Report
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: किसानों को नहीं हुआ है 3,300 करोड़ रुपए का भुगतान
फसल बीमा कंपनियों पर किसानों का लगभग 3,300 करोड़ रुपए बकाया है. यह बकाया 2018-19 से लेकर अब तक का है. इसकी वजह राज्यों से मिलने वाली सब्सिडी में देरी और भुगतान में विफलता बताया जा रहा है.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत पिछले तीन वर्षों में किसानों ने 66,460 करोड़ रुपए का दावा किया, जिसमें से 25 नवंबर, 2021 तक 3,372.72 करोड़ रुपए की राशि बकाया है.
30 नवंबर 2021 को केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि कुल बकाया में से 1,087.35 करोड़ रुपए वित्त वर्ष 2020-2021 के लिए हैं.
बीमा के दावों का भुगतान न करने के पीछे का कारण भुगतान में विफलता (पेमेंट फेल) को बताया जा रहा है. जो दावे स्वीकार कर लिए जाते हैं, उनको सीधे किसानों के बैंक खाते या आधार सक्षम भुगतान प्रणाली के तहत इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्थानांतरित कर दिया जाता है. लोकसभा में दिए गए उत्तर में कहा गया है: पेमेंट फेल होने के कई कारण हैं, जैसे- बैंक खातों में नाम का मिलान न होना, आईएफएससी कोड या खाता संख्या में गड़बड़ी, निष्क्रिय बैंक खाता या बीमित किसान की मौत आदि.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को 2016 में लॉन्च किया गया था. इसके तहत मौसम की घटनाओं, कीटों के हमलों या आग के कारण फसल के नुकसान होने पर मुआवजा देने का प्रावधान है. सरकार जिला स्तर पर बोली के माध्यम से बीमा कंपनियों को चुनती है. बीमा कंपनी भविष्य में होने वाले नुकसान के अपेक्षित मूल्य के अनुमान के आधार पर प्रीमियम वसूल करती हैं. किसानों द्वारा खरीफ फसलों के लिए बीमा राशि का दो फीसदी, रबी और तिलहन फसलों के लिए 1.5 फीसदी और वाणिज्यिक/बागवानी फसलों के लिए पांच फीसदी का एक निश्चित भुगतान किया जाता है.
शेष राशि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा 50:50 के आधार पर और पूर्वोत्तर राज्यों के मामले में 90:10 के आधार पर साझा किया जाता है. जवाब के अनुसार, झारखंड, कर्नाटक, तेलंगाना और महाराष्ट्र के किसानों के पास बीमा दावों के तहत सबसे अधिक राशि लंबित है. दिलचस्प बात यह है कि सरकार द्वारा दिए गए जवाब के मुताबिक साल 2020-21 में किसानों के दावों में काफी गिरावट आई है. इससे यह बात साफ होती है कि इस साल बारिश के कारण फसल का नुकसान बढ़ने के बावजूद इस योजना का लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है.
2019-20 में जहां किसानों ने 27,394 करोड़ रुपए के नुकसान का दावा किया, वहीं 2020-21 में यह राशि घट कर 9,725.24 करोड़ रुपए (प्रोविजनल) हो गई. पीएमएफबीवाई के तहत स्वीकार्य दावों का भुगतान आमतौर पर संबंधित बीमा कंपनियों द्वारा 'फसल काटने के प्रयोग'/कटाई अवधि के पूरा होने के दो महीने के भीतर किया जाता है.
अपने जवाब में सरकार ने कहा, "हालांकि कुछ राज्यों में दावे के निपटारे में देरी की वजह से उपज के आंकड़ों के हस्तांतरण में देरी, प्रीमियम सब्सिडी में उनके हिस्से को देर से जारी करना, बीमा कंपनियों और राज्यों के बीच उपज संबंधी विवाद भी है, लेकिन एक प्रमुख कारण राज्यों में सब्सिडी का बकाया होना है.
कृषि मंत्री ने कहा कि कुछ राज्यों ने प्रीमियम सब्सिडी का अपना हिस्सा जारी नहीं किया है. भारी वित्तीय बोझ का हवाला देते हुए कई राज्य पिछले कुछ वर्षों में प्रीमियम के अपने हिस्से का भुगतान करने में नियमित नहीं रहे हैं. एक अलग प्रश्न के जवाब में सरकार ने कहा है कि फसल बीमा भुगतान में राज्यों की सब्सिडी का लगभग 4,744 करोड़ रुपए बकाया है, जो कुल लंबित दावों की राशि से अधिक है. अपने जवाब में सरकार ने आंकड़ों के इस बेमेल की व्याख्या नहीं की है.
(साभार- डाउन टू अर्थ)
Also Read
-
TV Newsance 305: Sudhir wants unity, Anjana talks jobs – what’s going on in Godi land?
-
India’s real war with Pak is about an idea. It can’t let trolls drive the narrative
-
How Faisal Malik became Panchayat’s Prahlad Cha
-
Explained: Did Maharashtra’s voter additions trigger ECI checks?
-
‘Oruvanukku Oruthi’: Why this discourse around Rithanya's suicide must be called out