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नफरत, सांप्रदायिकता और पुलिसिया पक्षपात का शिकार एक चूड़ीवाला
"निकालो भैया, ज़रा देखो क्या-क्या निकलेगा इसके बैग में से. जो बहन-बेटी हैं सब आ जाओ, ले जाओ जिसके नाप का है जो, आज के बाद यह कभी अपने क्षेत्र में आना नहीं चाहिए. हमारे क्षेत्र में आना मत तू जीवन में, किसी भी हिन्दू क्षेत्र में दिख मत जाना." ये कहते हुए पीले रंग का कुर्ता पहने शख्स एक बैग में से चूड़ियां निकालता जा रहा था. उसके सामने ज़मीन पर बैठा एक युवक रो-रो कर कह रहा था, "पहली बार आये हैं भैया इधर."
उस युवक की टी-शर्ट के कॉलर को एक नारंगी रंग की कमीज पहने व्यक्ति ने पीछे से पकड़ रखा है और उसके मुंह पर बार-बार चाटें मारते हुए कह रहा है, "मुसलमान है अपने क्षेत्र में आया था." इसके बाद ये दोनों व्यक्ति उस चूड़ीवाले को मारने लगते हैं. युवक हाथ जोड़कर बार-बार कह रहा है, "अब कभी नहीं आएंगे बाबूजी, ज़िन्दगी में कभी नहीं आएंगे."
उनकी बातें सुनकर पास खड़ा एक लड़का भी उस युवक को मारने लगता है. फिर पीले कुर्ते वाला व्यक्ति कहता है, "अरे एक-एक तो सब मारो यार, अरे इस चक्कर में ही मार दो यार कि बंबई बाजार (इंदौर का एक मुस्लिम बहुल इलाका) का बदला ले रहे हो, इसके बाद इन लोगों को सोचना चाहिए इस क्षेत्र में आने के पहले." और फिर वहां मौजूद भीड़ उस लड़के को बुरी तरह से मारने लगती है.
उसे मारने के क्रम में कुछ लोग उसकी आईडी चेक करने की बात कहते हैं. वो युवक की जेबें टटोलने लगते हैं. पीले कुर्ते वाला व्यक्ति फिर कहता है, "अरे भैया वीडियो ऐसी बनाओ कि अपना किसी का चेहरा नहीं आये. तुम ही अभी इसको वायरल करोगे, इस हरामी का चेहरा लो. चूड़ी बेच रहा था यह..., तुम्हारी बहन के पास जाएगा तो हाथ पकड़ के देखेगा ना."
22 अगस्त की दोपहर को इंदौर के बाणगंगा इलाके की गोविंद कॉलोनी में हुई इस घटना में जो युवक पिट रहा था उसका नाम तस्लीम बंजारा है. वह एक महीने पहले उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के अपने गांव बिराइचमऊ से कई अन्य लोगों के साथ मध्य प्रदेश के इंदौर में चूड़ियां बेचने आया था.
हमने इस मामले की पड़ताल की तो पाया कि पहले तो तस्लीम को मुसलमान होने के चलते मारा गया जो कि वीडियो में दिख रहा है, और बाद में जिन आरोपियों ने उसे मारा था उन्हीं के परिवार (एक आरोपी के बेटी) के ज़रिये तस्लीम पर नौ धाराओं के तहत एफ़आईआर दर्ज गई. इसमें पॉक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेन्सेस एक्ट) एक्ट भी शामिल है. सोशल मीडिया और कुछ अन्य मीडिया संस्थानों ने तस्लीम के बारे में खबरें दिखाईं कि वो हिन्दू नाम रखकर चूड़ियां बेच रहा था, छेड़खानी कर रहा था, लव जिहाद कर रहा था.
न्यूज़लॉन्ड्री के पास तस्लीम का एक वीडियो है जिसमे वो अपनी आपबीती सुना रहा है. उसके मुताबिक 22 अगस्त को उसके साथ यह घटना दोपहर के तीन से चार बजे के बीच घटी थी. वह गोविंद नगर कॉलोनी में चूड़ी बेचने के लिए फेरी लगा रहा था. एक महिला उनसे चूड़ी खरीदने आयी. उसे चूड़ियां बेचने के बाद जब वह अपना बैग उठाकर जाने को हुआ तभी पीछे से एक आदमी ने उसे पकड़ लिया. उन्होंने पूछा क्या वह मुसलमान है. डर के मारे उसने पहले अपना गलत नाम बता दिया.
