Opinion
गाय पर चुटकुलों के बदले हत्या का समर्थन करने वाले अपने पत्रकारों पर स्वराज्य ने साधी चुप्पी
ट्विटर स्पेसेस के आयोजन के पांच दिनों के बाद ही अति सक्रिय हिंदुत्ववादियों ने हिंसा करने के लिए आह्वान कर दिया.
8 मई को स्वराज्य की एक वरिष्ठ संपादक स्वाति गोयल शर्मा ने 'ऑक्सीमीटर फॉर कॉउज़?' के नाम से एक ट्विटर स्पेस का आयोजन किया. बातचीत का केंद्र स्वराज्य की न्यूज़ वेबसाइट पर पेश की गयी स्वाति शर्मा की रिपोर्ट थी. जिसके अनुसार गोशालाओं के संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिये गए एक निर्देश ने "किसी भी सरकार के गायों के प्रति प्रेम से कहीं ज्यादा मौजूद उस नफरत का खुलासा कर दिया, जो उदार वामपंथियों के दिलों में देश के बहुसंख्यकों के प्रति जमी हुई है."
इस आयोजन के वक्ताओं में ट्विटर के अति उत्साही हिंदुत्ववादी धड़े के संजीव नेवार भी थे जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद मोदी भी फॉलो करते हैं. पिछले कुछ सालों में नेवार के कई आलेख स्वराज्य में प्रकाशित हो चुके हैं. साथ ही नेवार शर्मा के सहयोगी भी हैं और दोनों साथ मिलकर सेवा न्याय उत्थान का भी संचालन करते हैं जो कि उनके शब्दों में एक "कल्याणकारी पहल" है.
इस आयोजन में नेवार ने गाय या गौमूत्र पर चुटकुले सुनाने वालों की पिटाई और उनकी हत्या करने की बात कही.
उन्होंने कहा, "अगर आप मुझसे पूछेंगे तो मेरा कहना है कि हमें मिलकर सरकार पर इस बात का दबाव बनाना चाहिए कि यदि कोई भी गौमूत्र पर चुटकुले सुनाये तो सरकार को हमें ऐसे लोगों की आत्मरक्षा के तहत पिटाई करने की छूट देनी चाहिए. और अगर पिटाई से ऐसे किसी व्यक्ति की मौत भी हो जाये तो इसमें कोई पाप नहीं है."
चूंकि फरवरी, 2019 में पुलवामा हमले को अंजाम देने वाले सुसाइड बॉम्बर आदिल अहमद डार ने "गौमूत्र पर चुटकुला बनाया था" इसलिए नेवार इस बात से भली-भांति संतुष्ट हैं कि इस तरह के चुटकुले सुनाना एक आतंकवादी गतिविधि है. उन्होंने आगे यह भी कहा कि "गाय संबंधी चुटकुलों" पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए.
शर्मा ने भी इस पर सहमति जताते हुए कहा, "हां बिल्कुल, बजाय इस पर रिसर्च करने के कि क्या गौमूत्र में सोना मौजूद होता है.” उन्होंने शुरुआत करते हुए कहा और नेवार के हस्तक्षेप करने तक जारी रहीं. बातचीत के दौरान नेवार ने यह भी दावा किया कि आतंकवादियों के दो लक्षण होते हैं, "हम लेके रहेंगे आज़ादी के नारे लगाना और गाय, गौमूत्र और गाय के गोबर पर चुटकुले बनाना."
करीब एक मिनट बाद शर्मा ने बातचीत को खत्म करते हुए कहा, "इस तरह के उपहास या हंसी-मजाक" को "जान के जोख़िम" के तौर पर देखा जाना चाहिए. "मौजूदा वक़्त में यह एक सांस्कृतिक खतरा है", इस पर स्वाति ने तर्क दिया 'लेकिन ये जान के जोख़िम में तब्दील हो सकता है."
उसी दिन जब एक ट्विटर यूजर ने हत्या पर दोनों के विचारों के बारे में बात करने की कोशिश की तो नेवार ने ट्वीट किया कि उन्होंने जो भी कहा था वो उस पर कायम हैं और साथ ही "समाज को इस तरह के आतंकवादियों के खिलाफ आत्मरक्षा की कार्रवाई करने का कानूनी अधिकार होना चाहिए." शर्मा द्वारा भी इस ट्वीट को रीट्वीट किया गया.
ये सब शर्मा और नेवार के मतों को बेहद विडंबनापूर्ण बना देता है जिन्होंने एक साथ मिलकर स्वराज्य के लिए भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा पर रिपोर्टिंग की है.
इस पर बातचीत की शुरूआत तब हो गयी जब ट्विटर यूजर शमीला ने 9 मई को एक रिकॉर्डिंग ट्वीट कर दी.
