Report

"ये सब आतंकवादी हो सकते हैं": शुक्रवार की नमाज रोकना चाह रहे प्रदर्शनकारियों के साथ एक दिन

गुड़गांव सेक्टर 54 के निवासी इम्तियाज अली कहते हैं, "नमाज खुदा की इबादत है, हम किसी से लड़ाई नहीं करना चाहते."

इम्तियाज सेक्टर 47 के एक पार्किंग लॉट पर हैं. यह जगह 2018 से नमाज़ के लिए निर्धारित है. वे यहां पर मुस्लिम समाज के अन्य लोगों के साथ शुक्रवार की नमाज पढ़ने आए हैं. वे कहते हैं, "हम देश के शांतिप्रिय लोग हैं, हम केवल नमाज पढ़कर चले जाना चाहते हैं, लेकिन इसके खिलाफ प्रदर्शन करने वाले इसे राजनीतिक बना रहे हैं."

इम्तियाज अली

उनसे बातचीत शुरू करने के कुछ ही मिनटों के अंदर यह सुनना मुश्किल हो जाता है कि इम्तियाज क्या कह रहे हैं, क्योंकि 'ओपन नमाज बंद करो' के नारों में उनकी आवाज दब जाती है. जैसे-जैसे प्रदर्शन करने वाले पुरुष और महिलाएं अपने साथ तख्तियां, लाउड स्पीकर व माइक लेकर नमाज स्थल की तरफ बढ़ते हैं, शोर और बढ़ता जाता है. प्रदर्शन करने वालों में से कई इसी सेक्टर के निवासी हैं, हालांकि पहले हुए ऐसे कई प्रदर्शनों में हिंदुत्ववादी समूह भारत माता वाहिनी के सदस्यों ने इनका नेतृत्व किया था. बता दें कि पिछले कुछ हफ्तों से, ये लोग हर शुक्रवार नमाज़ स्थल पर ठीक नमाज पढ़ने के समय ही इकट्ठे हो रहे हैं.

दोपहर 12 बजकर 40 मिनट पर नमाज की तैयारी शुरू करते हुए

सेक्टर 47 के निवासी और यहां प्रदर्शन कर रहे बीएस यादव कहते हैं, "इनके आईडी कार्ड चेक करो, कौन जाने कहां से आए हैं. मैंने सुना है कि दिल्ली में एक आतंकवादी रहता था, जो अभी कुछ दिन पहले 15 साल के बाद पकड़ा गया. यह लोग भी आतंकवादी हो सकते हैं. इनकी आईडी चेक क्यों नहीं की जा रही हैं?"

प्रदर्शन करने वालों में शामिल युवाओं में से एक, 24 वर्षीय खुशी चौधरी एक स्थानीय स्कूल में टीचर हैं. वे कहती हैं कि शुक्रवार को मुसलमानों के नमाज पढ़ने आने की वजह से वह असुरक्षित महसूस करती हैं. खुशी कहती हैं, "किसी खुली जगह में नमाज पढ़ना, वह भी एक 'सोसाइटी' में यह कोई गांव या ऐसे ही कोई जगह नहीं है जहां आप बिना इजाजत के कुछ भी कर सकते हैं. यह लोग तो सब अवैध रूप से कर रहे हैं."

वे आगे कहती हैं, "सेक्टर में मुसलमान लोगों के घूमते रहने की वजह से हमारे लिए यहां रहना बहुत असहज हो गया है. अगर ये नमाज पढ़ें और चले जाएं तो हमें कोई दिक्कत नहीं लेकिन ये लोग यहां घूमते हैं, लोगों के घरों में झांकते हैं." खुशी चौधरी कहती हैं कि अगर नमाज चालू रहती हैं तो उन्हें हर शुक्रवार प्रदर्शन के लिए आने में से कोई परहेज नहीं.

सेक्टर 47 की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के ज्वाइंट सेक्रेट्री रविंद्र कुमार कहते हैं, "हम चाहते हैं कि यह लोग जहां से आए हैं वहीं चले जाएं - नमाज अपने घर, मस्जिद या काम की जगह पढ़ें, हमारे इलाके में नहीं. यह बाहर वाले हैं - हम इन्हें नहीं जानते, ये कहां से आए हैं और किस देश के निवासी हैं, और क्या करना चाहते हैं."

वहीं स्थानीय निवासियों की कोशिशों के बाद भी, शुक्रवार की नमाज़ पढ़ने के लिए सेक्टर 47 में इकट्ठा हुए मुसलमानों ने नमाज़ निर्धारित जगह से 150 मीटर दूर अदा की, जहां पुलिस ने उनके चारों तरफ घेराबंदी सी कर दी थी.

इससे पहले 2018 में कई दक्षिणपंथी गुटों ने जिसमें हिंदुत्ववादी दल संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति भी शामिल था, जोकि 12 हिंदुत्ववादी गुटों की स्थानीय इकाइयों का संयुक्त समूह है जिसमें बजरंग दल और विहिप भी शामिल थे, ने गुड़गांव में खुली जगह पर कई नमाज़ स्थलों पर खलल डाला था. उस समय इस तरह नमाज़ पढ़ने की लगभग 150 जगहें हुआ करती थीं. इस मामले में कम से कम 6 लोग गिरफ्तार हुए थे और बातचीत के कई राउंड के बाद गुड़गांव के स्थानीय प्रशासन ने गुड़गांव में 37 जगहों को, जिनमें मस्जिदें भी शामिल थीं को नमाज स्थलों के रूप में चिह्नित किया था.

