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अफगानिस्तान: तालिबानियों के डर से काबुल के एक गुरुद्वारे में शरण लिए लोगों की आपबीती

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्ज़े के बाद से वहां के हालात भयावह हैं. अफगानिस्तान में बिगड़ती स्थिति के बीच वहां सिख और हिन्दू समुदाय के लोगों ने काबुल के ‘करते परवान’ गुरुद्वारा में शरण ले रखी है. काबुल के इस गुरुद्वारे में मौजूद लोगों से न्यूजलॉन्ड्री ने फोन पर बात की. इस दौरान लोगों ने वहां की मौजूदा स्थिति के बारे में बताया है.

बता दें कि तालिबान ने अफगानिस्तान के जलालाबाद, काबुल और गज़नी पर कब्ज़ा कर लिया है. पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी 15 अगस्त से ही गायब हैं. वहीं जब यह खबर वहां की जनता को मिली तो शहर में अफरा-तरफरी मच गई और लोग दुकानें बंद करके गुरुद्वारे की ओर भाग गए.

गुरुद्वारे में मौजूद 24 वर्षीय अजमीत काबुल के शोर बाज़ार में रहते थे. वह न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, "सरकार ख़त्म हो गई. तालिबान के लोग शहर में घुस आये. हमें तुरंत दुकानें बंद करने को कहा गया. सब गाड़ियों में भरकर गुरूद्वारे के लिए निकलने लगे. गुरुद्वारा मेरे घर से दस मिनट दूर है लेकिन उस दिन ट्रैफिक जाम होने के कारण एक घंटे का समय लग गया. अभी महौल ठंडा है लेकिन यह प्रलय की शुरुआत हुई है."

अजमीत आगे बताते हैं, “गुरुद्वारे में मौजूद सभी लोग डरे हुए हैं. मैं 20 साल से अफगानिस्तान में रह रहा हूं. मेरे पिता और ताया जी 2020 में गुरुद्वारा हर राय साहिब पर हुए हमले में शहीद हो गए थे. कभी इतना डर नहीं लगा जितना इस समय लग रहा है. 2018 और 2020 में सरकार थी. जब हमारा प्रधानमंत्री ही नहीं बचा तो अब आवाम का क्या होगा? मैंने ज़िन्दगी में कभी तालिबान को नहीं देखा. अब देखकर डर लगता है. इन लोगों का कोई भरोसा नहीं है. ये कभी भी हमें मार देंगे. ये लोग मोटरसाइकिल और बड़ी-बड़ी गाड़ियों में हर जगह घूम रहे हैं. गुरुद्वारे के सामने रोड से गुज़र जाते हैं. यह लोग दो- तीन बार गुरुद्वारे में भी आ चुके हैं. ये कहते हैं कि घबराने की ज़रूरत नहीं है. लेकिन जब आवाम इनपर विश्वास नहीं करती तो हम कैसे कर ले."

जलालाबाद के रहने वाले 42 वर्षीय सुखबीर सिंह काबुल में काम करते हैं. उन्होंने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, "पूरा अफगानिस्तान बंद हो गया है. हमारे सिख समाज ने फैसला लिया कि जो जहां भी रहता है सभी करते परवान गुरुद्वारे चले आएं. हमारी कोशिश है कि जब तक हालात नहीं सुधर जाते सभी को भारत भेज दिया जाए. हमारे पास सभी का वीजा हैं. अफगानिस्तान में तालिबान का दौर आ चुका है. उन्होंने चारों तरफ कब्ज़ा कर लिया है. सोमवार को तालिबान के लोग आये थे. उन्होंने कहा कि तालिबान सरकार बनाएगा. ये सरकार सबके भले और हिफ़ाज़त के लिए है. हम सभी 14 अगस्त से गुरुद्वारे में रह रहे हैं. अभी इसका कुछ पता नहीं है हम लोग यहां से कब कैसे और कहां जाएंगे." पिछले दस साल से सुखबीर का बाकी परिवार दिल्ली में रह रहा है.

गज़नी में रहने वाले 40 वर्षीय सुरवीर सिंह खालसा बताते हैं, “गुरुद्वारे में 285 सिख बैठे हैं. साथ ही हिन्दुओं के 50 परिवार भी हैं. बिजली, पानी या खाने की फिलहाल कोई दिक्कत नहीं है. हालांकि बाज़ार बंद हैं. मंगलवार दोपहर करीब एक बजे तालिबान के लोगों का एक समूह करते परवान गुरुद्वारे पहुंचा था, जहां उन्होंने वहां बैठे लोगों को सुरक्षा का आश्वासन दिया.”

वह आगे कहते हैं, "चार दिन पहले तालिबानी पूरे शहर में घुस गए हैं. हम यहां अपनी सुरक्षा के लिए बैठे हुए हैं. यहां लंगर चल रहा है. लेकिन जगह की दिक्कत है. इतने लोग एक साथ नहीं रुक सकते. तालिबान के लोग हमसे मिलने आये थे और कहा कि हमें डरने की ज़रूरत नहीं है. वो हमारे साथ कुछ गलत नहीं करेंगे. हम यहां रुक सकते हैं और पेप्सी पीकर चले गए. उसके बाद से कोई बातचीत नहीं हुई."

