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जेएनयू में ताजा विवाद: जानिए क्या है एबीवीपी और लेफ्ट के छात्रों में भिड़ंत का पूरा मामला

हाथों में पट्टी बांधे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र अभिषेक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के गेट के सामने मीडिया से बात कर रहे थे. दिल्ली के वसंत कुंज थाने में अपनी शिकायत में अभिषेक ने बताया कि रात में कैंपस के अंदर वामपंथी संगठनों के छात्रों ने उनपर ‘जानलेवा’ हमला किया.

अभिषेक ने लगभग दो घंटे तक मीडिया से बात की, बाद में शाम को, "नक्सली गुंडे कैंपस छोडो" जैसे नारे लगाते हुए वामपंथी संगठनों के खिलाफ एबीवीपी मार्च में भाग लिया.

14 नवंबर की रात 9:30 से 10:30 बजे के बीच, विश्वविद्यालय परिसर के अंदर स्थित गतिविधि केंद्र भवन जिसे टेफलास भवन के नाम से भी जाना जाता है. वहां एबीपीवी और वाम छात्र संगठन के सदस्यों के बीच हिंसक विवाद हो गया.

इस घटना में एबीवीपी और वामपंथी संगठनों ने एक-दूसरे पर हिंसा का आरोप लगाया. न्यूज़लॉन्ड्री की टीम घटना को जानने के लिए ग्राउंड पर गई और दोनों पक्षों के घायल छात्रों के साथ बातचीत की.

जेएनयू के हॉस्टल नोटिस बोर्ड, दुकानों की दीवारों, रेस्तरां और कैंटीन परिसर में ‘द हंड्रेड फ्लावर्स’ नाम के एक मार्क्सवादी छात्र समूह द्वारा एक कार्यक्रम का पोस्टर चिपका था. यह संगठन पांच से छः छात्रों का समूह है जो छात्र संघ चुनावों में भाग नहीं लेता, लेकिन नियमित रूप से राजनीतिक चर्चा, बहस और फिल्म स्क्रीनिंग का आयोजन करता है.

पोस्टर के अनुसार, समूह ने 14 नवंबर को रात 9 बजे, टेफलास बिल्डिंग में छात्र संघ कार्यालय के अंदर कार्ल मार्क्स की किताब पर एक सार्वजनिक अध्ययन का आयोजन किया था. यही स्थल, उस रात बाद में संघर्ष का केंद्र बन गया.

एबीवीपी कार्यकर्ता अभिषेक ने वामपंथी संगठनों पर 'घातक' हमले का आरोप लगाया है

"एबीवीपी डर पैदा करना चाहता है"

हंड्रेड फ्लावर्स के सदस्य और इंटरनेशनल स्टडीज से एम.फिल कर रहे सार्थक नायक न्यूज़लॉन्ड्री को बताते है कि रविवार की रात करीब 8:30 बजे वह एक अन्य छात्र के साथ कार्यक्रम शुरू करने के लिए गार्ड से चाबी लेकर लॉग रजिस्टर में एंट्री कराकर कार्यक्रम के लिए अंदर घुस गए.

नायक कहते हैं, "इसके तुरंत बाद, एबीवीपी के दो सदस्य कार्यालय में आए, यह कहते हुए कि वे अपनी इकाई की बैठक यहां कर रहे हैं." नायक ने मुताबिक, उनमें से एक एबीवीपी की जेएनयू इकाई के अध्यक्ष शिवम चौरसिया थे.

नायक कहते हैं, "हमने उन्हें बताया कि हमने तय प्रक्रिया के मुताबिक अपने कार्यक्रम के लिए कमरा बुक किया है, पोस्टर लगाए हैं और पर्चे भी बांटे हैं, लेकिन उन्होंने (एबीवीपी) के सदस्यों ने कहा कि वे यहां अपनी बैठक करेंगे."

नायक के मुताबिक, चौरसिया और उनके सहयोगी ने कहा कि वह बुकिंग प्रक्रिया की "परवाह" नहीं करते और जेएनयू छात्र संघ को मानने से मना कर दिया. इस दौरान एबीवीपी के कई और सदस्य कमरे में आ गए.

छात्र संघ की अध्यक्ष और वामपंथी संगठन एसएफआई की सदस्य आइशी घोष के अनुसार, कार्यालय को केवल एक निश्चित प्रक्रिया के माध्यम से बुक किया जा सकता है. जिसका अर्थ है कि कोई भी संगठन जो किसी आयोजन के लिए उस स्थान को बुक कराना चाहता है, उसे यूनियन के पदाधिकारियों को सूचित करना होता है और 'जेएनयू एक्टिविटीज एंड कैंपेन्स' नामक व्हाट्सएप ग्रुप पर संदेश भेजकर अपना स्लॉट बुक करना होता है.

