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दिवाली बोनांजा: अखबारों पर जमकर हुई धनवर्षा

“काफी सालों से नियमित अखबार पढ़ रहा हूं, लेकिन अब उनमें वह बात नहीं रही जो पहले हुआ करती थी. पहले “अखबार में विज्ञापन” हुआ करता था, अब “विज्ञापन ही अखबार हो गया है.”

यह बात उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के रहने वाले 42 वर्षीय भीम सिंह ने न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कही. वह कहते हैं, “अखबारों का कंटेंट भी अब बदल गया है, न पहले जैसी तटस्थता रही और न ही निष्पक्षता. अखबार की शुरुआत विज्ञापन से होती है और अंत भी उसी से.”

अखबारों से विज्ञापन की यह शिकायत सिर्फ एक भीम सिंह की नहीं है बल्कि ऐसे अनगिनत लोग हैं जो बढ़ते विज्ञापन और निष्पक्ष खबर न होने के कारण अखबारों को पढ़ना बंद कर रहे हैं. न्यूज़लॉन्ड्री ने 31 अक्टूबर से 8 नवंबर तक देश के चार बड़े अखबारों में छपने वाले विज्ञापनों की पड़ताल की. त्यौहारी मौसम में अखबारों में हर दिन लगभग हर पन्ने पर विज्ञापन छपा था. कुछ पन्नों पर सरकारी था तो कुछ पर प्राइवेट कंपनियों के विज्ञापन थे. लेकिन कुल मिलाकर देखें तो दिवाली के समय में अखबारों पर जमकर धनवर्षा हुई है.

दैनिक जागरण

हिंदी पट्टी में सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले अखबारों में से एक दैनिक जागरण में इस दिवाली विज्ञापनों की भरमार रही. 31 अक्टूबर को लखनऊ संस्करण में कुल 42 पन्नों का अखबार छपा जिनमें से केवल तीन पन्ने ऐसे हैं जिनपर कोई विज्ञापन नहीं था. वहीं कुल 11 पन्ने ऐसे थे जिनपर सिर्फ विज्ञापन है. यह सभी प्राइवेट विज्ञापन हैं. यह पन्ने नियमित क्लासीफाइड से अलग हैं.

31 अक्टूबर के दिन कोई फुल पेज सरकारी विज्ञापन तो नहीं था लेकिन कुल नौ ऐसे पन्ने थे जिनपर आधा पेज का सरकारी विज्ञापन था. वहीं कुल 14 ऐसे पन्ने थे जिनमें आधे पेज का प्राइवेट विज्ञापन था. बात करें कि अखबार में खबर कितने पन्नों पर थी, तो कुल 23 ऐसे पन्ने थे जिनमें आधे पेज पर खबर छपी थी. कई ऐसे पन्ने भी थे जिनपर सिर्फ एक या दो कॉलम की 2-3 खबरें थीं और बाकी जगह विज्ञापन.

अखबार में खबर से ज्यादा विज्ञापनों की कहानी लगभग हर दिन एक जैसी ही है. एक नवंबर के दिन कुल 30 पन्नों का अखबार प्रकाशित हुआ जिनमें सिर्फ पांच पन्ने ऐसे थे जिनपर पूरी तरह से खबरें छपी थीं, वहीं सात पन्ने ऐसे थे जिनपर फुल पेज प्राइवेट विज्ञापन था. जबकि छह पन्नों पर आधा पेज का विज्ञापन सरकारी था तो वहीं 11 पन्नों पर प्राइवेट था.

दो नवंबर को 38, तीन नवंबर को 24, चार नवंबर को 30, सात नवंबर को 24 और आठ नवंबर को 16 पन्नों का अखबार छपा. अगर बात फुल पेज प्राइवेट विज्ञापन की करें तो, दो नवंबर को 15, तीन नवंबर को 5, चार नवंबर को 12, सात नवंबर को 5 और आठ नवंबर को 2 पन्नों का विज्ञापन था.

