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त्रिपुरा हिंसा के केंद्र में भाजपा युवा मोर्चा नेता रानू दास
त्रिपुरा के एक छोटे से कस्बे पानीसागर में एक वीडियो लगभग सभी ने देखा है. यह कस्बा अक्टूबर में एक विश्व हिंदू परिषद की रैली की वजह से सुर्खियों में आया जिसमें हिस्सा लेने वालों ने कथित तौर पर मुसलमानों की संपत्तियों को निशाना बनाया.
27 सेकंड लंबे इस वीडियो क्लिप में सैकड़ों लोगों को अगरतला-असम हाईवे पर हिंदी में नारे लगाते हुए देखा जा सकता है. बताया जाता है कि यह प्रदर्शन बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों के खिलाफ हो रहा था. वीडियो में लाल रंग के कुर्ते में हाथ में माइक लिए हुए एक आदमी चिल्लाता है, "हिंदुस्तान में मुल्लागिरी नहीं चलेगा," भीड़ जवाब देती है, "नहीं चलेगा, नहीं चलेगा".
इसके बाद वीडियो और विकृत हो जाता है, वह व्यक्ति चिल्लाता है "मोहम्मद तेरे बाप का नाम", भीड़ जवाब देती है "जय श्रीराम, जय श्रीराम."
इस कथित नारेबाजी का नेतृत्व पानीसागर निवासी 29 वर्षीय रानू दास कर रहे हैं, जो सत्तारूढ़ दल भाजपा के विद्यार्थी अंग भारतीय जनता युवा मोर्चा के स्थानीय जनरल सेक्रेटरी हैं. इससे पहले दास विहिप के युवा संगठन बजरंग दल के कार्यकर्ता थे.
भाजपा और विहिप, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेतृत्व वाले संघ परिवार का एक हिस्सा हैं.
लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती. इसी वीडियो का एक और हिस्सा जो करीब तीन मिनट का है, में दास त्रिपुरा में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा बांग्ला में दूसरे ही नारे लगाते दिखाई पड़ रहे हैं. इस हिस्से में वह चिल्लाते हैं, "दुनियार हिंदू समाज", भीड़ जोश से कहती है "एक हो". जिसका अर्थ है कि विश्व का हिंदू समाज एक हो.
इसके बाद "जय श्री राम" और "जोंगिबाड़ी कालो हाथ भेगेडाओ गुडिएड़ाओ" के नारे लगते हैं, जिसका अर्थ है "हम जोंगिबाड़ी (आतंकियों) के काले हाथ तोड़ और तबाह कर देंगे." इसके बाद लगने वाले नारों में यह शब्द बदलकर "जिहादी" हो जाता है और बीच-बीच में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री को लेकर "शेख हसीना हाय हाय" के नारे भी लगते हैं.
अलग-अलग ऑडियो, अलग-अलग विवरण
पानीसागर के मुसलमान जो अधिकतर चमटिल्ला और रोवा बाजार गांवों में रहते हैं, कहते हैं कि दास के द्वारा पैगंबर मोहम्मद को गाली देने वाला वीडियो ही असली है. लेकिन संघ से जुड़े हुए हिंदू जिनमें दास भी शामिल हैं, इस बात पर जोर देते हैं कि यह वीडियो झूठा है और केवल लंबा वाला ही असली है.
ऑल्ट न्यूज के अनुसार, त्रिपुरा हिंसा पर झूठे संदेश फैलाते हुए कम से कम सात और वीडियो वायरल किए गए हैं. (एक, दो, तीन, चार, पांच, छह और सात)
जहां एक तरफ लंबी अवधि वाला वीडियो, वक्ताओं के मुंह और बांग्ला नारों के बीच बेहतर तालमेल दिखाता है, वहीं चश्मदीद होने का दावा करने वाले मुसलमान निवासियों का आरोप है कि उन्होंने 26 अक्टूबर की रैली में दास को पैगंबर मोहम्मद का अपमान करते देखा और सुना, जब जुलूस में हिस्सा लेने वाले लोगों ने मस्जिद पर हमला किया और मुसलमानों की दुकानों में आग लगा दी.
कार्यकर्ता, क्रिकेटर और इंजीनियर
त्रिपुरा की राजनीति में दास नए नहीं हैं. वे उत्तर त्रिपुरा के एक जाने-माने राजनीतिक परिवार से आते हैं. उनके पिता राकेश दास 60 और 70 के दशक में दो बार पानी सागर के सरपंच चुने गए थे, उस समय यह कस्बा धर्मनगर के बाहर का एक गांव हुआ करता था. उनके बड़े भाई रंजीत दास ने अपने राजनैतिक कैरियर की शुरुआत करीब 10 साल पहले कांग्रेस से की थी और 2016 में वह भाजपा में आ गए. उस समय 24 वर्षीय रानू ने उसी साल बजरंग दल की सदस्यता ले ली थी.
