एनएल चर्चा
NL Charcha

एनएल चर्चा 184: किसान आंदोलन, तालिबान सरकार और गुड न्यूज टुडे

एनएल चर्चा के 184वें अंक में हरियाणा में व्यापक स्तर पर हो रहे किसान आंदोलन, अफगानिस्तान में तालिबान की अंतरिम सरकार की घोषणा, किसान महापंचायत, इंडिया टुडे ग्रुप का नया चैनल गुड न्यूज टुडे, तालिबान को लेकर भारत का नरम रुख, सुप्रीम कोर्ट ने ‘द वायर’ के खिलाफ हुई एफआईआर में दी अंतरिम राहत और तमिलनाडु ने एनआरसी के खिलाफ पास किया प्रस्ताव आदि हमारी चर्चा का विषय रहे.

इस बार चर्चा में बतौर मेहमान पत्रकार स्मिता शर्मा शामिल हुईं. साथ में न्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाद एस और सहसंपादक शार्दूल कात्यायन ने भी चर्चा में हिस्सा लिया. संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.

चर्चा की शुरुआत किसान आंदोलन से होती है, जिसपर अतुल कहते हैं, "अब ऐसा प्रतीत होता है जैसे यह आंदोलन एक राजनीतिक ढांचे में ढल चुका है जिसका मुद्दा यह है कि जब तक बीजेपी को राजनीतिक तौर पार नुकसान नहीं होगा तब तक सरकार द्वारा इस क़ानून में कोई बदलाव या वापसी की सूरत नहीं बन रही."

इस पर स्मिता कहती हैं, "करनाल में स्थिति थोड़ी अलग है, यहां पर सरकार पसोपेश में है, यहां आप सिंघु और टिकरी की तरह इस मोर्चे को जारी नहीं रख सकते और यहां अगर आप बल प्रयोग करते हैं तो इस दफा किसान तैयार हैं आपको इस बार फिर काफी ज़्यादा हिंसा नज़र आएगी."

स्मिता आगे कहती हैं, "इस स्थिति में हरियाणा में पंचायत चुनाव भी होने हैं, हम दूसरे राज्यों के चुनावों की तो बात कर रहे हैं हरियाणा में भी कुछ दिनों में पंचायत चुनाव हैं जिसकी वजह से आईएनएलडी के विधायक अभय चौटाला ने विधानसभा से इस्तीफ़ा दे दिया है, वह किसानों के साथ खड़े हैं, साथ ही कांग्रेस के नेता भूपेंद्र हुड्डा ने भी समर्थन दे रखा है और मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो खुद पार्टी के अंदर खट्टर को लेकर आवाज़ें उठ रही हैं."

मेघनाद किसान आंदोलन पर बात करते हुए कहते हैं, "इंटरनेट शटडाउन की जो गंदी आदत है हमारी सरकार की यह बहुत ही ख़राब है, भारत में 2012 से 2021 तक 540 से ज़्यादा इंटरनेट शटडाउन हुए हैं और सबसे ज़्यादा 325 शटडाउन जम्मू कश्मीर में हुए हैं. साथ ही राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, बिहार ये वे राज्य हैं जहां काफी बार इंटरनेट सेवाएं ठप कर दी गईं."

मेघनाद की बात से सहमति जताते हुए शार्दूल कहते हैं, “भारत में सरकारें हमेशा से नहीं चाहती थीं कि जनता कुछ भी सरकार के खिलाफ देखे. पहले उनका कंट्रोल बराबर का था लेकिन अब सरकार का (मीडिया) उसपर कंट्रोल ज्यादा है.”

इस विषय के अलावा अन्य विषयों पर भी विस्तार से बातचीत हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए पूरे पॉडकास्ट को जरूर सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.

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पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए.

शार्दूल कात्यायन

गुड न्यूज टूडे को लेकर मेघनाद का आर्टिकल

डिज्जी हॉटस्टार पर उपलब्ध - चरनोबिल वेबसीरीज

मेघनाद एस

संसद वॉच शो

स्मिता शर्मा

अहमद रशीद की किताब: तालिबान

अफगानिस्तान को समझने के लिए पढ़िए गंधारा और क्राइसिस ग्रुप की वेबसाइट पर उपलब्ध रिपोर्ट्स

अतुल चौरसिया

विवादित बयान देने वाले यति नरसिंहानंद की प्रोफाइल

फिल्म - द बॉय इन स्ट्राइप्ड पजामा

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चर्चा लेटर

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