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दैनिक जागरण: विज्ञापन के पन्ने पर, खबरों की शक्ल में, यूपी सरकार की तारीफ का सच?
संयुक्त किसान मोर्चा ने 5 सितंबर को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फनगर में विशाल किसान महापंचायत का आयोजन किया. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के मुताबिक करीब 15 से 20 लाख लोग इस महापंचायत में पहुंचे थे. यूपी चुनाव से पहले सरकार से नाराज़ चल रहे किसानों की इस महापंचायत को महत्वपूर्ण माना जा रहा था. कवरेज के लिए दिल्ली से सैकड़ों की संख्या में पत्रकार मुजफ्फरनगर पहुंचे थे.
अगले दिन दैनिक जागरण को छोड़कर ज़्यादातर अख़बारों ने महापंचायत को प्रमुखता से प्रकाशित किया. जबकि जागरण ने किसान महापंचयत की खबर को चौथे पेज पर दो कॉलम में समेट दिया.
6 सितंबर के दैनिक जागरण अख़बार को खोलते ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुस्कुराती तस्वीर नजर आती है. इसके बगल में मोटे फ़ॉन्ट में ‘भरपूर फसल- वाजिब दाम- ख़ुशहाल किसान’ लिखा है. इसके नीचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक बयान छपा है, जिसमें बताया गया कि आत्मनिर्भर भारत का बड़ा लाभ, उत्तर प्रदेश के किसानों को मिल रहा है. वहीं इसके बाद योगी आदित्यनाथ का भी एक बयान छपा है, जिसमें वो किसानों को सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हैं. बाकी बचे हिस्से में यूपी सरकार द्वारा ‘कृषि उन्नयन हेतु महत्वपूर्ण कदम’ की जानकारी दी गई.
पहले पेज को देखने के बाद तो लगता है कि यह विज्ञापन है. हालांकि कहीं ऐसा कुछ लिखा नहीं गया है, लेकिन दूसरे पेज को देखकर आपको नहीं लगेगा की यह भी विज्ञापन का ही हिस्सा है.
दूसरे पेज पर यूपी सरकार द्वारा किए गए कामों को लेकर ‘खबरें’ प्रकाशित हुई हैं. ‘गेहूं की हुई रिकॉर्ड खरीद’, ‘बढ़ी सुविधाएं, मिली भरपूर उपज’, ‘सभी अनाज और सब्जी मंडियों में ई-मंडी सुविधा’ शीर्षक से छपी ‘खबरें’ बकायदा रिपोर्टर की ‘बाइलाइन’ से तो कुछ खबरें बिना बाइलाइन के प्रकाशित हुई हैं. साथ ही कुछ ग्रामीणों से हुई बातचीत भी प्रकाशित की गई है. जिसमें योगी सरकार का गुणगान किया गया है.
इस पेज की बनावट भी रोजाना छपने वाली खबरों के पेज की तरह ही की गई. हालांकि सबसे नीचे कोने में ‘मीडिया मार्केटिंग इनिशिएटिव’ लिखा गया. आप अगर समान्य पाठक हैं तो अख़बार की इस चालाकी को नहीं पकड़ पाएंगे और विज्ञापन को खबर समझकर पढ़ लेंगे. हालांकि ऐसी चालाकी तो मीडिया संस्थान लम्बे समय से करते आ रहे हैं, लेकिन इसमें सबसे हैरानी की बात है कि बाइलाइन खबरों का प्रकाशित होना.
ऐसा सिर्फ छह सितंबर को ही नहीं हुआ. बल्कि सितंबर महीने में चार बार जागरण में योगी सरकार का दो-दो पेज का विज्ञापन प्रकाशित हुआ. हर बार ‘खबरें’ बाइलाइन से प्रकाशित हुईं जो वास्तव में खबर नहीं विज्ञापन हैं.
10 सितंबर
किसान महापंचायत के पांच दिन बाद एक बार फिर जागरण में आठवें और नौवें पेज पर योगी सरकार का गुणगान छपा. जिसके नीचे की तरफ ‘मीडिया मार्केटिंग इनिशिएटिव’ लिखा गया. इसके दो पेज में पांच खबरें बाइलाइन से छपी हैं. हैरानी की बात यह है कि इसमें से ज़्यादातर खबरें पहले जागरण या किसी और अख़बार में छप चुकी हैं.
