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दुर्भाग्यपूर्ण है कि भोपाल गैस हादसे के चार दशक बाद भी प्रोसेस सेफ्टी रेग्युलेशन में नहीं हुआ सुधार
"सभी मौजूद तथ्य इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह हाईब्रिड डस्ट (मिश्रित धूल) / वेपर एक्सपलोजन (भाप का विस्फोट) था न कि मिथेनॉल विस्फोट का. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भोपाल गैस हादसे के चार दशक बाद भी प्रोसेस सेफ्टी रेग्युलेशन सुधर नहीं पाया."
आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में विंजामूर मंडल में चंद्रपिद गांव में वेंकट नारायाण एक्टिव इंग्रीडिएंट्स प्राइवेट लिमिटेड (वीएनएआई) नाम वाली एक बल्क ड्रग केमिकल यूनिट में तंबाकू तेल की निकासी करने वाली फैक्ट्री में भयावह आग और विस्फोट दुर्घटना को लेकर यह टिप्पणी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में वैज्ञानिकों की तीन सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में की है. 11 मई, 2021 को हुई इस औद्योगिक दुर्घटना में चार कामगारों की जान गई थी.
साइंटिस्ट फॉर पीपुल की ओर से एनजीटी में 19 जून को दाखिल इस रिपोर्ट को पूर्व मुख्य वैज्ञानिक डॉक्टर के बाबू राव, आईआईटी मुंबई के पूर्व प्रोफेसर वीजी राव और पूर्व वैज्ञानिक डॉक्टर वेंकट रेड्डी ने तैयार किया है.
प्रारंभिक जांच में कहा गया था कि एक साफ कमरे में मिथेनॉल वेपर्स के जमा होने और एसएसआर/120 रिएक्टर में चिंगारी व बिजली पैदा होने के कारण एलिल आईएसओ प्रोपिल एसाइटिल यूरिया (एआईपीएयू) का रासायनिक पाउडर चार्ज हुआ और जिसके कारण यह दुर्घटना हुई. हालांकि समिति ने इस कारण को खारिज कर दिया और कहा कि साफ कमरे में मिथेनॉल विस्फोट के लिए परिस्थितियां नहीं थी. यह हाइब्रिड डस्ट और वेपस एक्सपलोजन का नतीजा है.
1980-90 के दशक में यूरोप और अमेरिका में अनाज की प्रेसोसिंग करने वाली कंपनियों के ग्रेन डस्ट यूनिट में विस्फोट आम हुआ करता था. ऑक्सीजन, ईंधन स्रोत, हवा में मिश्रण, ज्वलन स्रोत, न्यूनमत सांद्रता, सूखी हुई धूल, संकरी जगह यह सात कारण इस तरह के विस्फोट की वजह बनते हैं. आंध्र प्रदेश की इस यूनिट में भी इसी तरह की परिस्थितियां तैयार हुईं. इसे हाइब्रिड डस्ट विस्फोट कहा जाता है.
बहरहाल आंध्र प्रदेश के मामले में रिपोर्ट के निष्कर्ष में वैज्ञानिक समिति ने कहा है, "काम के स्थान पर सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त मानव संसाधन नहीं है और दुर्घटनाओं की जांच के लिए प्रोसेस सेफ्टी का ज्ञान और कौशल विकास की उपेक्षा भी की जा रही है. बीते वर्ष स्टाइरीन गैस रिलीज हादसे से लेकर अब तक हमने कोई भी अच्छी गुणवत्ता वाली वैज्ञानिक खोजबीन और जांच वाली रिपोर्ट नहीं देखी है. जबकि आंध्र प्रदेश में एक अंतराल के बाद ऐसी फैक्ट्री संबंधी दुर्घटनाएं होती हैं."
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि आंध्र प्रदेश में वीएनएआई में 9 महीने के भीतर ऐसी दो घटनाएं हुई हैं और इन दोनों में सेफ्टी रेग्युलेशन और उसे लागू करने का अभाव रहा है. लोगों की बेशकीमती जिंदगी को कंपनी किसी भाव का नहीं समझती है. न ही काम के स्थानों पर ऐसी दुर्घटनाओं में मरने वाले व्यक्तियों के लिए कोई स्तरीय मुआवजे का मानक है. दुर्घटनाओं की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक न किया जाना सुरक्षा नीति के बिल्कुल विपरीत है. इस विकसित दुनिया में ऐसी सभी रिपोर्ट सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध होनी चाहिए.
आंध्र प्रदेश स्थित वीएनएआई यूनिट के विरुद्ध एनजीटी में भास्कर राव वेमुरी की ओर से दाखिल याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस यूनिट के संचालन के लिए कृषि जल का इस्तेमाल किया जाता है जिसके बदले में राज्य सरकार की तरफ से किसानों को मुफ्त बिजली दी जाती है. यह न सिर्फ पर्यावरणीय मानकों के खिलाफ है बल्कि भू-जल स्तर में तेजी से गिरावट का कारण भी है.
इस मामले में एनजीटी ने 2 जून, 2021 को सुनवाई करते हुए कहा था कि 11 मई, 2021 को हुए हादसों को लेकर समिति जांच कर अपनी रिपोर्ट तीन महीने में पेश करें. इस मामले पर अगली सुनवाई अक्तूबर में होनी है.
देशव्यापी लॉकडाउन के बाद इस वर्ष मार्च तक 12 से अधिक औद्योगिक दुर्घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं.
(साभार- डाउन टू अर्थ)
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