Report
जोड़े पर जान का संकट और दलित झेल रहे सामाजिक-आर्थिक बहिष्कार
हरियाणा का पंचकुला जिला राज्य का पहला मास्टरप्लान वाला शहर है. यह चंडीगढ़, मोहाली और पंचकुला को मिला कर उस ट्राइसिटी का निर्माण करता है जहां से पंजाब और हरियाणा की राजधानियां संचालित होती हैं. लेकिन इस तमाम चकाचौंध के बावजूद पंचकुला के आसपास के इलाकों में सभ्यता की रोशनी पहुंचना बाकी है. पंचकुला जिले का एक गांव है भूड. इस गांव के रहने वाले एक दलित लड़के और गुर्जर लड़की को अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा है. गांव के दलितों का कथित तौर पर पूरी तरह से बहिष्कार कर दिया गया है. आर्थिक और सामाजिक दोनो तरह से. इससे भूड गांव में काफी तनाव पैदा हो गया है.
दरअसल भूड गांव के 21 वर्षीय आकाश ने पास के ही गांव देबड़ की रहने वाली लड़की से 13 अगस्त, 2021 को पंचकुला कोर्ट में शादी कर ली, जिसके बाद से ये पूरा विवाद शुरू हुआ.
आकाश की मां बाला देवी ने हमें बताया कि जिस दिन उनके बेटे ने कोर्ट में शादी की, उसी दिन लड़की के घरवाले और भूड गांव से गुर्जर समुदाय के लोग उनके घर आए और हर हालत में लड़की उन्हें लौटाने को लेकर दबाव बनाने लगे. बाला देवी का कहना है कि उन्हें इस शादी की कोई जानकारी नहीं थी, जब लड़की वाले उनके घर पहुंचे तब जाकर उन्हें पता चला.
शादी के एक हफ़्ते बाद लड़का और लड़की दोनों के घरवाले पंचकुला कोर्ट में फिर से इकठ्ठा हुए. लड़का और लड़की भी वहां मौजूद थे. बाला देवी ने कहा, “मैंने अपने बेटे और उस लड़की को समझाने की कोशिश की. गुर्जर समुदाय के लोग हमारे परिवार पर ये दबाव बना रहे थे कि हम उनकी लड़की वापस करें. लड़की ने कोर्ट में सबके सामने लड़के से अलग होने से मना कर दिया और वहां से चली गई. इसके बाद हम सब भी घर आ गए.”
आकाश के भाई दीपक हमें बताते हैं कि कोर्ट में जब लड़की ने अलग होने से इनकार कर दिया तब उसके घरवाले वापस चले गए. उन्होंने कुछ और नहीं किया लेकिन हमारे गांव के गुर्जरों ने हमारे परिवार और गांवे में रह रहे सभी दलितों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया.
21 अगस्त, 2021 को भूड गांव और आस पास के गुर्जर समुदाय ने एक महापंचायत बुलाई. पंचायत में आस-पास के गांवों से सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया.
आकाश की मां बाला देवी को इस पंचायत में तलब किया गया. बाला देवी कहती है, “पंचायत में शामिल होने वाली मैं अकेली औरत थी. पंचायत में गुर्जर समुदाय द्वारा फिर से यही बात दोहराई गई कि उन्हें लड़की किसी भी कीमत पर वापस चाहिए. इस पंचायत में लड़की के घरवाले नहीं पहुंचे थे. उन्होंने मुझे 3-4 दिन का समय दिया. मुझे कहा गया कि अपने लड़के से बात करके उन दोनो को गांव बुला लूं और लड़की वापस कर दूं. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर लड़की वापस नहीं मिली तो इज्ज़त के बदले इज्ज़त ली जाएगी.”
इस पंचायत के बाद गांव में ज़बरदस्त तनाव पैदा हो गया. आकाश के परिवार में उसके माता-पिता के अलावा बड़ा भाई दीपक और उसकी पत्नी भी रहती है. दीपक ने हमें बताया, “महापंचायत के बाद हम बहुत डर गए थे कि कहीं वो लोग हमारे परिवार पर हमला न कर दें. इसी डर के कारण मैं अपनी बीवी को लेकर मेरे ससुराल चला गया था. हम दोनों लगभग 15 दिनों तक वहीं रहे.”
आकाश के परिवार का दावा है कि उन्हें आकाश की शादी और किसी लड़की के साथ संबंध के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं थी. दीपक के मुताबिक कोर्ट मैरिज के बाद आकाश और उसकी पत्नी गांव वापस नहीं लौटे हैं. न ही उन दोनों के साथ परिवार का कोई संपर्क हो पा रहा है.