रुपाली दुबे की बाइलाइन ‘प्रदेश के किसानों को धान व गेहूं के बीज पर मिलेगा विशेष अनुदान’ शीर्षक से प्रकाशित हुई. ठीक यही खबर बिना किसी की बाइलाइन से 17 अगस्त को दैनिक जागरण के लखनऊ एडिशन में प्रकाशित हुई. यही खबर उसी दिन जागरण की वेबसाइट पर भी प्रकाशित हुई थी.
ऐसा सिर्फ एक खबर के साथ नहीं हुआ. 10 सितंबर को ही अरुण पाठक की बाइलाइन से 'उत्तर प्रदेश में लागू होगी एक जिला एक उत्पाद कृषि योजना, लगेंगे कृषि मेले' शीर्षक से ‘खबर’ छपी.
वास्तव में यह खबर 21 अगस्त को दैनिक जागरण के लखनऊ एडिशन के पहले पेज की 'एंकर' स्टोरी थी. जिसे धर्मेश अवस्थी ने लिखा था. यह खबर उसी दिन जागरण डिजिटल पर भी प्रकाशित हुई थी. अगस्त में छपी खबर को हूबहू उठाकर दैनिक जागरण ने योगी सरकार के विज्ञापन में छाप दिया.
10 सितंबर को डॉल्फिन मछली को लेकर एक ‘खबर’ प्रकाशित हुई. जिसका शीर्षक ‘हस्तिनापुर में बनेगा देश का पहला डॉल्फिन ब्रीडिंग सेंटर’ है. यह खबर 25 अगस्त को जागरण डिजिटल में प्रकाशित हो चुकी है.
ज़्यादातर खबरों का यही हाल है. मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार इसे पाठकों के साथ किया जा रहा छलावा बताते हैं. कुमार कहते हैं, ‘‘मेरी जानकारी में ऐसा पहली बार हुआ जब अख़बार खुद पूर्व में प्रकाशित अपनी खबरों का सरकार के विज्ञापन के लिए इस्तेमाल कर रहा है. यह अख़बार की विश्वनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है.’’
22 सितंबर
22 सितंबर को एकबार फिर दैनिक जागरण में योगी आदित्यनाथ सरकार का दो पेज का विज्ञापन छपा. इसमें एकबार फिर पहले पेज पर योगी आदित्यनाथ की एक आदमकद तस्वीर छपी. पीएम नरेंद्र मोदी का उत्तर प्रदेश को इन्वेस्टमेंट डेस्टीनेशन बताते हुए एक बयान छपा और साथ ही विकास पथ का उत्तर प्रदेश लिखकर योगी सरकार द्वारा किए हुए कामों की जानकारी दी गई.
इसका पहला पेज तो विज्ञापन लगता है, लेकिन दूसरे पेज पर एकबार फिर बाइलाइन के साथ खबरें प्रकाशित की गईं. और इस बार भी पूर्व में प्रकाशित खबर को विज्ञापन के रूप में छाप दिया गया.
यह सुयश शर्मा की बाइलाइन छपी 'खबर' हैं. ‘जेवर एयरपोर्ट के भवन की वास्तुकला में झलकेगी भारतीयता: योगी आदित्यनाथ’ शीर्षक से छपी ‘खबर’ को उसी दिन जागरण ने डिजिटल पर भी प्रकाशित किया. इसे पढ़कर ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उसी दिन जेवर एयरपोर्ट को लेकर कोई घोषणा की है लेकिन हकीकत यह है कि यह खबर न्यूज़ 18 पर 26 जुलाई को प्रकाशित हुई थी. जिसका शीर्षक, ‘जेवर एयरपोर्ट के डिजाइन में दिखेगी भारतीय विरासत की झलक, चेक करें डिटेल्स’ है.
