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बदइंतजामी, विवादित दावे और प्रचार, यही है रामदेव का कोविड केयर सेंटर

‘‘यहां के 150 के 150 बेडों पर ऑक्सीजन की व्यवस्था है. जो थोड़े और गंभीर मरीज हैं उनके लिए आईसीयू है और जो ज़्यादा गंभीर स्थिति में हैं तो उनके लिए वेंटिलेटर की व्यवस्था है.’’ ये बातें बाबा रामदेव ने चार मई को एबीपी न्यूज़ की एंकर रुबिका लियाकत से एक इंटरव्यू के दौरान कहीं. दरअसल रामदेव उत्तराखंड सरकार के साथ मिलकर दो कोविड केयर सेंटर शुरू करने के दावे के साथ मीडिया को इंटरव्यू दे रहे थे.

अपनी कंपनी के तमाम प्रोडक्ट को अपने सामने रख मीडिया को इंटरव्यू दे रहे रामदेव ने यह दावा न्यूज़ नेशन से बातचीत के दौरान भी दोहराया. यहां दीपक चौरसिया ने रामदेव का इंटरव्यू किया.

बाबा रामदेव ने दावा किया कि उत्तराखंड सरकार के साथ मिलकर पतंजलि हरिद्वार में दो कोविड केयर सेंटर चलाएगा. इसके बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के साथ रामदेव ने कोविड केयर सेंटर का उद्घाटन भी किया.

मीडिया को सबसे ज़्यादा विज्ञापन देने वालों में से एक रामदेव के इस दावे को मीडिया संस्थाओं ने बिना जांचें-परखे प्रमुखता से प्रकाशित किया. प्राइम टाइम में उनका इंटरव्यू दिखाया गया. जहां वे अपने मन मुताबिक दावे करते रहे. अपनी दवाइयों का प्रचार करते रहे. ज़्यादातर चैनलों ने हेडलाइन ऐसा बनाया जैसे ये अस्पताल बाबा रामदेव ने स्वयं खोले हैं, जबकि यह अस्पताल उत्तराखंड सरकार के सहयोग से खुला है.

रामदेव ने जिन दो कोविड केयर सेंटर को राज्य सरकार के सहयोग से चलाने का दावा किया उसमें से एक कुंभ के दौरान पावन धाम में बना अस्थाई अस्पताल है. कुंभ खत्म होने के बाद उत्तराखंड में बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए इसको कोविड अस्पताल बनाने का फैसला लिया गया.

न्यूज़लॉन्ड्री की टीम जब यहां पहुंची तो रामदेव का यह दावा गलत पाया गया. दरअसल अभी यहां 150 नहीं, सिर्फ 50 ऑक्सीजन बेड पर मरीजों का इलाज हो रहा है. यहां अभी एक भी आईसीयू बेड उपलब्ध नहीं है. सात मई को यहां 30 से 40 मरीजों का इलाज चल रहा था.

हरिद्वार में पतंजलि कोविड केयर सेंटर

‘आईसीयू बेड नहीं होने के कारण मेरी मां को भर्ती नहीं किया गया’

रामदेव ने कोरोना को ठीक करने की दवा कोरोनिल को दो बार लॉन्च किया. दोनों दफा उन्होंने कई दावें किए, जिसे गलत पाया गया था. इस बार भी उन्होंने ऐसा ही किया. कोविड केयर सेंटर को लेकर उन्होंने कई ऐसी जानकरियां दीं, जिसे पढ़कर-सुनकर लोग यहां इलाज के लिए आ रहे हैं मगर इलाज नहीं मिल रहा है.

रुबिका लियाकत अपने शो हुंकार में कहती हैं कि इन अस्पतालों में कोविड के गंभीर मरीजों का इलाज किया जाने वाला है. यह दावा बाबा रामदेव दोहराते हैं. न्यूजलॉन्ड्री शुक्रवार को जब पावन धाम स्थित अस्थायी अस्पताल पहुंचा तो यह दावा भी गलत साबित हुआ.

