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हत्या या मॉब लिंचिंग! नूंह के आसिफ खान की मौत का पूरा सच

रविवार 16 मई को नूंह (मेवात) के खेड़ा खलीलपुर गांव में रहने वाले जिम ट्रेनर आसिफ खान की हत्या कर दी गई. 27 वर्षीय आसिफ की तबीयत दस दिन से खराब थी. जब उन्होंने अपना चेक-अप कराया तो पता चला की उन्हें टाइफाइड है. रविवार को आसिफ अपने ताऊ के बेटे 31 वर्षीय राशिद के साथ दवा खरीदने सोहना गए थे. लेकिन वह जिंदा नहीं लौटे.

आसिफ के घर पर जुटे लोग

न्यूज़लॉन्ड्री खेड़ा खलीलपुर गांव पहुंचा. आसिफ के पिता ज़ाकिर हुसैन ने हमें बताया, “उस दिन दवा लेकर लौटते समय पांच से छह गाड़ियां आसिफ की गाड़ी का पीछा करने लगीं. इन गाड़ियों में 30 से 40 लोग थे. जखोपुर गांव के पास रेलवे क्रासिंग पड़ती है. वहीं चार गाड़ियों ने आसिफ की गाड़ी को टक्कर मार दी. आसिफ और राशिद नीचे गिर गए. राशिद जैसे-तैसे अपनी जान बचाकर भागा लेकिन ये लोग आसिफ का अपहरण करके नांगली गांव के पास ले गए. इन लोगों के पास बंदूक, कट्टा और लाठी थीं. इन गुंडों ने आसिफ को बेरहमी से मारा. उसकी एक आंख फोड़ दी, शरीर की हड्डियां भी तोड़ दीं. आसिफ के सीने में सरिया घोंपकर उसके हाथ और पैर में गोली मार दी."

राशिद ने परिवार वालों को फोन पर सूचना दी थी कि आसिफ का अपहरण हो गया है और उसे गुंडे उठाकर ले गए हैं. खेड़ा खलीलपुर में गुर्जर और मुसलमान समुदायों की मिलीजुली आबादी है.

“सभी आरोपी भाजपा और आरएसएस से जुड़े हुए हैं. कई बार गांव में धार्मिक झगड़े उकसाने में इनका हाथ रहता है. इन लोगों ने गांव में आतंक फैला रखा है. ये सभी लोग हाईवे पर लोगों को लूटते हैं. होटल और दुकानदारों से हफ्ता वसूलते हैं. गांव में छोटी सी बात पर भी उसे हिन्दू-मुसलमान का झगड़ा बना देते हैं. इस तरह का मामला हमारे गांव में पहली बार हुआ है. हमें कोई अंदेशा नहीं था,” ज़ाकिर ने हमें यह जानकारी दी.

एफआईआर कॉपी

17 मई को दायर आसिफ की हत्या की एफआईआर के मुताबिक पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 154 और आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है. आसिफ के परिवार ने 14 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है जो सभी उनके गांव खेड़ा खलीलपुर के हैं. इसके अलावा उन्होंने गांव के बाहर से बुलाए 15-20 अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दायर किया है. ये सभी एक दूसरे के रिश्तेदार हैं. मामले के मुख्य आरोपी पटवारी और आडवाणी भाई हैं. वहीं महेंद्र और अनूप बाप-बेटे हैं.

आरोपियों को मिला नेता का साथ

यूं तो गांव में हिन्दू और मुसलमान सालों से साथ रहते आए हैं लेकिन आसिफ के साथ हुई घटना से गांव में तनाव है. आसिफ के पिता कहते हैं, “ऐसा इसलिए भी है क्योंकि गांव में कथित नेता आरोपियों को प्रोत्साहित करते हैं. आसिफ के पिता ने मुख्य आरोपी के तौर पर पटवारी, आडवाणी, बल्ला खटाना, नाथूराम गुर्जर और शीशा नागर का नाम लिया है. इन्होंने गांव में जीना मुश्किल कर दिया है. यही लोग इन शरारती तत्वों को बढ़ावा देते हैं. ये लोग गांव में तनाव फैलाते हैं. वारदात की जगह से दो किलोमीटर दूर जखोपुर गांव पड़ता है. वहां बल्ला खटाना का ऑफिस है. बल्ला खटाना भाजपा से जुड़ा हुआ है. इन लोगों ने उसी ऑफिस में प्लानिंग की है. ये सभी लड़के गांव में आतंक फैलाते हैं. केएमपी हाईवे पर रोज़ लोगों को लूटते हैं."