न्यूज़लॉन्ड्री ने व्हाट्सएप ग्रुप का संदेश देखा, जिसमें हंड्रेड फ्लावर्स ने अपने आगामी कार्यक्रम के लिए 11 नवंबर को अपना स्लॉट बुक किया था.

आइशी घोष ने कहा, “एबीवीपी जेएनएसयू के आधिकारिक ग्रुप पर भी सूचित कर सकते है, अगर उन्होंने एक्टिविटीज ग्रुप में नहीं बताया है तो, लेकिन हमें उनकी इकाई की बैठक के बारे में कोई संदेश या कॉल नहीं मिला."

नायक कहते है, एक महीने पहले, केंद्रीय कार्यालय में एबीवीपी सदस्यों द्वारा तोड़फोड़ की गई थी, जिसमें भगत सिंह, चे ग्वेरा, रोहित वेमुला के चित्र थे. जिसके बाद, सभी संगठनों की एक बैठक बुलाई गई थी, जहां बुकिंग प्रक्रिया को अनिवार्य कर दिया गया था.

जेएनयूएसयू कार्यालय में विवाद

आइशी ने आगे बताया कि करीब 9:30 बजे, व्हाट्सएप ग्रुप पर मैसेज आने लगे कि एबीवीपी के सदस्य कार्यक्रम स्थल पर कार्यक्रम के आयोजकों को “परेशान” कर रहे हैं. इसके तुरंत बाद आम छात्र और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन, डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन, बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन सहित वामपंथी छात्र दलों से जुड़े लोग कार्यक्रम स्थल पर इकट्ठा होने लगे.

नायक ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच लगभग 9:45 बजे तक बहस चलती रही. कोई कमरा छोड़कर नहीं जाने को तैयार था.

"एक समय पर एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने कार्यालय की मेज को उलटने की कोशिश की, जहां दो छात्राएं बैठी थीं. इस दौरान एबीवीपी के छात्र नारे लगाने के लिए मेज पर चढ़ गए." नायक ने कहा.

नायक आगे कहते है, "उन्होंने जोरदार नारे लगाने शुरू कर दिए और नक्सली गुंडे कैंपस छोड़ो, भारत माता की जय और वंदे मातरम जैसे नारे लगाए. एक समय पर उन्होंने “देश के गद्दारों को, गोली मारो #$%@ को और चीन के दलालों को, गोली मारो #$%@ को जैसे नारे” भी लगाए.

वहीं दूसरी ओर “एबीवीपी गुंडे, कैंपस छोडो, गुंडागर्दी नहीं सहेंगे, कैंपस है छात्रों का, संघ की जागीर नहीं" जैसे नारे भी लगाए गए.

एक अन्य छात्रा और वामपंथी समूह डीएसएफ की सदस्य सारिका चौधरी ने फोन पर न्यूज़लॉन्ड्री को वीडियो दिखाए, जिसमें दोनों पक्षों द्वारा लगाए गए नारे सुने जा सकते हैं. वीडियो में भीड़ पर फेंकने के लिए कुछ लोग फर्नीचर उठाते हुए भी नजर आ रहे है.

जेएनयू एबीवीपी अध्यक्ष शिवम चौरसिया

कार्यक्रम स्थल पर मौजूद हंड्रेड फ्लावर्स की प्रमुख और पीएचडी की छात्रा लता कुमारी के अनुसार, जब एबीवीपी के सदस्यों ने छात्र विवेक पांडे पर "हमला" किया, तो विवाद हिंसक हो गया.

विवेक पांडे आइसा के पूर्व सदस्य और मास्टर्स के छात्र हैं, जो रात करीब 10 या 10:30 बजे के बीच कमरे में घुसे. वह अब समाजवादी पार्टी छात्र सभा के सदस्य हैं. वह अभी पंजीकृत छात्र नहीं हैं, उन्होंने पीएचडी के लिए आवेदन किया है और परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

नायक और लता के अनुसार, जिसने भी विवेक को बचाने की कोशिश की, उसे भी एबीवीपी के छात्रों ने मारा, बाद में कुर्सियां और सोफा उठाकर फेंका गया. न्यूज़लॉन्ड्री को अन्य छात्रों ने बताया की विवेक को घायल होने के बाद एम्स में भर्ती कराया गया.

घटना पर मौजूद छात्रों ने एक अन्य घटना का जिक्र करते हुए कहा कि, विवेक पर पहले भी एबीवीपी ने हमला किया था. पिछले साल अक्टूबर में छात्रावास के कमरे के अंदर उसे पीटा गया था और जनवरी 2020 में कैंपस हिंसा के दौरान भी उसके साथ मारपीट की गई थी.