इन पांच दिनों में अगर बात करें कि कुल कितने पन्नों पर सिर्फ खबर थी, तो दो नवंबर को 5, तीन नवंबर को 5, चार नवंबर को 5, सात नवंबर को 10 और आठ नवंबर को 11 पन्नों पर खबरें थीं. वहीं इन दिनों में सरकारी विज्ञापन प्राइवेट के मुकाबले काफी कम थे. बता दें कि सरकारी विज्ञापन का रेट, प्राइवेट विज्ञापन के रेट के कम होता है. सरकारी विज्ञापन, विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय या डीएवीपी के नियमों के तहत होता है वहीं प्राइवेट विज्ञापन के रेट अखबार अपने हिसाब से तय करता है.

दैनिक जागरण में 2 से 4 नवंबर के बीच तीन विज्ञापन उत्तराखंड सरकार के और एक विज्ञापन यूपी सरकार का था.

दैनिक भास्कर

दैनिक भास्कर के दिल्ली संस्करण के 31 अक्टूबर के अखबार में, 18 पन्नों के अखबार में छह पन्नों पर फुल पेज निजी विज्ञापन दिया गया है. साथ में ही दो पन्नों पर आधे पेज का निजी और एक पन्ने पर आधे पेज का सरकारी विज्ञापन दिया गया है. सरकारी विज्ञापन हरियाणा सरकार की तरफ से दिया गया था. अखबार में खबरें 10 पन्नों पर फुल पेज और एक पन्ने पर आधे पेज में छपी थीं. इसका कुल योग करने पर पता चलता है कि 7.5 पन्नों पर विज्ञापन और महज 10.5 पन्नों पर खबर छपी. बता दें कि जिन चार पन्नों को हमने बतौर फुल खबर माना है उन पन्नों पर एक-एक विज्ञापन दिया गया है.

1 नवंबर को यही अखबार 24 पन्नों का था जिसमें पांच फुल पेज निजी विज्ञापन देखने को मिले. आधे पेज विज्ञापनों की बात करें तो यह भी कुल पांच पन्नों पर थे. ये पांचों विज्ञापन निजी थे यानी कुल 10 पन्नों पर फुल पेज और पांच पन्नों पर आधे पेज की खबर प्रकाशित हुई.

गौरतलब बात है कि 1 नवंबर को छपे अखबार के पेज संख्या 5,6,7,8 और 21,22,23,24 पर प्रकाशित हुईं खबरें और विज्ञापन दोनों एक समान हैं.

2 नवंबर को अख़बार 22 पन्नों का था, जिसमें छह फुल पेज और सात हाफ पेज के विज्ञापन दिए गए थे. यह सभी विज्ञापन निजी थे. अखबार में नौ फुल पेज और सात हाफ पेजों पर खबर थी. बता दें कि तीन फुल पेज खबरों वाले पन्नों पर एक-एक विज्ञापन दिया गया था.

3 नवंबर को अखबार 14 पन्नों का था, जिसमें दो फुल पेज और छह हाफ पेज का विज्ञापन दिया गया. सारे ही विज्ञापन निजी संस्थाओ द्वारा दिए गए थे. खबरों की बात करें तो छह फुल और छह हाफ पेजों पर खबरें थीं.

4 नवंबर यानि दिवाली के दिन की बात करें तो अखबार के कुल पैन तो बढ़े, लेकिन उनमें खबरें नहीं विज्ञापन वाले पन्नों की भरमार थी. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है 24 पन्नों के इस दिन के अखबार में 14 फुल और तीन हाफ पेज विज्ञापन देखने को मिले. 24 पन्नों के इस अखबार में खबरें महज नौ फुल और तीन हाफ पेज पर पढ़ने को मिलीं. पूरे अखबार में लगभग 65 फीसदी विज्ञापन थे जबकि 35 फीसदी खबरें.

दिवाली के बाद 6 नवंबर के अखबार में खबरों की स्थिति थोड़ी बेहतर नजर आई. इस दिन 14 पन्नों के अखबार में महज दो हाफ पेज का विज्ञापन देखने को मिला. हालांकि तीन फुल खबरों वाले पन्नों पर भी एक-एक विज्ञापन थे. कुल खबरों वाले पन्नों की बात करें तो 12 फुल पेज और 2 हाफ पेज खबरें पढ़ने को मिलीं.

