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क्या है दिल्ली के रघुबीर नगर में हुई हत्या का सच

दिल्ली के रघुबीर नगर के साढ़े बारह गज इलाके में कई मीट और किराने की दुकानें हैं. बची कुछ जगह पर मीट की दुकानों के बाहर सब्जी मंडी लगती है. सड़क पर आधी रात तक हलचल बनी रहती है. यहां महिलाएं, पुरुष और बच्चे देर रात तक सभी सड़क पर घूमते रहते हैं.

इस सड़क पर बीच-बीच में पतली संकरी गलियां बनी हुई हैं, जहां लोग रहते हैं. ऐसी ही एक गली के बाहर 30 नवंबर यानी बीते मंगलवार को बादल उर्फ डबलू सिंह चौहान की चाकू मारकर हत्या कर दी. उस समय रात के करीब 9:30 बज रहे थे. मृतक युवक के पिता का कहना है कि उनके बेटे को सड़क पर हलचल और शोरगुल के बीच नौ लड़कों के एक समूह ने जान से मार दिया.

इस पूरे मामले में अब तक चार लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. पुलिस का कहना है कि आपसी दुश्मनी को लेकर बादल की हत्या कर दी गई. मृतक के परिवार ने आरोप लगाया है कि बादल किसी मुस्लिम लड़की को प्यार करता था. लड़की का परिवार चाहता था कि शादी से पहले बादल, हिंदू धर्म को छोड़कर इस्लाम अपना ले. वहीं घटना के बाद से ही तमाम हिन्दू संगठन भी मृतक परिवार के लिए इंसाफ मांगते हुए आगे आए हैं. भाजपा नेता प्रवेश वर्मा भी परिवार के घर संवेदना जताने पहुंचे.

न्यूज़लॉन्ड्री ने चश्मदीदों, रिश्तेदारों और स्थानीय लोगों से मामले की हकीकत को समझने का प्रयास किया है. सबकी अपनी अलग कहानियां हैं.

क्या कहता है मृतक का परिवार

26 वर्षीय बादल का परिवार 25 साल पहले उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से दिल्ली आया था, तब से परिवार किराए के एक छोटे से घर में रहता है. उसके पिता और बड़ा भाई सब्जी की रेड़ी लगाते हैं व मां 50 वर्षीय शुभावती चौहान घरों में झाड़ू-पोंछा करती हैं.

बादल का घर

घर में स्थाई आमदनी कमाने वाला अकेला बादल ही था. वह चिकन की दुकान पर काम किया करता था, जिसके लिए उसे 18 हजार रुपए मिलते थे. पिता दिन में 200-300 रुपए ही कमा पाते हैं. अपने बेटे के यूं मर जाने से परिवार दुख में है क्योंकि लगभग पूरा परिवार बादल के भरोसे ही चल पाता था.

बादल के पिता चंद्रेश चौहान

बादल के पिता 53 वर्षीय चंद्रेश चौहान कहते हैं, "हमारे घर में सबसे पढ़ा-लिखा बादल ही था. वही सबसे अधिक कमाता था. वही घर चलाता था. उसमें कोई बुरी आदत भी नहीं थी. न शराब पीता था, न सिगरेट को हाथ लगाता था. घर का किराया, पानी और बिजली का बिल सब मिलाकर 8 हजार रुपए आता है. उसे वही भरता था. अब वो नहीं है तो हमारे लिए जीना मुश्किल हो जाएगा."

26 वर्षीय बादल का घर रघुबीर नगर के 25 गज इलाके में है. उसके घर से दस मिनट की दूरी पर 20 वर्षीय लाडला उर्फ फरहान का घर है. फरहान की एक छोटी बहन गुड्डी (बदला हुआ नाम) है. बादल और गुड्डी एक दूसरे से प्यार करते थे और दोनों शादी भी करना चाहते थे. बादल और फरहान के करीबी दोस्त बताते हैं कि बादल साढ़े बारह गज इलाके में बनी एक चिकन की दुकान पर काम किया करता था. 2019 से बादल और गुड्डी एक दूसरे से मिला करते थे. हालांकि बादल ने यह बात किसी को पता नहीं लगने दी.

