Corona Virus
उत्तर प्रदेश को केंद्र सरकार का पत्र- ‘सिर्फ 45 साल से ऊपर वालों को ही वैक्सीन दें’
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर न सिर्फ घातक है बल्कि देश में कोरोना से मौतों का आंकड़ा 2 लाख की संख्या पार कर गया है. कोरोना से इस लड़ाई में टीके को संहारक माना जा रहा है, बावजूद इसके देश के कई राज्यों में वैक्सीन की उपलब्धता का संकट बना हुआ है.
एक मई, 2021 से 18 वर्ष की आयु से लेकर 44 वर्ष की आयु वालों के लिए भी व्यापक टीकाकरण शुरु करने की घोषणा केंद्र सरकार ने की थी. इसका पंजीकरण भी जारी है.
देश में सर्वाधिक टीकाकरण करने वाले राज्य उत्तर प्रदेश में टीके की उपलब्धता का संकट और अधिक गहरा हो गया है. यहां बीते दो महीनों में कुल 1.19 करोड़ टीकाकरण कराने वालों में महज 17 फीसदी लोग ही दूसरी डोज हासिल कर सके हैं.
अब भी राज्य की करीब आधी आबादी (10 करोड़) को टीके की पहली डोज का इंतजार है. उत्तर प्रदेश में 18-45 वर्ष की उम्र वालों की संख्या करीब 10 करोड़ हैं. वहीं, 45 वर्ष से ऊपर उम्र वाले लोगों में भी अभी महज एक करोड़ 20 लाख लोगों को ही वैक्सीन लग पाई है.
वैक्सीन की उपलब्धता का संकट भी है और राज्य में कोरोना पॉजिटिविटी की दर भी लगातार बढ़ रही है. यूपी में कोरोना पॉजिटिविटी की दर 01 अप्रैल को 2.08 फीसदी थी जो 26 अप्रैल, 2021 को बढ़कर 17.96 फीसदी तक पहुंच गई है.
वैक्सीन संकट के बीच 28 अप्रैल, 2021 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शाम 4 बजकर 15 मिनट अपने आधिकारिक ट्विवटर एकाउंट पर लिखा "01 मई से प्रारंभ हो रहे ‘कोरोना वैक्सीनेशन’ महाअभियान हेतु पंजीकरण आज शाम 4 बजे से शुरू हो गया है. cowin.gov.in या @SetuAarogya ऐप के माध्यम से 18 वर्ष से अधिक आयु के नागरिक अपना पंजीकरण करा सकेंगे. सभी जन कोरोना का टीका अवश्य लगवाएं."
उत्तर प्रदेश शासन के सूत्रों ने बताया है कि टीके की कमी और केंद्र सरकार के जरिए उत्तर प्रदेश को भेजे जा रहे केंद्रीय वैक्सीन स्टॉक का सीमित इस्तेमाल करने का एक पत्र केंद्र की तरफ से उत्तर प्रदेश सरकार को भेजा गया है. इससे टीकाकरण को झटका लग सकता है.
इसका सीधा सा मतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार एक मई से प्रभावी तौर पर टीकाकरण नहीं शुरू कर सकी. टीके का संकट जारी है और महाराष्ट्र की तरह उत्तर प्रदेश भी सस्ते दर वाले टीके की तलाश में ग्लोबल टेंडर जारी कर वैक्सीन आयात करने पर विचार कर रहा है.
उत्तर प्रदेश सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक हेल्थ केयर वर्कर, फ्रंटलाइन वर्कर, 45 वर्ष से अधिक आयु वाले नागरिकों को मिलाकर कुल 1,19,47,728 लोगों का टीकाकरण किया गया है. इसमें 98,83,945 लोगों को टीके की सिर्फ प्रथम डोज मिल पाई है. जबकि महज 20,63,783 लोगों को ही दूसरी डोज मिली है.
वैक्सीन संकट को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के आला अधिकारियों की लगातार बैठक हो रही है. यह बैठक तब और तेज हो गई है जब हाल ही केंद्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से उत्तर प्रदेश के संबंधित विभाग को एक पत्र भेजा. इसके मुताबिक केंद्र सरकार की तरफ से भेजे जा रहे वैक्सीन स्टॉक का इस्तेमाल सिर्फ और सिर्फ 45 वर्ष वाली आयु से अधिक वाले लोगों के लिए ही होगा. इसे 18 से 44 वर्ष की उम्र वालों के लिए नहीं इस्तेमाल किया जा सकेगा.
डाउन टू अर्थ को इस पत्र की पुष्टि शासन के सूत्रों की ओर से की गई. सूत्रों के मुताबिक यह भी बताया गया है कि केंद्र सरकार वैक्सीन निर्माता कंपनियों से बात कर रही है और अगले दो दिनों में राज्यों के लिए वह वैक्सीन की दरें खासतौर से उत्तर प्रदेश के लिए कम कर सकती है.