बाला देवी कहती हैं, “जब हमें पता ही नहीं है कि दोनों कहां हैं तो हम उनकी बेटी कहां से लाकर दें? मैं भी एक मां हूं, मेरा भी दिल करता है अपने बेटे से बात करने का. मगर यहां गांव में अब उसकी जान को खतरा हो गया है, इसलिए वो परिवार में किसी से बात नहीं कर रहा.”
इस बीच भूड गांव में बाकी दलित परिवारों के साथ एक दूसरी समस्या शुरू हो गई. महापंचायत के बाद गुर्जर समुदाय ने गांव के दलित समुदाय का सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार शुरू कर दिया. दीपक बताते है, “गांव के चौकीदार को सामाजिक बहिष्कार की जानकारी देने के लिए दलितों के मोहल्ले में भेजा गया. चौकीदार ने पूरी दलित बस्ती में घूम-घूमकर गुर्जर समुदाय द्वारा लगाए गए तीन प्रतिबंधो की जानकारी दी. पहला, दलित और गुर्जर एक दुसरे के शादी-ब्याह में नहीं जाएंगे. दूसरा, दलित गुर्जरों के खेतों से गाय-भैंसों का चारा नहीं काट सकते. तीसरा, गांव की जो पंचायती ज़मीन है वहां दलित अपने जानवर नहीं चरा सकते.”
भूड गांव चार हिस्सों में बंटा है. एक हिस्से में 80 के करीब दलितों के परिवार रहते हैं. बाकी तीन हिस्सों में हिंदू गुर्जर और मुस्लिम गुर्जर रहते हैं. गांव की अधिकतर जमीनें गुर्जरों के पास हैं. दलितों के पास जमीनों के छोटा-छोटा टुकड़ा है. कोई बड़ा किसान नहीं है.
हमने भूड गांव के दलितों से मिलकर इस आर्थिक सामाजिक बहिष्कार को समझने की कोशिश की. कई दलितों ने आरोप लगाया कि गुर्जर समुदाय ने अपनी जाति के लोगों पर भी दलितों से मिलने-जुलने या किसी भी तरह का संबंध रखने पर पांच हज़ार का जुर्माना लगाने का ऐलान पंचायत में किया गया था.
गांव की ही दलित महिला संजू रानी का कहना है कि इस बहिष्कार के बाद दलितों का जीना मुहाल हो गया है. रानी ने कहती हैं, “हम महिलाएं अब दूर दराज के इलाकों से जाकर चारा लाते हैं. गुर्जरों ने हमसे दूध लेना-देना बंद कर दिया है. हम दलित हैं तो क्या हम इंसान नहीं है जो हमारे साथ इस तरह का बर्ताव किया जा रहा है.”
दलित समुदाय से आने वाले सुरजीत सिंह गांव में आटा चक्की चलाते है. उन्होनें अभी एक महीने पहले ही चक्की के लिए नई मशीन 2 लाख रुपए में खरीदा है. सुरजीत सिंह कहते है, “मैं पिछले 40 सालों से आटा चक्की चला रहा हूं. पहले मेरे पास रोज़ मेरे यहां 7-8 क्विंटल अनाज आता था मगर अब मुश्किल से 2-3 क्विंटल रह गया है. गुर्जरों ने आस-पास के गांवों में भी अपने जाति के लोगों को मेरी चक्की पर आने से मना कर दिया है.”
गांव के दलितों का आरोप है कि उनके समाज के जो लोग गुर्जरों की दुकान किराए पर लेकर कामधंधा करते थे, अब उनकी ददुकाने भी खाली करवाई जा रही हैं.
गांव के दलित राजबीर नाई का काम करते थे. वे बताते हैं, “मैं 2012 से किराए पर दुकान लेकर नाई का काम कर रहा था. महापंचायत के बाद करनैल सरपंच ने मुझे दुकान खाली करने को कहा जिसके बाद मैं वहां से अपना सामान लेकर घर आ गया.” राजबीर पिछले 20 दिनों से अपने घर के बाहर ही एक नई दुकान में अपना काम फिर से शुरू किया है.
20 वर्षीय सुनील बाइक रिपेयर का काम करते थे. उनकी भी दुकान कथित तौर पर गुर्जर समुदाय के लोगों ने दबाव देकर खाली करवा ली. दलित समाज का आरोप है कि महापंचायत के बाद दलितों की लगभग 7-8 दुकानें गुर्जरों ने खाली करवा ली हैं जिसमें इलेक्ट्रीशियन, पंक्चर लगाने वाला, बाइक मैकेनिक आदि शामिल हैं.
