NL Interviews
टोक्यो ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले सफाई कर्मचारी के बेटे सुमित वाल्मीकि की कहानी
इस बार टोक्यो ओलिंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने इतिहास रचा है. हॉकी टीम ने जर्मनी को हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया है. ऐसा करके खिलाड़ियों ने एक बार फिर हॉकी में जान फूंक दी. किसी भी जीत के पीछे सालों की मेहनत और कई लोगों का संघर्ष छुपा होता है. पुरुष हॉकी टीम के अहम हिस्सा रहे ऑल राउंडर सुमित वाल्मीकि सोनीपत के एक गरीब परिवार से आते हैं. उनके भाई और मां मजदूरी करते थे और उनके पिता सफाई कर्मचारी थे. हॉकी में दिलचस्पी रखने वाले सुमित का परिवार चाहता था कि सुमित हॉकी खेले जिसके लिए उन्होंने भी संघर्ष किया.
सुमित अपनी मां के बहुत करीब थे और चाहते थे टोक्यो ओलिंपिक में उनकी मां भी उनके साथ होतीं लेकिन अफसोस कुछ महीने पहले ही उनकी मां का देहांत हो गया. सुमित ने अपनी मां के पुराने झुमके से एक लॉकेट बनवाया है जो वो हमेशा पहनकर रखते हैं ताकि उन्हें हमेशा उनकी मां के साथ होने का एहसास होता रहे.
सुमित की कहानी खासकर उन खिलाड़ियों के लिए प्रेरणादायक है जो गरीब परिवार में रहकर देश के लिए खेलने का सपना देखते हैं.
Also Read: 'कम्पल्शन' के दरबार में 'कन्विक्शन' का इकरार
Also Read
-
Few questions on Gaza, fewer on media access: Inside Indian media’s Israel junket
-
After Bihar’s SIR clean-up, some voters have dots as names. Will they press the EVM button too?
-
Trump’s Tariff: Why this isn’t India’s '1991 moment'
-
आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के खिलाफ प्रदर्शन में गूंजे धार्मिक नारे
-
Supreme Court’s stray dog ruling: Extremely grim, against rules, barely rational