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सरकारी पैसों से पीएम मोदी की रैली में भीड़ जुटाने की तैयारी

्उत्तर प्रदेश की योगी सरकार 16 नवंबर यानी मंगलवार को पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन करने जा रही है. सुल्तानपुर के अरवल कीरीकरवत गांव में एक जनसभा के द्वारा पीएम मोदी इस एक्सप्रेस वे का उद्घाटन करेंगे. इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, स्मृति ईरानी, सांसद और विधायक शामिल होगें.

इस कार्यक्रम में लोगों के शामिल होने को लेकर सुल्तानपुर के जिला अधिकारी रवीश गुप्ता ने उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक को पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि पीएम के कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोगों के लिए दो हजार बसों की व्यवस्था करनी होगी, जिसमें से 70 प्रतिशत सुल्तानपुर और 30 प्रतिशत अयोध्या और अंबेडकर नगर से लोगों के लाने ले जाने के लिए उपयोग किया जाना है. पत्र में कहा गया है कि अपने स्तर पर रोडवेज जनपद के क्षेत्रीय प्रबंधक को निर्देशत करने की मांग की गई है.

दो हजार बसों के उपयोग पर सुल्तानपुर जिले के सहारा समय के पत्रकार अनिल द्विवेदी न्यूज़लॉन्ड्री से कहते है, “सुल्तानपुर में लगभग साढ़े नौ सौ गांव हैं, हर गांव से जनता को ले जाने के लिए एक या दो बस भेजी जाएगी. वही बाकी का उपयोग आसपास के जिलों और शहरी क्षेत्र से लोगों को ले जाने के लिए किया जाएगा. पीएम की रैली में दो लाख की भीड़ जुटाने का लक्ष्य रखा गया है.”

इन बसों की व्यवस्था को लेकर सुल्तानपुर के कलेक्टर ने पत्र जरूर लिखा है लेकिन उन्होंने बताया “इन बसों का भुगतान यूपीडा करेगी ना की जिला प्रशासन.”

यूपीडा के एडिशनल सीईओ शिरीश चंद्र वर्मा न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, “इस एक्सप्रेसवे का निर्माण यूपीडा ने किया है इसलिए पूरा कार्यक्रम यूपीडा करवा रहा है. इसमें जो भी खर्च होगा, वह हम ही करेंगे.”

क्या पहली बार हो रही है सरकारी पैसों की बर्बादी

सरकारी कार्यक्रम के जरिए चुनावी रैली को संबोधित करने पर वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, “यह पहली बार नहीं हो रहा है. लेकिन यह जरूर है कि एक एक्सप्रेस वे के लिए इतना पैसा खर्च पहली बार किया जा रहा है. योगी सरकार इस एक्सप्रेस वे जरिए पूर्वांचल को साधने की कोशिश कर रही है इसलिए प्रधानमंत्री को बुलाया गया है.”

वह आगे कहते हैं, “ऐसा नहीं है कि बीजेपी सिर्फ 2022 के चुनाव को जीतने के लिए यह कर रही है बल्कि प्रधानमंत्री इसके जरिए 2024 के लिए अपना रास्ता बना रहे हैं. एक्सप्रेस वे पर जो एयर स्ट्रिप का निर्माण किया गया है वहां एयरप्लेन देखने के लिए ही भीड़ आ जाएगी. इसका आयोजन ही राजनीतिक लाभ लेने के लिए किया गया है.”

अयोध्या मंडल परिवहन निगम के एक अधिकारी कहते हैं कि, एक दिन में 400 किलोमीटर तक का एक रोडवेज बस का खर्च करीब 24 हजार आता है. इस हिसाब से देखा जाए तो दो हजार बसों में करीब पांच करोड़ का खर्च आएगा.

सुल्तानपुर के दैनिक जनसत्ता के पत्रकार राज खन्ना न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, “सत्ता के जो कार्यक्रम होते हैं, उसमें सत्ताधारी दल और सरकार यह एक दूसरे से अलग नहीं होते हैं. राजनीतिक दलों को सत्ता ही इसलिए चाहिए होती है कि वह सरकार के संसाधनों का उपयोग कर सकें. यह कोई नई चीज नहीं है. यह होता आया है जो अभी भी हो रहा है.”

