Report
जलवायु परिवर्तन: भारत सहित दुनियाभर के 100 करोड़ से ज्यादा बच्चों पर मंडरा रहा गंभीर खतरा
भारत सहित दुनिया के 100 करोड़ से ज्यादा बच्चों पर जलवायु परिवर्तन का गंभीर खतरा मंडरा रहा है. यह जानकारी यूनिसेफ द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट में सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, चाड और नाइजीरिया में बच्चों पर जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक खतरा है.
गौरतलब है कि यूनिसेफ द्वारा बच्चों पर केंद्रित क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स भी जारी किया गया है जिसमें भारत सहित इन देशों को जलवायु परिवर्तन के मामले में सबसे ज्यादा जोखिम वाले देशों में शामिल किया गया है, जहां जलवायु परिवर्तन कई तरह से बच्चों के वर्तमान और भविष्य पर असर डाल रहा है. रिपोर्ट की मानें तो जलवायु परिवर्तन बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है.
रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के करीब आधे बच्चे जिनकी संख्या 100 करोड़ से ज्यादा है. वो जलवायु परिवर्तन के बेहद उच्च जोखिम वाले 33 देशों में रहते हैं, जिनमें भारत भी एक है. यह बच्चे साफ पानी, स्वच्छता, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल जैसी जरुरी सेवाओं की कमी का सामना कर रहे हैं ऊपर से जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण से जुड़े खतरे उनके जीवन को और जोखिम भरा बना रहे हैं. ऐसे में अनुमान है कि जैसे जैसे जलवायु परिवर्तन का असर बढ़ेगा वैसे-वैसे उनपर जोखिम और बढ़ता जाएगा. साथ ही उनकी संख्या में भी इजाफा होने की सम्भावना है.
गंभीर जल संकट का सामना करने को मजबूर हैं 92 करोड़ बच्चे
रिपोर्ट में जो गंभीर आंकड़ें सामने आए हैं उनके अनुसार दुनिया भर में करीब 24 करोड़ बच्चे तटवर्ती इलाकों में आने वाली बाढ़ और करीब 33 करोड़ बच्चे नदियों में आने वाली बाढ़ के कारण खतरे में हैं. यही नहीं जहां 82 करोड़ बच्चों पर लू का खतरा मंडरा रहा है वहीं 40 करोड़ बच्चों पर तूफान की चपेट में आने का खतरा है. 81.5 करोड़ बच्चों पर लीड प्रदूषण के संपर्क में आने का खतरा है, जबकि 60 करोड़ बच्चे वेक्टर जनित रोगों के संपर्क में हैं. यही नहीं करीब 92 करोड़ बच्चे पानी के गंभीर संकट का सामने करने को मजबूर है वहीं 100 करोड़ से ज्यादा बच्चों पर वायु प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है.
इंडेक्स में बच्चों पर जलवायु और पर्यावरण सम्बन्धी खतरों के जोखिम, उनसे बचाव और आवश्यक सेवाओं तक उनकी पहुंच के आधार पर देशों को क्रमबद्ध किया गया है जिसमें ज्यादा स्कोर का मतलब अत्यंत गंभीर खतरा और कम स्कोर का मतलब बच्चों पर मंडराते कम खतरे के रूप में दर्शाया गया है.
रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में लगभग हर बच्चा किसी न किसी जलवायु और पर्यावरण से जुड़े खतरे का सामना करने को मजबूर है. वहीं कई देशों में तो ऐसे बच्चे एक साथ कई खतरों का सामना कर रहे हैं ऐसे में यह उनके जीवन और विकास के लिए के बड़ा खतरा हैं. अनुमान है कि करीब 85 करोड़ बच्चे ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहां कम से कम चार जलवायु और पर्यावरण से जुड़े खतरों का संकट एक साथ मंडरा रहा है. जबकि दुनिया का हर सातवां बच्चा (33 करोड़) उन क्षेत्रों में रहता है जो एक साथ पांच खतरों का सामना कर रहे हैं.
जिन 33 देशों को बच्चों के लिए सबसे ज्यादा जोखिम भरे देशों में शुमार किया गया है, देखा जाए तो वो सभी देश मिलकर दुनिया की केवल नौ फीसदी ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करते हैं, जबकि उन देशों में सबसे ज्यादा बच्चे जलवायु और पर्यावरण सम्बन्धी जोखिम का सामना करने को मजबूर हैं. इसके विपरीत 10 सबसे ज्यादा उत्सर्जन करने वाले देश, जोकि दुनिया की करीब 70 फीसदी ग्रीनहाउस जैसे उत्सर्जित करते हैं, उनमें से केवल एक देश को इस इंडेक्स में बच्चों के लिए अत्यंत उच्च जोखिम वाले देशों में रखा गया है. यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि जलवायु परिवर्तन की मार उन देशों के बच्चे सबसे ज्यादा झेल रहे हैं जो इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार नहीं हैं.
7.4 अंकों के साथ 26वें स्थान पर है भारत
इस तरह नए चिल्ड्रन क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स में बच्चों पर मंडराते जलवायु परिवर्तन के जोखिम के आधार पर सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक को सबसे ऊपर पहले पायदान पर रखा है, जिसे इंडेक्स में 8.7 स्कोर दिया है, वहीं उसके बाद 8.5 अंकों के साथ नाइजीरिया और चाड दूसरे स्थान पर हैं, जबकि गिनी, गिनी-बिसाऊ और सोमालिया 8.4 अंकों के साथ चौथे स्थान पर हैं. इसके बाद नाइजीरिया और दक्षिणी सूडान को 8.2 अंकों के साथ सातवें पायदान पर रखा है.
वहीं 7.7 अंकों के साथ पाकिस्तान को 14 वें और अफगानिस्तान, बांग्लादेश, बेनिन, बुर्किना फासो, इथियोपिया सूडान और टोगो को 7.6 अंकों के साथ 15वें स्थान पर रखा गया है. यदि भारत की बात करें तो उसे यमन और सिएरा लियॉन के साथ 7.4 अंकों के साथ 26वें स्थान पर रखा है. यूरोपियन देश लिकटेंस्टाइन को 2.2 अंकों के साथ बच्चों के लिए जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा सुरक्षित देश के रूप में दिखाया है जिसे इस इंडेक्स में सबसे अंतिम 153वें स्थान पर रखा है. वहीं स्विट्जरलैंड और डेनमार्क को 147वें पायदान पर रखा है.
(साभार- डाउन टू अर्थ)
Also Read
-
A conversation that never took off: When Nikhil Kamath’s nervous schoolboy energy met Elon Musk
-
Indigo: Why India is held hostage by one airline
-
2 UP towns, 1 script: A ‘land jihad’ conspiracy theory to target Muslims buying homes?
-
‘River will suffer’: Inside Keonjhar’s farm resistance against ESSAR’s iron ore project
-
Who moved my Hiren bhai?