महिलाओं से छेड़छाड़ के आरोप को गलत बताते हुए तस्लीम कहते हैं यह बिल्कुल झूठ बात है. अपने साथ मारपीट के बाद वह खुद पुलिस थाने गए थे और पुलिस को लेकर गोविंद कॉलोनी आये थे. दो पुलिस वाले उन्हें लेकर गोविन्द कॉलोनी लौटे. वहां एक व्यक्ति ने पुलिस को गवाही भी दी कि तस्लीम की इस मामले में कोई गलती नहीं थी बल्कि वही लोग उसे मार रहे थे और उसके पैसे छीन लिए, उसका मोबाइल भी तोड़ दिया.
पुलिसवालों ने तब कहा कि वह उनका लुटा हुआ माल तो नहीं दिलवा पाएंगे क्योंकि वो सब बंट चुका है लेकिन पुलिस ने उनसे छीने गए साढ़े चार हजार के करीब रुपये दिलवा दिए थे. पुलिस ने उनसे यह भी कहा था कि जिन लोगों ने उनको मारा है वह बजरंग दल के लोग हैं. साथ ही पुलिस ने उन्हें वापस लौट जाने की सलाह दी.
तस्लीम के मामा मोहर अली न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, "हम हर त्यौहार के पहले देश के अलग-अलग कोने में चूड़ियां बेचने जाते हैं. इस बार हम एक महीने पहले राखी के त्यौहार के मौके पर चूड़ियां बेचने इंदौर आये थे. तस्लीम उस दिन फेरी कर रहा था. तभी एक आदमी ने तस्लीम की टी-शर्ट का कॉलर पकड़ लिया और उससे पूछने लगा कि क्या तू मुसलमान है. घबरा कर उसने कह दिया कि वो मुसलमान नहीं है. उससे जब नाम पूछा तो उसने अपना नाम भूरा बताया, जो कि उसका घर का नाम हैं. लेकिन जिन लोगों ने उसे रोका था वह कहने लगे थे कि "तेरी शक्ल मुसलमान की है" और फिर उसे मारने लगे. उसके पास 25 हज़ार का माल था. वो सारा माल और तकरीबन पांच हज़ार रुपये उससे छीन लिए."
बिराइचमऊ गांव में रहने वाले 25 साल के तस्लीम अपने घर में सबसे बड़ा है. घर में उनके माता-पिता हैं, पत्नी है, तीन छोटे भाई हैं और तीन बेटियां हैं. मोहर अली कहते हैं, "उस दिन जान बचाकर जब वह पुलिस थाने गया तब पुलिस ने उसके पैसे लौटवा दिए और कहा था कि पैसे लेकर चले जाओ और अपनी जान बचाओ. पुलिस ने एफआईआर भी दर्ज नहीं की और नसीहत दी कि जिन लोगों ने उनको मारा है वह दबंग लोग हैं. हम महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश सब जगह घूमते हैं लेकिन आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ.”
वो आगे कहते हैं, “हम गरीब लोग हैं. चूड़ी बेचकर अपना गुजारा करते हैं. छेड़खानी जैसी हरकत का तो सवाल ही नहीं पैदा होता है. चूड़ी के अलग-अलग नापों के डिब्बे होते हैं. हम खरीदार की चूड़ी देख कर उन्हें अलग-अलग नाप दिखा देते हैं. खुद हाथ से चूड़ी पहनाना बहुत कम होता है, वो भी तब जब कोई खरीदार बोले. हम अनपढ़ गरीब लोग हैं साहब. उस दिन वहां से लौटने के बाद तस्लीम बहुत रोया हमारे पास बैठकर. वह अपनी बच्चियों को याद करके रो रहा था. बहुत डरा हुआ था.”
तस्लीम के साथ उनके भाई, मामा समेत 20-21 लोग हरदोई से इंदौर चूड़ियां बेचने आये थे और इंदौर के रानीपुरा इलाके के मुसाफिरखाने में रुके हुए थे.
जब तस्लीम के साथ हुई मारपीट का वीडियो वायरल हुआ तो कुछ स्थानीय संगठन उनकी मदद के लिए आगे आए. उनके हस्तक्षेप करने के बाद रानीपुरा इलाके के नज़दीक सेंट्रल कोतवाली पुलिस थाने में आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी थी. सेंट्रल कोतवाली पुलिस ने इस मामले में राकेश पंवार, राजकुमार भटनागर और विवेक व्यास नामक तीन लोगों को गिरफ्तार किया है.