विवेक ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि समाजवादी पार्टी के कैंपस कार्यकर्ता के रूप में, वह लगभग 10:30 बजे कार्यक्रम स्थल पर देखने के लिए आया था कि "क्या चल रहा है."

विवेक ने कहा, “जैसे ही शिवम चौरसिया ने मुझे देखा, उन्होंने मेरी तरफ इशारा किया और लोगों से कहा कि मुझे पीटें. मुझे दस मिनट तक पीटने के बाद, उन्होंने मुझे एक लोहे की अलमारी और एक कुर्सी के बीच दबा दिया."

विवेक ने आगे कहा कि उसे पहले भी निशाना बनाया गया था क्योंकि "एबीवीपी किसी भी संगठन के एक्टिव छात्रों के साथ मारपीट करते है, ताकि नए एक्टिविस्ट आगे आने से डरें."

हंड्रेड फ्लावर्स की लता ने कहा कि जेएनयू की राजनीतिक संस्कृति को खराब करने का प्रयास किया जा रहा है. यह कहते हुए कि 2016 के कैंपस हिंसा और कोविड के लगभग दो वर्षों के बाद से कैंपस बंद रहा, सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए छात्रों के लिए बहुत कम कैंपस स्पेस बचा है. उन्होंने कहा की छात्रावास के मेस में कार्यक्रम आयोजन करने के लिए रोक लगा दी गई और महामारी में राजनीतिक आयोजनों के लिए ऐसे स्थानों को बंद कर दिया गया.

"लेकिन एबीवीपी को अभी भी मेस में कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति मिलती है.” ताप्ती और माही मंडावी छात्रावास के मेस का उपयोग हाल ही में एबीवीपी के कार्यक्रमों के लिए किया गया.

लता ने कहा, एबीवीपी "नए छात्रों के मन में डर पैदा करना चाहती है," कैंपस में लोकतांत्रिक और वामपंथी संस्कृति, बहस और चर्चा खत्म करना चाहती है. "यदि बीए और एमए के छात्र देखते हैं कि छात्रों को पीटा जा रहा है तो वे इस तरह के आयोजनों के लिए आना बंद कर सकते हैं."

नायक के अनुसार, “2016 के बाद से, कंपनी साइक्लोप्स से सुरक्षा गार्ड की तैनाती की गई है, जिसमें केवल पूर्व सैनिकों को गार्ड के रूप में नियुक्त किया जाता है. इससे परिसर के "सैन्यीकरण" और भय का माहौल बनता है.”

"हम शांति से बैठे थे"

न्यूज़लॉन्ड्री ने जेएनयू के एबीवीपी कैंपस अध्यक्ष शिवम चौरसिया से बातचीत की. उन्होंने कहा, "एबीवीपी के 40 से 45 छात्र पहले से ही अपनी नियमित इकाई की बैठक के लिए जेएनयूएसयू कार्यालय के अंदर बैठे थे. तब कुछ छात्र आए और हमें कमरा खाली करने के लिए कहने लगे क्योंकि वे अपना इवेंट करना चाहते थे."

उन्होंने कहा, "जब हम आए तो कोई अंदर नहीं था, अन्यथा हम रूम में नहीं जाते." उन्होंने कहा कि एबीवीपी के सदस्यों ने हाल ही में कमरा उस वक्त खाली कर दिया था जब उसमें पहले से ही एक बैठक चल रही थी. उन्होंने कहा “मुझे नहीं पता कि इसे जेएनयूएसयू कार्यालय क्यों कहा जाता है, यह छात्र गतिविधि केंद्र है.”

चौरसिया ने कहा, "पहले वह पचास लोग थे, जो जल्द ही बढ़कर 150 हो गए, जिसमें बाहरी लोग भी शामिल थे, जो छात्र नहीं थे.” फिर इन लोगों ने एबीवीपी और आरएसएस के खिलाफ नारे लगाना शुरू कर दिया और "अपमानजनक" टिप्पणी करना शुरू कर दिया.

एबीवीपी अध्यक्ष ने कहा, उनके छात्र संगठन के नेताओं ने केवल भारत समर्थक नारे लगाए. "गोली मारो" का नारा नहीं लगाया. “जब एबीवीपी के छात्र कार्यक्रम स्थल से बाहर जाने लगे, तो एसएफआई, आइसा और बाहरी लोगों ने उन्हें धक्का देना शुरू कर दिया, जिसमें छात्र घायल हो गए और एक छात्रा को प्रताड़ित भी किया गया.”

उन्होंने कहा "हमने उन्हें अपनी बैठक के लिए कैंपस के मुख्य सुरक्षा अधिकारी से लिखित में अनुमति ली, लेकिन उन्होंने नहीं सुना." न्यूज़लॉन्ड्री ने अनुमति पत्र को देखा जिसपर ना कोई तारीख थी और ना ही किसी के हस्ताक्षर.

