Lakhimpur Kheri
लखीमपुर खीरी हिंसा: वो वफादार ड्राइवर जिसने अजय मिश्र के लिए छह साल तक किया काम
सोशल मीडिया पर लखीमपुर खीरी मामले से जुड़ा एक नया वीडियो क्लिप सामने आया है. इस वीडियो में 3 अक्टूबर को तिकुनिया इलाके में तेज रफ्तार से तीन गाड़ियां- स्कॉर्पियो, थार और फॉर्च्यूनर प्रदर्शनकारी किसानों को रौंदते हुए देखी जा सकती हैं. किसानों को रौंदने वाली सबसे पहली गाड़ी एक महिंद्रा थार है. बता दें कि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी ने पुष्टि की है कि यह थार उन्हीं की थी जो उनके परिवार के नाम से रजिस्टर्ड है.
तीन अक्टूबर को ही बनवीरपुर में कुश्ती दंगल का आयोजन हो रहा था. कुश्ती मैच के चश्मदीदों ने न्यूज़लॉन्ड्री के साथ एक वीडियो साझा किया है. इस वीडियो में दोपहर 2:15 बजे आशीष मिश्र कार्यक्रम का संचालन करते हुए नजर आते हैं. उसी वीडियो में आशीष से थोड़ी दूर पीली शर्ट पहने एक व्यक्ति खड़ा है. देखने में यह वही व्यक्ति लगता है जो घटना के वक्त थार गाड़ी चला रहा था. इस व्यक्ति की पहचान 31 वर्षीय ड्राइवर हरी ओम के रूप में हुई है जो पिछले छह सालों से केंद्रीय मंत्री के लिए काम कर रहे थे.
न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए हरी ओम के चचेरे भाई रजनीकांत मिश्र बताते हैं, “4 अक्टूबर को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी ने फोन किया था कि चिंता मत करो, मैं तुम्हें एक लाख रुपए दूंगा जब तुम्हारी बहन की शादी होगी.”
3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में मारे गए आठ लोगों में हरी ओम भी थे. और प्रदर्शनकारियों को कुचलने वाली तीन गाड़ियों में शामिल थार को हरी ओम ही चला रहे थे.
परसेहरा गांव में हरी ओम का मकान बना है. इसमें टिन से बना एक छोटा सा दरवाज़ा है. अंदर जाने पर दो छोटे कमरे हैं. घर पर बूढ़ी बीमार मां 60 वर्षीय निशा मिश्र, पिता और एक छोटी बहन रहती हैं. मानसिक रोग से जूझ रहे पिता दिनभर खटिया पर लेटे रहते हैं. उन्हें यह भी नहीं पता कि उनका बेटा हरी ओम अब कभी घर लौटकर नहीं आएगा.
हरी ओम घर की तंगी और गरीबी के कारण ज्यादा पढ़ नहीं पाए और गाड़ी चलाने का काम शुरू कर दिया. पिछले छह सालों से वो सांसद अजय मिश्र टेनी की गाड़ी चला रहे थे. अजय मिश्र के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद उन्हें सरकारी गाड़ी और ड्राइवर मिल गए जिसके बाद से हरी ओम अजय के घर की अन्य गाड़ियां चलाने लगे .
हरी ओम का परिचय अजय मिश्र टेनी से उनके चाचा के जरिए हुआ था जो की एक स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता हैं. रजनीकांत ने कहा, "हरिओम का परिवार बहुत गरीब है और उनकी तीन बहनें भी हैं जिनकी देखभाल भी हरी ओम किया करता था. उनके बीमार पिता बिस्तर पर पड़े हैं, और उनकी दवाएं भी बहुत महंगी हैं. इसीलिए उन्होंने अजय मिश्र के यहां ड्राइविंग का काम किया. हरी ओम का कोई राजनीतिक झुकाव नहीं था. वह 10 से 12 हजार रुपए प्रति माह कमाते थे.”
सबसे छोटी बहन 22 वर्षीय माहेश्वरी ने 12वीं तक पढ़ाई की है. माहेश्वरी कहती हैं, "भैया चाहते थे कि जब तक मेरा मन करे मैं आगे पढूं. वही मेरी फीस भरा करते थे. उनके जाने के बाद घर में कोई कमाने वाला नहीं है. पिताजी की हालत नाजुक है. मां भी बीमार रहती हैं. छोटा भाई नौकरी नहीं करता है. परिवार पर लाखों का कर्जा है. ऐसे में अब मैं और नहीं पढ़ पाऊंगी."
बड़ी बहनों की शादी और पिता के इलाज के खर्चे के चलते परिवार पर 7.5 लाख रुपए का कर्जा है. परिवार के मुताबिक अजय मिश्र टेनी बहनों की शादी में भी आए थे.
हरी ओम के जाने से मां सदमे में है. वो इस सच को मान नहीं पा रही हैं. वह कहती हैं, "मेरी और पति की तबीयत खराब रहती है. वो हफ्ते में एक बार घर आता था, हमारे कपड़े धोता था. उसकी शादी नहीं हुई थी लेकिन उसे दहेज का लालच नहीं था. वो कहता था कि मुझे बस ऐसी लड़की से शादी करनी है जो मेरी मां का ध्यान रख सके."
