Ground Report

क्या सर गंगाराम अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से हुई कोरोना मरीजों की मौत?

वाराणसी के रहने वाले पीयूष उपाध्याय के परिवार के लिए कोरोना एक भयावह अंधेरा लेकर आया है. पिता को कोरोना से खोने के तीन दिन बाद पीयूष की मां 66 वर्षीय शकुंतला देवी की तबीयत खराब हो गई. उनका ऑक्सीजन लेवल 90-94 पर आ गया. वाराणसी में बेहतर इलाज न मिल पाने के भय से वे अपनी मां को एंबुलेंस से लेकर दिल्ली पहुंचे. दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में एक डॉक्टर से उनकी बात हो गई थी ऐसे में 19 अप्रैल को उन्हें भर्ती कराया गया. 23 अप्रैल को यहां उनका निधन हो गया.

सुबह-सुबह खबर आई कि राजधानी दिल्ली के राजेंद्र नगर स्थिति सर गंगाराम अस्पताल में बीते 24 घंटे में तकरीबन 25 मरीजों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हो गई है. ये तमाम मरीज कोरोना से पीड़ित थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अस्पताल के चेयरमैन डॉ डीएस राणा ने ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौत से इंकार किया. हालांकि अस्पताल प्रशासन की तरफ से यह कहा गया कि उनके पास कुछ ही देर का ऑक्सीजन बचा हुआ है.

जब यह बात सामने आई कि अस्पताल के पास महज कुछ ही घंटे का ऑक्सीजन बचा हुआ है. और ऑक्सीजन की कमी की वजह से लोगों की मौत हो रही है. इसी दौरान शकुंतला देवी का भी निधन हो गया. अब सवाल यह है कि क्या उनका निधन ऑक्सीजन की कमी के कारण हुआ?

शकुंतला देवी की लकड़ी की रसीद

इसको लेकर जब हमने उनके बेटे पीयूष से सवाल किया तो वे कहते हैं, ‘‘आपको भी पता है कि कोविड वार्ड के आसपास किसी को जाने नहीं देते हैं. उनकी स्थिति बेहतर हो रही थी. हम उम्मीद में थे कि वो धीरे-धीरे बेहतर हो जाएंगी. अचानक से 23 अप्रैल की सुबह अस्पताल वालों ने फोन करके बोला कि मां को कार्डियक अरेस्ट हो गया है. उसके 10 मिनट बाद बोले की दूसरा अटैक आया है. उसके दो ही मिनट बाद सॉरी बोलते हुए फोन किया.’’

पीयूष कहते हैं, ‘‘ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई यह मैं नहीं कह सकता हालांकि उनका ऑक्सीजन लेवल स्थिर हो गया था. लेकिन जब मौत हुई तो ऑक्सीजन लेवल 85 से 90 के बीच था. हमने पहले पिता और अब मां को खो दिया. बड़े भाई कोरोना से मैक्स अस्पताल में इलाज करा रहे हैं.’’

अस्पताल में कोई जवाब देने को तैयार नहीं

शुक्रवार सुबह से ही मीडिया में खबर आने लगी कि गंगाराम अस्पताल में 25 मरीजों की मौत हो चुकी है वहीं 60 गंभीर मरीजों का जीवन खतरे में हैं क्योंकि ऑक्सीजन की कमी है. हालांकि सुबह के 10 बजे के करीब ऑक्सीजन का ट्रक अस्पताल में पहुंचा तो लोगों के सांस में सांस आई. मोर्चरी (मुर्दाघर) के सामने खड़े मिले एक स्वास्थ्यकर्मी बताते हैं, ‘‘यहां का हाल खराब है. हवा (ऑक्सीजन) के बगैर लोगों की मौत हो रही है.’’

क्या ऑक्सीजन की कमी के कारण लोगों की मौत हुई. जब हमने उनसे सवाल किया तो वे सकपका गए. और बिना जवाब दिए अस्पताल के अंदर चले गए. यहां ज़्यादातर लोग चुप्पी साधे नजर आते हैं. किसी सवाल का जवाब देना तो दूर की बात है, गार्ड पत्रकारों को अस्पताल के कम्पाउंड में खड़ा भी नहीं होने दे रहे हैं. कई गार्डों की ड्यूटी पत्रकारों को रोकने के लिए लगाई गई है.

काफी कोशिश के बावजूद जब हमें यहां मरे हुए मरीजों के संबंध में कोई जानकारी नहीं मिली तो हम पास के ही पंचकुइया श्मशान घाट पहुंचे. 23 अप्रैल को यहां कुल 42 लोगों का अंतिम संस्कार हुआ जिसमें से 26 कोविड के मरीज थे और उनमें से सात सर गंगाराम अस्पताल से थे. वहीं 22 अप्रैल को कुल 45 मरीजों का अंतिम संस्कार हुआ जिसमें से 23 कोविड मरीज थे, उनमें से भी सात गंगाराम से थे.