न्यूज़ 18 की खबर के मुताबिक सीएम ने यहां हालिया समीक्षा बैठक के दौरान हवाई अड्डे के मुख्य टर्मिनल भवन में 'भारतीय विरासत का प्रतिबिंब' सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. यानी यह खबर 26 जुलाई से पहले की होगी लेकिन जागरण ने इसे 22 सितंबर को छापा है. अख़बार में तो विज्ञापन को 'खबर' के रूप में प्रकाशित किया गया लेकिन डिजिटल पर इसे खबर के रूप में प्रकाशित किया गया है. 'मीडिया मार्केटिंग इनिशिएटिव' भी लिखने की जहमत डिजिटल पर नहीं उठाई गई.
22 सितंबर को विज्ञापन में जेवर एयरपोर्ट को लेकर एक और 'खबर' छपी है. जिसका शीर्षक 'जाम से बचने को लेकर एयरपोर्ट पर बनाई जाएगी टनल्स' है. यह खबर न्यूज़ 18 में 10 सितंबर को छपी है. न्यूज़ 18 की खबर का शीर्षक, ‘‘जेवर एयरपोर्ट पर न लगे जाम, इसके लिए बनाई जाएंगी टनल्स, जानिए पूरा प्लान, है. खबर भी लगभग एक जैसी है. वाक्य ऊपर नीचे लिए गए हैं. ऐसा लगता है कि जैसे यह योगी सरकार की तरफ आई प्रेस रिलीज है.
22 सितंबर को रुपाली दुबे की बाइलाइन से एक 'खबर' छपी है. जिसका शीर्षक 'ज़रूरतमंदो तक पहुंचे शासन की योजना, लंबित न रहें जन शिकायत, तय हो हर काम की समय सीमा' है. यह 'खबर' दरअसल राज्य सरकार के मंत्री सुरेश खन्ना के गाजियाबाद जनपद आने के बाद दिए गए निर्देश पर आधारित है.
न्यूज़लॉन्ड्री ने पाया कि बिलकुल यहीं खबर गाजियाबाद के उदय भूमि नाम की वेबसाइट पर आठ सितंबर को प्रकाशित हुई है. उदयभूमि की खबर के इंट्रो में लिखा है बुधवार को जनपद के प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना ने जिला मुख्यालय के सभागार में विकास कार्यों की समीक्षा की, वहीं रुपाली दुबे अपनी 'खबर' से बुधवार हटा देती हैं. ताकि पता न चले कि वो मंत्री कब समीक्षा के लिए आए थे. बाकी सब कुछ एक ही जैसा है यहां तक की दोनों की खबरों का उपशीर्षक तक एक है.
दैनिक जागरण के 'विज्ञापन' में गाजियाबाद को लेकर एक और खबर प्रकाशित की गई. जिसका शीर्षक 'गाजियाबाद जिले के निवाड़ी एवं पतला पंचायत में बहेगी विकास की गंगा' है. यह खबर भी सीधे-सीधे उदयभूमि से उठाई गई है. शीर्षक से महज 'डीएम' शब्द हटा दिया गया है. उदयभूमि का शीर्षक है, ‘निवाड़ी एवं पतला पंचायत क्षेत्र में बहेगी विकास की गंगा: डीएम’ है. उदयभूमि पर यह खबर 1 सितंबर को प्रकाशित हुई है.
जागरण ने 22 सितंबर को लोनी को लेकर एक और ‘खबर’ प्रकाशित की. लोनी में बीजेपी विधायक नंदकिशोर गुर्जर द्वारा विकास कार्यों के शिलान्यास को लेकर छपी इस ‘खबर’ का शीर्षक जागरण ने ‘लोनी में रखी विकास की नींव, गांव-कॉलोनी तक पहुंचेगा विकास’ है. यह खबर भी सशब्द उदयभूमि से उठाई गई है.
पांच सितंबर को उदयभूमि ने नंदकशोर गुर्जर के विकास कार्यों को लेकर छपी खबर का शीर्षक ‘विकास की नींव, गांव-कॉलोनी तक पहुंचेगा विकास: नंद किशोर गुर्जर' दिया है. आप खुद देख सकते हैं कि जागरण ने कितनी मेहनत की है, शीर्षक बदलने में.''