चौरसिया ने बताया "उस रात एबीवीपी के कई छात्र बुरी तरह घायल हो गए और उन्हें एम्स ले जाया गया.” उन्होंने कहा कि लिखित शिकायत वसंत कुंज उत्तर पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई है.

सोमवार को लगभग शाम 4 बजे, एबीवीपी द्वारा वामपंथी समूहों के खिलाफ एक विरोध मार्च का आयोजन किया गया. न्यूज़लॉन्ड्री ने कथित रूप से घायल एबीवीपी सदस्यों से बात की, जो सभी मार्च में मौजूद थे.

25 वर्षीय एबीवीपी कार्यकर्ता और पीएचडी की छात्रा श्रीदेवी की शिकायत में हमलावरों की पहचान उमेश यादव, पुल्की और विवेक पांडे के तौर पर की गई है. वह न्यूज़लॉन्ड्री से कहती हैं कि “उन्हें नहीं पता उन पर किसने हमला किया था.”

उन्होंने कहा, "हम अपनी बैठक के लिए शांति से बैठे थे, जब लेफ्ट समूह के एक के बाद एक छात्र आए और हम पर चिल्लाने लगे. इस दौरान इन लोगों ने "नारे लगाए" और "बहस" करने लगे, साथ ही मांग की कि एबीवीपी कमरा खाली कर दे.

श्रीदेवी ने कहा कि "अराजकता" में उसकी गर्दन पर चोट लग गई जिसके बाद उसे चक्कर आ गया. "मैं सफदरजंग अस्पताल गई और जहां मुझे ग्लूकोज चढ़ाया गया."

दो अन्य छात्र, अभिषेक और कन्हैया कुमार, जिन्होंने अपनी चोटों के बारे में लिखित शिकायत दर्ज की. वह बैनर लेकर विरोध मार्च में आगे चल रहे थे. अभिषेक, जो मेडिकल पट्टी लगाए हुए थे उन्होंने अपनी लिखित शिकायत में उल्लेख किया है कि उन्हें आइसा के दो छात्रों द्वारा ‘पीटा गया’. जिसके कारण ‘उनके सिर और हाथ’ में गंभीर चोटें आई हैं.

अभिषेक ने अपनी शिकायत में कहा है, "उन्होंने मुझे जान से मारने की धमकियों के साथ-साथ जातिवादी गालियां भी दीं."

एबीवीपी कार्यकर्ता और छात्र कन्हैया कुमार ने अपनी शिकायत में कहा कि जेएनयू छात्र लता और विवेक पांडे सहित अन्य ने उन पर "हमला" किया, जिससे उन्हें "उनके दाहिने हाथ की उंगली" पर "गंभीर" चोट लगी है.

अपनी शिकायत के विपरीत, कुमार ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि वह यह नहीं पहचान सके कि उनकी उंगली में चोट किसके द्वारा लगी. उन्होंने कहा कि ‘रणनीति’ के तहत लेफ्ट छात्र यूनियन ने महिला छात्रों को आगे तैनात कर दिया, ताकि एबीवीपी छात्रों को जाने से रोक जा सके.

"अगर हमने छात्राओं के बीच जाने की कोशिश की होती तो वह हमारे खिलाफ शारीरिक शोषण का केस दर्ज करवा देतीं.”

सोमवार को एबीवीपी कैंपस में मार्च निकाला गया जिसमें कथित रूप से घायल हुईं तीन छात्रों ने भी भाग लिया

बाद में सोमवार को जेएनयूएसयू और वामपंथी छात्र दलों ने भी एबीवीपी और रविवार के कार्यक्रमों के खिलाफ विरोध मार्च निकाला.

साउथ-वेस्ट दिल्ली के डीसीपी गौरव शर्मा ने बताया, “हमें जेएनयू में हिंसा होने की जानकारी मिली थी. कल शाम एक संगोष्ठी आयोजित किए जाने पर वहां दो गुटों में भिड़ंत हुई थी. एबीवीपी ने लिखित शिकायत दर्ज कराई है, वहीं एक शिकायत लेफ्ट से जुड़े छात्र की भी आई है. दोनों गुटों के सदस्यों ने एक-दूसरे पर मारपीट का आरोप लगाया है. अभी तक जेएनयूएसयू की ओर से कोई शिकायत नहीं मिली है. हम मामले की जांच-पड़ताल कर रहे हैं.”

द टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक पुलिस अधिकारी के हवाले से कहा कि उन्हें शिकायतकर्ताओं से चार मेडिको लीगल सर्टिफिकेट मिले हैं, जिससे पता चलता है कि कोई भी घायल नहीं हुआ है.

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