Who Owns Your Media
न्यूज़लॉन्ड्री का मालिक कौन है?
न्यूज़लॉन्ड्री भारत की एक डिजिटल न्यूज़ संस्था है, जो भारत के मीडिया में आर्थिक संसाधनों के लिए ट्रैफिक, हिट, विज्ञापनदाताओं पर निर्भरता और स्वतंत्रता की कमी जैसी समस्याओं का हल निकालने के लिए, एक वैकल्पिक मॉडल खड़ा करने का अभियान है.
न्यूजलॉन्ड्री किसी भी तरह का विज्ञापन नहीं लेता है क्योंकि यह सब्सक्रिप्शन के पैसे से चलता है.
इसके तीन प्रवर्तक हैं- अभिनंदन सेखरी, प्रशांत सरीन और रूपक कपूर. तीनों ही कंपनी का 23.53 प्रतिशत हिस्सा रखते हैं. अभिनंदन सेखरी इसके सीईओ हैं.
इन तीनों ने मधु त्रेहान के साथ 2012 में न्यूज़लॉन्ड्री की शुरुआत एक न्यूज़ वेबसाइट और मीडिया समीक्षा प्लेटफॉर्म के रूप में की थी. मधु त्रेहान इंडिया टुडे और टीवी टुडे नेटवर्क की संस्थापक संपादक रह चुकी हैं. यह कपूर और सरीन के साथ एक सह-संस्थापक के रूप में सेखरी के द्वारा साल 2000 में शुरू की गई एक निर्माता कंपनी स्मॉल स्क्रीन फिल्म एंड टेलिविजन से बाहर निकलने का एक प्रयास था. सरीन और कपूर अभी भी उस कंपनी में भागीदार हैं.
2014-15 में ओमिदयार नेटवर्क और करीब आधा दर्जन और निवेशकों ने, जिनमें अभिजीत भंडारी, महेश मूर्ति, विक्रम लाल और शशांक भगत शामिल हैं, ने कंपनी में 4.2 करोड़ रुपए का निवेश किया. ओमिदयार नेटवर्क की हिस्सेदारी, अपनी निवेश इकाई ओएन मॉरीशस के माध्यम से, वर्तमान में 16.77 प्रतिशत है.
ओमिदयार नेटवर्क एक इंपैक्ट फंड है जिसने स्क्रोल और द केन में भी निवेश किया है. ओमिदयार के अनुसार, इस फंडिंग का उद्देश्य न्यूज़लॉन्ड्री को नवीन दृष्टिकोणों को खंगालने और भारत के मीडिया क्षेत्र में पारदर्शिता व पत्रकारिता के स्तर को बढ़ाने में मदद करना है. उसे उम्मीद है कि एक स्वतंत्र समाचार संस्था के लिए एक नया बिजनेस मॉडल खड़ा करने के न्यूज़लॉन्ड्री के सफर से मिलने वाली सीखें, दूसरी संस्थाओं के लिए इन्हें अपनाने, बेहतर करने और आगे बढ़ाने का एक रास्ता तैयार करेंगी.
मधु त्रेहान, जिन्होंने अब सेवानिवृत्ति ले ली है, ने अपना हिस्सा बाकी तीन हिस्सेदारों को वापस कर दिया है.
न्यूजलॉन्ड्री की संपादकीय पॉलिसी क्या है? सेखरी समझाते हैं, "जमीनी रिपोर्टें एक खोज भरी यात्रा की तरह होती हैं. सभी पत्रकार किसी ख़बर का पीछा करते हुए बाहर जाते हैं, तो वह जमीन पर मिलने वाले तथ्यों के अनुसार ही उसको खड़ा करता है. अगर किसी संस्था ने किसी ख़बर पर पहले ही एक नजरिया बना लिया हो तो फिर संवाददाता उस खबर का उत्सुकता से पीछा नहीं कर पाएंगे. इसके बजाय वे अपनी संस्था के द्वारा लिए गए 'दृष्टिकोण' को ही सत्यापित करने की कोशिश में लग जाएंगे."
क्या इसका अर्थ यह है कि न्यूज़लॉन्ड्री का किसी भी विषय पर संस्थागत मत ही नहीं है? इसके जवाब में वह कहते हैं कि मत है, लेकिन पॉलिसी या संपादकीय निर्णयों के मामलों को लेकर नहीं बल्कि "मानवीय मूल्यों" को लेकर है. और इन मानवीय मूल्यों को "न्यूजलॉन्ड्री अभी भी सहेज कर रखे है."
इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
***
यह स्टोरी एनएल सेना सीरीज का हिस्सा है, जिसमें हमारे 75 से अधिक पाठकों ने योगदान दिया है. यह गौरव केतकर, प्रदीप दंतुलुरी, शिप्रा मेहंदरू, यश सिन्हा, सोनाली सिंह, प्रयाश महापात्र, नवीन कुमार प्रभाकर, अभिषेक सिंह, संदीप केलवाड़ी, ऐश्वर्या महेश, तुषार मैथ्यू, सतीश पगारे और एनएल सेना के अन्य सदस्यों की बदौलत संभव हो पाया है.
हमारी अगली एनएल सेना सीरीज़, अरावली की लूट में योगदान दें, औरखबरों को आज़ाद रखने में मदद करें.
Also Read
-
Corruption, social media ban, and 19 deaths: How student movement turned into Nepal’s turning point
-
India’s health systems need to prepare better for rising climate risks
-
Muslim women in Parliament: Ranee Narah’s journey from sportswoman to politician
-
Adieu, Sankarshan Thakur: A rare shoe-leather journalist, newsroom’s voice of sanity
-
Mud bridges, night vigils: How Punjab is surviving its flood crisis