News Potli
गौशाला में रामराज्य और विदेशी सहायता में मोदी की विदेश नीति की सफलता
धृतराष्ट्र संजय संवाद में इस हफ्ते सेंट्रल विस्टा, योगी आदित्यनाथ के फैसलों की बात. सेंट्रल विस्टा को लेकर पत्रकारों और खबरिया चैनलों का दिवालियापन इस दौर में पूरी तरह से सामने आ गया है. अखिलेश शर्मा ने ट्वीटर पर सेंट्रल विस्टा के समर्थन में लिखा- क्या सेंट्रल विस्टा के चलते कोरोना के खिलाफ लड़ाई कमजोर पड़ रही. फिर उन्होंने पूछा महाराष्ट्र सरकार भी अपने एमएलए के लिए नए आवास बनवा रही है क्या उससे कोरोना की लड़ाई कमजोर पड़ रही है. फिर खुद ही शर्माजी ने सारे सवालों का जवाब दे दिया कि ऐसा कुछ नहीं है. जो विरोध कर रहे हैं वो राजनीति कर रहे हैं. लगभग यही कुतर्क रिपब्लिक भारत पर चिल्ला-चिल्ला कर दिखाया गया.
कोरोना के खिलाफ लड़ाई हम इतनी बुरी तरह से हार चुके हैं कि ऑक्सीजन और जीवनरक्षक दवाएं तक मुहैया नहीं करवा पा रहे. सरकारें आंकड़े छुपा रही क्योंकि गांवों में न तो टेस्टिंग की व्यवस्था है न अस्पताल की. वैक्सीन की गाड़ी बेपटरी हो गई है. विशेषज्ञ कहते हैं लॉकडाउन ही विकल्प है. शर्माजी को अभी लगता है कि कोरोना की लड़ाई कमजोर नहीं पड़ रही है.
दुनिया भर से इस बुरे दौर में भारत को मेडिकल सहायता भेजी जा रही है. 28 अप्रैल को पहली खेप भारत पहुंची. तब से अब तक दर्जनों देशों की सहायता सामग्री भारत आ चुकी है. लेकिन स्क्रोल डॉट इन की एक रिपोर्ट ने लालफीताशाही और सरकारी निकम्मेपन की बखिया उधेड़ दी. 3 मई को आई इस रिपोर्ट ने बताया कि पांच दिनों में आई करीब 300 टन सहायता सामग्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के गोदाम में पड़ा रहा.
बाबा रामदेव को आज तक, एबीपी न्यूज़, इंडिया टीवी समेत दीगर चैनल बेनागा उस विषय पर बात करने के लिए बुलाते हैं जिस विषय में न तो इसकी कोई विशेषज्ञता है न ही ये कोई डॉक्टर या प्रशिक्षित आयुर्वेदाचार्य हैं. सिर्फ इसलिए क्योंकि यह व्यक्ति इन खबरिया चैनलों को सबसे ज्यादा विज्ञापन देता है इसलिए इसे करोना जैसी महामारी में भी फर्जी ज्ञान बांटने के लिए हर दिन बुला लेते हैं. बाबा खबरों के शो अपने सामान का प्रचार करता है, झूठे दावे करता है, और नैतिक रूप से भ्रष्ट हो चुके एंकर-एंकराएं जानते-बूझते कि कोरोना से संबंधित इसके दावे बेबुनियाद हैं, उसे बेरोकटोक बोलने का मौका देते हैं. एक ऐसे वक्त में जब लाखों लोगों की जिंदगी दांव पर लगी है.
इन्हीं मुद्दों पर केंद्रित है इस हफ्ते की टिप्पणी.
Also Read: बनाना रिपब्लिक में बाबा रामदेव की कोरोनिल
Also Read
-
TV Newsance 310: Who let the dogs out on primetime news?
-
If your food is policed, housing denied, identity questioned, is it freedom?
-
The swagger’s gone: What the last two decades taught me about India’s fading growth dream
-
Inside Dharali’s disaster zone: The full story of destruction, ‘100 missing’, and official apathy
-
August 15: The day we perform freedom and pack it away