ऐसा दो ही स्थिति में मुमकिन है. पहला कि जागरण ने उदयभूमि वेबसाइट से कॉपी किया है या ये सरकारी प्रेस रिलीज है. जिसे दोनों ने अपने यहां छापा है. उदयभूमि ने पहले और दैनिक जागरण ने बाद में. इसका जवाब दैनिक जागरण ही दे सकता है.
खैर, पुरानी खबरों को या दूसरों की खबरों को सरकारी विज्ञापन में ‘खबर’ की तरह पेश करने का सिलसिला यही नहीं रुकता है.
'चीन के खिलौना उधोग को मिलेगी कड़ी टक्कर, टॉय पार्क हो रही विकसित' शीर्षक से 22 सितंबर के विज्ञापन में ‘खबर’ प्रकाशित की गई. जबकि खुद जागरण डिजिटल में यह खबर 7 अगस्त को प्रकाशित हो चुकी है. 6 अगस्त को ही नवभारत टाइम में भी यह खबर प्रकाशित हुई थी. तीनों खबरें कुछेक बदलाव के साथ एक जैसी ही हैं.
योगी सरकार की तारीफ के लिए जागरण ने लिया ‘झूठ’ का सहारा
29 सितंबर को जागरण में योगी सरकार का दो पेज का विज्ञापन छपा है. इसमें पहले पेज पर योगी आदित्यनाथ की तस्वीर, प्रधानमंत्री का एक बयान और योगी सरकार के कामों की जानकारी दी गई है. दूसरे पेज पर 'खबर' के रूप में विज्ञापन प्रकाशित किया गया. इसबार सिर्फ दो खबर बाइलाइन के साथ छपी हैं. एक देवेंद्र सिंह की और एक रुपाली दुबे की. बाकी सभी बिना बाइलाइन की खबरें हैं. अख़बार के सबसे नीचे कोने में ''मीडिया मार्केटिंग इनिशिएटिव' लिख दिया गया है.
इसबार योगी सरकार की तारीफ करने के लिए झूठ का सहारा लिया गया है. इस विज्ञापन में आजमगढ़ में योगी सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों पर फोकस करते हुए लिखा गया है कि मौजूदा सरकार में ऑक्सीजन व वेंटिलेटर की सुविधा कस्बाई अस्पतालों में भी उपलब्ध होने लगी है. पहले लोग आपातस्थिति में शहर की ओर भागते थे. सरकार ने स्वास्थ्य समस्याओं का ऐसा ऑपरेशन किया कि लोग शहर की राह भूल गए, क्योंकि शहर में महंगा इलाज कराने में खेत तक बिक जाते थे. अब 100-100 बेड के तीन अस्पताल, पांच ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना विकास की कहानी कह रहे हैं.
इसके बाद उप शीर्षक देकर बताया गया-
लालगंज में बना अस्पताल, अब बनारस जाने की ज़रूरत नहीं
अतरौलिया में आसान हुई गरीबों की राह
तरवां में 100 बेड का अस्पताल भी बनकर तैयार
यह पढ़ने के बाद लगता है कि सरकार ने तीन अस्पताल और पांच ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण कर स्वास्थ्य समस्याओं का ऑपरेशन कर दिया है. हालांकि यह सच नहीं है. जिन तीन अस्पतालों का जिक्र किया गया है, उसमें से किसी का भी निर्माण योगी सरकार के दौरान नहीं हुआ है.
'तरवां में 100 बेड का अस्पताल भी तैयार' खबर की शुरुआत में लिखा है, ‘तरवां में 100 बेड का अस्पताल बनकर तैयार है. यहां ऑक्सीजन प्लांट जरूरत पड़ने पर किसी समय सांसों की डोर बांधने की स्थिति में है.’
पढ़ने पर लगता है कि यह अस्पताल योगी सरकार के शासन में बना है, जबकि अस्पताल 2008 से चल रहा है. यह जानकारी जागरण की ही 7 जुलाई 2021 को प्रकाशित एक खबर में लिखा मिलता है.