लेकिन जिन लोगों ने तस्लीम की एफआईआर दर्ज करवाने में मदद की बाद में पुलिस ने उन्ही लोगो पर दंगा करने, किसी व्यक्ति को गलत तरीके से रोकने जैसी धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया.
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया से जुड़े मुमताज़ कुरैशी ने आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने में तस्लीम की मदद की थी. वो कहते हैं, "पहले तो उस बेचारे लड़के की शिकायत नहीं ली. आरोपियों को पकड़ने के बजाय उसे ही मामला रफा दफा करने के लिए कह रहे थे. जब हमें उसके साथ हुयी घटना का पता चला तो हमने सेंट्रल कोतवाली में आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई. पुलिस ने उन आरोपियों के खिलाफ तो एफआईआर दर्ज की लेकिन हम पर भी धाराएं लगा दीं. मैं हैरान हूं पुलिस की इस हरकत पर. पुलिस ने हम पर इल्ज़ाम लगा दिया कि हमने भीड़ को बुलाया, लोगों को उकसाया, चक्का जाम करवाया. जबकि ऐसा कुछ भी नहीं था.”
पुलिस ने कुरैशी के अलावा अब्दुल रउफ बेलिम और ज़ैद पठान नाम के दो व्यक्ति जो तस्लीम के साथ थाने गए थे उन पर भी अपराध दर्ज कर दिया है.
22 तारीख की रात को बहुत से लोग तस्लीम के साथ हुयी घटना के विरोध में सेंट्रल कोतवाली पुलिस थाने के बाहर इकट्ठा हो गए थे. इसको लेकर इंदौर के कलेक्टर मनीष सिंह ने एक बयान जारी कर पूरे मामले को अलग ही रंग दे दिया. उन्होंने कहा कि कोतवाली थाने के बाहर हुए प्रदर्शन में एसडीपीआई और पीएफआई नामक संगठनों की भूमिका है.
एक स्थानीय व्यक्ति मक़सूद लोधी हमें बताते हैं, "वो वीडियो देखकर काफी लोग आहत हुए थे. जब यह बात तेजी से फैली तो लोगों ने पता किया कि मामला कहां का है, और वह लड़का कौन है. धीरे-धीरे लोग खुद ही सेंट्रल कोतवाली थाने के बाहर इकट्ठा होने लगे. स्थानीय नेता भी वहां आये थे और उन्होंने पुलिस अधिकारियों से बात कर लोगों को वापस जाने को बोला था. लेकिन कोई वापस जाने को तैयार नहीं था. अलग-अलग पार्टियों के नेता भी वहां आने लगे. बाणगंगा पुलिस थाने के टीआई (थाना प्रभारी) का भी एक वीडियो सामने आया, जिसमें वह कह रहे थे कि उनके पास कोई आवदेन लेकर नहीं गया. उस बात को लेकर भी लोगों को लग रहा था कि सेंट्रल कोतवाली कार्रवाई नहीं करेगा. किसी को उकसाने का सवाल ही नहीं था."
इस घटना को लेकर एक तरफ सोशल मीडिया पर अफवाहें उड़ाई जा रही थीं तो दूसरी तरफ भाजपा सरकार के नुमाइंदे भी इन अफवाहों को हवा दे रहे थे कि तस्लीम हिन्दु नाम रख चूड़ियां बेच रहा था. मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी इस मामले में तथ्यहीन बयानबाज़ी की. मिश्रा ने बयान दिया कि तस्लीम चूड़ी बेचने का काम अपना नाम, जाति, धर्म छुपाकर कर रहा था. मिश्रा ने यह भी कहा कि संबंधित व्यक्ति के पास दो आधार कार्ड मिले हैं. मिश्रा मामले को बिलकुल भी साम्प्रदायिक ना बताते हुए कह रहे थे कि चूड़ी बेचने वाला अपनी पहचान छुपा कर गलत कर रहा था.
तस्लीम का चूड़ियों वाला बैग लूटने के बाद उसके हमलावरों को कथित तौर पर उसके बैग में से दो आधार कार्ड मिले थे और एक अन्य पहचान पत्र मिला था. जिसको लेकर इस तरह के बयान दिए जा रहे थे.