7 नवंबर को 16 पन्नों का अखबार प्रकाशित हुआ. इस दिन तीन फुल और तीन हाफ पेज विज्ञापन देखने को मिले. खबरों की बात करें तो 10 फुल पेज और तीन हाफ पेज थे. वहीं तीन फुल पेज खबर वाले पन्नों पर एक-एक विज्ञापन देखने को मिला. ये सारे विज्ञापन निजी थे.

8 नवंबर को यही अखबार 14 पन्नों का प्रकाशित हुआ जिसमें दो फुल और एक हाफ पेज पर प्राइवेट विज्ञापन था. इस दिन 11 फुल पेज और एक आधे पन्ने पर खबर प्रकाशित हुई.

हिंदुस्तान

हिंदुस्तान अखबार के दिल्ली संस्करण की बात करें तो 31 अक्टूबर को यह अखबार 24 पन्नों का प्रकाशित हुआ जिसमें 11 फुल पेज विज्ञापन देखने को मिले. इनमें नौ निजी संस्थाओं के और दो सरकारी विज्ञापन थे. हाफ पेज विज्ञापन की बात करें तो इसमें चार निजी और चार सरकारी विज्ञापन थे. इसमें छह फुल पेज और छह ही हाफ पेज खबरें थी. सरकारी विज्ञापनों में उत्तर प्रदेश सरकार, दिल्ली सरकार और गेल का विज्ञापन था.

1 नवंबर को 9 फुल पेज निजी विज्ञापन देखने को मिले. हाफ पेज विज्ञापनों की बात करें तो इसमें 4 निजी और 5 सरकारी विज्ञापन थे. अखबार में सात फुल पेज और सात ही हाफ पेज खबरें थी. इस दिन सरकारी विज्ञापनों में उत्तर प्रदेश सरकार और हरियाणा सरकार के विज्ञापन शामिल थे.

2 नवंबर को 32 पन्नों का अखबार प्रकाशित हुआ जिसमें 13 फुल पेज विज्ञापन थे. इनमें 11 निजी, 1 सरकारी और 1 क्लासीफाइड विज्ञापन था. हाफ पेज विज्ञापन भी 11 पन्नों पर देखने को मिले. इनमें से नौ पन्नों पर निजी और दो पन्नों पर सरकारी विज्ञापन थे. खबरों कि बात करें तो 9 फुल और 11 हाफ पेजों पर खबरें प्रकाशित हुईं.

सरकारी विज्ञापन दिल्ली सरकार, बिहार सरकार और दिल्ली जल बोर्ड कि तरफ से जारी किए गए थे. इस दिन अखबार में लगभग 58 फीसदी विज्ञापन थे.

3 नवंबर को 24 पन्नों का अखबार प्रकाशित हुआ जिसमें 12 फुल पेज विज्ञापन थे. इनमें से सात पन्नों पर निजी और पांच पन्नों पर सरकारी विज्ञापन थे. हाफ पेज विज्ञापन की बात करें तो यह कुल दो पन्नों पर देखने को मिला. इस दिन 10 पेज फुल और एक हाफ पेज पर खबर प्रकाशित हुई. इस दिन उत्तर प्रदेश सरकार, उत्तराखंड सरकार और दिल्ली सरकार द्वारा विज्ञापन जारी किए गए थे.

हिंदुस्तान अखबार में चार नवंबर को 22, छह नवंबर को 20, सात नवंबर को 18, आठ नवंबर को 18 पन्ने प्रकाशित हुए. इस दौरान फुल पेज के 14 विज्ञापन थे जिनमें से 13 प्राइवेट और एक सरकारी विज्ञापन था. हाफ पेज के विज्ञापनों की बात करें तो 15 प्राइवेट और 1 सरकारी विज्ञापन था. इन सभी दिनों के अख़बारों में कुल 47 पन्नों पर फुल पेज खबर प्रकाशित हुई. जो एक पेज सरकारी विज्ञापन था वह उत्तराखंड सरकार का था.

