NL Tippani
संसद से सड़क तक पिंकी चौधरियों के ठाठ और मोदीजी का टेपरिकॉर्डर
देश अपनी आज़ादी के 75वें साल में धमाकेदार एंट्री कर चुका है. प्रधानमंत्री ने लाल किले से ऐलान किया है कि 75 साल का उत्सव 75 हफ्ते तक चलेगा. लेकिन जनता 16 अगस्त से ही अपनी रोजी रोटी की चिंता में लग गई. प्रधानमंत्री ने इस 15 अगस्त लाल क़िले से एक अच्छी शुरुआत की. जमाने बाद उन्होंने कुछ ऐसे नाम लिए जिन्हें सुनकर पहले पहल लोगों के मन में संशय पैदा हो गया. पंडित नेहरू, अशफाकउल्ला खां. प्रधानमंत्री रह रह कर गुगली डाल देते हैं. मसलन अगर आपको याद हो तो उन्होंने लाल किले से अपने सबसे पहले भाषण में भी कुछ इसी तरह का ऐलान किया था. लेकिन इसके बाद अगले कुछ सालों में भारत में जो हुआ वह एक अलग ही तस्वीर थी.
दरअसल प्रधानमंत्री किसी मौके पर जो बात कहते हैं वह उनके समर्थकों में बिल्कुल अलग अर्थ में पहुंचती है. लिहाजा उनके अंध और कट्टर समर्थक निर्द्वंद्व होकर ऐसी कारगुजारियां करते रहते हैं जिन्हें सिर्फ गैर कानूनी ही कहा जा सकता है.
प्रधानमंत्रियों का लाल क़िले से यौमे आज़ादी के मौके पर दिया जाने वाला भाषण आमतौर पर चुनावी या राजनीतिक भाषणों से बिल्कुल अलग होता है. यह राजनीतिक टीका-टिप्पणी का मौका नहीं होता. लाल किले से दिया जाने वाला भाषण आजादी से लेकर अब तक यानी हमारी 75 साल की सामूहिक यात्रा की सफलताओं, हमारी उपलब्धियों, भविष्य की योजनाओं का रोडमैप होता है. लेकिन मोदीजी ने इस मौके को भी अपनी सात सालों वाहवाही का मुखपत्र बना दिया. तमाम ऐसे मौके आए जब उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए अपने सात सालों के कार्यकाल का महिमामंडन किया.
फिर भी प्रधानमंत्रीजी ने लाल किले से शुरुआत अच्छी की, उम्मीद है कि वह अच्छाई नीचे तक भी पहुंचेगी. इसके अलावा भी संसद से लेकर संसद भवन के बगल वाली सड़क जंतर मंतर पर बीते हफ्ते बहुत कुछ ऐसा घटा जिसे हमने इस बार की टिप्पणी में शामिल किया है.
***
न्यूज़लॉन्ड्री के स्वतंत्रता दिवस ऑफ़र्स के लिए यहां क्लिक करें.
Also Read
-
Gujarat’s invisible walls: Muslims pushed out, then left behind
-
Let Me Explain: Banu Mushtaq at Mysuru Dasara and controversy around tradition, identity, politics
-
गुजरात: विकास से वंचित मुस्लिम मोहल्ले, बंटा हुआ भरोसा और बढ़ती खाई
-
September 15, 2025: After weeks of relief, Delhi’s AQI begins to worsen
-
Did Arnab really spare the BJP on India-Pak match after Op Sindoor?