इस बारे में तस्लीम के छोटे भाई जमाल हमें बताते हैं, "जो दो आधार कार्ड हैं वह कोई अलग-अलग नंबर के नहीं हैं बल्कि एक ही है. उन पर जिले का नाम, पता सब एक ही है. दरअसल एक आधार में मेरे भाई का नाम तस्लीम लिखा है और एक में असलीम लिखा है. दूसरा आधार कार्ट करेक्शन करके बनवाया गया था क्योंकि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत राशि में नाम गलत छप गया था. इसके अलावा मेरे भाई का जो पहले का पहचान पत्र है उस पर उसका नाम भूरा लिखा है क्योंकि भूरा उसके घर का नाम है. गांव में अधिकतर लोग पढ़े-लिखे नहीं हैं इसलिए इन सब बातों पर ध्यान नहीं जाता.”
न्यूज़लॉन्ड्री ने इस बात को समझने के लिए बिराइचमऊ गांव के प्रधान होरीलाल से बात की. वो बताते हैं, "यह बात सच है कि प्रधानमंत्री आवास योजना की जो राशि तस्लीम के लिए आयी थी उसमें नाम असलीम छपा था. और उसमें पिता का नाम भी मोहर अली की जगह मोहर सिंह था. इसलिए तस्लीम के आधार कार्ड को सही करना पड़ा. उसने कुछ गलत नहीं किया है. गांव देहात में आधार कार्ड, पहचान पत्र में नामों की गलतियां होना आम बात है. बनाने वाले नाम, पिता का नाम, जन्म तारीख जैसी चीज़ों में गलतियां कर देते हैं."
न्यूज़लॉन्ड्री के पास मौजूद तस्लीम के घर के फोटो में भी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उसका नाम असलीम और पिता का नाम मोहर सिंह लिखा हुआ है.
गौरतलब है कि 23 तारीख की शाम के चार बजे कुछ पुलिस वाले तस्लीम के पास रानीपुरा स्थित मुसाफिर खाने में आये थे. उन्होंने कहा था कि आरोपियों के खिलाफ दर्ज हुयी शिकायत पर कार्रवाई के मद्देनज़र उसकी मेडिकल जांच कराई जायेगी और कुछ सवाल जवाब किये जाएंगे. इसके बाद पुलिस तस्लीम को अपने साथ हीरा नगर पुलिस थाने ले गयी.
तस्लीम को तकरीबन चार बजे पुलिस अपने साथ ले गयी. तकरीबन पौने छह बजे बाणगंगा थाने में तस्लीम के ऊपर हमला करने वाले एक आरोपी के ही एक परिजन ने उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी. उसके बाद तस्लीम को गिरफ्तारी कर लिया गया.
तस्लीम के साथ हीरा नगर थाने गए उसके दोस्त मखतू खान कहते हैं, "वो तस्लीम को यह बोल कर ले गए थे कि मेडिकल जांच और कुछ सवाल करने के बाद छोड़ देंगे. उसकी सलामती को ध्यान में रखते हुए हम दो लोग और उसके साथ गए थे. उसकी मेडिकल जांच कराई और फिर बाद में उसे थाने के लॉकअप में डाल दिया. हमें भी रातभर थाने में बिठा कर रखा. हम जब भी कुछ पूछते तो वहां मौजूद पुलिस वाले बोलते कि साहब के आने तक बैठे रहो. तस्लीम बहुत रो रहा था. उसे उल्टा फंसा दिया.”
तस्लीम के खिलाफ दर्ज पुलिस एफआईआर में लिखा है- जब तस्लीम चूड़ी बेचने पहुंचा था तब शिकायतकर्ता और उसकी मां ने पहले उसका नाम पूछा. नाम पूछने पर तस्लीम ने उन्हें अपना नाम गोलू बताया और कहा कि उसके पिता का नाम मोहन सिंह है. फिर उसने शिकायकर्ता और उसकी मां को एक अधजला वोटर आईडी कार्ड भी दिखाया. यह सब जानकारी लेने के बाद उनको लगा कि वो अच्छा आदमी है और उसके बाद वो उससे चूड़ियां खरीदने लगीं. फिर जब शिकयतकर्ता की मां अंदर पैसे लेने गयीं तो तस्लीम चूड़ी पहनाने के बहाने शिकयतकर्ता का हाथ सहलाने लगा और उसके गालों पर हाथ लगाते हुए बोला की वो कितनी सुन्दर है. जब शिकायकर्ता चिल्लाई तो उसकी मां बाहर आकर तस्लीम से बोली कि वो क्या कर रहा है. इसके बाद तस्लीम ने उन दोनों को जान से मारने की धमकी दी और वो वहां से भागने लगा. लेकिन आसपास के 'भैय्या' लोगों ने उसे पकड़ लिया.