नेवार द्वारा हिंसा को उकसावा देने के काम को शर्मा द्वारा समर्थन देने के बारे में बात करने के लिए न्यूज़लॉन्ड्री स्वराज्य और शर्मा के पास पहुंचा.
हमने शर्मा से पूछा कि जब उन्होंने नेवार की टिप्पणी के बाद में "हां, बिल्कुल", जोड़ा तो वो किस बात पर सहमति जता रही थीं और यदि विजिलांट वॉयलेंस उसमें भी खासकर मॉब लिंचिंग पर उनके ही रिपोर्ताज़ की बात की जाए तो वो इस सब के माध्यम से आखिर कहना क्या चाहती हैं? हमने उनसे यह भी जानना चाहा कि क्या उन्होंने उस बातचीत के दौरान या उसके बाद उस पूरे महीने में कभी भी नेवार के उस मानवीय हत्या सम्बन्धी सूत्रीकरण से कोई असहमति जताई थी.
शर्मा ने सभी सवालों पर चुप रहना ही बेहतर समझा और नेवार के हिंसा के प्रति उकसावे पर सोशल मीडिया पर हुए बवाल को एक "मूर्खतापूर्ण विवाद" कहा.
साथ ही उन्होंने हमें नेवार द्वारा शुक्रवार की आधी रात को प्रतिक्रिया के रूप में पोस्ट किये गये ट्विटर थ्रेड का भी ध्यान दिलाया.
उस ट्विटर थ्रेड में सोशल मीडिया पर मचे बवाल को नेवर ने एक "दुर्भावनापूर्ण अभियान" कहा है जिसमें "स्पेस टॉक की मेरी बातचीत की एक छोटी-सी क्लिप को गलत तरह से पेश किया गया है, मानो मैं बेगुनाह लोगों के चुटकुले भर पसंद न आने से पीट-पीटकर उनकी हत्या को उकसावा दे रहा हूं."
उन्होंने आगे कहा, "स्पेस टॉक केवल और केवल आतंकवादियों और कट्टरपंथी तत्वों के बारे में था" और उनके कहने का मतलब केवल इतना था "यदि कोई कानून का उल्लंघन करता है और इस तरह के उपहास करता है तो भारतीय दंड संहिता के अनुसार लोगों को आत्मरक्षा के कानून के प्रावधानों के तहत कार्रवाई करने की छूट हो."
नेवार ने इस ओर भी इशारा किया, “शर्मा ने सहमति में सिर केवल तभी हिलाया जब मैंने कहा कि गौमूत्र पर चुटकुलों पर प्रतिबंध लगना चाहिए." शर्मा ने अब तक इस तरह का कोई दावा नहीं किया है और नियमित तौर पर आदिल अहमद डार की वीडियो को ट्वीट करती रहती हैं जिसमें नेवार द्वारा रखी गयी हत्या और पिटाई की राय को न्यायोचित ठहराने के प्रयासों की गूंज सुनाई देती है.
नेवार की प्रतिक्रिया भ्रामक है. न्यूज़लॉन्ड्री द्वारा 8 मई को करीब 4 मिनट की बातचीत के एक वीडियो क्लिप को खंगालने पर पाया गया कि नेवार ने हिंसा करने की खुली वकालत करने के बाद एक बार भी भारतीय दंड संहिता का ज़िक्र नहीं किया.
उनका यह प्रतिवाद कि बातचीत केवल और केवल "आतंकवादी और कट्टरपंथी तत्वों" के बारे में थी न कि "बेगुनाह लोगों" के बारे में, बिल्कुल निरर्थक है क्योंकि उनके शब्दों के हिसाब से तो, एक आतंकवादी कुछ खास तरह के नारों और चुटकुलों से परिभाषित होता है.
अपनी संपादकीय नीति में "व्यक्तिगत स्वतंत्रता" और "धर्म को राजनीति से अलग रखने" का पक्ष लेने की बात करने वाले स्वराज्य ने हमारे सवालों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. इसके संपादकीय निदेशक, आर जगन्नाथन ने शर्मा और नेवार के विजिलांटिज़्म सम्बन्धी चिंतन पर कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया.
उन्होंने कहा, "मैंने यह नहीं देखा क्योंकि मैं दैनिक रूप से वेबसाइट को संचालित नहीं करता. आपको वेबसाइट का संचालन करने वाले व्यक्ति से बात करनी चाहिए.”
जगन्नाथ ने हमें स्वराज्य के प्रकाशक और मुख्य डिजिटल अधिकारी अमर गोविंदराजन के पास जाने को कहा. हमने गोविंदराजन और स्वराज्य के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रसन्ना विश्वनाथन को भी लिखा पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. यदि कोई प्रतिक्रिया आई तो इस रिपोर्ट में अपडेट कर दिया जाएगा.
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