"2018 और 2020 में सरकार थी. लेकिन अब सारा अफगानिस्तान तालिबान की चपेट में है. उस समय से 10 गुना ज़्यादा तालिबानी अब यहां हैं. महिलाओं और बच्चों के मन में खासा डर है. उन्होंने कभी इस तरह का मंज़र नहीं देखा. आज को देखकर 2020 में शहीद हुए हमारे लोगों की याद आ जाती है. यहां 2018 से हमारी स्थिति खराब है. जो देश हमें बुला ले हम वहीं चले जाएंगे. हम तैयार बैठे हैं."

हरिंदर सिंह पेशे से टीचर हैं और गुरुद्वारे के अंदर रुके हैं. वो बताते हैं, "हम दुकान पर थे. एक दम से हड़बड़ाहट का माहौल बन गया. सब इधर- उधर भागने लगे. हमारे पड़ोसी ने आकर मुझसे कहा कि यहां से भाग जाओ. रास्तों में काफी जाम लगा था इसलिए हमें पैदल भागते हुए आना पड़ा. आठ बजे तक तालिबान के लोग काबुल में घुस आये थे और कब्ज़ा कर लिया था. फायरिंग की आवाज़ आ रही थींं."

वहीं भारत में रह रहे इन लोगों के परिवार चिंतित हैं. कुलदीप सिंह का पूरा परिवार काबुल में रहता है. लेकिन वो 2016 में भारत आ गए. वह बताते हैं, “2020 में गुरुद्वारा हर राय साहिब में हुए हमले में उनके दो भाई और चाचा की मौत हो गई थी. उन दोनों भाईयों के परिवार भी भारत आ गए. मेरा जीजा, भतीजा, दो बहने और मामा का परिवार शुक्रवार से करते परवान गुरूद्वारे में है. हमें उनके लिए चिंता हो रही है. हम गुरुद्वारा समिति के साथ संपर्क में हैं जो समय- समय पर हमें वहां के हालत की जानकारी देती है. सरकार से गुज़ारिश है कि उन्हें भारत लाने का प्रयत्न करे."

गुरुद्वारे के अंदर बैठे सिख समाज के लोगों ने सरकार से अपील करते हुए मंगलवार को एक वीडियो जारी किया. वीडियो में विनती की जा रही है, "तालिबानी काबुल में प्रवेश कर चुके हैं. बाहर हालात बहुत नाज़ुक हैं. हम यूनाइटेड सिख ऑर्गेनाइजेशन, भारत, यूएसए और कनाडा से विनती करते हैं कि हमें जितनी जल्दी हो सके यहां से बाहर निकलें. आगे कुछ भी हो सकता है."

यूनाइटेड सिख ऑर्गेनाइजेशन (भारत) के डायरेक्टर परविंदर सिंह नंदा ने न्यूज़लॉन्ड्री से बात की. उन्होंने बताया, "हम लगातार काबुल में फंसे हिन्दू और सिख परिवारों की सुरक्षा का ध्यान रख रहे हैं. हम कनाडा सरकार के साथ बातचीत में है. साथ ही यूएन हाई कमिशन फॉर रिफ्यूजी से भी संपर्क कर रहे हैं ताकि कनाडा की तरह भारत भी इन अफगान सिखों और हिन्दुओं को शरणार्थी के रूप में स्वीकार करे."

सोमवार को अकाली दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष मजिंदर सिंह सिरसा ने एक वीडियो सन्देश जारी किया. उसमें उन्होंने कहा, "मैं काबुल की गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष और संगत के लगातार संपर्क में हूं. मुझे बताया है कि हाल के घटनाक्रम के मद्देनजर काबुल के करते परवान गुरुद्वारे में 320+ अल्पसंख्यकों (50 हिंदुओं और 270+ सिखों सहित) ने शरण ली है. तालिबान नेताओं ने उनसे मुलाकात की है और उनकी सुरक्षा का आश्वासन दिया है. हमें उम्मीद है कि अफगानिस्तान में राजनीतिक और सैन्य बदलावों के बावजूद हिंदू और सिख सुरक्षित जीवन जी सकेंगे."

बता दें कि अफगानिस्तान में बिगड़ते हालातों को देखते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने फंसे भारतीयों को निकालने के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है, “अफगानिस्तान में फंसे लोगों को बचाने के लिए 'अफगानिस्तान सेल' बनाया गया है. जिसे भी मदद चाहिए वो +919717785379 पर संपर्क कर सकता है. साथ ही विदेश मंत्रालय अफगानिस्तान में सिख और हिन्दू समुदाय के प्रतिनिधियों के संपर्क में है.”

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