Report
क्या प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने अपने पूर्व कैशियर के गबन पर डाला पर्दा?
19 मई को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) के ट्रेज़रार सुधि रंजन सेन ने पत्रकार संघ के अध्यक्ष जनरल सेक्रेटरी और फाइनेंस कमेटी को एक ईमेल भेजा जिसमें उन्होंने एक संभावित भ्रष्टाचार की घटना का उल्लेख किया.
सेन ने आरोप लगाया कि पीसीआई के पूर्व कैशियर, अनिल बर्तवाल ने पत्रकार संघ से पांच लाख रुपए का गबन किया था लेकिन उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत नहीं हुई. इतना ही नहीं, सेन का यह भी कहना था कि पीसीआई ने पिछले कई वर्षों से हर साल 8 करोड रुपए से ज्यादा की आय होते हुए भी अपना अचल संपत्ति रजिस्टर नहीं बनाकर रखा था.
लेकिन पीसीआई के जनरल सेक्रेटरी, विनय कुमार ने सेन के दावों को "बेबुनियाद और बिलकुल झूठा" कहकर खारिज कर दिया. उनका कहना था, "ये प्रबंधन कमेटी को बदनाम करने के गलत इरादे से लगाए गए हैं. सुधि रंजन सेन विपक्षी पैनल से चुनाव जीतने वाले इकलौते उम्मीदवार हैं, और इसलिए प्रबंधन कमेटी के खिलाफ अपने राजनीतिक मंसूबों को साधने के लिए सबको गलत ब्यौरा दे रहे हैं."
मौजूदा प्रबंधन कमेटी का चयन, पिछले अप्रैल में एक विवादों से भरे चुनावों में हुआ था. उसमें पांच में से चार मुख्य पद, जिनमें अध्यक्ष का पद भी शामिल था, विदा हो रहे प्रबंधन के समर्थन वाले पैनल ने जीत लिए थे. पांचवा पद सेन को गया जो विपक्षी पैनल से चुनाव जीतने वाले इकलौते व्यक्ति थे. सेन, जो ब्लूमबर्ग में पत्रकार हैं पिछली प्रबंधन कमेटी का भी हिस्सा थे, लेकिन पिछले साल कोविड लॉकडाउन के दौरान एक विवाद के बाद उन्हें बाहर कर दिया गया था.
न्यूजलॉन्ड्री ने उनके ईमेल को देखा, उसमें सेन दावा करते हैं कि उनको गबन की जानकारी मई में ट्रेज़रार की जिम्मेदारी मिलने के बाद ही पता चल गई थी, और उन्होंने इसकी चर्चा प्रबंधन कमेटी के साथ 29 मई की मीटिंग में की थी. सेन का कहना है कि इसी मीटिंग में पीसीआई के ऑफिस मैनेजर जितेंद्र सिंह ने इस तथ्य का खुलासा किया कि "पिछली प्रबंधन कमेटी के पदाधिकारियों" को कथित गबन के बारे में पता था, और पूर्व ट्रेज़रार नीरज ठाकुर ने प्रबंधन को बर्तवाल के वेतन से इस राशि को बरामद करने का निर्देश तक दिया था.
सेन के ईमेल के अनुसार, इसके बाद जितेंद्र सिंह ने यह सुझाव दिया कि पीसीआई, तीन लाख रुपए बर्तवाल की ग्रेच्युटी को रोक कर बरामद कर सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि बर्तवाल ने, गबन के आरोपों को स्वीकार करते हुए और पीसीआई में काम करते रहने की विनती करते हुए एक पत्र पर हस्ताक्षर भी किए थे. न्यूजलॉन्ड्री स्वतंत्र रूप से इन आरोपों की पुष्टि नहीं करता है.
पीसीआई के जनरल सेक्रेटरी विनय कुमार ने सीधे ही इन आरोपों को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, "पीसीआई के एक पुराने कर्मचारी अनिल बर्तवाल ने उनके पास पड़े प्रेस क्लब के नकद धन का उपयोग कोविड लॉकडाउन के दौरान अपने भाई, जिन्हें कैंसर हुआ है और उनकी पत्नी के इलाज के लिए किया था. उन्होंने इस पैसे का इस्तेमाल इसलिए किया क्योंकि लॉकडाउन के दौरान पीसीआई वेतन नहीं दे रहा था."
कुमार का तर्क था कि बर्तवाल के उठाए हुए कदम अपराधिक नहीं थे, क्योंकि उन्होंने इस पैसे को किश्तों में वापस करने के लिए लिखित में दिया था और प्रेस क्लब का कोई गलत तरीके से वित्तीय नुकसान नहीं हुआ था. कुमार ने यह भी बताया कि पीसीआई ने बर्तवाल के कामों की विस्तृत जांच की थी और एक रिपोर्ट अपनी फाइनेंस और प्रबंधन कमेटी में जमा की थी. प्रबंधन कमेटी 24 जुलाई को बैठी और "बहुमत से अनिल बर्तवाल के खिलाफ शिकायत न करने और कोई कानूनी कदम न उठाने का प्रस्ताव" पारित किया. कुमार ने बताया कि सेन इस मीटिंग में नहीं थे.
