Newslaundry Hindi
मीडिया की आजादी से छेड़छाड़ का असर जीडीपी पर होता है- रिसर्च
लोकतंत्र के लिए मीडिया की आजादी महत्वपूर्ण है यह हमने पढ़ा और सुना भी है लेकिन हाल ही में जारी एक रिसर्च के मुताबिक, मीडिया की आजादी देश की जीडीपी के लिए भी महत्वपूर्ण है.
ऑस्ट्रेलिया की आरएमआईटी यूनिवर्सिटी और स्विनबर्न यूनिवर्सिटी के चार रिसर्चर्स ने बताया कि, उन्होंने प्रेस की आजादी पर हुए हमले के सबूत से पाया कि उसका आर्थिक विकास पर प्रभाव पड़ता है. जैसे की पत्रकारों को जेल में डालना, उनके घरों पर छापा मारना, प्रिंटिंग प्रेस को बंद करना, और पत्रकारों को ठगने के लिए मानहानि कानूनों का उपयोग करना आदि.
इन शोधकर्ताओं की टीम ने प्रेस स्वतंत्रता के लिए फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट और अर्थशास्त्र के लिए आर्थिक विकास के डेटा को समझने के लिए साल 1972 से 2014 तक 97 देशों की जांच की.
स्क्रॉल पर प्रकाशित इस रिसर्च, में शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रेस की स्वतंत्रता में कमी दर्ज करने वाले देशों ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि में 1% -2% की गिरावट का अनुभव किया.
इस रिसर्च में फ्रीडम हाउस रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा गया है कि “एक स्वतंत्र प्रेस अपने नेताओं की सफलताओं या असफलताओं के बारे में नागरिकों को सूचित कर सकता है, लोगों की जरूरतों और इच्छाओं को सरकार तक पहुंचा सकता है. सूचना और विचारों को खुले में आदान-प्रदान के लिए एक मंच प्रदान कर सकता है. लेकिन जब मीडिया की स्वतंत्रता प्रतिबंधित होती है, तो ये महत्वपूर्ण कार्य टूट जाते हैं, जिससे नेताओं और नागरिकों के लिए खराब निर्णय लेने और हानिकारक परिणाम सामने आते हैं.”
रिसर्च में शोधकर्ताओं ने कहा कि हमें और सांख्यिकीय कार्य करने की जरूरत है लेकिन हमारे विश्लेषण में सबूत है कि आर्थिक विकास के लिए मीडिया की आजादी और अच्छी शिक्षा जरूरी है.
स्क्रॉल की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरे एशिया में प्रेस की स्वतंत्रता पर सख्ती की गई है. भारत को लेकर बताया गया है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में मोदी सरकार ने मीडिया की आजादी पर अंकुश लगाया है.
वहीं हांगकांग, म्यांमार, मलेशिया, फिलीपींस और चीन को लेकर भी आलोचना की गई है. इस रिपोर्ट में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों के लिए यह रिसर्च एक प्रेरणा बन सकती है कि वह प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर अपने दृष्टिकोण को बदले और पत्रकारिता कर रही संस्थानों को वित्तीय मदद प्रदान करे जैसा वह एबीसी और एसबीएस को करती है.
Also Read
-
4 years, 170 collapses, 202 deaths: What’s ailing India’s bridges?
-
2006 blasts: 19 years later, they are free, but ‘feel like a stranger in this world’
-
South Central 37: VS Achuthanandan’s legacy and gag orders in the Dharmasthala case
-
India’s dementia emergency: 9 million cases, set to double by 2036, but systems unprepared
-
Maulana assaulted in TV studio after remarks against Dimple Yadav