45 साल के प्रेम जो कि दलित है और गांव में ही एक क्रेशर प्लांट पर काम करते थे, उनका कहना है कि गुर्जरों ने क्रेशर मालिक को धमकी देकर उन्हें काम से निकलवा दिया. प्रेम पिछले चार सालों से क्रेशर प्लांट पर काम कर रहे थे.
इसके अलावा ग्राम पंचायत में कार्यरत सफाई कर्मचारी धर्मपाल ने भी आरोप लगाया है कि गुर्जर समुदाय ने उन्हें गुर्जरों की बस्ती में सफाई करने से रोक दिया. इसको लेकर जब हमने गांव के सरपंच निर्मल सिंह से बात की तो उनका कहना था कि धर्मपाल को अच्छे से सफाई न करने की वजह से मना किया गया है. उसकी पहले भी कई बार लिखित शिकायत आ चुकी थी. जब हमने सरपंच निर्मल सिंह से धर्मपाल के खिलाफ़ दी गई लिखित शिकायत की कॉपी मांगी तो उन्होनें हमें कोई भी दस्तावेज़ नहीं दिया.
महापंचायत के बाद गांव में दोनों समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया है. हाल ही में अमन नाम के एक दलित लड़के के साथ गुर्जर समुदाय के लोगों ने मारपीट की है. अमन के घर गुर्जर समुदाय के लोग लाठी-डंडे लेकर पहुंच गए थे. इस बात की पुष्टि रायपुर रानी थाने के एसएचओ बच्चू सिंह ने हमसे फोन पर की. अमन के साथ हुई मारपीट के बाद गांव के दलित समाज द्वारा एससी-एसटी एक्ट के तहत रायपुर रानी थाने में मामला दर्ज़ करवाया गया था.
बहिष्कार और लड़की वापस करने के दबाव के मसले पर हमने गुर्जर समुदाय से आने वाले गांव के सरपंच निर्मल सिंह से भी बात की. निर्मल सिंह ने कहा, “दुकानें हमने खाली नहीं करवाई उन्होंने खुद खाली की हैं. किसी तरह का कोई सामाजिक बहिष्कार नहीं किया गया है. दलित समाज जहां चाहे, जब चाहे हम उनसे मिलने को तैयार हैं. लड़की का मामला तो कोर्ट मैरिज के बाद खत्म हो चुका है.”
गांव के पूर्व सरपंच करनैल कहते हैं, “21 तारीख़ वाली महापंचायत लड़की के घरवालों के कहने पर बुलाई गई थी. जिस अमन नाम के लड़के के साथ मारपीट की बात है, उसको जानबूझ कर वहां भेजा गया था. इस मामले में अब बाहर के संगठन जुड़ गए हैं जो इसे राजनीतिक रंग दे रहे हैं.”
एसएचओ रायपुर रानी बच्चू सिंह ने हमें बताया, “हम इस मामले की जांच कर रहे हैं, अभी तक सामाजिक बहिष्कार जैसा कुछ हमें नहीं मिला है. हम कोशिश कर रहे हैं कि गांव वाले आपस में इस मामले को सुलझा ले. पूरे मामले की जांच एसीपी सतीश कुमार के आधीन चल रही है.”
हमने एसीपी सतीश कुमार से भी बात की. उन्होंने कहा, “मैं पिछले कुछ दिनों से व्यस्त चल रहा था. अभी कुछ लोगों के बयान दर्ज़ करना बाक़ी है. एक हफ्ते के अंदर इस पर कार्रवाई होगी.”
फ़िलहाल गांव में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. दलित समाज का कहना है कि पुलिस इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है. यदि प्रशासन इस मामले में जल्दी ही कोई गिरफ़्तारी नहीं करता है तो हम पंचकुला जिला सचिवालय पर धरना देंगे.
Also Read
-
Rajiv Pratap Rudy on PM’s claims on ‘infiltrators’, ‘vote-chori’, Nishikant Dubey’s ‘arrogance’
-
Unchecked hate speech: From Kerala's right wing X Spaces to YouTube’s Hindutva pop
-
यूपी की अदालत ने दिया टीवी एंकर अंजना ओम कश्यप पर मामला दर्ज करने का आदेश
-
UP court orders complaint case against Anjana Om Kashyap over Partition show
-
The meeting that never happened: Farewell Sankarshan Thakur