदी जैसे सवालों को अनदेखा नहीं किया जा सकता. अयोध्या के बाजार में आनंद मलकानी कहते हैं कि जमीन की कीमतें तो बहुत बढ़ी हैं लेकिन व्यापारियों का कारोबार ठप्प पड़ा है.
वह कहते हैं, “मार्केट बहुत डाउन है. मार्केट से ही तो पहचान बनती है. राम मंदिर जरूरी था जरूरी है और जरूरी रहेगा लेकिन हमारी भी तो सोचिए. छोटा व्यापारी कहां जाएगा मेरे भाई.”
मलकानी से करोड़ों रुपए की लागत से बन रहे मंदिर पर सवाल करने पर वह जवाब देते हैं ट्रस्ट का पैसा व्यापारियों के काम का नहीं है.
मलकानी के मुताबिक मंदिर ट्रस्ट बना रही है और सारा पैसा ट्रस्ट के पास है अगर ट्रस्ट चाहे तो व्यापारियों की मदद कर सकता है लेकिन ये नहीं हो रहा.
उधर सरयू तट पर राम की पैड़ी पर काफी चहल पहल है. आरती और सरयू का प्रवाह पहले से अधिक नियमित है लेकिन बीजेपी से जुड़े व्यापारी मोहन गुप्ता कोरोना की दूसरी लहर में यहां बिछी लाशों को नहीं भूल पाते. वो राम मंदिर के साथ-साथ स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग कर रहे हैं.
गुप्ता कहते हैं, “स्वास्थ्य सुविधाओं का सबसे अधिक अभाव है. हमारा इसी पर फोकस होना चाहिए. स्वास्थ्य सबसे पहले जरूरी है. ये जरूरी है. मंदिर आस्था का विषय है. इसे आप अलग कर दीजिए क्योंकि अगर हम स्वस्थ रहेंगे तो राम मंदिर का निर्माण भी कर लेंगे.”
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