सेक्टर 47 का पार्किंग लाॅट जहां पर इस समय प्रदर्शन हो रहे हैं ऐसी ही एक जगह है जहां पिछले 3 सालों से मुसलमानों ने शुक्रवार की नमाज अदा की है. हालांकि यह सब पुलिस की निगरानी में हुआ है, लेकिन इस साल अप्रैल से, दक्षिणपंथी दल भारत माता वाहिनी के एक सदस्य दिनेश भारती के नेतृत्व में फिर से प्रदर्शन शुरू हो गए हैं और तनाव बढ़ गया है. इसी साल अप्रैल में भारती को नमाज़ में खलल डालने और सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए गिरफ्तार किया गया था. अगस्त में उन्हें जंतर मंतर रैली जाते हुए रास्ते में ही गिरफ्तार किया गया, जहां पर मुस्लिम विरोधी नारे लगाए गए थे. भारती ने यह बात खुद ट्वीट करके बताई थी.

पिछले हफ्ते तनाव बढ़ने के बाद, सदर थाने के एसएचओ दिनेश यादव ने दिनेश भारती, मुस्लिम समाज के कुछ लोगों, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के कुछ सदस्यों, स्थानीय निवासियों और पुलिस के कुछ लोगों की साथ में मीटिंग बुलाई थी.

गुड़गांव नागरिक एकता मंच के सह-संस्थापक अल्ताफ अहमद के अनुसार, नमाज़ को सेक्टर 37 ले जाने का एक सुझाव दिया गया था लेकिन इसे मुस्लिम समाज ने ठुकरा दिया क्योंकि यह लोगों के लिए बहुत असुविधाजनक और दूर था.

अहमद उनके धर्म के अनुसार ईद और शुक्रवार को सामूहिक नमाज की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं, "हमसे पूछा जाता है कि हम घर पर ही क्यों नहीं नमाज पढ़ते. हम पढ़ते हैं. पूरे हफ्ते दिन में 5 बार हम घर पर ही पढ़ते हैं."

अहमद गुड़गांव में पिछले 15 साल से रह रहे हैं. वे कहते हैं कि कुछ समय से उन्हें इस बात का डर लगा रहता है कि शुक्रवार को क्या हो सकता है. वे कहते हैं, "पिछले कुछ सालों से मुसलमान समाज बहुत ज्यादा दबाव में हैं, खास तौर पर युवा पीढ़ी के ऊपर अपनी पहचान को छुपाने या उसके औचित्य को साबित करने का दबाव बनाया जा रहा है."

वे आगे कहते हैं, "सेक्टर 47 का नमाज स्थल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे खुद प्रशासन ने ही मई 2018 में सेक्टर 40, 45, 46, 38, 39 और 37 से जुमे की नमाज की जगहें हटाने के बाद निर्धारित किया था. गुड़गांव में केवल दो ही मस्जिदें हैं इसलिए शुक्रवार को नमाज़ अदा करने के लिए सब लोग वहां इकट्ठा नहीं हो सकते हैं." वे समझाते हैं कि पिछले कुछ सालों से उन्हें लगातार अपनी नमाज अदा करने वाली जगहों को लेकर समझौता करना पड़ रहा है, और उन्हें हर जगह अपनी राष्ट्रीयता साबित करनी पड़ती है क्योंकि एक हिंदुस्तानी के तौर पर उनकी पहचान पर ही सवाल उठाया जाता है.

30 सितंबर को गुड़गांव नागरिक एकता मंच ने, हरियाणा के पुलिस कमिश्नर को नमाज़ में खलल डालने और गुड़गांव में सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिशों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लिखा. उन्होंने शिकायत में भारत माता वाहिनी के ऊपर इसका मुख्य आरोपी होने का इल्जाम लगाया.

नमाज स्थल के करीब प्रदर्शनकारी

गुड़गांव के सदर पुलिस थाने के एसीपी अमन यादव के अनुसार, 2018 से विरोध प्रदर्शन के पहले तक नमाज़ शांतिपूर्वक हो रही थी‌. उन्होंने बताया कि इस शुक्रवार 30 पुलिसकर्मियों को एहतियात के तौर पर तैनात किया गया था.

यादव ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, "अगर एक आदमी भी आकर स्थिति बिगाड़ दे तो बात बढ़ सकती है. आज, प्रदर्शन शांतिपूर्वक हुए. प्रदर्शनकारियों ने आज एक सूची दिखाई जिसमें यह कहा गया कि 2018 में दी गई मंजूरी यहां पर केवल एक दिन के लिए थी. उन्होंने ऐसा कुछ पहले कभी नहीं कहा. हम इसकी पड़ताल कर खुद इसे स्पष्ट करेंगे."

दोपहर 1:15 पर नमाज शुरू होने से कुछ ही मिनट पहले, प्रदर्शनकारी लाउडस्पीकर लेकर वहां आ गए और जोर-जोर से वहां हिंदू भक्ति गीत, देशभक्ति के नारे और "जय श्री राम" चिल्लाने लगे.

Also Read: नोएडा में नमाज को लेकर प्रशासन को दिक्कत है या नोएडावासियों को?

Also Read: मुस्लिम-विरोध और हिंसा: वीएचपी की 10 पत्रिकाओं का लेखाजोखा