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने 18 वर्ष से लेकर 44 वर्ष की उम्र वालों के लिए भी वैक्सीन मुफ्त करने का ऐलान किया है. 18-44 आयु समूह वालों के लिए राज्य सरकारों को टीके की व्यवस्था खुद से करनी है. वह स्वतंत्र हैं कि सीधे कंपनियों से टीके की खरीदारी करें. या फिर निजी अस्पतालों के जरिए टीका खरीदवाएं.
उत्तर प्रदेश के कुछ आला अधिकारी इस बात पर जोर दे रहे हैं कि केंद्र सरकार के स्टॉक में भेजी जाने वाली वैक्सीन की वह डोज जो तय व्यक्तियों को नहीं लग पाती है (वेस्टेज वैक्सीन) उनका इस्तेमाल 18 से 44 वर्ष आयु वाले लोगों के टीकाकरण में किया जाए.
हालांकि, कुछ अधिकारियों का कहना है कि केंद्र के सीमित इस्तेमाल वाले पत्र में यह स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि वेस्टेज वैक्सीन का डोज 45 वर्ष से नीचे आयु वालों के लिए न किया जाए. वैसे भी बच जाने वाली वैक्सीन की डोज बेहद कम होती है. ऐसे में टीकाकरण कराने वालों की लंबी कतारें लग सकती हैं. उहापोह की स्थिति पैदा हो सकती है.
उत्तर प्रदेश के पास इस वक्त 7.5 लाख वैक्सीन डोज हैं. केंद्र की ओर से 45 वर्ष से ऊपर वालों के लिए यह स्टॉक मुफ्त में भेजा जा रहा है. इसमें रोजाना 12 से 13 हजार वैक्सीन तय व्यक्ति को नहीं लग पाती है जो कि बहुत ही कम डोज हैं. अब संकट 18 से 44 वर्ष आयु वालों के लिए टीके की उपलब्धता का है.
कोवैक्सीन और कोविशील्ड अब इन दोनों टीकों में से कोई भी आपको लगाया जा सकता है. टीका लगवाने वाला व्यक्ति अपनी पसंद की डोज तय नहीं कर पाएगा. हालांकि, वैज्ञानिक दोनों वैक्सीन को प्रभावी और कारगर मान रहे हैं.
इससे पहले एक मार्च को 45 वर्ष से ऊपर आयु वालों के लिए टीकाकरण शुरु किया गया था. इसमें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के साथ मिलकर हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड कोवैक्सीन टीके का निर्माण कर रही है और पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनिका के सहयोग से कोविशील्ड टीके का निर्माण कर रही है.
कोविशील्ड ने राज्य सरकारों के लिए अपनी एक खुराक टीके का दाम 400 रुपए घोषित किया था. जिसे अब घटाकर 300 रुपए प्रति खुराक कर दिया है. प्राइवेट अस्पतालों के लिए कोविशील्ड 600 रुपए प्रति खुराक है. वहीं भारत बायोटेक ने कोवैक्सिन की प्रति खुराक राज्य सरकार के लिए 600 रुपए और प्राइवेट अस्पतालों के लिए 1200 रुपए रखी है.
जबकि दोनों टीके केंद्र सरकार को 150 रुपए प्रति खुराक में उपलब्ध होंगे.
उत्तर प्रदेश सरकार के सूत्रों के मुताबिक इन दोनों कंपनियों ने अगले 10 दिनों तक टीके की उपलब्धता के लिए मना किया है. वहीं, ग्लोबल टेंडर एक लंबी प्रक्रिया है. यानी यदि सरकार इन दोनों कंपनियों के सहारे टीकाकरण शुरू करने की सोच रही है तो भी एक मई से शुरू हुआ उत्तर प्रदेश में टीकाकरण प्रभावी नहीं हो सकता.
(यह लेख डाउन टू अर्थ से साभार)
***
सुनिए न्यूज़लॉन्ड्री हिंदी का रोजाना खबरों का पॉडकास्ट: न्यूज़ पोटली
Also Read
-
A flurry of new voters? The curious case of Kamthi, where the Maha BJP chief won
-
Delhi’s demolition drive: 27,000 displaced from 9 acres of ‘encroached’ land
-
डिस्टर्ब्ड एरिया एक्ट: गुजरात का वो कानून जिसने मुस्लिमों के लिए प्रॉपर्टी खरीदना असंभव कर दिया
-
How Muslims struggle to buy property in Gujarat
-
Air India crash aftermath: What is the life of an air passenger in India worth?