वह आगे कहते हैं, “राजनीतिक पार्टियों के लिए नैतिकता विपक्ष में रहकर ही होती है. सत्ता में आने के बाद नैतिकता खत्म हो जाती है. सत्ता में आने के बाद सबका एक ही व्यवहार होता है. जनता भी अब इन सब बातों पर चौंकती नहीं है.”

बता दें कि 15 नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी मध्यप्रदेश में बिरसा मुंडा की जयंती पर भोपाल में एक जनसभा को संबोधित करेंगे. इस जनसभा के जरिए बीजेपी आदिवासी लोगों को साधने की कोशिश करेगी. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक चार घंटे के पीएम के इस कार्यक्रम के लिए 23 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं.

यूपीडा के चीफ अनिल पांडेय कहते हैं, जो भी जिलाधिकारी के माध्यम से बसों की डिटेल आएगी, उसका पेमेंट किया जाएगा. यह पूछे जाने पर कि क्या उस सभा में भी बीजेपी पार्टी के लोग होगें. वह कहते है, “हमें नहीं पता कौन होगा और कौन नहीं. कार्यक्रम यूपीडा का है लेकिन तैयारी जिला प्रशासन ही करता है.”

पूर्वांचल एक्सप्रेस वे को लेकर उठते सवाल

एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) का गठन साल 2007 में यूपी सरकार ने एक्सप्रेस वे निर्माण के लिए किया था. पूर्वांचल एक्सप्रेस परियोजना की शुरुआत सपा सरकार के समय की गई थी. शरत प्रधान भी कहते है कि अखिलेश यादव के समय में ही इस परियोजन की शुरुआत की गई थी.

वहीं एक न्यूज चैनल से बात करते हुए अखिलेश यादव कहते हैं,पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का उद्घाटन सपा की सरकार ने किया था, लेकिन बीजेपी की सरकार आने के बाद टेंडर रद्द किया गया और शिलान्यास कर दिया गया.

खास बात यह है कि साल 2018 में 2019 लोकसभा चुनावों से कुछ समय पहले ही पीएम मोदी ने पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का शिलान्यास आजमगढ़ में किया था. शरत प्रधान कहते हैं, “इस एक्सप्रेस वे के निर्माण के लिए चार अलग-अलग ठेके दिए गए थे जिसमें से दो ठेके बीजेपी से जुड़े लोगों को मिले थे. इसलिए इसमें देरी भी हुई है.” वैसे यूपीडा कि वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक,एक्सप्रेस वे का मुख्य रास्ता खोलने का लक्ष्य मार्च 2021 था.

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में योजना आयोग के पूर्व सदस्य सुधीर पंवार कहते हैं, ”पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के निर्माण में निर्धारित मानकों को पूरा नहीं किया गया है. यातायात की आवाजाही शुरू होने के बाद जनता खुद जान जाएगी कि गुणवत्ता के मामले में यह आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे की तुलना में कहीं नहीं है.”

गुणवत्ता को लेकर यही सवाल अखिलेश यादव भी उठा चुके हैं. वह कहते हैं, एक्सप्रेस वे के नाम पर सरकार जनता को धोखा दे रही है. सर्विस लेन नहीं बनने से आसपास के गांव के लोग कहां चलेंगे. सड़क पर तेज रफ्तार की गाड़ी किसी को भी कुचल सकती है. सरकार लोगों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रही है.

जनसत्ता के पत्रकार राज कहते है, “अभी यह एक्सप्रेस वे पूरी तरह से तैयार नहीं हुआ है. बीच में कहीं-कहीं काम अभी भी किया जा रहा है.” वही शरत कहते है, “इस एक्सप्रेस वे में लिंक रोड अभी पूरी तरह से नहीं बना है. अगर आप को एक्सप्रेसवे पर जाना है तो कई किलोमीटर घुमकर उसपर जाना होता है.”