हरी ओम गुरुवार, 30 सितम्बर को अपने घर से अजय मिश्र के घर बनवीरपुर के लिए निकले थे. उन्होंने घर पर बताया था कि सांसद अजय मिश्र टेनी और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य गांव में होने वाले कुश्ती कार्यक्रम के लिए आने वाले हैं.
घटना के संबंध में न्यूज़लॉन्ड्री ने कई चश्मदीदों से बात की. उन्होंने बताया कि तीन अक्टूबर को तेज रफ्तार में तीन गाड़ियां किसानों की तरफ बढ़ी और उन्हें रौंदते हुए आगे निकल गईं. इस घटना में करीब 30 लोग घायल हुए और आठ लोगों की मौत हो गई.
यूपी सरकार ने इस दुर्घटना में चार किसानों को 45-45 लाख रुपए मुआवजा देने का एलान किया है जबकि बाकी अन्य चार लोगों को मुआवजा देने की कोई सूचना नहीं दी है. हरी ओम बेहद गरीब परिवार से आते हैं. परिवार का कहना है कि उन्हें अब तक ना मुआवजा मिला है ना अजय मिश्र टेनी के घर से कोई उन्हें मिलने आया है. चचेरे भाई ने हमें बताया कि पांच अक्टूबर को अजय मिश्र टेनी परिवार से मिलने आने वाले थे लेकिन किसी कारणवश वो नहीं पहुंच सके. उनकी अजय मिश्र से आखिरी बार बात तिकुनिया थाने में हुई थी.
हरी ओम के चचेरे भाई रजनीकांत बताते हैं, "चार अक्टूबर को हम पुलिस स्टेशन एफआईआर दर्ज कराने गए थे. तब हमने अजय मिश्र टेनी जी से फोन पर बात की थी. उन्होंने कहा था कि छोटी बहन की शादी में एक लाख रुपये की मदद करेंगे. इसके अलावा कोई बात नहीं हुई. जब से घटना घटी है आशीष और अजय, दोनों से संपर्क नहीं हो पा रहा है. वो लोग परिवार से मिलने भी नहीं आए हैं."
परिवार को इस हादसे की सूचना कैसे मिली? इस पर हरी ओम की मां कहती हैं, “घटना से कुछ घंटे पहले 3 अक्टूबर को सुबह करीब 10 बजे, हरी ओम ने मुझे फोन किया और कहा कि घर लौटते वक्त वो पिता के लिए दवाइयां लेते हुए आएंगे.”
इसके बाद शाम करीब छह बजे हरी ओम के परिवार ने उसे फोन करने की कोशिश की लेकिन उनका फोन स्विच ऑफ था. हरी ओम के छोटे भाई 26 वर्षीय श्री राम बताते हैं, "हमें इस बारे में कोई भनक नहीं थी. शाम चार बजे हमारे चाचा को उनके साथियों से पता चला कि ऐसी कोई दुर्घटना हो गई है और हरी ओम भी वहां गया था. लेकिन जब तक पुष्टि नहीं हुई कि हरी ओम कहां है उन्होंने हमें नहीं बताया. रात 8-9 बजे हमने टीवी पर देखा. वहीं रात को 12 बजे लखीमपुर खीरी जिला अस्पताल से कॉल आया कि हरी ओम की मौत हो गई है."
4 अक्टूबर की रात 1 बजे रजनीकांत मिश्र और हरी ओम के चाचा लखीमपुर खीरी के जिला अस्पताल पहुंचे. जहां रजनीकांत ने अपने चचेरे भाई हरी ओम के शव को पहचान लिया. सुबह को रजनीकांत ने हरी ओम की मां को फोन कर हरी ओम की मौत की सूचना दी. इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को सुबह 11 बजे उनके घर लाया गया.
हमें देखने को मिला कि खीमपुर खीरी हिंसा का एक पहलू यह भी है कि इस घटना ने लोगों को सांप्रदायिक और धार्मिक भागों में बांट दिया है. सियासत ने इंसाफ से अधिक इस मामले को किसान बनाम बीजेपी, बीजेपी बनाम खालिस्तानी और बीजेपी बनाम सरदारों की लड़ाई बना दिया है.
रजनीकांत आगे कहते हैं, "वहां कोई किसान नहीं था. हम भी किसान हैं. आसपास के सभी गांवों में किसानी की जाती है. किसी को कृषि कानूनों से फर्क नहीं पड़ता ना उसके बारे में पता है. जो लोग उस दिन तिकुनिया में थे सभी सरदार थे. कोई किसान नहीं था. सरदारों ने हिंसा की और फिर सबको मार डाला."
Also Read
-
Two-thirds of Delhi does not have reliable air quality data
-
FIR against Gandhis: Decoding the National Herald case
-
TV Newsance 323 | Distraction Files: India is choking. But TV news is distracting
-
‘Talks without him not acceptable to Ladakh’: Sonam Wangchuk’s wife on reality of normalcy in Ladakh
-
Public money skewing the news ecosystem? Delhi’s English dailies bag lion’s share of govt print ads