अचानक ऐसा क्या हुआ की लाडला ने अपने मामा 24 वर्षीय शाह आलम के साथ मिलकर बादल को मारने का फैसला कर लिया?

यह पूछने पर बादल के पिता छह महीने पहले की बात याद करते हैं. वे कहते हैं, "बादल अपने जीवन से जुड़ी कोई भी बात किसी को नहीं बताता था. वह उसे अपने तक ही रखता था. वह किसी को प्यार करता है यह बात हमारे परिवार में किसी को नहीं पता थी. मैं उसका पिता हूं. वो मुझसे डरता भी था लेकिन लड़की के घर वालों को बादल के बारे में पता चल गया था."

वह आगे बताते हैं, "जुलाई का महीना था. बादल को ईद के दिन लड़की के घर बुलाया गया और भैंस का मांस खाने को कहा. मेरे लड़के ने मना कर दिया होगा. उन्होंने उसके आगे शर्त रखी कि हम तुझे दो लाख रुपए देंगे, तू मुस्लिम धर्म अपना ले. हम तेरी शादी अपनी बेटी के साथ धूमधाम से करवा देंगे. बादल ने मना कर दिया कि वह धर्म नहीं बदलेगा."

चंद्रेश कहते हैं कि ईद के करीब तीन या चार दिन बाद लड़की का परिवार उसकी मां, मामा, मौसी और भाई उनके घर उनसे मिलाने आए. उन्होंने बताया कि आपका लड़का हमारी लड़की को छेड़ता है. उसे समझा लीजिए आगे से ऐसा ना करे. उन्होंने उसी समय धमकी दे दी थी कि आप अपने बेटे को संभाल लीजिए वरना हम उसको जान से मार देंगे. ये सब सुनकर चंद्रेश परेशान हो गए क्योंकि बादल ने ऐसी कोई भी बात कभी उन्हें नहीं बताई थी.

"मुझे पहली बार गुड्डी और बादल के रिश्ते के बारे में उस दिन पता चला. मैंने बादल को समझाया भी था. ये सब लोग एक दूसरे के दोस्त यार ही थे. सब साथ ही चिकन का काम किया करते थे. मामला बिगड़ा है लड़की के चक्कर से. जब बादल ने धर्म बदलने से इंकार कर दिया तब मुझे खबर मिली कि ऐसा कुछ भी चल रहा है." उन्होंने कहा.

चंद्रेश कहते हैं, "उस रात जब बादल घर पर आया तब मैंने बताया कि लड़की के घर वाले घर आए थे. वह परेशान था क्योंकि उसे अपने मसले खुद हल करने की आदत थी. उसे दिक्कत थी कि वे लोग घर क्यों आए. मैंने उसे समझा दिया और तब उसने मुझे बताया कि वो किसी लड़की को चाहता है लेकिन वह अपना धर्म परिवर्तन नहीं करना चाहता. उसी के अगले दिन लड़की का परिवार गांव चला गया. वे बंगाल की तरफ के रहने वाले हैं.".

उनके पिता यह भी बताते हैं कि लड़की के गांव चले जाने के कारण बादल भी अपने जीवन में व्यस्त हो गया था. इसलिए बीते चार महीने में बादल और लाडला के बीच कोई लड़ाई भी नहीं हुई थी.

फिर अचानक क्या हुआ? यह पूछे जाने पर चंद्रेश बताते हैं, "उस दिन (30 नवंबर) को मंगलवार था. उस दिन बादल की छुट्टी होती है. पता नहीं उसे क्या काम आ गया वह दोपहर 3 बजे दोस्तों से मिलने के लिए घर से निकला था. शाम सात बजे घर आया. उस समय उसकी मां भी घर पर मौजूद थी. वह ख्याला जा रहा था."

बादल की माता शुभावती चौहान की आंखें आंसुओं से भरी थीं. वे अपने बेटे को खोने का दुख नहीं सह पा रहीं हैं. वह बताती हैं, "आखिरी बार जब वो शाम को घर से निकला तो जैकेट पहनकर जा रहा था. उसने मुझसे पुछा भी, मां कैसा लग रहा हूं."

