Khabar Baazi
एडिटर्स गिल्ड ने सुप्रीम कोर्ट कमेटी से पेगासस पर न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट का संज्ञान लेने के लिए किया आग्रह
देश में संपादकों की सर्वोच्च संस्था एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पेगासस मामले की जांच के लिए बनी कमेटी से न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट का संज्ञान लेने की मांग की है.
गिल्ड ने अक्टूबर महीने में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पेगासस मामले की जांच के लिए बनाई गई सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आरवी रवींद्रन कमेटी को पत्र लिखा है. गिल्ड ने बयान में कहा, न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा किए गए दावे भारत सरकार के अब तक के रुख से एकदम उलट हैं. कमेटी को ये देखना चाहिए कि क्या स्पाइवेयर का इस्तेमाल भारतीय नागरिकों के खिलाफ किया गया.
पत्र में आगे कहा गया है कि, उच्चतम न्यायालय ने समिति का गठन करते समय विशेष रूप से यह जांच करने को कहा था कि क्या स्पाइवेयर को केंद्र या किसी राज्य सरकार अथवा किसी केंद्रीय या राज्य एजेंसी द्वारा नागरिकों के खिलाफ उपयोग के लिए खरीदा गया था. गिल्ड ने पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल की कार्यवाही को जनता के लिए खुला रखने का भी अनुरोध किया है.
गिल्ड ने कमेटी के अलावा भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों को भी पत्र भेजकर उनका जवाब मांगा है.
अमर उजाला की खबर के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जांच समिति ने 2 जनवरी को समाचार पत्र में एक विज्ञापन भी प्रकाशित किया है जिसमें उन लोगों द्वारा फोन जमा करने की अपील की गई, जो दावा करते हैं कि उनके फोन की पेगासस से जासूसी हुई.
क्या कहती है रिपोर्ट
अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने शुक्रवार को पेगासस स्पाइवेयर को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी. इस रिपोर्ट में कहा गया कि भारत सरकार ने इज़रायल से पेगासस खरीदा था.
इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने पेगासस को एक रक्षा सौदे के तहत साल 2017 में इज़राइल से खरीदा था. मिसाइल प्रणाली के लिए हुए दो अरब डॉलर के पैकेज में यह स्पाइवेयर भी शामिल था.
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद कांग्रेस समेत विपक्ष भाजपा सरकार पर हमलावर हो गया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा तो वहीं अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में "पेगासस मुद्दे पर सदन को जानबूझकर गुमराह करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के खिलाफ संसद में एक विशेषाधिकार प्रस्ताव" शुरू करने के लिए लोकसभा स्पीकर को पत्र भी लिखा है.
क्या है पेगासस मामला
जुलाई 2021 में 'वॉशिंगटन पोस्ट' और भारत में समाचार वेबसाइट 'द वायर' ने एक खबर में दावा किया था कि दुनिया भर के कई पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के फोन हैक किए गए.
'द वायर' के अनुसार कंपनी के क्लाइंट्स की जिन लोगों में दिलचस्पी थी, उनसे जुड़े 50,000 नंबरों का एक डेटाबेस लीक हुआ है और उसमें 300 से ज्यादा नंबर भारतीय लोगों के हैं.
इन लोगों में भारत के राजनेताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का नाम भी शामिल है जिन्हें जासूसी की सूची में रखा गया था. हालांकि, ये साफ नहीं था कि इन लोगों पर जासूसी की गई है या नहीं.
पेगासस को इज़राइल की साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ने तैयार किया है. बांग्लादेश समेत कई देशों ने पेगासस स्पाइवेयर खरीदा है. इसे लेकर पहले भी विवाद हुए हैं.
Also Read
-
Rajiv Pratap Rudy on PM’s claims on ‘infiltrators’, ‘vote-chori’, Nishikant Dubey’s ‘arrogance’
-
Can you really afford a house in India?
-
TV Newsance 313: What happened to India’s No. 1 China hater?
-
India’s health systems need to prepare better for rising climate risks
-
Unchecked hate speech: From Kerala's right wing X Spaces to YouTube’s Hindutva pop