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योगी सरकार के विज्ञापन में कोलकता के फ्लाईओवर की तस्वीर
रविवार को इंडियन एक्सप्रेस अखबार में उत्तर प्रदेश सरकार का तीन पेज का विज्ञापन प्रकाशित हुआ है. पहले पेज पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की आदमकद तस्वीर है जिसके साथ लिखा है, ‘ट्रांसफॉर्मिंग उत्तर प्रदेश अंडर योगी आदित्यनाथ’.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बदलाव की कहानी कहने के लिए इन विज्ञापनों में कई दावे किए गए हैं. पहले पेज के विज्ञापन में मुख्यमंत्री की तस्वीर के साथ ही एक फ्लाईओवर और एक कंपनी की तस्वीर है, जिसमें दो कर्मचारी सामने की तरफ खड़े हैं. योगी आदित्यनाथ की तस्वीर जिस फ्लाईओवर के बिलकुल ऊपर लगाई गई है वो उत्तर प्रदेश की नहीं बल्कि कोलकता के ‘मां फ्लाईओवर’ की है.
विज्ञापन में मुख्यमंत्री का एक कथन प्रकाशित हुआ है, जिसमें वे कह रहे हैं, ‘‘2017 से पहले निवेश के संदर्भ में उत्तर प्रदेश का नाम सुनते ही बाहर के लोग हंस पड़ते थे. पिछले साढ़े चार साल में हमने उत्तर प्रदेश के बारे में बनाई गई नकारात्मक धारणा को तोड़ा है. वर्ष 2016 में यूपी अर्थव्यवस्था के मामले में देश में छठे स्थान पर था. 2017 के बाद से अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ी है और उत्तर प्रदेश देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है. बड़े बुनियादी ढांचे और पारदर्शी निवेश व्यवस्था के दम पर हम अगले पांच साल में उत्तर प्रदेश को देश की नंबर एक अर्थव्यवस्था बनाएंगे.’’
मां फ्लाईओवर की तस्वीर
टाइम्स ऑफ़ इंडिया में 25 फरवरी 2021 को मां फ्लाईओवर को लेकर एक खबर छपी है. सुमन चक्रबर्ती की खबर ‘कोलकत्ता: एजेंसी टू लुक आफ्टर मां फ्लाईओवर मेंटेनेंस’ में फ्लाईओवर की तस्वीर है.
इस तस्वीर और योगी सरकार के विज्ञापन में छपी तस्वीरों को ध्यान से देखने पर एक जैसा ही लगता है. मसलन दोनों में फ्लाईओवर की बॉउंड्री पर नीले रंग का पेंट किया गया है.
कोलकता में एक राष्ट्रीय अखबार के लिए काम करने वाले पत्रकार बताते हैं, “ममता बनर्जी जो भी काम करती हैं उसपर नीले रंग का पेंट किया जाता है. बीजेपी भगवा रंग को प्रोमोट करती है, ममता नीले रंग को. उनकी पार्टी की पहचान भी नीला रंग है.”
विज्ञापन में जो तस्वीर है उसमें एक पीले रंग की टैक्सी भी नजर आ रही है. यह टैक्सी मुख्यत पश्चिम बंगाल में ही नजर आती हैं. उत्तर प्रदेश में शायद ही कभी दिखे. पीले रंग की टैक्सी कोलकत्ता की पहचान है.
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा छपवाए विज्ञापन में फ्लाईओवर के पीछे दो ग्रे रंग की और दो सफेद रंग की बिल्डिंग दिख रही हैं. इन बिल्डिंग को आप टाइम्स ऑफ़ इंडिया की तस्वीर में भी देख सकते हैं. ग्रे रंग की जो दो बिल्डिंग हैं, वह जे डब्ल्यू मर्रियट होटल है. यह जानकारी हमें यहां काम करने वाली एक पत्रकार ने दी है. वे कहती हैं, ‘‘ये मां फ्लाईओवर ही है. सबसे बड़ी पहचान तो होटल और पिली टैक्सी है.’’
इसके अलावा दोनों तस्वीरों के बाएं तरफ का हिस्सा भी बिलकुल एक जैसा है. तस्वीर अलग-अलग समय की है तो विज्ञापन वाली तस्वीर में पेड़ छोटे हैं और टाइम्स ऑफ़ इंडिया वाली तस्वीर में वो बड़े-बड़े हैं.
दोनों तस्वीरों को देखने के बाद साफ़ पता चलता यह तस्वीर कोलकत्ता की ही है.
सोशल मीडिया पर तस्वीर वायरल होने के बाद टीएमसी सांसद और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने भी इसको लेकर ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, ‘‘योगी आदित्यनाथ के लिए यूपी में बदलाव का मतलब ममता बनर्जी के नेतृत्व में बंगाल में हुए बुनियादी ढांचे की तस्वीरें चुराकर अपना बताना है. ऐसा लगता है कि 'डबल इंजन मॉडल' भाजपा के सबसे मजबूत राज्य में बुरी तरह विफल हो गया है.’’
