NL Charcha
एनएल चर्चा 176: अफगान-तालिबान संघर्ष और उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण की सियासत
एनएल चर्चा के 176वें अंक में अफगानिस्तान में तलिबान और अफगान सेना के बीच चल रहा संघर्ष, उत्तर प्रदेश जनसंख्या नियंत्रण बिल, जनसंख्या बिल को लेकर अन्य राज्यों में हो रही राजनीति, असम में लाया गया मवेशी संरक्षण बिल, सुप्रीम कोर्ट की राजद्रोह कानून पर की गई टिप्पणी और प्रशांत किशोर की कांग्रेस आलाकमान से बैठक इस हफ्ते चर्चा के प्रमुख विषय रहे.
इस बार चर्चा में बतौर मेहमान एनडीटीवी इंडिया की सीनियर फॉरेन अफेयर्स एडिटर कादम्बिनी शर्मा शामिल हुईं. न्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाद एस और स्तंभकार आनंद वर्धन भी चर्चा का हिस्सा रहे. संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल ने चर्चा की शुरुआत कादम्बिनी से अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते असर को लेकर की.
कादम्बिनी कहती हैं, “अभी 90 प्रतिशत विदेशी सैनिक अफगानिस्तान से निकल चुके हैं. अभी जो हालात हमारे सामने हैं, उसकी आशंका हम सबको थी. विदेशी सैनिकों के बाहर जाने के बाद ऐसा ही होना था. दूसरी तरफ यह एक प्रोपेगैंडा युद्ध भी है, जिसमें खबर फैलाई जा रही हैं कि तालिबान ने देश के अधिकतर जिलों पर कब्जा कर लिया. जबकि हकीकत में ऐसा बी हो रहा है जब अफगान सेना इस तरह के तमाम इलाकों को तलिबान से वापस भी ले रही है, लेकिन ये खबरें सामने नहीं आ रही हैं.”
कादम्बिनी आगे कहती हैं, “हाल ही में तलिबान ने तीन महीने के युद्ध विराम की बात कही है. उनकी मांग है कि उनके लोगों को जेल से रिहा किया जाय. पहले भी तबिलान के पांच हजार लड़ाके जेल से रिहा हुए थे. इसका मतलब यह भी हैं उनके पास पर्याप्त मात्रा में लड़ाके नहीं है जो लड़ाई लड़ सके. इसलिए वह कुछ समय हासिल करके खुद को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है.”
अतुल आगे कहते हैं, “भारत के लिए अफगानिस्तान बहुत महत्वपूर्ण है. क्योंकि भारत ने वहां के आदारभूत ढांचे में बड़े पैमाने पर निवेश किया है. अब युद्ध जैसा हालात के बाद बहुत से एक्सपर्ट कह रहे हैं कि भारत का सब कुछ डूब रहा है. क्या बीते बीस सालों में भारत ने जो कुछ अफगानिस्तान में किया है वह खत्म होने के मुकाम पर है. पाकिस्तान इसे लेकर काफी खुश नज़र आ हा है.”
कादम्बिनी जवाब देती हुई कहती है, “भारत ने हमेशा ने कहा है कि हम अफगानिस्तान में अपनी सेना नहीं भेजेगें. करीब 3 बिलियन डॉलर का भारत ने निवेश किया है. अफगानिस्तान में भारत की मजबूती से पाकिस्तान को हमेशा परेशानी रही है. पहले अफगानिस्तान में भारत के तीन अलग-अलग वाणिज्यिक दूतावास थे, जिसको लेकर पाकिस्तान का आरोप था कि भारत इनका उपयोग जासूसी के लिए करता है. लेकिन दो ऑफिस बंद हो जाने के बाद से कहा जा रहा हैं भारत की पकड़ वहां कमजोर हो रही है. हाल ही में काधाैर में भी भारत का वाणिज्य दूतावास बंद हो गया है.”
कादम्बिनी कहती हैं, “एक खास बात यह हुई है कि भारत का पहले स्टैड था कि वह तालिबान से बात नहीं करेगा. लेकिन हाल फिलहाल में ऐसा देखने को मिल रहा है अनधिकारित तौर पर भारत तालिबान के संपर्क में है. हालांकि इस बातचीत को लेकर कोई औपचारिक बयान नहीं आया है.”
इस विषय पर आनंद अपनी राय रखते हुए कहते हैं, “पिछले दो दशकों में अफगानिस्तान में जो भी जियो पालिटिक्स के मद्देनजर परिवर्तन हुआ है. उसको लेकर भारत का हमेशा से नजरिया रहा हैं कि मॉडरेट तालिबान की जो अभिव्यक्ति है वह कट्टर तालिबान को शांत कर सकता है. इसलिए भारत लगातार तालिबान से दूरी बनाए हुए था.”
मेघनाद इस विषय पर कहते है, “अभी जो अफगानिस्तान में स्थिति है, वह काफी पहले से बदल रही है. क्योंकि काफी लंबे समय से अमेरिका अपने सैनिकों को वहां से कम कर चुका है. अभी जो सैनिक हैं वह लड़ाई के लिए नहीं है बल्कि सिर्फ रणनीतिक मदद कर रहे हैं.”
इस विषय के अलावा अन्य विषयों पर भी विस्तार से बातचीत हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए इस पूरे पॉडकास्ट को जरूर सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
0:00-0:50 - इंट्रो
1:00- 9:45 - हेडलाइन
9:46 - 43:55 - अफगानिस्तान में चल रहा तनाव
43:56 - 1:09: 48 - उत्तर प्रदेश जनसंख्या नियंत्रण बिल
1:09:50 -1:20:01 - क्या पढ़ें क्या देखें
पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए.
आनंद वर्धन
एनसीआरटी की किताब में 1980 से 2010 तक जनसंख्या को लेकर प्रकाशित सामग्री
हैनरिच हार्टमैन की किताब - वर्ल्ड ऑफ पॉपुलेशन
दिलीप कुमार पर आधारित - लॉर्ड मेघनाद देसाई की किताब
मेघनाद एस
उत्तर प्रदेश जनसंख्या बिल ड्रॉफ्ट
अफगानिस्तान मुद्दे पर ध्रुव जयशंकर का हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित लेख
अनीता कुमार का अफगानिस्तान मुद्दे पर जो बाइडन पर प्रकाशित लेख
बीटीएस का गाना- यंग फॉरएवर
कादम्बिनी शर्मा
नेटफ्लिक्स सीरीज - हाउ टू बिकम ए टायरेंट
अतुल चौरसिया
नेटफ्लिक्स सीरीज - हाउ टू बिकम ए टायरेंट
रशीद किदवई की किताब - द हाउस ऑफ सिंधियाज़
***
प्रोड्यूसर- लिपि वत्स और आदित्य वारियर
एडिटिंग - सतीश कुमार
ट्रांसक्राइब - अश्वनी कुमार सिंह
***
Also Read
-
98% processed is 100% lie: Investigating Gurugram’s broken waste system
-
Delhi protests against pollution: ‘We have come to beg the govt for clean air’
-
The unbearable uselessness of India’s Environment Minister
-
After Sindoor, a new threat emerges: How ‘educated terror’ slipped past India’s security grid
-
Pixel 10 Review: The AI obsession is leading Google astray