Khabar Baazi
पेगासस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘अगर रिपोर्ट्स सही हैं तो यह गंभीर मामला है”
पेगासस जासूसी मामले की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल सभी याचिकाओं पर भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना की अध्यक्षता में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने पत्रकार एन राम, शशि कुमार, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, वकील एमएल शर्मा, राज्यसभा सांसद जान ब्रिटास, परंजय गुहा ठाकुरता समेत पांच अन्य पत्रकारों द्वारा याचिकाओं पर सुनवाई की.
वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार के वकील कपिल सिब्बल ने सबसे पहले अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा, “पेगासस जासूसी यह हमारे गणतंत्र की निजता, गरिमा और मूल्यों पर हमला है.”
जिस पर चीफ जस्टिस ने कहा, “इस पूरे मामले में जाने से पहले हमारे कुछ सवाल हैं. इसमें कोई शंक नहीं कि यह आरोप बेहद गंभीर हैं, अगर रिपोर्ट्स सच हैं तो.”
सीजेआई ने कहा, साल 2019 में जासूसी की खबरें आई थीं. मुझे नहीं पता कि अधिक जानकारी हासिल करने के लिए कोई प्रयास किया गया या नहीं. मैं हरेक मामले के तथ्यों की बात नहीं कर रहा, कुछ लोगों ने दावा किया है कि फोन इंटरसेप्ट किया गया है. ऐसी शिकायतों के लिए टेलीग्राफ अधिनियम है.
कपिल सिब्बल ने आगे कहा, पत्रकार, सार्वजनिक हस्तियां, संवैधानिक प्राधिकरण, अदालत के अधिकारी, शिक्षाविद सभी स्पाइवेयर द्वारा टारगेटेड हैं और सरकार को जवाब देना होगा कि इसे किसने खरीदा? हार्डवेयर कहां रखा गया था? सरकार ने एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की?
एडीआर के संस्थापक सदस्य जगदीप छोकर की ओर से वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वर्तमान मामले की भयावहता बहुत बड़ी है और कृपया मामले की स्वतंत्र जांच पर विचार करें.
कोर्ट ने सभी याचिकाकर्ताओं को सुनने के बाद कहा कि, क्या किसी ने भारत सरकार को याचिका की कॉपी भेजी है. इस पर श्याम दीवान ने कहा कि उन्होंने सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया और एटॉर्नी जनरल को पहले ही याचिका भेज दी.
जिसके बाद सीजेआई ने कहा, अन्य याचिकाकर्ता भी सरकार को कॉपी भेज दें. सरकार से किसी को नोटिस लेने के लिए होना जरूरी है. जिसके बाद कोर्ट ने केस की अगली सुनवाई अगले सप्ताह मंगलवार तक के लिए टाल दी.
Also Read
-
The Himesh Reshammiya nostalgia origin story: From guilty pleasure to guiltless memes
-
TV Newsance 307: Dhexit Dhamaka, Modiji’s monologue and the murder no one covered
-
2006 blasts: 19 years later, they are free, but ‘feel like a stranger in this world’
-
The umpire who took sides: Dhankhar’s polarising legacy as vice president
-
India’s dementia emergency: 9 million cases, set to double by 2036, but systems unprepared