रंजीत ने न्यूजलॉन्ड्री को बताया, "रानू अब भाजपा में है, लेकिन उसका मन हमेशा से वीएचपी और बजरंग दल के ज्यादा निकट रहा है." रंजीत की पत्नी पपाया, पानीसागर नगर निगम की चेयरमैन थीं और नवंबर के आखिर में होने वाले त्रिपुरा नगर निगम चुनावों में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं.
रंजीत कहते हैं कि रानू ने जयपुर से इंजीनियरिंग की है इसलिए उन्हें पानीसागर के "सबसे पढ़े लिखे" लोगों में गिना जाता है. इस तरह का विशेषाधिकार रखने वाले एक स्थानीय क्लब बना लेते हैं जिसका नाम "ब्रदर्स क्लब" है, और इसके सदस्य अक्टूबर में हुई वीएचपी रैली का हिस्सा भी थे.
लेकिन इस समय रानू दो हफ्ते से पानीसागर में नहीं हैं. त्रिपुरा पुलिस के द्वारा आईपीसी की चार धाराओं- 153 (दंगा फैलाने की मंशा से भड़काना), 298 (जानबूझकर सांप्रदायिक भावनाओं को आहत करना), 427 (नुकसान पहुंचाने वाली हरकत) और 505 (सामाजिक द्वेष और दूर भाव फैलाने वाली अफवाह या खबर उड़ाना) में नामजद होने के बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए वे फरार हैं.
उत्तर त्रिपुरा के एसपी भानुपद चक्रवर्ती दास के खिलाफ पुलिस की जांच पर कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर देते हैं. वे कहते हैं, "यह मामला उच्च न्यायालय की निगरानी में है और हम उसकी जांच कर रहे हैं. अभी के लिए मैं इतना ही कह सकता हूं."
फोन पर रानू न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं कि पैगंबर के खिलाफ नारे लगाते हुए उनका वीडियो "फर्जी" है. उनका दावा है, "हजारों लोगों की रैली में मेरे लिए हिंदी के नारे लगवाने का कोई अर्थ नहीं बनता. अगर आप नारे लगा रहे हैं तो आप लोगों को साथ लेना चाहते हैं, इसीलिए मैंने बांग्ला में प्रदर्शन किया."
29 वर्षीय रानू जो एक समय पर उत्तर त्रिपुरा की जिला क्रिकेट टीम का हिस्सा भी रहे हैं, को यह स्पष्टीकरण तो देना ही पड़ेगा कि जिस रैली में वह नारे लगवाने में अग्रणी थे वह मुसलमानों के खिलाफ कैसे टूट पड़ी. 26 अक्टूबर को विहिप के पांच हजार लोगों वाले जुलूस ने एक गोलाकार रास्ता लिया. लोग पानीसागर में इकट्ठा हुए, फिर दो किलोमीटर दूर चमटिल्ला गांव पहुंचे जहां जुलूस में हिस्सा लेने वालों ने कथित तौर पर एक 19वीं सदी की मस्जिद पर पत्थरबाजी की, इसके बाद वह डेढ़ किलोमीटर आगे भीड़ रोवा बाज़ार पहुंची, जहां उन्होंने दो दुकानों में आग लगाई, संपत्तियों में तोड़फोड़ की और फिर जुलूस पानीसागर लौट आया जहां प्रदर्शन समाप्त हो गया.
जिस वीडियो कि यहां बात हो रही है उसमें दास, मस्जिद से कुछ ही मीटर पहले चमटिल्ला के पुल पर नारे लगाते हुए दिखाई पड़ रहे हैं. जिस वीडियो को दास असली बता रहे हैं, उसमें धार्मिक स्थल के पास पहुंचते हुए आवाज तेज हो जाती है.
अपनी पहचान गुप्त रखने की शर्त पर चमटिल्ला के एक नागरिक दावा करते हैं, "मैंने उसे रैली में पैगंबर के खिलाफ नारे लगाते हुए देखा. मस्जिद पर हमला जुलूस के बीच में चल रहे लोगों ने किया. उन्होंने सर पर पीले पट्टे बांधे थे और लंबा तिलक लगाया हुआ था. स्थानीय मुसलमानों को हिंसा की आशंका पहले से थी."
अपने बचाव में दास के पास दो वाद हैं- पहला कि चमटिल्ला गांव की मस्जिद पर पथराव विहिप की रैली में घुस आए सीपीआई(एम) के कार्यकर्ताओं ने किया, और दूसरा कि रोवा बाजार की दुकानों में आग मुसलमानों के द्वारा भड़काए जाने के बाद लगी, जो हंसिए उठाए हुए "पाकिस्तान जिंदाबाद" के नारे लगा रहे थे और गांव की मस्जिद से “अल्लाह हू अकबर" चिल्ला रहे थे.
