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गोरखपुर घूमने आए कारोबारी की पुलिस पिटाई से मौत

गोरखपुर घूमने आए कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता से पुलिस की मारपीट में मौत हो गई. यह घटना मंगलवार भोर की है. आरोप है कि पुलिस के जवान आधी रात में चेकिंग के बहाने उनके होटल के कमरे में घुस गए और उनके साथ मारपीट की. 38 वर्षीय मनीष के साथी जो कि उस वक्त कमरे में मौजूद थे, उनका कहना है कि मनीष का कसूर सिर्फ इतना था कि होटल में चेकिंग करने पहुंची पुलिस से उन्होंने पूछ लिया कि इतनी रात में यह चेकिंग का क्या तरीका है? क्या हम लोग आतंकवादी हैं?

चेकिंग करने आए इंस्पेक्टर रामगढ़ ताल जेएन सिंह और फलमंडी चौकी इंचार्ज अक्षय मिश्र ने इस सवाल के बाद मनीष के दोनों दोस्तों को पीटकर कमरे से बाहर कर दिया और फिर मनीष के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. अंदर मनीष को उन्होंने बेरहमी से पीटा. आरोप है कि मनीष की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई थी. बाद में पुलिस वाले उसे अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

शुरू-शुरू में पुलिस वालों ने इस मामले को दबाने की कोशिश की. गोरखपुर के एसएसपी विपिन टाडा ने पहले यह बयान दिया कि होटल की चेकिंग के दौरान घबरा कर नीचे गिरने से मनीष की मौत हुई है. लेकिन घटना के वक्त मौजूद रहे मनीष के दोस्तों और बाद में गोरखपुर पहुंची मनीष की पत्नी ने जब पुलिस पर दबाव बनाया तब पुलिस प्रशासन ने इस मामले में अपना रवैया बदला. मनीष की पत्नी ने आरोप लगाया कि पुलिस की पिटाई से ही मनीष की मौत हुई है.

मंगलवार की दोपहर में इंस्पेक्टर जेएन सिंह और चौकी इंचार्ज अक्षय मिश्र सहित छह पुलिस कर्मियों को सस्पेंड कर दिया और बाद में इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. इस दौरान गोरखपुर के डीएम और एसएसपी ने बीआरडी मेडिकल कालेज पहुंच कर मनीष के परिजनों को कार्रवाई का आश्वासन दिया था. मनीष के परिजन एफआईआर दर्ज होने के बाद ही वहां से हटने को तैयार हुए.

गोरखपुर के सिकरीगंज के महादेवा बाजार में रहने वाले चंदन सैनी ने बताया, "वह एक व्यापारी हैं. उनके तीन दोस्त गुड़गांव से प्रदीप चौहान और हरदीप सिंह चौहान और कानपुर से मनीष गुप्ता गोरखपुर घूमने आए थे. सभी दोस्त रियल इस्टेट और अन्य कई तरह के बिजनेस करते हैं. वो हमेशा से अपने दोस्तों को गोरखपुर घूमने के लिए बुलाते थे. उन्हें गोरखपुर में हो रहे विकास कार्यों को दिखाना चाहते थे. लॉकडाउन की वजह से वो लोग पहले आ नहीं सके."

फिर बीते सोमवार को सोमवार को तीनों अपने दोस्त चंदन सैनी से मिलने और गोरखपुर घूमने पहुंचे. चंदन ने दोस्तों को रामगढ़ ताल इलाके के एलआईसी बिल्डिंग के समीप स्थित होटल कृष्णा पैलेस के रूम नंबर 512 में ठहराया था. सोमवार-मंगलवार की दरम्यानी रात करीब 12:30 बजे रामगढ़ ताल पुलिस होटल में चेकिंग करने पहुंची. इंस्पेक्टर जेएन सिंह, फलमंडी चौकी इंचार्ज अक्षय मिश्रा के अलावा अन्य पुलिसकर्मी भी साथ में थे. होटल के कमरे का दरवाजा खुलवाया गया. पुलिस के साथ होटल का रिसेप्शनिस्ट भी था. पुलिस वालों ने बोला कि चेकिंग हो रही है. सभी अपना आईडी प्रूफ दिखाओ.

पहले हरदीप ने खुद का और अपने साथी प्रदीप चौहान की आईडी दिखा दी. इस दौरान मनीष सो रहे थे. प्रदीप ने उन्हें आईडी दिखाने के लिए नींद से जगाया. इस दौरान प्रदीप ने पुलिस वालों से कहा, “इतनी रात में यह चेकिंग किस बात की हो रही है. हम लोग क्या आतंकवादी हैं? सोते हुए इंसान को आप लोग डिस्टर्ब कर रहे हैं.” इस जवाब से पुलिस वाले बौखला गए.

आरोप है कि उनमें से कई ने शराब पी रखी थी. इंस्पेक्टर जेएन सिंह और अक्षय मिश्रा ने प्रदीप और हरदीप को पीटते हुए कमरे से बाहर कर दिया और कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. इसके बाद वो मनीष को पीटने लगे. प्रदीप और हरदीप के मुताबिक कुछ देर बाद उन्होंने देखा कि पुलिस वाले मनीष गुप्ता को घसीटते हुए बाहर ला रहे हैं. मनीष खून से लथपथ थे. पुलिस वाले मनीष को पहले एक निजी अस्पताल ले गए जहां चिकित्सकों ने हालात गंभीर बताई. इसके बाद मनीष को बीआरडी मेडिकल कालेज भेज दिया गया. वहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित किया.

मनीष अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे. पांच वर्ष पहले ही उसकी शादी हुई थी. परिवार में उसके बीमार पिता और पत्नी के अलावा उसका एक चार साल का एक बेटा है. मां की कुछ दिनों पहले मृत्यु हो गई थी.

(गोरखपुर न्यूज़लाइन से साभार)

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