फिलहाल बल्ला खटाना पुलिस की गिरफ्त से फरार है और अपना नंबर बंद कर दिया है. बता दें कि बल्ला खटाना नूंह मार्केट कमेटी का अध्यक्ष भी रह चुका है.

बल्ला खटाना
बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी के साथ बल्ला खटाना

आसिफ के चाचा अब्दुल रहमान ने बताया, “दो महीने पहले आसिफ और पटवारी की कहा-सुनी हुई थी. उसके बाद से कई बार इन लोगों ने आसिफ को मारने का प्रयास किया है. कई दफ़ा इन लोगों ने बाहर से आदमियों को गांव में बुलाया है. हम मुसलमान इस गांव में अल्पसंख्यक हैं. इनका मकसद है कि हमें गांव से निकाल दें. कई बार साजिश रची गई है. इनका बहुत बड़ा गिरोह है. आस-पास के कई गांवों में इनके लोग हैं. गरीबों को मारते-पीटते हैं. आसिफ अपनी जान बचाता फिर रहा था और घर पर ही रहता था. टाइफाइड के कारण वह दवा लेने निकला था. इतनी देर में इन गुंडों उसे मार दिया."

रहमान आरोप लगाते हैं, “ये लोग नहीं चाहते कि मुसलमान गांव में रहें. ये लोग बहुत उत्पात मचाते हैं. ये चाहते हैं मुसलमान यहां से चले जाएं. हम गांव छोड़कर कहां जाएंगे."

राशिद

घटना के दिन राशिद और आसिफ दोनों भाई साथ में ही थे. इस दौरान राशिद को भी पीटा गया. राशिद 19 मई से अस्पताल में भर्ती है. उसकी हालत अभी ठीक नहीं है. उसे कई जगह गंभीर चोटें आयीं हैं. राशिद ने हमें बताया, "हमें कई गाड़ियों ने घेर लिया था. एक गाड़ी ने पीछे से हमारी गाड़ी को टक्कर मारी. दूसरी गाड़ी ने सामने से आ कर रास्ता रोक लिया. एक गाड़ी ने साइड से टक्कर मारी. इतने में हमारी गाड़ी फिसलकर गड्ढे में गिर गई. मुझे लग गया था हम नहीं बच पाएंगे. आसिफ ने मुझे कहा कि मैं भाग जाऊ. मैं जैसे ही गाड़ी से बाहर निकलने की कोशिश करने लगा इन गुंडों ने मुझे बाहर खींच लिया और बहुत पीटा. मेरा सर फोड़ दिया."

वह आगे कहते हैं, “मैं बहुत गिड़गिड़ाया कि गांव की बात है घर पर बैठकर मसले का हल निकाल लेंगे. इस पर वो कहने लगे मुल्ले तुममें से एक को भी नहीं छोड़ेंगे इस गांव में. तुमसे जय श्री राम बुलवाएंगे." इसके बाद आरोपियों ने राशिद को मरा समझकर गड्ढे में फेंक दिया और आसिफ को दूसरी गाड़ी में बिठाकर दूर ले गए जहां उसकी हत्या कर दी.

आरोपियों ने आसिफ को क्यों मारा?

आरोपी जमीदार हैं और गांव में ही खेती करते हैं. न्यूज़लॉन्ड्री ने आरोपियों के परिवार से भी बात की. आरोपी महेंद्र और अनूप बाप-बेटे हैं. घटना के बाद पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. इनके भाई जगदीश ने न्यूज़लॉन्ड्री से बात की.