यहीं नहीं फ्लाईओवर के अलावा दो कर्मचारियों की काम करते हुए जो तस्वीर विज्ञापन में दिखाई गई है वो तस्वीर भी HSE VISION नाम की कंपनी की वेबसाइट पर मौजूद है. दोनों तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि एक कर्मचारी अपने बाएं हाथ से इशारा कर रहा है वहीं दूसरा कर्मचारी वॉकी-टॉकी पर बात कर रहा है. HSE VISION की वेबसाइट पर इसका पता ट्यूनीशिया का मोटप्लेसिर है. यानी यह तस्वीर भी उत्तर प्रदेश की नहीं है.
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है.
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर केंद्र सरकार का एक विज्ञापन प्रकाशित हुआ. उसमें भी ऐसी ही गड़बड़ी हुई थी.
विज्ञापन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक मुस्कुराती तस्वीर के साथ एक महिला की तस्वीर भी छपी थी. ‘आत्मनिर्भर भारत, आत्मनिर्भर बंगाल’ के नारे के साथ इस विज्ञापन में लिखा था, प्रधानमंत्री आवास योजना में मुझे मिला अपना घर. सर के ऊपर छत मिलने से करीब 24 लाख परिवार हुए आत्मनिर्भर. साथ आइये और एक साथ मिलकर आत्मनिर्भर भारत के सपने को सच करते हैं.
हालांकि विज्ञापन में जिस लक्ष्मी देवी की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था वो 500 रुपए के खोली में किराये पर रहती थीं. उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना से घर नहीं मिला था. उनकी तस्वीर कब ली गई उन्हें पता ही नहीं था.
चुनाव करीब आते ही अख़बारों में बढ़ते विज्ञापन
जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव करीब आ रहे हैं योगी सरकार अख़बारों और टीवी चैनलों को जमकर विज्ञापन दे रही है.
रविवार को इंडियन एक्सप्रेस पेज का विज्ञापन छपा. इससे पहले शुक्रवार को दैनिक जागरण में दो पेज का कृषि को लेकर विज्ञापन छपा था. छह सितंबर को दैनिक जागरण के ही फ्रंट पेज और दूसरे पेज में योगी सरकार का विज्ञापन छपा था. जिसका असर अख़बार में यह दिखा कि पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में हुई पंचायत की खबर अख़बार ने दो कॉलम में छापी थी.
आरटीआई से मिली जानकारी को लेकर न्यूज़लॉन्ड्री ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें सामने आया था कि अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के बीच योगी सरकार ने टीवी चैनलों को 160 करोड़ का विज्ञापन दिया है. इस दौरान नेशनल टीवी चैनल्स को 88 करोड़ और क्षेत्रीय चैनल्स को 71 करोड़ रुपए का विज्ञापन दिया गया.
हैरानी की बात है कि कोरोना महामारी के बीच ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजना के प्रचार के लिए योगी सरकार ने 115 करोड़ रुपए खर्च किए हैं.
वहीं मुख्यमंत्री दावा कर रहे हैं कि 2017 के बाद उत्तर प्रदेश में व्यपक बदलाव आया है जबकि विज्ञापन में पश्चिम बंगाल के फ्लाईओवर की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है. इसके बाद से सोशल मीडिया पर यह तस्वीरें वायरल हैं. सीएम योगी को टैग कर लोग सवाल पूछ रहे हैं.
हालांकि लगातर उठते सवालों के बीच इंडियन एक्सप्रेस ने सफाई दी है. अख़बार ने ट्वीट करके जानकारी दी कि अख़बार के मार्केटिंग विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार के लिए बनाए गए विज्ञापन में एक गलत तस्वीर लग गई है. इस गलती के लिए हमें गहरा खेद है और इसे अख़बार के सभी डिजिटल संकरणों से हटा दिया गया है.
इसके बाद सवाल उठने लगे हैं कि विज्ञापन तो सरकार देती है. इसमें अख़बार की क्या भूमिका लेकिन जानकारों का मानना है कि कई बार अख़बार का मार्केटिंग विभाग विज्ञापन बनाता भी है और उसके लिए पैसे लेता है.
इस विज्ञापन को लेकर यूपी सरकार के अपर मुख्य सचिव (सूचना) नवनीत सहगल से हमने पूछा कि इंडियन एक्सप्रेस ने खेद जताकर माफी मांगी है, लेकिन क्या यह मुमकिन है कि बिना सरकारी अप्रूवल के विज्ञापन प्रकाशित हुआ होगा? इसके जवाब में उन्होंने बताया, ''इसे किसी सरकारी अधिकारी ने मंजूर नहीं किया. यह इंडियन एक्सप्रेस के मार्केटिंग विभाग द्वारा तैयार किया गया था. इसलिए उन्होंने माफ़ी मांगी है.''
सहगल ने हमें इंडियन एक्सप्रेस द्वारा उत्तर प्रदेश के सूचना विभाग के डायरेक्टर शिशिर को लिखा पत्र साझा किया जिसमें खेद जताते हुए वहीं बातें लिखी गई जो एक्सप्रेस ने ट्वीट किया है.
(नवनीत सहगल का जवाब आने के बाद खबर को 4:15 बजे अपडेट किया गया)
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