31 अक्टूबर से 8 नवंबर तक हिंदुस्तान अखबार में औसतन 43 फीसदी विज्ञापन देखने को मिले हैं. इस दौरान कुल 158 पन्ने प्रकाशित किए गए जिनमें से 48 फुल पेज और 39 हाफ पेज विज्ञापन देखने को मिले. इसमें उन विज्ञापनों को शामिल नहीं किया गया है जो पूरी खबरों वाले पन्ने पर एक-एक विज्ञापन होता है.

अमर उजाला

विज्ञापन प्रकाशित करने वाले अखबारों में अमर उजाला अग्रिम श्रेणी में खड़ा नज़र आता है. यहां हम अमर उजाला के लखनऊ संस्करण की बात कर रहे हैं. 31 अक्टूबर को अमर उजाला 38 पन्नों का प्रकाशित हुआ जिसमें 16 फुल पेज विज्ञापन देखने को मिले. इनमें से 14 निजी संस्थाओं के और 2 सरकारी थे. वहीं अगर हाफ पेज विज्ञापनों की बात करें तो इनकी संख्या 14 थी. सरकारी विज्ञापन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी किए गए थे. जिसमें से 10 निजी संस्थाओं के और चार सरकारी थे. वहीं आठ फुल पेज और 14 हाफ पेज खबरें थीं.

1 नवंबर को यह अखबार 24 पन्नों का प्रकाशित हुआ. जिसमें पांच फुल और 12 हाफ पेज विज्ञापन प्रकाशित किये गये जिसमें से चार हाफ पेज विज्ञापन सरकारी थे. खबरों कि बात करें तो यह सात फुल और 12 हाफ पेज पर थीं.

2 नवंबर को 39 पन्नों का अखबार प्रकाशित हुआ. इस दिन भी अखबार में विज्ञापनों कि भरमार देखने को मिली. 39 पन्नों के इस अखबार में 12 फुल पेज विज्ञापन थे जिनमें से 10 निजी संस्थाओ के और 2 सरकारी विज्ञापन थे. वहीं 15 हाफ पेज विज्ञापन देखने को मिले जिनमें से 14 निजी संस्थाओं के और एक सरकारी विज्ञापन था. सरकारी विज्ञापन मुख्यतः उत्तराखंड सरकार द्वारा दिए गए थे. इसके साथ ही कई अन्य सरकारी विज्ञापन भी थे. अखबार में 12 फुल पेज और 15 हाफ पेज खबरें थीं.

3 नवंबर को अमर उजाला 22 पन्नों का प्रकाशित हुआ जिसमें पांच फुल पेज निजी और चार फुल पेज सरकारी विज्ञापन देखने को मिले. वहीं 1 सरकारी और 3 हाफ पेज प्राइवेट विज्ञापन थे. सरकारी विज्ञापन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी किया गया था.

4 नवंबर को अखबार 24 पन्नों का था जिसमें 8 फुल पेज निजी और 3 फुल पेज सरकारी विज्ञापन थे. अगर हाफ पेज विज्ञापनों की बात करें तो 4 हाफ पेज निजी और 3 हाफ पेज सरकारी विज्ञापन थे. सरकारी विज्ञापन उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जारी किए गए थे. वहीं खबरें छह पूरे और सात आधे पन्नों पर थीं.

7 नवंबर को इस अखबार में पिछली तारीखों की तुलना में ज्यादा खबरें देखने को मिलीं. 22 पन्नों पर प्रकाशित हुए इस अखबार में दो फुल पेज और नौ हाफ पेज विज्ञापन देखने को मिले. दो फुल पेज विज्ञापनों में से एक सरकारी था. सरकारी विज्ञापनों के पूरे पन्ने पर अलग अलग सरकारी संस्थाओं द्वारा विज्ञापन दिए गए थे. इस दिन अखबार में नौ पूरे और नौ आधे पन्नों पर खबरें पढ़ने को मिलीं.