‘अस्पताल ने लापरवाही की’

22 अप्रैल को पश्चिम विहार की रहने वाली 41 वर्षीय कामना की मौत सर गंगाराम अस्पताल में इलाज के दौरान हो गई. वो कोरोना पॉजिटिव थीं और 19 अप्रैल से अस्पताल में भर्ती थीं. उनका ऑक्सीजन लेवल लगातार कम हो रहा था. उनकी बुआ पुष्पा अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाती हैं. हालांकि ऑक्सीजन की कमी से कामना की मौत हुई इसको लेकर वो कोई दावा नहीं करती हैं.

41 वर्षीय कामना की लकड़ी की रसीद

न्यूज़लॉन्ड्री ने फोन पर 63 वर्षीय पुष्पा से बात की. वो अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहती हैं, ‘‘मौत से एक दिन पहले वाली रात को मैं उससे मिलकर आई थी. कह रही थी कि सांस उखड़ रही है. धीरे-धीरे उसका ऑक्सीजन लेवल कम होता गया. मैं जब उसके पास बैठी थी तब उसका ऑक्सीजन लेवल 35 तक आ गया था. और इन लोगों ने ऐसा कुछ नहीं किया कि एकदम से वो बढ़े. हमने नर्स से बोला कि ऑक्सीजन बढ़ा दो. मैं वहां से लौट आई तो रात साढ़े 12 बजे उसका फोन आया कि मेरी तबीयत बिगड़ रही है. मेरे दामाद ने डॉक्टर से बात की तो उन्होंने कहा कि हम आईसीयू में भर्ती कर रहे हैं. आईसीयू में उन्होंने शिफ्ट किया या नहीं किया मुझे कुछ नहीं पता है.’’

पुष्पा आगे कहती हैं, ‘‘अगली सुबह हमारे एक रिश्तेदार ने फोन करके बताया कि ऑक्सीजन लेवल 80 तक आ गई है. तब हम बेहद खुश हुए. हमें लगा कि अब हमारी बेटी ठीक हो जाएगी. दोपहर को तकरीबन तीन बजे अस्पताल से एक फोन आया. उन्होंने पूछा कि कौन बोल रहे हो. मैंने बताया कि वो मेरी बेटी है. तो उन्होंने कहा कि कामना का तो सब कुछ जीरो-जीरो दिख रहा है. मैं साफ-साफ बताने को बोली तो उन्होंने कहा कि चिंता की बात नहीं है. डॉक्टर्स की टीम लगी हुई है. हम लोग कोशिश कर रहे हैं. फिर किसी और को फोन किया और बताया कि वो नहीं रही. मुझे सिर्फ तबीयत बिगड़ने की सूचना दी.’’

जब हम 19 अप्रैल को कामना को लेकर अस्पताल पहुंचे तो उन्होंने उसे कॉरिडोर में ही जगह दी. 20 तारीख को सुबह तकरीबन 6 बजे के करीब उसे रूम में जगह मिली. 6 बजे से शाम 4 बजे तक कोई डॉक्टर इलाज करने के लिए नहीं आया. वो लड़की ऐसे ही पड़ी रही. हम लोग परेशान थे. ऐसे में हमने कई डॉक्टर से अप्रोच किया तब जाकर उसे इलाज मिला. अब वो तो चली ही गई. छोटे-छोटे जुड़वां बच्चे हैं. अब उसके पति करण की हालत खराब हो रही है. उनका ऑक्सीजन लेवल 70 हो चुका है. कहीं भी अस्पताल में बेड नहीं मिल पा रहा है. क्या करें कुछ समझ नहीं आ रहा है.’’ इतना कहने के बाद पुष्पा रोने लगती हैं.

क्या आपकी बेटी की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई. इस सवाल के जवाब में पुष्पा कहती हैं, ‘‘इसका ठीक-ठीक जवाब अस्पताल के लोग ही दे सकते हैं. हालांकि मैं खुद देखकर आई थी कि ऑक्सीजन लेवल उसका लगातार गिर रहा था. डॉक्टर उसे कंट्रोल नहीं कर पाए और शायद इसीलिए वो इतनी जल्द हार गई.’’

‘अस्पताल वालों ने साफ साफ कुछ नहीं बताया’

अशोक विहार के रहने वाले 68 वर्षीय बृजभूषण भूटानी की भी मृत्यु 23 अप्रैल की सुबह हो गई. उनका अंतिम संस्कार 23 को पंचकुइया श्मशान घाट में हुआ. न्यूज़लॉन्ड्री ने उनके बेटे अचल भुटानी से बात की. इसको लेकर भुटानी कहते हैं, ‘‘हमें अस्पताल वालों ने कुछ बताया नहीं है. उनका ऑक्सीजन लेवल कम तो हो रहा था, लेकिन ऐसा होगा हमें अंदाजा नहीं था.’’

भुटानी आगे बताते हैं, ‘‘हम उन्हें बुधवार को लेकर अस्पताल गए. तब उनका ऑक्सीजन लेवल 80 के करीब था. अगले दिन वह 60 के आसपास हो गया. ऐसे में मैं क्या बता सकता हूं कि किस कारण उनका निधन हुआ. अस्पताल वालों ने साफ-साफ जानकारी अब तक नहीं दी है.’’

