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खनन माफियाओं के खिलाफ खबर करने पर पत्रकार को जान से मारने की धमकी!

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में अवैध खनन माफियाओं के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले पत्रकार और पर्यावरण पैरोकार, आशीष सागर दीक्षित को माफियाओं द्वारा लगातार धमकियां मिल रही हैं. उन्होंने जान पर खतरे का अंदेशा जताया है.आशीष वॉइस ऑफ़ बुंदेलखंड के डिजिटल एडिटर हैं और पोर्टल पर लगातार माफियाओं द्वारा अवैध गतिविधियों पर खबरें प्रकाशित कर रहे हैं.

आशीष 14 जून को केन- बेतवा रिवर इंटरलिंकिंग प्रोजेक्ट पर रिपोर्ट करने के लिए मध्य प्रदेश गए थे. माफियाओं ने आशीष को कई बार कॉल किया लेकिन वह फोन रिसीव नहीं कर पाए. इसके बाद माफियाओं की ओर से शाम पांच बजे बसपा नेता जयराम सिंह और कुछ लोग आशीष के घर पहुंचे और उनकी माता को धमकाया. जिसके बाद आशीष की मां ने चिंता में आशीष को कॉल कर माफियों के खिलाफ खबर नहीं करने को कहा. बालू खनन माफियाओं ने आशीष को कई तरह से परेशान करने की कोशिश की. इन माफियाओं द्वारा वर्ष 2010 से 2021 तक आशीष पर सात कानूनी मुक़दमे चलाए गए. वहीं सामाजिक कार्यकर्ता उषा निषाद भी आशीष के साथ खनन माफियाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं.

क्या है अवैध खनन माफियाओं का पूरा मामला

मध्य प्रदेश में बालू खनन के व्यवसाय की तर्ज पर बालू माफियाओं द्वारा केन नदी का दोहन किया जा रहा है. यह मामला बांदा के पैलानी तहसील के अमलोर गांव का है. यूपी के उप खनिज परिहार नियमावली 1963 के 47वें संशोधन के मुताबिक मौरंग ठेकेदार नदी तट से 25 मीटर दूर रहकर सिर्फ लोडिंग और अनलोडिंग जेसीबी मशीनों से कर सकते हैं. बावजूद इसके हैवी पोकलैंड रात-दिन नदी की जलधारा में खनन करती है. इन नियमों की अनदेखी कर नदी की जलधारा के बीच मशीने उतारी जाती हैं और इन मशीनों की धुलाई भी नदी में करते हैं.

नदी पर अवैध पुल का निर्माण भी चालू है. मशीनों द्वारा एक फ़ीट खुदाई की गई है. जिसके चलते एक मज़दूर की मौत भी हो गई. ये फर्म, अमलोर खंड 7 विपुल त्यागी के नाम दर्ज है. आनंद गुप्ता और बसपा नेता जयराम सिंह इसमें हिस्सेदार हैं. न्यूज़लॉन्ड्री ने 39 वर्षीय आशीष से बात की. उन्होंने बताया, "जिस क्षेत्र पर अवैध काम चल रहा है वो प्रधान के अधिकृत आने वाली ज़मीन है. लेकिन बिना प्रधान को सूचित किये अवैध तरीके से खनन का कार्य चल रहा है."

आशीष आगे कहते हैं, "बांदा में कई भूखंड पर अवैध कब्जों का मास्टरमाइंड बसपा नेता जयराम सिंह हाल ही में पैलानी की पडोरा खदान चलाता था अब वह अमलोर खण्ड 7 में पार्टनर है. क्षेत्र में दहशत और दबंगई से उसने कई ट्रक, डम्फर, जेसीबी, असलहों के साथ करोड़ों रुपयों की सम्पति एकत्र कर ली है."

जयराम सिंह पर कई मुकदमे दर्ज हैं. अपराध संख्या नगर कोतवाली बांदा में 332/2011 धारा 302 व 7 लॉ क्रिमिनल एक्ट दर्ज हैं. वहीं कोतवाली बांदा में दिनांक 6 अगस्त 2020 को धारा 147,148, 323, 504, 506 दर्ज हैं. जयराम के अलावा इसमें 40 लोग नामजद व अज्ञात दर्ज हैं. फिलहाल जयराम जमानत पर जेल से रिहा है.

ग्राम प्रधान (अमलोर) प्रवीण सिंह प्रिया ने 15 जून को जिलाधिकारी को पत्र लिखा. जिसके बाद से खदान संचालक विपुल त्यागी, बसपा नेता जयराम सिंह, आनंद गुप्ता और सुमित गौतम द्वारा प्रवीण सिंह प्रिया व आशीष सागर और सामाजिक कार्यकर्ता उषा निषाद को लगातार धमकी दी जा रही हैं.

