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छत्तीसगढ़: विकास कार्यों के लिए मिली राशि को कांग्रेस विधायक ने पत्रकारों को बांटा
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस विधायक से जुड़ा एक मामला सामने आया है. कोरबा जिले के मनेंद्रगढ़ विधानसभा से कांग्रेस विधायक विनय जायसवाल ने दशहरा और दिवाली मिलन के मौके पर अपने क्षेत्र के पत्रकारों को एक कार्यक्रम के लिए बुलाया था. इस कार्यक्रम में 60 पत्रकारों को लिफाफे बांटे गए, जिसमें 5 हजार रुपए का चेक था. बांटी गई यह राशि विधायक को विकास कार्यों के लिए मिली थी.
आईएनएच न्यूज चैनल के पत्रकार रविकांत सिंह भी उस समारोह में गए थे. विधायक ने यह लिफाफा उन्हें भी दिया था. हालांकि उन्होंने चेक मिलने के बाद उसे वापस कर दिया. न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में वह कहते हैं, “हमें दशहरा और दिवाली मिलन के लिए बुलाया था. इसी दौरान सभी पत्रकारों को लिफाफे में चेक बांटे गए. मैंने चेक लेने से इंकार करते हुए विधायक को लौटा दिया.”
रविकांत आगे कहते हैं, “यह चेक जिला कलेक्टर के ऑफिस से जारी किया गया था. मैंने कोई अनुदान राशि की मांग नहीं की थी. यह पैसा जनता के विकास कार्य के लिए है जिसे विधायक पत्रकारों को बांट रहे हैं.”
पत्रकार ने चेक मिलने और लौटाए जाने को लेकर जिले के कलेक्टर को पत्र भी लिखा है. इस पत्र में मांग की गई है कि इस चेक और राशि को निरस्त किया जाए और अनुदान राशि की सूची से मेरा नाम हटाया जाए.
समारोह में मौजूद एक अन्य चैनल के पत्रकार नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, “हमें विधायक के मीडिया सलाहकार ने फोन कर दशहरा और दिवाली मिलन के लिए चिरमिरी अपने घर पर बुलाया था. इस समारोह में वरिष्ठ पत्रकारों ने पहले उद्बोधन दिया, फिर नाश्ता करवाया गया और अंत में लिफाफा दिया गया. हमें नहीं पता था कि इसमें चेक है. अभी तक हमने चेक को बैंक में लगाया भी नहीं है. वहीं एक पत्रकार ने चेक को लौटा दिया है."
स्वेच्छानिधि से जारी इस राशि पर छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व सचिव देवेंद्र वर्मा न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कहते हैं, “यह बहुत गलत है. यह क्षेत्र के विकास कार्य के लिए राशि होती है, जिसे विधायक पत्रकारों को बांट रहे हैं. सब अपनी मनमानी कर रहे हैं.”
वह आगे कहते हैं, “बहुत ही कम होता है कि जिला कलेक्टर नियमों का उल्लंघन कर इस तरह पत्रकारों के नाम पर चेक जारी करते हैं. इस मामले में विधायक और कलेक्टर दोनों ने गलत किया है. यह नियम के खिलाफ है.”
देवेंद्र वर्मा, जनसंपर्क व स्वेच्छानुदान निधि राशि को कैसे खर्च किया जाता है उसे बताते हैं. वह कहते है, “यह राशि विधायकों को अपने क्षेत्र में विकास कार्य के उपयोग के लिए दी जाती है. जैसे की कोई रोड का निर्माण करना है, नाली बनवाना है, नल लगवाना है आदि, वह इसका प्रपोजल जिला कलेक्टर को भेजते हैं. जिसपर जिला कलेक्टर उस कार्य के लिए राशि जारी करते है. ऐसे लोगों को नाम पर चेक बनाकर राशि नहीं दी जाती है. ऐसे बहुत ही कम होता है. ज्यादातर विधायक अपने क्षेत्र में गरीबों को मदद करने के लिए कंबल या अन्य सामग्री बांटते है, जिसका भुगतान जिला कलेक्टर द्वारा किया जाता है.”
वहीं इस पर जिला कलेक्टर श्याम धावड़े कहते हैं, “विधायक अनुशंसा में जिन नामों को लिखते हैं, उनके नाम से विधायक जनसपंर्क निधि की राशि का चेक प्रशासन जारी करता है. इस बारे में ज्यादा जानकारी फ़ाइल देखकर दे पाऊंगा.”
वहीं इस बारे में हमने कांग्रेस विधायक विनय जायसवाल से भी बात की. वह कहते हैं, “जिले में भाजपा के विधायक जनसंपर्क व स्वेक्षानुदान का उपयोग अपने लिए कपड़े खरीदने, घर की साज सज्जा के लिए करते थे, मैंने तो लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ जो जरूरतमंद हैं उनको उपहार दिया है. जो उनके काम आएगी. राशि का कहां उपयोग करना है यह मेरा अधिकार है.
इस पर छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार अलोक पुतुल न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, “जनता के लिए मिलने वाली राशि को कांग्रेस विधायक पत्रकारों को लुभाने के लिए खर्च कर रहे हैं. यह सरासर अनैतिक और गलत कृत्य है.”
बता दें कि कांग्रेस विधायक विनय जायसवाल ने पहली बार ऐसा नहीं किया है वह पहले भी सरकारी राशि को अपने लोगों को बांट चुके हैं. इससे पहले विधायक ने मनेंद्रगढ़ की महिला कांग्रेस ब्लाक अध्यक्ष को शिक्षा के नाम पर स्वेक्षानुदान की राशि वितरित की थी. विधायक ने महिला कांग्रेस ब्लाक अध्यक्ष के साथ ही महिला कांग्रेस नेत्रियों व कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भी राशि वितरित की थी. लेकिन मामला सामने आने के बाद महिला कांग्रेस ब्लाक अध्यक्ष ने उस राशि को गरीबों को बांट दिया था.
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