वह अस्पताल कर्मचारियों के साथ-साथ श्मशान घाट के कर्मचारियों के असंवेदनशील रवैये से बेहद दुखी नजर आते हैं. वे कहते हैं, ‘‘उनपर दबाव है लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि जो यहां आ रहा है वो किसी अपने को खोकर आ रहा है. टोकन बनाते हुए दस कागजों की मांग करते हैं. फोन पर बात करने लगते हैं. आपस में बात करते रहते हैं. हंसते रहते हैं. हमें पांच छह घंटे लग गए. सोचिए पीपीई किट में पांच छह घंटे रहना कितना मुश्किल है. उनको थोड़ा संवेदनशील होना चाहिए.’’

गुरुवार को ही कुसुम चोपड़ा के पिता गुलजारी लाल चोपड़ा का निधन गंगाराम अस्पताल में हो गया. 80 वर्षीय चोपड़ा कोरोना पॉजिटिव थे. उनका अंतिम संस्कार 23 अप्रैल को किया गया. ये भी उन 25 लोगों में से थे जिनकी मौत 24 घंटे के दौरान हुई थी.

न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए कुसुम कहती हैं, ‘‘हमें जो अस्पताल वाले बताएंगे हमें उसकी ही जानकारी होगी. हम उनकी ही बात पर ही भरोसा करेंगे. हमें अस्पताल वालों ने बोला कि वे वेंटिलेटर पर थे. पर वहां वे बेहतर नहीं हो पाए. बस इतना ही बताया. पिताजी की तबीयत तो हर दिन खराब हो ही रही थी. पहले सांस नहीं ले पा रहे थे. फिर किडनी की भी परेशानी हो गई. निमोनिया भी हो गया था. हालांकि मौत किस कारण हुई यह तो हम नहीं बता सकते क्योंकि हम डॉक्टर तो है नहीं.’’

कुसुम कहती हैं, ‘‘कोविड टेस्ट कराने से दस दिन पहले से उनकी तबीयत खराब थी. उनको गंगाराम में 18 अप्रैल को लेकर गए. उससे पहले वे किसी और अस्पताल में थे. वहां भी हालात ठीक नहीं थी. दरअसल जब उन्हें 10 दिन पहले बुखार और जुकाम हुआ तो हमने टेस्ट कराने के लिए बोला हालांकि उन्होंने तब कहा कि मुझे सामान्य बुखार-जुकाम हुआ है. मैं ठीक हो जाऊंगा. वे बाहर नहीं जाते थे तो उनको लग रहा था कि उनको कोरोना होगा ही नहीं. फिर जब ज़्यादा तबीयत खराब हुई तो हम लेकर गए. ऐसे में अस्पताल को दोष देने का क्या फायदा.’’

इसी तरह हमने कुछ और मरीजों के परिजनों से बात की. सबका कहना लगभग एक जैसा ही है कि मृत्यु क्यों हुई इसकी सही जानकारी डॉक्टर और अस्पताल कर्मचारी ही दे सकते हैं. हमें कोई कारण तो अस्पताल प्रशासन द्वारा बताया नहीं गया. हमने तो अपनों को खो दिया.

जहां परिजन कह रहे हैं कि वास्तविक स्थिति प्रशासन ही बता सकता है वहीं अस्पताल प्रशासन बात करने को तैयार नहीं है.

ऑक्सीजन के लिए भागता शहर

कोरोना के दूसरी लहर में मरीजों की मौत ऑक्सीजन की कमी के कारण हो रही है. मरीज जहां अस्पतालों में सांस लेने से जूझ रहे हैं वहीं परिजन बाहर ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं. कई जगहों से ऑक्सीजन के ब्लैक में बेचे जाने की खबरें लगातार आ रही है.

दिल्ली के ज़्यादातर अस्पतालों में कुछ घंटों के लिए ही ऑक्सीजन बचा हुआ है. शुक्रवार को जयपुर गोल्डन अस्पताल में 20 मरीजों की मौत ऑक्सीजन की कमी के कारण हो गई जिसकी जानकारी अस्पताल प्रशासन ने ही दी है.

इसी बीच केंद्र सरकार ने दिल्ली में ऑक्सीजन का कोटा बढ़ा दिया है. मुख्यमंत्री केजरीवाल के मुताबिक दिल्ली को पहले केंद्र सरकार से 378 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिलता था जिसे बढ़ाकर सरकार ने 480 मीट्रिक टन कर दिया लेकिन अभी बढ़ा हुआ ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. जिस कारण मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और उनकी मौत हो जा रही है.

पंचकुइया श्मशान घाट पर अपनी मौसी के पति का अंतिम संस्कार करने राजीव सिंह पहुंचे हुए थे. ऑक्सीजन की कमी के कारण वो अब तक तीन रिश्तेदारों को खो चुके हैं. न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ‘‘आदमी की कोई औकात नहीं रह गई है. सरकार हवा तक दे नहीं पा रही है. इस सरकार से किसी और चीज की क्या ही उम्मीद करें.’’

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