एसडीएम राजकुमार पर आरोप लगाया है कि वे खनन माफियाओं का मुखबिर बनकर काम कर रहे हैं. उषा निषाद और प्रवीण सिंह प्रिया द्वारा जिलाधिकारी को दिए ज्ञापन में कहा, "विगत सप्ताह हमने ग्राम पंचायत अमलोर में संचालित खण्ड-3 भूमि में ओवरलोडिंग खनन विषयक प्रार्थना पत्र आपको दिया था. पत्र का संज्ञान लेकर क्षेत्र के लोकपाल को भेजा गया था, लेकिन लोकपाल ने हमारी गैरमौजूदगी में जांच की. साथ ही आजतक यह जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई कि आखिर इसमें क्या जांच हुई."

ग्राम प्रधान ने आखिरी वक्त पर छोड़ा साथ

17 जून को महिला आंदोलन का आयोजन किए जाने से संबंधित उषा निषाद ने गुरुवार को जिला अधिकारी को एक ज्ञापन दिया. लेकिन ग्राम प्रधान प्रवीण सिंह प्रिया ने आखिरी समय पर कदम पीछे कर लिए. आशीष ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, "बसपा नेता जयराम सिंह का ननिहाल अमलोर गांव में है. 16 जून की शाम को जयराम ने गांव के ठाकुरों को इकट्ठा किया और प्रधान के पति को बुलाकर उनसे बात की. जयराम ने उन महिलाओं के पतियों को भी धमकाया जो आंदोलन में शामिल होना चाहती थीं. अमलोर की प्रधान ने कल रात 8 बजे से अभी तक फोन नहीं उठाया है. लेकिन हम लड़ाई नहीं रोकेंगे."

झूठे मुकदमे में फ़ंसाने की दी जा रही है धमकी

न्यूज़लॉन्ड्री ने 27 वर्षीय उषा निषाद से भी बात की. उन्होंने बताया, "हमें गलत मुक़दमे में फंसाने और जान से मारने की धमकी दी जा रही है. हमने कई बार एसडीएम और डीएम से मुलाक़ात की लेकिन हर बार आश्वासन देकर भेज देते हैं. हमने सूचना दे दी है कि हमें रोज़ धमकाया जा रहा है बावजूद इसके कोई पुलिस सुरक्षा मुहैया नहीं कराई गई है."

जयराम सिंह ने जवाब में 16 जून को एक वीडियो जारी किया. इस वीडियो में उन्होंने आशीष और उनके साथियों पर घूस लेने का आरोप लगाया. जयराम कहते हैं, "ये लोग (आशीष और उषा) लक्ज़री पसंद लोग हैं. ये अपने खर्चे पूरे करने के लिए खदानों पर हमला करते हैं और खदानों से अवैध वसूली और रंगदारी मांगते हैं. जो रंगदारी देने से मना करता है उसके ऊपर अवैध आरोप लगाते हैं. साथ ही झूठी खबरें लिखते हैं."

मां को धमकाने वाली बात पर वह कहते हैं, "आशीष का घर हमारे पड़ोस में है. हम वहां से गुज़र रहे थे. वहां आशीष की मां खड़ी हुई दिखीं तो हमने उनको समझाया कि हम कुछ अवैध नहीं करते."

वहीं मामले में यूपी कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा, "बालू खनन और पर्यावरण से जुड़े मुद्दे उठाने पर पत्रकार आशीष सागर दीक्षित और उषा निषाद को माफियाओं द्वारा लगातार धमकियां मिल रही हैं. प्रशासन उनकी जल्द से जल्द सुरक्षा सुनिश्चित करे."

न्यूज़लॉन्ड्री ने पैलानी के एसडीएम से भी बात की. उन्होंने बताया, "हम कई बार जांच कर चुके हैं और रिपोर्ट डीएम साहब को दे दी है. वहां कुछ अवैध नहीं हो रहा. अगर इन लोगों (आशीष और उषा) को धमकी दी जा रही है तो पुलिस में जाकर शिकायत दर्ज करा सकते हैं."

तीन सरकारी नौकरियां छोड़ने वाले आशीष सागर दीक्षित वॉइस ऑफ़ बुंदेलखंड के डिजिटल एडिटर हैं. वह सितम्बर 2009 से पत्रकारिता से जुड़े हैं. तभी से वह बुंदेलखंड में रिपोर्टिंग कर रहे हैं.

बता दें कि बीते रविवार को प्रतापगढ़ के कटरा मेदनीगंज में एबीपी गंगा न्यूज चैनल के 45 वर्षीय पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव रात को संदिग्ध हाल में मृत पड़े मिले थे. एक दिन पहले ही उन्होंने आला पुलिस अधिकारियों को पत्र भेज कर अपनी जान को खतरा बताया था. आशीष सागर को डर है कहीं उनके साथ भी ऐसा न हो जाए.

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