कमेटी ने यह निर्णय भी लिया कि मानवता के आधार पर, बर्तवाल को रकम के भुगतान के बाद निकालने के बजाय उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा जाएगा जिससे वह कहीं और नौकरी ढूंढ सकें. कुमार ने इस तरफ इशारा किया कि इसके बाद बर्तवाल अपनी बात पर कायम रहे और अब वे पीसीआई में काम नहीं करते.
ई-मेल में सेन के द्वारा किए गए दावों के विपरीत, कुमार ने स्पष्ट किया कि बर्तवाल अपनी नौकरी से मिलने वाली ग्रेच्युटी और बाकी सुविधाओं के अभी भी हकदार हैं.
लेकिन पीसीआई के प्रबंधन ने किस अधिकार से एक संभावित अपराध के बारे में खुद ही न्यायाधीश बनकर निर्णय ले लिया? विनय ने उत्तर दिया, "पीसीआई की प्रबंधन कमेटी, कंपनी का निदेशक बोर्ड होने के नाते उसके और उससे संबंधित सभी मामलों के बारे में निर्णय लेने का कानूनन हक रखती है. कमेटी ने इस मामले को आपराधिक गबन का नहीं माना."
उन्होंने इस बात को स्पष्ट किया कि क्योंकि यह कंपनी का व्यक्तिगत मामला था, और कथित गबन में जनता का पैसा नहीं था, इसलिए निदेशक बोर्ड जो इस मामले में प्रबंधन कमेटी है "कानूनन कोई भी निर्णय लेने का पूरा हक रखता है."
'अघोषित संपत्ति'
सेन ने अपनी ईमेल में यह आरोप भी लगाया है कि पीसीआई की बैलेंस शीट से 5 लाख रुपए गायब थे. उन्होंने यह भी कहा कि संघ ने अपनी अचल संपत्ति का रजिस्टर नहीं बनाकर रखा था जो कि कुल मिलाकर लगभग 8 करोड़ रुपए बनता है. सेन ने लिखा, "एक वैधानिक ऑडिटर को कंपनी की अचल संपत्ति को ऑडिट करने के लिए उसके अचल संपत्ति रजिस्टर पर ही निर्भर होना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि पीसीआई के ऑडिटर ने उसे एक क्वालिफाइड ऑडिट रिपोर्ट दी थी. किसी कंपनी की क्वालिफाइड ऑडिट रिपोर्ट उसकी वित्तीय स्टेटमेंट में विसंगतियों को दिखाती है, जिन्हें सामान्यतः इस परिवेश में क्वालिफिकेशन कहा जाता है.
ऑडिटर की रिपोर्ट कथित तौर पर यह कहती थी कि पीसीआई की अचल संपत्तियों का भौतिक यानी आमने-सामने सत्यापन नहीं किया गया था और सालों से अचल संपत्ति रजिस्टर नहीं बनाया गया था. सेन ने लिखा, "यह बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि इस बात के बड़े कम प्रमाण हैं कि प्रेस क्लब की अचल संपत्तियां जैसी रिपोर्ट की गई वैसी ही हैं."
हालांकि कुमार इन आरोपों को भी खारिज कर देते हैं. उनका कहना है कि पीसीआई की संपत्तियां उसकी सालाना वित्तीय स्टेटमेंट्स में "सही प्रकार से मूल्यांकित और उल्लेखित" हैं, जो कंपनियों के रजिस्ट्रार के पास जमा हैं और उसकी वेबसाइट पर सभी के लिए उपलब्ध थे.
ट्रेज़रार पर निशाना साधते हुए उन्होंने दावा किया, "सुधि रंजन सेन 2012 से पीसीआई की प्रबंधन कमेटी के सदस्य हैं लेकिन उन्होंने उसके सामने या किसी और कानूनी संस्था के सामने कभी भी अचल संपत्ति का मुद्दा नहीं उठाया. वे पूर्व में, कमेटी के द्वारा पीसीआई की अचल संपत्तियों का उल्लेख करते हुए पुरानी वित्तीय स्टेटमेंट को मानने के प्रस्तावों का हिस्सा रहे हैं. हमारे मत में उन्होंने यह झूठा मुद्दा आपके सामने इसलिए उठाया है, जिससे आपको यह झूठा विश्वास हो की पीसीआई में कुछ तो गड़बड़ चल रही है."
न्यूजलॉन्ड्री ने सेन से उनकी टिप्पणी लेने के लिए कई प्रयास किए लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. हमने उनको कुछ सवाल भेजे हैं, उनकी तरफ से जवाब आने पर इस रिपोर्ट में जोड़ दिया जाएगा.
इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
Also Read
-
Happy Deepavali from Team NL-TNM! Thanks for lighting the way
-
TV Newsance 317 Diwali Special: Godi hai toh mumkin hai, NDTV’s Adani makeover, Taliban flip
-
Delhi’s Diwali double standard: Markets flout cracker norm, govt’s pollution plan falters
-
‘Jailing farmers doesn’t help anyone’: After floods wrecked harvest, Punjab stares at the parali puzzle
-
South Central 47: Dashwanth’s acquittal in rape-murder case, the role of RSS in South India