यहां जब हम पहुंचे तो हमारी मुलाकात ऋषिकेश के रहने वाले नरेंद्र पयाल से हुई. नरेंद्र अपनी 48 वर्षीय मां सरिता पयाल को लेकर पहुंचे थे. सरिता चार मई को कोविड पॉजिटिव हुई थीं. उनकी तबीयत लगातार खराब हो रही थी. सात मई को जब ऑक्सीजन लेवल 35 पर आ गया तो एंबुलेंस में लेकर नरेंद्र उन्हें यहां पहुंचे, लेकिन यहां उन्हें भर्ती किये बगैर लौटा दिया गया. सरिता की स्थिति लगातार खराब हो रही थी जिसके बाद उन्हें आनन-फानन में लेकर देहरादून के दून अस्पताल गए.

नरेंद्र ने न्यूजलॉन्ड्री को बताया, ‘‘अभी मेरी मां दून अस्पताल में आईसीयू पर हैं. उनकी स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है.’’

रामदेव और उत्तराखंड सरकार द्वारा चलाए जा रहे अस्पताल को लेकर नरेंद्र बताते हैं, ‘‘हमें रिश्तेदारों और दोस्तों ने बताया था कि हरिद्वार में पतंजलि ने कोविड अस्पताल खोला है जहां तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं. प्रचार भी इसी तरह हुआ था कि यहां सब कुछ उपलब्ध है. जब हम यहां पहुंचे तो उन्होंने एडमिट करने से यह कहते हुए मना कर दिया कि हमारे पास आईसीयू और वेंटिलेटर नहीं है.’’

नरेंद्र कहते हैं, ‘‘अगर आपके पास बेड और ऑक्सीजन नहीं है तो आप साफ-साफ बता दो क्योंकि अगर हमें पता होता तो हम यहां नहीं आते. इस समय कोविड मरीजों को इलाज मिलने में एक-दो मिनट की देरी होने पर मौत हो जा रही है. यह बात इन्हें समझनी चाहिए.’’

यह कहानी सिर्फ नरेंद्र की नहीं है बल्कि यहां आने वाले ज़्यादातर लोगों की है. क्योंकि यहां न पर्याप्त डॉक्टर हैं, ना बेड हैं और ना ही विज्ञान.

इस अस्पताल में डॉक्टर, तकनीशियन, वार्ड बॉय की बेहद कमी है जिसके कारण यहां इलाज कम ही लोगों को मिल रहा है. यहां मरीज सिर्फ रेफर किये जा रहे हैं.

पतंजलि केंद्र में एक छत रहित कोविड वार्ड

रामदेव का दावा है कि यहां गंभीर मरीजों को इलाज दिया जाएगा. लेकिन हमने यह बिल्कुल गलत पाया क्योंकि यहां मरीज का ऑक्सीजन लेवल 70 से नीचे होने पर भी भर्ती नहीं किया जा रहा है. इसको लेकर हमने सीएमएस एसके सोनी से सवाल किया तो उनका कहना था कि 70 से कम ऑक्सीजन लेवल वाले मरीज गंभीर होते हैं. उन्हें सिर्फ ऑक्सीजन देकर नहीं बचाया जा सकता है. उन्हें आईसीयू पर ले जाना होता है. हमारे पास मेन पावर काम है. ऐसे में हम इस तरह के मरीजों को नहीं ले रहे हैं. उन्हें रेफर किया जा रहा है.

ना विज्ञान और ना डॉक्टर

एबीपी न्यूज़ को बाबा रामदेव ने बताया, ‘‘इन अस्पतालों में 100 फीसदी आयुर्वेद के साथ साथ नैचुरोपैथी से भी इलाज होगा. एक तरह से आहार चिकित्सा होगी. साथ ही ज़रूरत पड़ने पर मरीजों को एलोपैथी दवाइयां भी दी जाएंगी.’’

उनका यह दावा भी काफी हद तक सवालों के घेरे में है. यहां मौजूद सरकारी कर्मचारियों से जब हमने पतंजलि की इस अस्पताल में भूमिका को लेकर सवाल किया तो दवाई की दुकान पर बैठे उसमें से एक ने हंसते हुए कहा, ‘‘सामने देखिए, पतंजलि वाले यहां धुआं दिखाने का काम कर रहे हैं.’’