इसी तरह 8 नवंबर को भी पिछले कुछ दिनों की तुलना में ज्यादा खबरें पढ़ने को मिलीं. इस दिन 18 पन्नों के अखबार में तीन फुल पेज और पांच हाफ पेज विज्ञापन ही देखने को मिले. ये सभी विज्ञापन निजी संस्थाओं की ओर से जारी किए गए थे. इस दिन के अखबार में खबरें 10 पूरे और 5 आधे पन्नों पर पढ़ने को मिलीं. हालांकि तीन पूरे पन्ने पर खबरों वाले कुछ ऐसे भी पन्ने थे जिनमें एक-एक विज्ञापन भी देखने को मिला. साथ ही एक फुल विज्ञापन वाले पेज पर एक खबर पढ़ने को मिली.

बता दें कि अमर उजाला और दैनिक जागरण में दिवाली की छुट्टी होने के कारण 5 और 6 नवंबर को अखबार प्रकाशित नहीं हुआ था.

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दिल्ली में गार्ड की नौकरी करने वाले 34 वर्षीय पवन बर्नवाल कहते हैं, “करीब 8-9 साल से लगातार हर दिन अखबार पढ़ रहे हैं, लेकिन अभी इतना विज्ञापन आता है कि अखबार खोलने का मन नहीं करता. कई दिन तो अब बिना अखबार पढ़े ही बीत जाता है, जबकि पहले दिनभर अखबार ही पढ़ते थे.”

दैनिक जागरण में विज्ञापन विभाग में काम करने वाले दिलीप गुप्ता कहते हैं, “अखबार में हर एडिशन का रेट और नेशनल एडिशन का रेट अलग-अलग होता है. जैसे दैनिक जागरण में लखनऊ का रेट 2,199 प्रति स्क्वायर सेंटीमीटर है. विज्ञापन का रेट सभी के लिए एक समान नहीं होता. वह आपके प्रोडक्ट, समय अवधि, संस्करण और कई अन्य चीजों से निर्धारित किया जाता है.”

द मीडिया आंट नामक वेबसाइट का उपयोग कई एड एजेंसियों के लोग विज्ञापन के रेट जानने और बुक करने के लिए करते है. इस वेबसाइट पर विज्ञापन के दिए गए रेट से हमने अखबारों के अलग-अलग संस्करणों का रेट निकाल कर अनुमान के तौर पर विज्ञापन का पता लगाया है.

एक पेज विज्ञापन से अखबार कितना कमाते हैं?

राष्ट्रीय अखबारों का पेज साइज लगभग 1,680 स्क्वायर सेंटीमीटर का होता है. दिलीप गुप्ता कहते हैं, “जागरण में पहला पेज 1,690 स्क्वायर सेंटीमीटर का होता है, बाकी पेज 1,716 स्क्वायर सेंटीमीटर के होते हैं.

इसको इस तरह देखें कि अगर आप को लखनऊ में दैनिक जागरण अखबार में एक पेज का विज्ञापन छपवाना है, तो उसके लिए आपको लगभग 36 लाख,93 हजार 320 रुपए खर्च करने होंगे. (1680 स्क्वायर सेंटीमीटर x 2199). दैनिक भास्कर के दिल्ली एडिशन का रेट 546 प्रति स्क्वायर सेंटीमीटर है, इस तरह यहां एक फुल पेज का विज्ञापन 9 लाख,17 हज़ार,280 रुपए में छपेगा. अमर उजाला के लखनऊ संस्करण का रेट 2,222 है. इस तरह से यहां एक पेज का विज्ञापन 37 लाख, 32 हजार, 960 रुपए में पड़ेगा. वहीं हिंदुस्तान के दिल्ली संस्करण में विज्ञापन का रेट 1,250 प्रति स्क्वायर सेंटीमीटर है. इस तरह एक पेज के विज्ञापन का दाम 21 लाख पड़ता है.

(रिसर्च सहयोग- तहजीब उर रहमान. ग्राफिक्स - कार्तिक और गोविंद)

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