दास कहते हैं, "जब वह ऐसे नारे लगाएंगे तो पांच हजार लोगों की रैली में कुछ आदमियों का भड़क जाना स्वाभाविक है. लेकिन इसमें से कुछ भी योजना बंद नहीं था, सब अपनेआप ही हुआ. मेरे खुद के माता-पिता रैली में थे. क्या आपको लगता है कि मैं हिंसा की योजना बना लूंगा और उन्हें भी हिस्सा लेने दूंगा?"
उनके दावों का कोई सबूत मांगे जाने पर दास कहते हैं कि उनके पास कोई सबूत नहीं है. हालांकि 26 अक्टूबर का एक वीडियो यह जरूर दिखाता है कि रोवा बाजार मस्जिद के बाहर स्थानीय निवासी डंडे और हंसिए लिए खड़े हैं. उनमें से कई "पाकिस्तान जिंदाबाद" के नारे लगाने की बात को नकार देते हैं, लेकिन "अल्लाह हू अकबर" के नारे लगाने को स्वीकार करते हैं.
जश्नुद्दीन जिनके भाई अमीरुद्दीन की दुकान जला दी गई कहते हैं, "यही वजह है जिसकी वजह से मस्जिद आज सुरक्षित खड़ी है. हमें अपना बचाव करना पड़ा."
"हमने रानू दास को रैली को भड़काते हुए देखा"
रोवा बाजार में कम से कम चार लोग हैं जो दावा करते हैं कि उन्होंने दास को रैली को भड़काते हुए, पैगंबर का अपमान करते हुए और "जय श्री राम" चिल्लाते हुए देखा. दोनों भाई जश्नुद्दीन और अमीरुद्दीन, अमीर हुसैन और अब्दुल सुक्कुर यह चारों लोग हैं.
यह चारों ही रोवा बाजार में रहते हैं, और कहते हैं कि वह मस्जिद के बाहर ही खड़े थे और उन्होंने जुलूस को डेढ़ सौ मीटर दूर दुकानों को आग लगाते हुए देखा.
जश्नुद्दीन न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, "मैं रानू दास को जानता हूं और मैंने उसे पहचान लिया. वह रैली में था और उसने मेरे पैगंबर के बारे में नारे लगाए. जुलूस ने पहले यहां दुकानों में तोड़फोड़ की और फिर उनमें आग लगा दी. गांव के पीछे वाले घरों पर भी हमला हुआ. पुलिस मौजूद थी लेकिन उसने कुछ नहीं किया."
अमीर हुसैन जिनकी रोवा बाजार की दुकान में रैली के दौरान तोड़फोड़ हुई, जश्नुद्दीन से सहमत हैं और कहते हैं, "मैंने उसके द्वारा पैगंबर की बेइज्जती करने वाला वीडियो ही नहीं, बल्कि रैली वाले दिन मैंने उसे खुद ऐसा करते हुए भी देखा है. उस समय दोपहर के करीब 3 बजे थे. नमाज का समय था और मैं मस्जिद के बाहर ही खड़ा था. काश हम उसका वीडियो बना पाते लेकिन क्योंकि हिंसा हो रही थी इसलिए हम बहुत डरे हुए थे."
अब्दुल सुक्कुर का कहना है, "हम मस्जिद छोड़कर बाहर जाना और भीड़ के पास नहीं फटकना चाहते थे. हम उसकी सुरक्षा करना चाहते थे और इसलिए हमने आगजनी करने वालों को भगाने के लिए अल्लाह हू अकबर के नारे लगाए."
अमीरुद्दीन न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं कि हालांकि दास नफरत भरे नारे जरूर लगा रहे थे, लेकिन उन्होंने परिणामस्वरूप हुई हिंसा में उसे भाग लेते हुए नहीं देखा.
पानीसागर में विश्व हिंदू परिषद के मंडल अध्यक्ष बिदिथ रॉय दावा करते हैं कि पुलिस उस विवादित वीडियो की जांच कर रही है. उनका कहना है, "उसे फॉरेंसिक जांच के लिए क्राइम ब्रांच भेज दिया गया है. हमारा मानना है कि वह फर्जी और राजनीति से प्रेरित है."
दास कहते हैं कि अगर यह साबित हो जाए कि उन्होंने नारे लगाए और भीड़ को भड़काया तो वह जेल जाने को तैयार हैं. वह दावा करते हैं, "विश्व हिंदू परिषद के दो और भाजपा के एक व्यक्ति को पुलिस हिरासत में ले चुकी है. अगर कोई साबित कर दे कि मैंने पैगंबर का अपमान किया और हिंसा में भाग लिया, तो मैं जेल जाने को तैयार हूं."
सभी तस्वीरें- आयुष तिवारी
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