एक पतंजलि का पुजारी जलती हुई जड़ी-बूटियों के साथ घूमता हुआ

हमने देखा कि सफेद वस्त्र पहने एक योगी हर वार्ड में धुंआ लेकर जाते नजर आते हैं. योगी ऑक्सीजन लगे मरीजों के पास से गुजरते हुए उन तक धुंआ पहुंचाने की कोशिश करते हैं. कई मरीज धुंए की बर्तन को हाथ भी जोड़ते हैं. धुंआ दिखा रहे योगी के साथ खड़े भगवा रंग को धोती पहने स्वामी अभिषेक देव न्यूजलॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘इसमें आयुर्वेदिक औषधियां हैं. इसके धुएं से लोगों को ऑक्सीजन की परेशानी कम होती है.’’

रामदेव अपने इंटरव्यू में कोरोनिल समेत अपने अलग-अलग उत्पाद के जरिए मरीजों को इलाज करने का दावा करते नज़र आते हैं. पतंजलि की तरफ से यहां मौजूद स्वामी अभिषेक देव भी मरीजों को कोरोनिल देने का दावा करते नज़र आते हैं. हालांकि आईसीएमआर ने कोरोना के इलाज के लिए दवाइयों को लेकर जो गाइडलाइंस बनाई हैं उसमें कोरोनिल नहीं है.

पतंजलि द्वारा यहां किए जा रहे इलाज को लेकर देव न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘यहां मरीजों को उनके सामर्थ्य के मुताबिक सुबह शाम योग और प्राणायाम कराया जा रहा है. यहां सिरों धारा का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. उसमें छाछ, दूध, सरसों, तिल तेल समेत बाकी औषधियां डालकर थेरेपी दी जाती है. अलग-अलग बीमारियों के लिए अलग-अलग थेरेपी हैं. कोविड मरीजों को यह थेरेपी देने से उनकी इम्युनिटी पावर बढ़ती है.’’

देव आगे बताते हैं, ‘‘जो भी कोविड मरीज होते हैं उनका फेफड़ा कमजोर हो जाता है. फेफड़े को मज़बूत करने के विशेष तौर पर प्राणायाम कराते हैं. और उनको कोरोनिल, श्वासारिक और साथ में मुलेठी दिया जाता है. साथ ही उन्हें काढ़ा दिया जाता है. यहां सब दवाइयां मुफ्त में सभी मरीजों को दी जा रही है.’’

लेकिन बाबा रामदेव और उनके सहयोगी स्वामी अभिषेक देव के दावे के इतर यहां ज़्यादातर मरीजों को एलोपैथिक तरीके से ही इलाज किया जा रहा है. यहां मौजूद एक डॉक्टर नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं, ‘‘कोरोना इसबार मरीजों के फेफड़े पर असर डाल रहा है. उनका ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा है. जिस कारण वे शारीरिक रूप से कमजोर हो जाते हैं. ऐसे में प्राणायाम और योग से उनकी बीमारी ठीक होगी?’’

डॉक्टर आगे कहते हैं, ‘‘सरकार ने आयुर्वेद के साथ कोविड केयर सेंटर चलाने का फैसला क्यों लिया यह हैरान करने वाला है. पतंजलि की इलाज में कोई खास भूमिका नहीं, उल्टा ये मरीजों के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं.’’

इस कोविड केयर सेंटर के सीएमएस डॉक्टर एसके सोनी भी आयुर्वेदिक और एलोपैथिक के जरिए एक साथ इलाज करने में आने वाली परेशानियों की बात करते हैं. उनका कहना था, ‘‘कुछ मसले हैं. इसको हमने अधिकारियों के सामने रखा है.’’ हालांकि सोनी इन मसले के बारे में हमें नहीं बताते हैं.

‘आईसीयू बेड तो है पर चलाने वाला कोई नहीं’

न्यूजलॉन्ड्री ने यहां के चीफ मेडिकल अधीक्षक (सीएमओ) एसके सोनी द्वारा मंडल अधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी को सात मई को लिखा पत्र हासिल किया. इस पत्र में अस्पताल के लिए कई मांग की गई हैं.