अतरौलिया में आसान हुई गरीबों की राह, उपशीर्षक से लिखे ‘खबर नुमा’ विज्ञापन में बताया गया है कि अतरौलिया ब्लॉक मुख्यालय के सामने 100 बिस्तरों का संयुक्त जिला चिकित्सालय 56 करोड़ रुपए की लागत से बना है. अब यह क्षेत्रीय लोगों के इलाज में मील का पत्थर साबित हो रहा है. जबकि हिंदुस्तान अख़बार की वेबसाइट पर मौजूद खबर के मुताबिक इस अस्पताल का निर्माण सपा सरकार में किया गया था.
जागरण में छपे विज्ञापन में मुख्य चिकित्सा अधिकारी केके झा ने बताया कि अस्पताल में 34 डॉक्टर व 60 पैरामेडिकल स्टाफ समेत कुल 130 पद हैं. हालांकि यह नहीं बताया गया कि कितने पद खाली पड़े हुए हैं.
बता दें कि लालगंज अस्पताल भी अखिलेश यादव की सरकार में ही बनना शुरू हुआ था. फरवरी 2021 में पत्रिका की खबर के मुताबिक समाजवादी पार्टी की सरकार में 2015-2016 में लालगंज में 2219.26 लाख रुपए की लागत से 100 बेड की सुविधा वाले ट्रामा सेंटरों का निर्माण शुरू हुआ था. लेकिन सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया जिसके कारण आधा निर्माण होने के बाद काम बंद हो गया. इसी बीच 2017 में यूपी में नई सरकार बन गई. बीजेपी सरकार ने भी इसपर ध्यान नहीं दिया. लोगों ने कई बार निर्माण पूरा करने की मांग की. अब जाकर सरकार ने इसका संज्ञान लिया है.
एक तरफ जहां जागरण सरकार की तारीफ में कसीदे पर रहा है वही नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट में सामने आया कि राज्य में एक लाख की आबादी पर मात्र 13 ही बेड है.
ऐसे ही साहित्यकार अयोध्या सिंह हरिऔध और राहुल सांस्कृतायन की स्मृतियां समेटने को लेकर योगी सरकार की तारीफ में रुपाली दुबे की बाइलाइन से ‘खबर’ प्रकाशित की गई. इस खबर में एक जगह लिखा है कि 17.17 करोड़ रूपए से जिले की धरोहर का किया जा रहा निर्माण. लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह 17.17 करोड़ रुपए की योजना किसने शुरू की.
दरअसल जागरण की ही एक दूसरी खबर जो दिसंबर 2020 में प्रकाशित हुई है. उसमें साफ-साफ लिखा है कि वर्ष 2006 में बारिश के दौरान जर्जर हरिऔध कला भवन धराशायी हो गया था. प्रदेश में सपा सरकार बनी तो मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना में शामिल करते हुए 17 करोड़, 17 लाख 73 हजार का प्रोजेक्ट बना. स्वीकृति के बाद आठ करोड़ रुपए दिए गए.
बाइलाइन लिखने वाले 'रिपोर्टर' कौन हैं?
सितंबर में जब भी योगी सरकार के विज्ञापन में बाइलाइन से खबरें प्रकाशित हुई उसमें खबर लिखने वालों का नाम, देवेंद्र सिंह, रुपाली दुबे और सुयश शर्मा लिखा है.
न्यूज़लॉन्ड्री ने यह जानने की कोशिश की कि आखिर ये कौन से रिपोर्टर है जो अपनी ही पुरानी खबरों को दोबारा लिख रहे है. और साथ ही गलत सूचनाएं देकर योगी सरकार का गुणगान कर रहे है. हमें पता चला कि ये रिपोर्टर नहीं बल्कि लखनऊ में दैनिक जागरण की मार्केटिंग टीम से जुड़े हुए लोग हैं. इनका काम विज्ञापन लाना है.