बीच में कैप लगाए अरुण

घटना के समय 27 वर्षीय अरुण, बादल के साथ थे. उन्होंने बताया, "हम मद्रासी कॉलोनी में किसी को रुपए देकर वापस लौट रहे थे. बादल और हम दोस्त आगे पीछे हो गए थे क्योंकि बादल किसी से कॉल पर बात करने लग गया था. इतने में लाडला आया और इनकी धक्का-मुक्की हो गई, तब लोगों ने दोनों को अलग कर दिया था. हमें नहीं पता था कि लाडला चाकू लेने गया है. मैं गली में था, जैसे ही मैंने आवाज सुनी तो मैंने देखा लाडला के मामा शाह आलम के पूरे परिवार ने बादल को पकड़ रखा है. शाह आलम, राजा और चांद ने बादल के हाथ पकड़ रखे थे. इतने में लाडला ने बदल की गर्दन पर चाकू मार दिया. चाकू मारते ही सब वहां से भाग गए. अफरा-तफरी मच गई. हम भागते-भागते बादल को श्री गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल लेकर गए जहां उसे सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया गया. सफदरजंग की लिफ्ट में उसने कह दिया था की उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही है. वहीं उसने दम तोड़ दिया."

इस बीच बादल का एक दोस्त उसके घर परिवार को सूचित करने भी गया था. उस समय उसकी मां घर पर थीं. वह घबरा गईं. रात को 10:19 पर उन्होंने बादल के पिता को कॉल किया लेकिन वह उठा नहीं पाए क्योंकि वे सब्जी बेच रहे थे.

क्या कहते हैं लाडला और बादल के करीबी दोस्त

मामले को और गहराई से जानने के लिए हम उस स्थान पर पहुंचे जहां लाडला ने बादल की कथित तौर पर हत्या की. लाडला फिलहाल पुलिस गिरफ्त में है लेकिन उसके परिवार के अन्य सदस्य उसकी मां, मौसी और उनके पति घर पर ताला लगाकर बंगाल में अपने गांव लौट गए.

हमने घटना स्थल पर मौजूद बादल और लाडला के दोस्तों से बातचीत की जिन्होंने घटना को अपने सामने होते हुए देखा था. साथ ही हमने कई मुसलमान और हिंदू परिवारों से भी बातचीत की. घटना के बाद से ही इलाके में सांप्रदायिक तनाव बना हुआ है. सबकी सुरक्षा को देखते हुए हमने गवाहों के नाम बदल दिए हैं.

जीतू बताता है कि शाह आलम, लाडला और बादल अच्छे दोस्त थे. जीतू भी उनके ग्रुप का हिस्सा था. सभी उसकी दुकान पर आकर बैठा भी करते थे. जीतू को लगता है कि यह सब पूर्व नियोजित साजिश थी, "हम सब एक साथ रहते थे. कभी एक दूसरे से न तो लड़ते थे, न गाली देते थे. लाडला भी बहुत अच्छा लड़का था. वह कभी किसी का बुरा नहीं चाहता था और न कभी भेदभाव किया. उसके घर का राशन हिंदू की दुकान से जाता था. लाडला के साथ ही घूमता था. एक दिन लाडला को पता चल गया कि बादल का पिछले तीन साल से उसकी छोटी बहन गुड्डी के साथ अफेयर चल रहा है. उसे इस बात का तगड़ा झटका लगा. उन्होंने बादल को प्लानिंग करके मारा है."

लाडला दिल्ली के ‘हाई-प्रोफाइल इलाके’ साउथ एक्स में नेल आर्ट का काम करता था.

जीतू आगे बताते हैं, "जब लड़की के घरवालों को इस सबके बारे में पता चला तो पूरा परिवार लड़की को लेकर गांव चला गया. शायद एक महीना पहले ही लाडला का परिवार वापस आया था लेकिन गुड्डी नहीं आई थी. परिवार में भी केवल शाह आलम और लाडला दिखाई दे रहे थे. बादल भी 20-25 दिन पहले ही मुंबई से लौटा था (बता दें बादल के मामा-मामी मुंबई में रहते हैं). लाडला उससे पहले ही आ गया था. मैं उसे और शाह आलम को एक-डेढ़ महीने से देख रहा था. मैंने कई बार उनसे बात भी की. किसी को नहीं लगा था कि ऐसा कुछ हो जाएगा."