पत्र में लिखा है, इस चिकित्सालय में आईसीयू टेक्नीशियन उपलब्ध नहीं हैं. अतः आईसीयू वार्ड का संचालन बाधित है. इसीलिए आईसीयू में मरीजों को भर्ती करने में तब तक असमर्थ रहेंगे जब तक की समुचित विशेषज्ञ व ट्रेंड स्टाफ उपलब्ध न हो जाए.

न्यूज़लॉन्ड्री ने सोनी से अस्पताल के हालात को लेकर सवाल किया तो वे कहते हैं, ‘‘हमारे पास 50 ऑक्सीजन बेड और 10 आईसीयू बेड हैं, लेकिन यहां काम करने वाले लोगों की संख्या बेहद कम है. एक मरीज को अगर आईसीयू बेड पर ले जाया जाता है तो 24 घंटे उसके पास एक तकनीशियन होना चाहिए. हमारे पास लोग नहीं हैं ऐसे में हम एकाध आईसीयू बेड को सिर्फ उतनी देर के लिए चलाते हैं जब तक मरीज को किसी और अस्पताल में शिफ्ट नहीं कर दिया जाता है. इसके अलावा अभी हम आईसीयू चला नहीं पा रहे हैं.’’

सात मई को सीएमएस सोनी ने आईसीयू चलाने के साथ-साथ दूसरे कामों के लिए तकनीशियन की मांग को लेकर पत्र लिखा था. 10 मई को न्यूजलॉन्ड्री ने सोनी से संपर्क किया तो उन्होंने बताया, ‘‘अभी तक मेनपावर में कोई वृद्धि नहीं हुई है. जिस कारण आईसीयू और वेंटिलेटर चल नहीं रहे हैं.’’

यह अस्पताल सामान्य मरीजों के लिए बना था, लेकिन अचानक से इसे कोविड अस्पताल बना दिया गया. ऐसे में सीएमओ ने अपने पत्र में अलग वार्डस को छत कवर कराने की मांग की है ताकि संक्रमित एवं असंक्रमित क्षेत्र को अलग-अलग सुरक्षित किया जाए. पत्र में पीपीई किट पहनने के लिए अलग कमरा बनाने की मांग के साथ-साथ कुंभ मेला के दौरान यहां बने शौचालयों की सफाई करने के लिए सफाई कर्मी लगाने की मांग की है. साथ ही यह भी कहा गया है कि अस्पताल में 24 घंटे पानी उपलब्ध कराया जाए.

‘इलाज नहीं मिला तो हमने अपने मरीज को डिस्चार्ज करा लिया’

अस्पताल के गेट पर हम स्वामी देव से बात कर रहे होते हैं तभी वहां एक महिला पर हमारी नजर पड़ती है. जो परेशान होकर रो रही होती हैं. हरिद्वार की रहने वाली कविता गुप्ता अपने 32 वर्षीय बेटे सुनील गुप्ता को सुबह 9 बजे यहां भर्ती कराने के लिए लेकर आई थीं लेकिन इलाज नहीं मिलने के कारण उनकी हालत बिगड़ती जा रही थी.

कोविड सेंटर के बाहर कविता गुप्ता.

न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए कविता बताती हैं, ‘‘मेरे बेटे को सुबह से कोई देखने तक नहीं गया है. बस उसे ऑक्सीजन लगा दिया है. ना कोई दवाई दी और ना किसी ने हालचाल लिया. उसको कोरोना है या नहीं ये मालूम नहीं चला. सिटी स्कैन कराने पर उसके फेंफड़ों पर इंफेक्शन दिखा तो हम यहां लेकर आए हैं.’’

कविता से जब हम बात कर रहे थे इसी बीच हरिद्वार के सीएमओ डॉक्टर एसके झा पहुंचे. कविता उनसे बेटे के इलाज की गुहार लगा रही थीं तो सीएमओ ने साफ शब्दों में कहा, ‘‘जो डॉक्टर इलाज कर रहे हैं उन पर भी भरोसा रखिए.’’ इतना कहकर वे अस्पताल के अंदर चले गए.

इलाज नहीं मिलने की स्थिति में देर रात को कविता अपने बेटे को यहां से डिस्चार्ज कर एक प्राइवेट अस्पताल लेकर चली गईं, जहां उनकी हालत अब स्थिर है.