यूपीडा के असिस्टेंट मैनेजर शिव सिंह न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कहते हैं, “एक्सप्रेसवे बन गया है. बीच-बीच में कुछ जगह काम हो रहा है. उद्घाटन के बाद जनता के लिए एक्सप्रेस वे को खोल दिया जाएगा.”

वहीं बसपा सांसद रितेश पांडेय भी इस एक्सप्रेसवे की क्वालिटी पर सवाल खड़े करते है. वह कहते हैं, “कुछ पैसे बचाने के चक्कर में गुणवत्ता से समझौता किया जाता है. ताज एक्सप्रेस वे की गुणवत्ता जो बसपा सरकार में बना था वह इस एक्सप्रेसवे के मुकाबले काफी ज्यादा अच्छी है. अगर आप विश्व स्तर पर सड़क निर्माण की गुणवत्ता की जांच करेगे तो पूर्वांचल एक्सप्रेस वे उसके आगे कहीं नहीं टिकेगा.”

यूपीडा की आर्थिक स्थिति

उत्तर प्रदेश के नौ जिले(लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अंबेडकर नगर, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर) से गुजरने वाले 340.282 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस वे का निर्माण का खर्च कुल 22,494.66 करोड़ है जिसमें जमीन खरीद भी शामिल है. यूपीडा के सीईओ और उत्तर प्रदेश के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी ने बताया, “साल 2016 में एक्सप्रेस वे की लागत 14,162 करोड़ रुपए आंकी गई थी, लेकिन बोली को 15,157 करोड़ रुपए पर अंतिम रूप दिया गया, जो कि अनुमान से लगभग 995 करोड़ रुपए ज्यादा था. लेकिन योगी सरकार ने एक्सप्रेस वे के निर्माण पर 11,836 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया है. बोली 11,215 करोड़ रुपए की लगी जो कि अनुमान से 621 करोड़ रुपए कम है. इस तरह सरकार ने 1,616 करोड़ रुपए की बचत की.”

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, यूपीडा ने इस एक्सप्रेस वे के लिए साल 2018 में पंजाब नेशनल बैंक से 12 हजार करोड़ का लोन लिया है. जून 2020 में एक बार फिर से 1500 करोड़ का लोन दो अलग-अलग बैंकों से इस प्रोजेक्ट के लिए लिया गया.

अगस्त 2021 में हुई बोर्ड बैठक में दी गई जानकारी

यूपीडा इस समय पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के अलावा तीन अन्य एक्सप्रेसवे का निर्माण कर रहा है. बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे और गंगा एक्सप्रेस वे. इन सभी के निर्माण के लिए संस्था ने हाल ही में 5,900 करोड़ का छह बैंकों से लोन लिया.

सवाल है कि जो संस्था लोन लेकर सड़कों का निर्माण कर रही है, वह इतना बड़ा कार्यक्रम का आयोजन क्यों कर रही है. जिसमें करोड़ों रुपए खर्च हो रहे है. यूपीडा इन बैंकों का लोन टोल टैक्स वसूल कर चुकाएगी. जब एक भी एक्सप्रेस वे का निर्माण नहीं हुआ, तो टोल टैक्स कैसे वसूला जाएगा और लोन कैसे भरा जाएगा. दूसरी बात यह है कि टोल टैक्स जनता से वसूला जाएगा, जो पैसा यूपीडा उद्घाटन में खर्च कर रहा है.

शरत प्रधान इस उद्घाटन पर सवाल उठाते हुए कहते हैं, “जिस संस्था की हालत खराब हो वह इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन करे यह पैसे की बर्बादी है.”

सुल्तानपुर में होने वाले इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी और राजनाथ सिंह हरक्यूलिस विमान से सीधे एक्सप्रेस वे पर लैंड करेगें. करीब 3.5 किलोमीटर लंबे एयर स्ट्रिप को राजस्थान में बाड़मेर हाईवे की तर्ज पर तैयार किया गया है. जहां कुछ महीने पहले राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी हरक्यूलिस विमान से सीधे उतरे थे.