जीतू का कहना है, “उसे शक है कि लाडला को उसके समुदाय द्वारा भड़काया गया, जिसके बाद वह ऐसा कदम उठाने को मजबूर हो गया. लाडला ऐसा लड़का नहीं था जो इतनी आसानी से किसी का कत्ल कर दे. उसे उसकी गली के मुसलमानों ने भड़काया है, जिसके बाद उसने इतना बड़ा कदम उठाया. वरना इस मोहल्ले में कई मुसलमानों ने हिंदुओं से शादी की है".

क्या कहती हैं पड़ोस की महिलाएं

लोगों से बातचीत करने पर कई अलग-अलग पहलू सामने निकलकर आए. लाडला की मां घरों में झाड़ू-पोछा लगाती थीं. उसकी मौसी गली की शुरुआत में चाय की छोटी सी दुकान चलाया करती थीं. अब वह दुकान बंद है और वहां पुलिस बैठी हुई है.

लाडला की मौसी की चाय की दुकान जो फिलहाल बंद है

30 वर्षीय रोहित भी उसी गली में रहते हैं जिस गली में लाडला का परिवार रहता और काम करता था. वह बताते हैं, “लाडला का परिवार पिछले 25 साल से उसी गली में रहता है. वे अच्छे लोग थे. 3-4 महीने पहले यहां से गुड्डी को ले गए थे लेकिन आज तक यहां उनकी किसी से कोई लड़ाई या दुश्मनी नहीं हुई है."

वहां से एक मुस्लिम महिला गुजर रही थीं. वह लाडला की मौसी निशाना बेगम की दोस्त थीं. वह और उनके साथ कई अन्य मुस्लिम महिलाएं बादल और गुड्डी के बारे में एक अलग कहानी बताती हैं.

अफसाना कहती हैं, "लाडला का परिवार बहुत अच्छा था. वे सबके साथ मिलकर रहते थे. गरीब थे. मैंने लाडला को अपने सामने बड़ा होते हुए देखा है. ये लोग पिछले 20 साल से यही रह रहे थे. बादल पहले भी लाडला के घर की लड़कियों पर नजर रखता था."

वह आगे बताती हैं, "ये लड़के दबंगई दिखाते हैं. बादल ने पहले लाडला की मौसी की लड़की फंसा ली थी. कुछ साल बाद बादल की नजर लाडला की बहन गुड्डी पर पड़ी. यह तब की बात है जब वह पढाई कर रही थी. एक साल पहले की बात रही होगी. यह किसी को मालूम नहीं था कि दोनों के बीच प्यार का मामला चल रहा है. बादल ने शाह आलम को धमकी दे रखी थी जबकि दोनों साथ चिकन की दुकान पर काम करते थे. जब शाह आलम को पता चला कि बादल ने उसकी भांजी पटा रखी है तो वह बादल से दूर होने लगा."

बदल के पिता और अफसाना ने इस बात की पुष्टि की कि गुड्डी नाबालिग थी और बादल से शादी करना चाहती थी. इसलिए वह एक दिन तिलक नगर थाना भी गई. अफसाना ने बताया कि उस दिन के बाद गुड्डी की मां उसे गांव ले गई.

अफसाना के बगल में खड़ी सादिया कहती हैं, "बादल ने इंस्टाग्राम पर गुड्डी की फोटो लगाई थी जो लाडला को पसंद नहीं आया. शाह आलम ने उसे समझाया भी कि ऐसा न करो, लेकिन बादल नहीं माना. उसके बाद से इनमें तनाव बढ़ गया."

हिंदू संगठनों का प्रदर्शन, डर और पुलिस की तैनाती

इस पूरे घटनाक्रम के बाद 3 दिसंबर, शुक्रवार को विश्व हिंदू परिषद् (वीएचपी) ने मामले को सांप्रदायिक मोड़ देने का प्रयास किया. वीएचपी द्वारा आयोजित शुक्रवार को एक विरोध प्रदर्शन में कई हिंदू संगठनों ने भाग लिया था. इस प्रदर्शन में अच्छी- खासी भीड़ का जमावड़ा था. इस भीड़ ने उस स्थान पर जाकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया जहां लाडला ने बादल को चाकू से मार दिया था.