कविता के साथ यहां पहुंचे सुनील के साले गौरव अग्रवाल ने न्यूजलॉन्ड्री को बताया, ‘‘हमारे मरीज को वहां कोई सर्विस नहीं मिल रही थी तो हमने उन्हें डिस्चार्ज कर रुड़की के क्वाड्रा अस्पताल ले गए. अब उनकी स्थिति थोड़ी ठीक है.’’

पतंजलि और सरकार द्वारा चलाए जा रहे कोविड केयर सेंटर अस्पताल में क्या हुआ इस सवाल के जवाब में गौरव बताते हैं, ‘‘उनकी हालत गंभीर होती जा रही थी, लेकिन डॉक्टर इलाज करने को राजी नहीं थे. सबसे बड़ी बात दवाई देने को कोई राजी नहीं था. वे ऑक्सीजन भी नहीं दे रहे थे. खाली सिलेंडर लगा रखा था. वहां ऑक्सीजन की कमी है. पूरे दिन में एक इंजेक्शन दिया गया था. हमने इस अस्पताल के बारे में देखा-सुना बहुत था जिसके कारण उसपर विश्वास था, लेकिन उस हिसाब से वहां काम नहीं हो पा रहा है.’’

गौरव के जीजा सुनील को इलाज कैसे मिलता क्योंकि यहां अभी पर्याप्त मात्रा में ना डॉक्टर उपलब्ध है और ना ही वार्ड बॉय. कुंभ मेला में छोटी-मोटी बीमारियों के लिए बने इस अस्थायी अस्पताल को आनन फानन में कोविड अस्पताल घोषित कर दिया गया. रामदेव ने अलग-अलग टेलीविजन चैनलों पर जाकर प्रचार करना शुरू कर दिया. जिसका नतीजा यह हुआ कि यहां मरीजों का आना जारी है, लेकिन उन्हें इलाज नहीं मिल पा रहा है. सोनी बताते हैं, ‘‘यहां अब तक (सात मई) पांच से छह मरीजों की मौत हुई है.’’

जिन डॉक्टरों की ड्यूटी यहां पर लगाई गई हैं, इसकी जानकारी अस्पताल के गेट पर लगे एक कागज पर दी गई है. इसके मुताबिक यहां डॉक्टर की तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगी है जहां इमरजेंसी वार्ड में सिर्फ एक डॉक्टर है. यहां कोरोना को लेकर अलग-अलग वार्ड बने हुए हैं. जिसमें एक से दो ही डॉक्टर उपलब्ध हैं. यानी अभी जितने मरीज यहां भर्ती हैं उस हिसाब से 25 मरीजों को देखने के लिए सिर्फ एक डॉक्टर उपलब्ध है. ऐसे में सुनील या नरेंद्र की मां को इलाज कैसे मिल जाता.

इस पूरे मामले में न्यूजलॉन्ड्री ने हरिद्वार के सीएमओ एसके झा से सवाल किया तो उन्होंने व्यस्त बताकर सवालों का जवाब नहीं दिया. हालांकि उनके दफ्तर में आधे घंटे बैठकर उनसे बात करने के इंतज़ार के दौरान हमने पाया कि वे जिले में मेन पावर कम होने को लेकर परेशान होते नजर आए. वे नहीं चाह रहे थे कि कुंभ के दौरान जो डॉक्टर उत्तर प्रदेश से यहां आए थे वे अभी वापस जाएं.

हमने पतंजलि के पीआरओ एसके तिजारावाला से बात की. उन्होंने हमें सवाल भेजने के लिए कहा. हमने उन्हें सवाल भेज दिए लेकिन हमें उनका अभी तक कोई जवाब नहीं आया. अगर जवाब आता है तो उन्हें इस खबर में जोड़ दिया जाएगा.

भले ही इस अस्पताल में लोगों को इलाज ना मिल रहा हो, लेकिन इस अस्थायी अस्पताल के बाहर एक बड़ा सा पोस्टर लगा है. जिस पर एक तरफ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत की और दूसरी तरफ आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव की तस्वीर है.

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