जगदीश बताते हैं, “आसिफ और पटवारी दोनों के बीच साल 2011 में स्कूल में विवाद हुआ था. तब से दोनों में खटपट चल रही थी. दोनों ने एक दूसरे को कई बार घर के बाहर घेरा है. इन झगड़ों में गांव से बाहर के लोग भी बुलाए जाते थे. डेढ़ महीने पहले दोनों के बीच पानी भरने को लेकर मामूली झगड़ा हुआ था. पटवारी के मामा का लड़का पानी भरने गया था जहां आसिफ के परिवार के लोग भी पानी भरने आये थे. वहां इन दोनों के बीच लड़ाई हो गई. किसी ने पानी की बाल्टी उठाकर फेंक दी तो किसी ने चाटा मार दिया. बस इतना ही हुआ था. इसके बाद दोनों तरफ से माफ़ी मांग ली गई. लेकिन इसके बाद भी दोनों तरफ के लोगों ने कई बार एक दूसरे पर हमला किया. दोनों एक दूसरे को मरने-मारने की धमकी देते थे. ये काफी दिनों से चल रहा था. लेकिन किसी को भनक नहीं थी कि ये लोग आसिफ को जान से मार देंगे."

जब हम आरोपी पटवारी के घर पहुंचे तो वहां कोई नहीं था. जगदीश ने हमें बताया कि घटना वाले दिन से ही पटवारी और आडवाणी अपने पूरे परिवार के साथ फ़रार हो गए हैं. ऐसा पहली बार हुआ है कि दोनों अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर यहां से रातों-रात भाग गए.

जगदीश यह भी बताते हैं कि आसिफ के खिलाफ भी कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. एसपी ने शर्त रखी है कि जब हम पटवारी और आडवाणी को ढूंढ़कर लाएंगे तभी हमारे लोगों को छोड़ा जाएगा.

बाएं में कुर्ता पजामा पहने महेंद्र, उनकी बगल में उनका लड़का अनूप है

न्यूज़लॉन्ड्री ने खेड़ा खलीलपुर के निवासियों से इस घटना के बारे में जानने की कोशिश की जिसे सोशल मीडिया पर मॉब लिंचिग बताया जा रहा था. खेड़ा खलीलपुर गांव के निवासी 60 वर्षीय मोहम्मद शरीफ बताते हैं, “गांव में लोग मिलजुल कर रहते हैं. ऐसा गांव में पहली बार हुआ है. हमने कभी नहीं सोचा था मामला इतना बड़ा हो जाएगा और आसिफ को इतनी बेरहमी से मारा जाएगा. मैंने उसकी लाश देखी है. उसके पेट में सरिया और पेचकस से मारा गया था. पूरे शरीर पर घाव थे. हड्डियों का चूरा-चूरा कर दिया. लड़के को तड़पा-तड़पाकर मारा गया था. आरोपियों को फांसी होनी चाहिए,"

शरीफ भी दोनो पक्षों के बीच पहले से जारी मनमुटाव की पुष्टि करते हैं. “दोनों गुटों में पहले से झगड़ा था. पांच साल से इनकी रंजिश चल रही थी. स्थिति इतनी आक्रामक हो जाती थी कि ये लोग बाहर से गुंडे बुला लेते थे. पहले भी पुलिस को बुलाकर मामला सुलझाया गया था."

पुलिस ने क्या कहा?

यह मामला रोजका मेव थाने में चल रहा है. हमारी बात थाने के एसएचओ मुल्तान सिंह से हुई. उन्होंने बताया, “पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह पुष्टि होती है कि आसिफ की मौत डंडे से मारकर हुई है. उसे बेरहमी से पीटा गया. पुलिस की जांच जारी है. मुख्य आरोपी पटवारी और आडवाणी घटना के दिन से फरार हैं. हम उन्हें पकड़ने की पूरी कोशिश कर रहे हैं,"

मुल्तान सिंह ने यह भी बताया कि आसिफ और फरार आरोपियों के खिलाफ सोना और सोना सिटी में अलग-अलग आपराधिक मामले दर्ज हैं. ये मामले अपहरण, चोरी, डकैती और धमकाने से जुड़े हैं. हालांकि पुलिस ने आसिफ को गोली मारे जाने की बात को बेबुनियाद बताया है. अब तक खेड़ा खलीलपुर गांव से दो लोगों, महेंद्र और अनूप की गिरफ्तारी हुई है. बाकी गिरफ्तारियां आस-पास के गांव से हुई हैं. अभी तक कुल मिलाकर छह गिरफ्तारी हुई हैं.

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