क्या कहते हैं विपक्षी नेता

सरकारी पैसे की बर्बादी पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कहते हैं, “सरकारी प्रोग्राम में भीड़ सरकारी पैसे से नहीं की जा सकती है, यह गलत है. दूसरी बात यह है कि बीजेपी हमेशा से ही दूसरों के कामकाज का उद्घाटन करती है, अपना कोई काम करती ही नहीं है. जनता को खुद भी अब देखना चाहिए कि सरकारी पैसे से भारतीय जनता पार्टी अपना प्रचार-प्रसार कर रही है. इस तरह पैसों की बर्बादी सही बात नहीं है.”

भास्कर की खबर के मुताबिक, इस उद्घाटन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के अलावा राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी, सीएम योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, अयोध्या सांसद लल्लू सिंह, अनुराग ठाकुर, सांसद मेनका गांधी, पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर आने वाले सभी जिलों के सांसद पीएम के कार्यक्रमों में शामिल होंगे.

इस पर सपा के प्रवक्ता पवन पांडेय कहते हैं, “भाजपा की सरकार लूट मचाए हुई है, यह भी उसी का हिस्सा है. जनता अब मोदी-योगी को सुनना नहीं चाहती है, जबरदस्ती लोगों को उनके विचारों को सुनने के लिए ले जाया जाएगा. यह एक्सप्रेस वे अखिलेश सरकार की देन है जिसका फीता अब काटा जा रहा है.”

यह एक्सप्रेस वे अंबेडकरनगर और आजमगढ़ होकर भी जाता है. जहां पर बसपा और सपा से सांसद हैं. क्या इस सरकारी कार्यक्रम में विपक्षी सांसदों को बुलाया गया?

इस पर बसपा के प्रवक्ता और सांसद रितेश पांडे कहते हैं, “अभी तक तो मेरे पास न्यौता नहीं आया है. अगर आता भी है तो मैं नहीं जाऊंगा.”

सांसद आगे कहते हैं, “जो कुछ भी विकास होता है, उसका सत्ता में रहने वाली पार्टी क्रेडिड लेने की होड़ में लगी रहती है. उस होड़ में सत्तारुढ़ पार्टी भूल जाती है कि यह जनता का पैसा है. इस पैसे का उपयोग सत्ता में रहने वाली पार्टी अपनी पार्टी के प्रचार-प्रसार के लिए उपयोग करती है जो जनता के पैसे का घोर दुरुपयोग है.”

सुल्तानपुर में कार्यक्रम के आयोजन पर 55 वर्षीय पत्रकार राज कहते हैं, “सुल्तानपुर में सड़क उद्घाटन करने से बीजेपी पूरे पूर्वांचल को साधने का काम कर रही है. 340 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस वे में करीब 119 किलोमीटर हिस्सा सुल्तानपुर से होकर गुजरता है. इसलिए भी यहां पर इसका उद्घाटन किया जा रहा है. दूसरा कारण यह भी हो सकता है, यह सरकार रामजन्मभूमि को जोर देकर चुनाव में जा रही है. बीजेपी का पूरा फोकस राममंदिर को लेकर होता है. और यह उद्घाटन स्थल अयोध्या के पास है.”

वैसे राजनीतिक गलियारों में माना जाता है कि उत्तर प्रदेश की सत्ता का रास्ता पूर्वांचल से ही होकर गुजरता है. पूर्वांचल के 28 जिले सूबे की राजनीतिक दशा और दिशा तय करते हैं.

इससे पहले आजमगढ़ में विश्वविद्यालय के शिलान्यास के लिए गए गृहमंत्री अमित शाह की रैली में भी भीड़ जुटाने के लिए जिन बसों की व्यवस्था की गई वो भी सरकारी पैसों से की गई.

अमर उजाला की खबर के मुताबिक, आजमगढ़ के जिला अधिकारी ने पीडब्ल्यूडी को पत्र लिखकर संभागीय परिवहन अधिकारी आजमगढ़ को हर हाल में 40 लाख रुपए मुहैया कराने के लिए कहा है. जिसके बाद पीडब्ल्यूडी ने इमरजेंसी फंड से बसों का भुगतान किया.

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