एफआईआर में आगे शिकायतकर्ता का बयान लिखा है, "उस व्यक्ति ने जिस पन्नी की थैली में से हमें वोटर कार्ड निकालकर दिखाया था, जल्दबाज़ी में वो थैली वहीं भूल गया, जिसे हमने देखा तो उस व्यक्ति के हमें दो आधारकार्ड मिले. एक में उसका नाम असलीम पिता मोहर सिंह लिखा था, दूसरे में तस्लीम पिता मोहर अली लिखा था. एक अधजले वोटर आईडी कार्ड में उसके पिता का नाम मोहन सिंह लिखा था. एफआईआर में यह भी लिखा है कि तस्लीम के दस्तावेजों की थैली शिकायकर्ता ने पुलिस के हवाले की थी.
न्यूज़लॉन्ड्री ने जब बिराइचमऊ में तस्लीम के पिता मोहर अली से बात की तो वह रोते हुए कहने लगे, "मेरा बेटा सीधा इंसान है. उसे हिन्दू मुसलमान का फर्क कर पीटा गया. उसने कुछ गलत नहीं किया था. हम कई सालों से चूड़ियां बेचने का काम करते आ रहे हैं लेकिन कभी ऐसा नहीं हुआ. मेरा बच्चा गलत आदमी नहीं है साहब."
24 तारीख की रात को एक बजे सांडी और बिलग्राम पुलिस थानों की पुलिस मोहर अली के घर तफ्तीश करने आयी थी. वह कहते हैं, "पुलिस आयी थी और हमारे परिवार के सभी बड़े और बच्चो का नाम लिख कर ले गयी. तकरीबन 20 मिनट तक पुलिस ने घर में पूछताछ की और फिर चली गयी. हमने उनको बता दिया कि हमारे बच्चे के साथ इंदौर में क्या हुआ था.”
न्यूज़लॉन्ड्री ने मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा से जब आधार कार्ड का नंबर एक होने और उनके मीडिया को दिए गए बयान के बारे में पूछा तो वह कहते हैं, "नाम किसी का अलग-अलग हो सकता है, लेकिन पिता का नाम तो एक होना चाहिए. पिता एक होता है व्यक्ति के नाम भले ही दो हों. उस व्यक्ति के तीन दस्तावेज और तीनों में नाम अलग हैं."
क्या सरकारी दस्तावेजों में नामों की गलती नहीं होती है? तो वह कहते हैं, "आप कोई भी सम्भावना निकाल सकते हैं. आपको अधिकार है. कभी-कभी व्यक्ति भी गलत हो जाता है. होने को तो कुछ भी हो जाता है."
जब मिश्रा से पूछा गया कि क्या वे तस्लीम पर हुए हमले को जायज़ ठहरा रहे हैं, तब वो कहते हैं, "वह गलत था और उसलिए उन लोगों की गिरफ्तारी की गयी.”
सोशल मीडिया पर ऐसी भी अफवाहे उड़ रही थी कि तस्लीम ने अपनी पहचान छुपाने के लिए अपना नाम भोला बताया था. इसके अलावा उस पर गोलू नाम का इस्तेमाल करने संबंधित अफवाहें भी चल रही थीं.
पुलिस द्वारा उसके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर में नाम गोलू लिखा हुआ है.
बाणगंगा थाने के थाना प्रभारी राजेंद्र सोनी एफआईआर के बारे में कहते हैं, "एफआईआर दाखिल इसलिए की गयी क्योंकि उसने नाबालिग बच्ची के साथ छेड़खानी की थी. नाबालिग बच्ची ने बोला है तो मानना ही पड़ेगा.”
एफआईआर से जुड़े अन्य सवालों के बारे में सोनी ने यह कहते हुए फोन काट दिया कि वो हमारे सवालों का जवाब देने के लिए बाध्य नहीं है.
सेंट्रल कोतवाली के थाना प्रभारी बीडी त्रिपाठी ने शिकायत करने आए लोगों पर एफआईआर दर्ज करने के संदर्भ में कहा, "अगर किसी को बात करना है तो वो आदमी की तरह आकर कहे, दो-चार लोग आकर अपनी बात रख सकते थे. लेकिन इतने सारे लोग आकर प्रदर्शन करेंगे, कानून व्यवस्था को भंग करेंगे तो उनके खिलाफ एफआईआर करना पड़ता है."
तस्लीम को स्थानीय अदालत ने तीन दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
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