वीएचपी द्वारा आयोजित प्रदर्शन

उस दिन पूरी गली को बंद कर दिया गया और भारी पुलिस बल तैनात किया गया.

रघुबीर नगर में प्रदर्शन कर रहे वीएचपी के समर्थक

भाजपा जिला युवा मोर्चा के प्रवक्ता सक्षम मित्तल कहते हैं, "हम चाहते हैं कि परिवार को आर्थिक मदद दी जाए. साथ ही सरकारी नौकरी मिले. यह परिवार बहुत गरीब है. उसने अपना बेटा खो दिया है. जब मुसलमान मरते हैं तो केजरीवाल तुरंत वहां पहुंच जाते हैं. बादल अकेला पढ़ा लिखा कामकाजी लड़का था. हमने गिरफ्तारी के लिए नौ लोगों के नाम दिए हैं. पुलिस ने चार को ही पकड़ा है. बाकियों की भी गिरफ्तारी जल्दी हो."

38 वर्षीय पूनम राणा भी इस विरोध प्रदर्शन में मौजूद थीं. वह लोजपा (एलजेपी) की राष्ट्रीय सचिव हैं. वह कहती हैं, "पास ही में 857 नाम का एक क्षेत्र है. वहां 25 गज के मकानों को फैक्टरियों में बदल दिया गया है. ये सब मुसलमान हैं. किसी को नहीं मालूम ये लोग कहां से आए हैं. अस्पताल के बाहर की जगह को भी घेर लिया है. महिलाओं के लिए इस जगह को असुरक्षित बना दिया है. रघुबीर नगर को मिनी पकिस्तान बना दिया है."

मंगलवार को हुई घटना और फिर शुक्रवार को वीएचपी के प्रदर्शन के बाद से ही गली के लोगों में एक डर है. गली की शुरुआत में ही एक नाई की दुकान है. यहां काम करने वाले भूरा कहते हैं, "लोगों में डर है. हर कोई भड़का हुआ है. पुलिस को देखकर लोग घर से नहीं निकल रहे वरना दोपहर के समय (2 बजे) गली में हलचल बनी रहती है."

62 वर्षीय जया देवी कहती हैं, "बादल अच्छा लड़का था. वह यहीं मीट की दुकान पर काम करता था. लाडला की मौसी भी यहीं चाय की दुकान चलाती थीं. लोगों में डर है कोई सांप्रदायिक हिंसा न भड़क जाए, लेकिन अभी सब शांत हैं. यह गलत हुआ है. किसी को चाकू से नहीं मारना चाहिए था. प्यार तो उसकी बहन ने भी किया था तो मारा केवल एक को क्यों?"

क्या कहती है पुलिस

हमने गली में रहने वाली कई महिलाओं से बात की. सबने यही कहा कि रघुबीरनगर साढ़े बारह गज इलाका आपराधिक गतिविधियों के लिए प्रचलित है. बाहर का कोई ऑटो या रिक्शा इस गली में आने से कतराता है. महिलाएं और बच्चे खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं लेकिन अब उन्होंने इसे ही अपना जीवन मान लिया है.

घटना स्थल पर तैनात पुलिस

न्यूज़लॉन्ड्री ने मामले की तहकीकात कर रहे जांच अधिकारी और फर्स्ट आइओ प्रकाश कश्यप से बात की. उन्होंने पूरे मामले का सच बताया. कश्यप कहते हैं, "बादल और लाडला की बहन का अफेयर था. बादल बीच-बीच में इसको लेकर स्टेटस लगा दिया करता था, लाडला को चिढ़ाता था. इस कारण दोनों में तनाव चल रहा था. इसी चक्कर में लाडला ने अपनी बहन को तीन महीने पहले ही गांव भेज दिया लेकिन बादल बहुत डॉमिनेटिंग नेचर का था. लाडला ने प्लानिंग करके बादल की हत्या की है. इसके अलावा कोई वजह नहीं है. धर्म का एंगल बेवजह जोड़ा जा रहा है".

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