लखनऊ में जागरण से जुड़े एक कर्मचारी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “देवेंद्र सिंह, रुपाली दुबे और सुयश शर्मा तीनों मार्केटिंग विभाग के सदस्य है. बाइलाइन तो बस ऐसे ही मिल गई है. वो खबरें नहीं लिखते है. वे सरकार से या दूसरे संस्थानों से विज्ञापन लाते है.”
न्यूज़लॉन्ड्री ने देवेंद्र सिंह और सुयश शर्मा से बात करने की. इन्होंने भी बताया कि वह मार्केटिंग टीम के सदस्य है.
शर्मा से जब हमने पूछा कि आप विज्ञापन विभाग से जुड़े है और आपकी बाइलाइन खबरें छप रही ह. वो भी पुरानी खबरें? इस पर उन्होंने बाद में बात करना कहकर फोन काट दिया. हमने 24 घंटे तक इंतज़ार करने के बाद जब दोबारा फोन किया तब भी उन्होंने व्यस्त होने की बात कहकर बात नहीं की.
देवेंद्र सिंह ने भी सवाल सुनने के बाद नींद में होने की बात कहकर फोन रख दिया. हमने दोबारा भी फोन किया लेकिन उन्होंने बात नहीं की.
इस सिलसिले में जागरण का पक्ष लेने के लिए हमने उत्तर प्रदेश के संपादक आशुतोष शुक्ल से बात करने की कोशिश की. उन्होंने हमारा फोन नहीं उठाया ऐसे में हमने उन्हें कुछ सवाल भेजे हैं. अगर उनका जवाब आता है तो उसे खबर में जोड़ दिया जाएगा.
हमने दैनिक जागरण के मार्केटिंग विभाग के वाइस प्रेसिडेंट विकास चंद्रा को भी फोन किया लेकिन उनसे हमारी बात नहीं हो पाई. हमने उन्हें भी सवाल भेजे है. जवाब आने पर अपडेट कर दिया जाएगा.
जागरण को ये करने पर क्या मिलता है?
कृषि कानूनों के खिलाफ शुरू हुए आंदोलन के बाद से ही दैनिक जागरण की पत्रकारिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इसी साल जनवरी महीने में योगी सरकार ने ‘किसान कल्याण मिशन’ नाम की योजना की शुरुआत की थी. ठीक उसी समय सरकारी लोगो के साथ जागरण ने भी ‘किसान कल्याण मिशन’ योजना चलाई. योगी सरकार की कृषि से जुड़ी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए जागरण ने प्रदेश में चार वैन चलाईं.
हर रोज अख़बार में कृषि से जुड़ी ‘पॉजिटिव’ खबरें छापी गईं. तब जागरण के सीनियर मैनेजर ने न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कहा था कि हम तो किसानों तक सरकारी योजनाओं को पहुंचाने के लिए ऐसा कर रहे हैं. सरकार से हमारा कोई करार नहीं है.
आखिर जागरण ऐसा क्यों करता है? विज्ञापन ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन के आंकड़ों के मुताबिक दैनिक जागरण को साल 2015 से 2019 तक 85 करोड़ 78 लाख 31 हज़ार 572 रुपए का विज्ञापन मिला. जागरण ग्रुप के अंग्रेजी अख़बार मिडे-डे को 2 करोड़ 41 लाख पांच हजार 445 रुपए का विज्ञापन मिला. वहीं जागरण के उर्दू अखबार इंक़लाब को 57 लाख, नौ हजार 239 रुपए का विज्ञापन दिया गया.
यह तो सिर्फ भारत सरकार के द्वारा दिए गए विज्ञापन के आकड़ें हैं. हर रोज योगी सरकार के चार से पांच विज्ञापन जागरण में छपते हैं. आरटीआई से विज्ञापन को लेकर जानकारी मांगी गई तो सरकार ने टेलीविजन को दिए गए विज्ञापनों की जानकारी तो दी, लेकिन प्रिंट की जानकारी नहीं दी है. बता दें कि अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के बीच योगी सरकार ने टीवी चैनलों को 160 करोड़ का विज्ञापन दिया है.
लखीमपुर खीरी के घटना के अगले दिन यानी सोमवार को भी जागरण में योगी सरकार का दो पेज का विज्ञापन छपा है.
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