Khabar Baazi
सीएम योगी सच बोल रहे हैं या तुषार मेहता?
देशभर में कोरोना के प्रकोप से कोई प्रदेश अछूता नहीं है. जहां देखो वहां लोग ऑक्सीजन के लिए, बेड के लिए, रेडेमसिविर इंजेक्शन के लिए लाइन लगाए हुए हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश इस मामले में अलहदा है. यहां हालात खराब होने के बावजूद राज्य के मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि प्रदेश में सब ठीक है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पत्रकारों के साथ हुई बातचीत में कहते हैं कि राज्य में ऑक्सीजन, बेड और रेडेमसिविर इंजेक्शन की कोई कमी नहीं है. अधिकारियों से बैठक में कहते हैं कि जो अस्पताल ऑक्सीजन की कमी को लेकर मीडिया में बयान जारी करे या मरीजों को कहीं और शिफ्ट करने के लिए कहें उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करें.
मुख्यमंत्री एक ओर पूरी कोशिश कर रहे हैं कि मीडिया प्रदेश सरकार की नाकामियों को ना दिखा पाए. लेकिन सरकार के बदइंतजामी की पोल सुप्रीम कोर्ट में खुद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने खोल दी.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में पत्रकार सिद्दीकी कप्पन के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष रखते हुए कप्पन को जमानत ना देने की बात कही. साथ ही दिल्ली ट्रांसफर करने की बात का विरोध करते हुए कहा कि मथुरा में ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्हें बेड नहीं मिल पा रहा है.
वह कहते है, “मैं व्यक्तिगत ऐसे बहुत से पत्रकारों को जानता हूं जिन्हें अस्पताल में बेड नहीं मिल पा रहा है. बहुत मुश्किल के बाद एक बेड मिला.”
कोर्ट में तुषार मेहता ने पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को विशेष रूप से इलाज के लिए दिल्ली भेजने का विरोध किया. उन्होंने विरोध करते समय जो दलीलें दी उससे उत्तर प्रदेश सरकार का वह झूठ बेपर्दा हो गया जो मुख्यमंत्री पत्रकारों और अधिकारी को बोल रहे थे.
सरकार ने अपनी कमियों पर काम करने की बजाय अब उन लोगों पर केस दर्ज करना शुरू कर दिया है जो प्रदेश में ऑक्सीजन, बेड या इंजेक्शन की कमी को लेकर लोगों की मदद करने के लिए ट्वीट कर रहे हैं.
स्क्रॉल की खबर के मुताबिक, एक व्यक्ति के खिलाफ इसलिए केस दर्ज कर लिया गया क्योंकि उसने अपने दादा के लिए ट्विटर पर ऑक्सीजन के लिए मदद मांगी थी.
Also Read
-
A massive ‘sex abuse’ case hits a general election, but primetime doesn’t see it as news
-
‘Vote after marriage’: Around 70 lakh eligible women voters missing from UP’s electoral rolls
-
Mandate 2024, Ep 2: BJP’s ‘parivaarvaad’ paradox, and the dynasties holding its fort
-
The Cooking of Books: Ram Guha’s love letter to the peculiarity of editors
-
‘Need to reclaim Constitution’: The Karnataka civil society groups safeguarding democracy