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दैनिक भास्कर की वो रिपोर्ट्स, जिनके कारण पड़ा आईटी का छापा!

देश के प्रतिष्ठित अखबारों में से एक दैनिक भास्कर समूह पर बीती रात से ही आयकर विभाग छापेमारी कर रहा है. यह छापेमारी अखबार के गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में स्थित दफ्तरों में की जा रही है.

इस छापेमारी पर भास्कर ग्रुप ने एक खबर प्रकाशित की है. जिसका शीर्षक है, “सच्ची पत्रकारिता से डरी सरकार”. खबर में बताया गया है कि उन्होंने कोविड की दूसरी लहर के दौरान 6 महीने पूरे दमखम के साथ राज्यों में असल हालात को प्रकाशित किया है.

जानिए भास्कर की उन खबरों को जिसने खोल दी सरकार की पोल..

उत्तर प्रदेश में गंगा किनारे लाशें

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उत्तर प्रदेश में गंगा में बहती लाशों ने सभी का ध्यान खींचा था. जिसके बाद भास्कर ने अपने 30 रिपोर्टर्स की टीम के साथ यूपी में गंगा किनारे जिलों में लगभग 1140 किमी में लाशों को लेकर रिपोर्टिंग की थी. खबर में बताया गया था कि इस दौरान दो हजार से ज्यादा शव गंगा किनारे मिले. जिसमें कानपुर, उन्नाव, गाजीपुर और बलिया में हालात सबसे ज्यादा खराब थे. इस खबर का फोटो वायरल होने के बाद भास्कर की रिपोर्टिंग की पूरे देश मे तारीफ होने लगी थी.

ऑक्सीजन को लेकर केंद्र सरकार के दावों की अखबार ने खोली पोल

केंद्र सरकार ने संसद के मानसून सत्र के दौरान एक जवाब में कहा कि, पूरे देश में ऑक्सीजन की कमी से एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है. इस बयान के बाद अखबार ने देश के अलग-अलग प्रदेशों का उदाहरण देकर बताया कि कैसे सरकार ने संसद में झूठ बोला.

इस खबर में तीन मामलों का जिक्र किया गया है जहां ऑक्सीजन की कमी से लोगों की मौत हुई थी, इस खबर की पूरे देश के साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई भी हुई थी. खबर के अंत में अखबार ने तंज कसते हुए लिखा, … और कहते हैं ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई. कुछ तो सोचकर बोलिए सरकार!

राजस्थान में डस्टबिन में वैक्सीन मिलने से हडकंप

दैनिक भास्कर ने राजस्थान में टीके की बर्बादी को लेकर एक खबर की थी. इस खबर में बताया गया था कि प्रदेश के 8 जिलों के 35 वैक्सीनेशन सेंटरों के कचरे में वैक्सीन की 500 वायल मिली हैं, जिनमें 2500 से भी ज्यादा डोज हैं. इस खबर को राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री ने झूठ और भ्रामक बताया था.

इस पर भास्कर ने कहा, “वह अपनी खबर के साथ खड़ी है, सरकार चाहें तो जांच करा ले.” जिसके बाद सरकार ने फैसला लिया कि, वैक्सीनेशन का भी ऑडिट होगा.

इसके साथ ही एक रिपोर्ट- उत्तर प्रदेश में नदियों में लाशें बहाने और किनारों को श्मशान बनाने पर की.

भास्कर ने उत्तर प्रदेश में बन रहे राम मंदिर को लेकर हुई जमीन खरीद में अनियमितता और भ्रष्ट्राचार के लग रहे आरोपों के बीच राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने चित्रकूट पहुंचकर सफाई दी. खबर में बताया गया है कि चंपत राय के जवाब से संघ संतुष्ट नहीं है लेकिन अभी चुनाव के कारण उन्हें हटाया नहीं जाएगा.

भास्कर ने मध्य प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों पर सरकार का खेल उजागर किया.

गुजरात में किस तरह कोरोना से हुई मौतों का आंकड़ा छिपाया जा रहा था, इस पर रिपोर्ट.

उत्तर प्रदेश सरकार में कोरोना की टेस्टिंग और सरकारी मिसमैनेजमेंट पर रिपोर्ट.

मौतों के आंकड़ों पर सरकारी खेल का सच उजागर किया.

सरकार ने रोजगार का वादा किया, लेकिन हमने असलियत बताई कि किस तरह 5 साल में किस तरह करोड़ों का रोजगार छिन गया.

देश में महंगाई और बेरोजागारी की चौंका देने वाली रिपोर्ट प्रकाशित की.

सबसे महत्वपूर्ण बात, जो इस खबर के अंत में लिखी गई है, यह पत्रकारिता के लिए डरावना है. भास्कर ने बताया कि, “जब वह छापेमारी के दौरान यह रिपोर्ट लिख रहे थे तब अधिकारियों ने कहा था, कि उन्हें बिना दिखाए खबर प्रकाशित नहीं की जाए.”

बता दें कि भास्कर ग्रुप के दफ्तरों के अलावा ग्रुप के मालिकों के घर पर भी यह छापेमारी की जा रही है. साथ ही ग्रुप में काम करने वाले कई कर्मचारियों के घर पर भी रेड की गई है. छापे के दौरान दफ्तरों में मौजूद कर्मचारियों के मोबाइल जब्त कर लिए गए हैं और उन्हें बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है.

नाइट शिफ्ट के लोगों को भी दफ्तर से बाहर जाने से रोक दिया गया. रेड में शामिल अधिकारियों ने कहा था, यह उनके प्रोसेस का हिस्सा है और पंचनामा होने के बाद उन्हें फ्री किया जाएगा. इसके बाद डिजिटल की नाइट शिफ्ट की टीम को दोपहर साढ़े बारह बजे फ्री किया गया.

भास्कर ने अपनी खबर में लिखा है कि जांच एजेंसी ने छापेमारी का कोई कारण साफ नहीं किया है. वहीं एबीपी न्यूज के मुताबिक, भास्कर ग्रुप पर यह छापेमारी टैक्स चोरी को लेकर की जा रही है.

हालांकि जयपुर भास्कर के कर्मचारी ने न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कहा कि, “पहली बार भास्कर पर छापा पड़ा है. हमारी कोविड रिपोर्टिंग के कारण ही यह छापेमारी की गई है."

वहीं अहमदाबाद भास्कर के एक अन्य कर्मचारी ने कहा, “हम अपना काम करना जारी रखेंगे जैसा कि हम करते रहे हैं और कर रहे हैं. हमारा किसी सरकार के खिलाफ एजेंडा नहीं है, हम तथ्यों के आधार पर रिपोर्ट करते हैं. हम जो देखते और सुनते हैं हम वही रिपोर्ट करते हैं. अगर सरकार अच्छा काम करती है तो हम उनके अच्छे काम पर रिपोर्ट करेंगे, और अगर वे बुरा काम करेंगे तो उनके बुरे काम के बारे में रिपोर्ट करेंगे."

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